Monday, December 31, 2012

करना होगा ...मंगलमय ...कल आयेगा ..जो वर्ष नया

ख़त्म हुआ ये वर्ष,.... आज जो ....
इसने नव चेतन का संचार किया ....
अर्जुन ने छोड़ा साथ .....पार्थ का ...
लोकतंत्र का संहार हुआ ...
रावण सारे,... खुल कर नाचे ....
आम आदमी ....लाचार हुआ ...
कितने ही ...आँशु निकले ....कितने बार मुँह साफ़ हुआ ...
हर बार बताया दोष आपका ....
नेता, नंगा ......बीच - बाज़ार हुआ ....
हुआ जो, अनाचार ....दामिनी के संग ....
सिर्फ बेटी - बहन नहीं .....जनता, मानवता का भी बलात्कार हुआ ...
कल निकलेगा ...एक रवि नया .....है लाल,... लहू से रंगा हुआ .....
कैसे होगा मंगलमय,...रातों रात .... ये वर्ष नया .....
जगना होगा,....दोस्त मेरे ....
लड़ना होगा,.... दोस्त मेरे ....
फिर आएगी .....नई सुबह ....
करना होगा ...मंगलमय ...कल आयेगा ..जो वर्ष नया
......नागेन्द्र शुक्ल

No comments:

Post a Comment