Tuesday, September 30, 2014

आप ही बताओ....क्या मैं मोदी जी से,....के बारे में ना पूछूं..

पता नहीं क्यूँ.....भक्त मुझे नेगेटिव सोच वाला समझते हैं.....आप ही बताओ....क्या मैं मोदी जी से धारा 370 के बारे में ना पूछूं.....क्या मैं मोदी जी से गौ-माता के मांस पर टैक्स कम करके गौ-हत्या को बढ़ावा देने का कारण ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से रोबर्ट वाड्रा को z सिक्यूरिटी कायम रखने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से दिल्ली में विधायको की खरीद-फरोख्त के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से केजरीवाल सरकार द्वारा अम्बानी के खिलाफ की गई FIR को रद्द कराने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से दिल्ली की एकमात्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच की शक्तियां छिनकर उसको पंगु बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से AIMS में भ्रष्टाचार के खुलासे करने वाले संजीव चतुर्वेदी को हटाये जाने के बारे में ना पूछूं...........क्या मैं मोदी जी से अब तक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाये गए कदमो के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से महंगाई एक बारे में सवाल ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से काले धन के प्रति ढीले-ढाले रवैये के बारे में ना पूछूं.........क्या मैं मोदी जी से काले धन को राष्ट्रीय सम्पति घोषित करने के वादे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से FDI के विरोध करने वाले ड्रामे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हुए सैनिको के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से चीन की दादागिरी के खिलाफ उठाये गए कदमो के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से लव-जेहाद के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से हाल ही हुए वडोदरा में हुए साम्प्रदायिक दंगे के बारे में ना पूछूं.......क्या मै मोदी जी से दिल्ली में बिजली की कम्पनियों के CAG ऑडिट को प्रभावित करने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से येदुरप्पा जैसे नेताओं को पार्टी उपाध्यक्ष बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से अमित शाह जैसे तड़ीपार को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से स्मृति इरानी जैसी 12वीं पास को फर्जी डिग्री बताकर देश की शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से अरुण जेटली और स्मृति इरानी जैसे हारे हुए प्रतिनिधियों को देश के आम आदमी का प्रतिनिधित्व सौंपने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से मीडिया के पैसे देकर चलाई जा रही paid news के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से उनकी पार्टी को मिल रहे चंदे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से चुनावों में उनके उम्मीदवारों द्वारा बांटी जा रही अवैध शराब के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से एक बलात्कारी को मंत्री पद दिए जाने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से CBI को आजाद करने के उनके भाषण के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से कोलेजियम सिस्टम ख़त्म करके सुप्रीम कोर्ट में अपने 2 नेताओं के प्राइवेट वकीलों को जज बनाए जाने के फैसले के बारे में ना पूछूं......!!
अगर नहीं तो फिर इसका मतलब या तो मैं इस देश का नागरिक नहीं हूँ.....या फिर मोदी इस देश के चुने हुए प्रधानमंत्री नहीं......!!Naveen Dahiya

Monday, September 29, 2014

प्रधानमन्त्री जी अमेरिका दौरे पर ,....

हमारे प्रधानमन्त्री जी अमेरिका दौरे पर है। आइये कुछ सच्चाइयों से अवगत कराये।
नो उल्लू बनाविंग - नो उल्लू बनाविंग
भारतीय मीडिया
1. नरेंद्र मोदी जी का भव्य स्वागत किया गया।
* जब कि स्वागत के समय मात्र भारतीय मूल के पांच अफसर और एक अमेरिकन प्रोटोकॉल उपस्थित थे।
2. नरेंद्र मोदी जी के लिए कढ़ी सुरक्षा व्यवस्था।
* जब कि एयरपोर्ट से होटल तक मोदी जी अपनी गाडी से अमेरिकन सुरक्षा व्यवस्था के बिना ही गए। कोई भी अमेरिकन पुलिस की मोटर साइकिल नहीं थी।
3. मोदी जी का अमेरिकन वासियो ने आथित्य स्वागत किया।
* जब की अमेरिका दौरे का पूरा खर्च भारत ने किया। उनके ठहरने तक का खर्चा भारतीय दूतावास ने उठाया।
4. आइये देखे वहाँ के लोग और वहाँ के अखबार क्या कहते है।
* न्यू यॉर्क टाइम्स में उनके आने का उल्लेख तक नहीं है। 2002 के दंगो के कारण वहा की कोर्ट द्वारा सम्मन दिए जाने का विवरण है।
* वाशिंगटन पोस्ट ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए लिखा है -
"India’s Modi begins rock star-like U.S. tour" , यानि हमारे प्रधानमंत्री की तुलना वहाँ के नाचने - गाने वालों से की है।
* वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी लिखा है की भारत के प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे से कोई भी महत्तवपूर्ण समझौता (अनुबंध) होने की संभावना नहीं है।
5. "मैडिसन स्क्वायर गार्डन" जहाँ मोदी जी ने रिवॉल्विंग स्टेज पर एक रॉक स्टार की तरह भाषण दिया वह भारतीय मूल के व्यक्तियों (भाजपाई) द्वारा भुकतान करके किराये पर लिया गया है । वहाँ की सरकार का कोई योगदान नहीं है ।
6. हमारे प्रधानमन्त्री के जापान दौरे के दौरान वहाँ इसी तरह का माहोल था। जापान के सबसे ज्यादा लोकप्रिय न्यूज़ पेपर - टोक्यो न्यूज़ पेपर ने उनके जापान आने की खबर मात्र 80sq cm में पूरी कर दी। हमारे मीडिया ने ऐसा दिखाया जैसे की हमारे प्रधानमंत्री जी ने पूरा जापान फ़तेह किया है ।
चीन के प्रधानमंत्री के भारत आने पर हमारी मीडिया ने ऐसा दिखाया कि जैसे भगवान धरती पर आ गए है और वो भी अंगूठा दिखा कर चले गए।
भारत का मीडिया 150 अरब लोगो को उल्लू बना रहा है किसके इशारे पर ??
नो उल्लू बनाविंग - नो उल्लू बनाविंग।
[29/09 10:04] Ajay Tomar: राजदिप ने अडानि की प्रधानमंत्री के साथ रुकने की खबर ट्वीट कर दी तो भक्तों ने उनके साथ मार पीट कर दी, घटना पर मीडिया व पत्रकार खामोश क्यों है? सुप्रभात जयहिन्द

Thursday, September 25, 2014

अरुणाचल के एक भाग को चीन का हिस्सा दर्शाते नक़्शे वाले

चीनी राष्ट्र पति और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में गुजरात सरकार , भारतीय सरकार और चीन के बीच हुवे तीन समझौतों में भारत के एक हिस्से अक्सईचिन को चीन का हिस्सा दिखाते कश्मीर के कुछ भाग और अरुणाचल के एक भाग को चीन का हिस्सा दर्शाते नक़्शे वाले दस्तावेज़ों पर एम ओ यू पर दोनों देशो के अधिकारीयों ने हस्ताक्षर किये है . ऐसा भूल वश भी अगर हुवा है तो यह भारी भूल है और बीजेपी के नए खेवन हार, इस देश के नए प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी द्वारा अपने को युग पुरुष स्थापित करने की उतावली का परिणाम लगती हैं। ऐसे ही उतावले पन में आज़ादी के एकदम बाद नेहरू जी भी थे जब उन्होंने हिंदी चीनी भाई भाई के नारे लगवाते लगवाते चीन की तरफ से आँखे मूँद ली थी और चीन ने अरुणाचल का एक बड़ा हिस्सा कब्ज़ा लिया था। पड़ोसियों से रिश्ते बनाना अहम बात है पर ध्यान रहे की इस तरह की उतावले पण में की गयी भूलो का देश पहले ही बहुत नुक्सान उठा चूका है।
News Link:-
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वाह प्रशांत भूषन जी और विनोद राय जी ,....


वाह प्रशांत भूषन जी और विनोद राय जी ,....
आपकी सच्चाई , ईमानदारी और मेहनत,…का फल पूरे देश को लंबे समय तक मिलेगा ,....
और ,…
जन साधारण को बता दें ,....
इसका जो फायदा आपको मिलेगा ,....

वो राजनीतिक पार्टियो द्वारा बाँटे जाने वाले ,....लैपटॉप टीवी मोबाईल स्कूटी से कई हज़ार गुना ज्यादा और मूल होगा ,....
तो अब ,....
कम से अब ,....
आपको समझ आना चाहिये ,....
की भ्रष्टाचार ,.... आपके जीवन को किस तरह प्रभावित करता है ,....
और भ्रष्टाचार मुक्त भारत क्यों जरुरी है ,....

चलो एक शपथ ले ,.... एक प्रयास करे ,.... सबसे कहे ,....#चलोदेशसुधारे #ChaloDeshSudhare
#NagShukl
 
https://www.facebook.com/WeWantAKasPM/photos/a.454846544538482.96610.454826997873770/816336725056127/?type=1&theater

मोदी के लिए केजरीवाल ज़रूरी है .........

मोदी के लिए केजरीवाल ज़रूरी है ................................................................................
नये भारत का आन्दोलन मोदी ने नही शुरू किया. नये भारत के आन्दोलन को केजरीवाल और अन्ना ने मिलकर अपने जिगर से फूंका था. अन्ना का आमरण अनशन 1947 के बाद देश के इतिहास का सबसे प्रभावशाली अनशन था. ऐसा अनशन जिसकी लाइव कवरेज ने करोड़ों घरों को पहली बार एक बड़ी लड़ाई के लिए एक जुट कर दिया था. ये वही मोड़ था जहाँ बीजेपी और कांग्रेस दोनों डर कर संसद के दडबे में छुप गयी थी...और मोदी कहीं सीन में नही थे.
इसी मोड़ पर केजरीवाल अपने साथ अन्ना और किरण बेदी को लेकर अगर आगे बढ़ जाते तो शायद 2014 में समूचा हिंदुस्तान उन्हें लाल किले से सुन रहा होता. अगस्त क्रांति के आन्दोलन के वक़्त केजरीवाल और अन्ना की दीवानगी का आलम ये था कि उनकी एक ललकार पर हिंदुस्तान बिछा जा रहा था. उनके मुह से बोल नही मंत्र निकल रहे थे. उनके इशारे पर घटनाक्रम बदल रहा था . उनकी उँगलियों पर राजपथ नाच रहा था .
ये सारा शो केजरीवाल का था. ये सारा आन्दोलन केजरीवाल के ब्लू-प्रिंट से निकला था . अन्ना आन्दोलन का चेहरा बने थे और किरण बेदी उसकी साख. लेकिन महत्वाकांक्षआओं का ज्वार देश के सबसे ऐतिहासिक जन आन्दोलन को निगल गया. किसी का अहंकार तो किसी कि जिद आन्दोलन के लिए आत्मघाती बन गयी. रातों रात मिली शोहरत में किरण बेदी और केजरीवाल दोनों डगमगा गये और अन्ना को उमड़ती भीड़ बहा ले गयी . शायद ये सभी हैसियत से ऊँची छलांग लगा चुके थे और हवा में बैलेंस खो बैठे.
मित्रों इस आन्दोलन की राख से एक व्यक्ति का पुनर्जन्म हुआ... वो व्यक्ति नरेन्द्र दामोदर दास मोदी था जिसने दिल्ली में बिखरी सरकार, बिखरे विपक्ष और बिखरे हुए एक आन्दोलन के शून्य को भरने में देर नही की. जैसे कोई शेर घात लगाकर मौके का इंतज़ार कर रहा हो..वैसी ही मोदी ने मौका पाते ही ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दांव खेला. केजरीवाल अपने मूल साथियों से जुदा होकर एक जीती बाज़ी हार चुके थे ..और मोदी उन्ही के आन्दोलन की राख में बुझी चिंगारियों को जलाकर आगे निकल गये.
मित्रों सफलता के बीच खुद को संभालना ही सबसे बड़ी चुनौती है. सत्ता में बच्चे की तरह चाँद मांगने की जिद नही की जाती .. चाँद और मंगल जीतने की बात होती है . सत्ता में बच्चे की तरह कुर्सी को ठोकर नही मारी जाती ..कुर्सी का इक़बाल कायम किया जाता है.
मित्रों , 2002 में एक पश्चाताप मोदी ने किया था .अब 2014 में एक पश्चाताप केजरीवाल को करना होगा. मोदी के लिए मुलायम, मायावती या पवार जैसे दागदार चुनौती नही है. मोदी के लिए असली चुनौती केजरीवाल ही है. सच यही है कि देश को चलाने के लिए मोदी ज़रूरी है. मोदी को चेक करने के लिए केजरीवाल.
......................Deepak Sharma (AAJ TAK)
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महाराष्ट्र में #BJP #Shivsena गठबंधन समाप्त ,....

राजनीति ,....
महाराष्ट्र में #BJP #Shivsena गठबंधन समाप्त ,....
अगली प्रेस कस्फेरेन्स #NCP की ,....
साफ़ है NCP #Congress का गठबंधन भी गया ,....
क्या सच में गठबंधन गया या नया गठबंधन बना ????

मेरी समझ से नया गठबंधन बना ,....BJP और NCP का ,....
शायद शुरुवात से चाहत ही सिर्फ इतनी थी ,…… दोनों की ,....
ठीक उसी तरीके से जैसे हरियाणा में ,....BJP #INLD का गठबंधन है ,....
हरियाणा में जहां से INLD का मजबूत प्रत्यासी है वहां से बीजेपी का कमजोर और बीजेपी का मजबूत बागी बन ,.... मैदान में ,…

ठीक इसी तर्ज पर आपको महाराष्ट्र में देखने को मिलेगा ,....
अब सवाल ये की ,....BJP INLD NCP के गठबंधन का मूल क्या है ?
सेना बीजेपी का मूल हिंदुत्व था ,.... पर इनका मूल क्या ?

इनका मूल है CBI ,....और सीबीआई का मालिक कौन ? हाँ बस वही इन नए गठबंधनों का मालिक ,....
इधर चौटाला अंदर की बाहर सीबीआई की मर्जी ,…
उधर सिचाई घोटाला - घोटाला या नहीं ,.... सीबीआई की मर्जी ,....
ऊपर से ,....
sugar बेल्ट ,....
शुगर बेल्ट के मालिक दो ,....
पवार और गडकरी ,.... गठबंधन स्वाभाविक ,....

गठबंधन टूटे ,… बने,… पर भक्तो ,....
एक सवाल रह गया ,....
सेना बीजेपी में सेक्युलर कौन ???
या सेक्युलर होना ,.... भक्तो के लिए अब गाली नहीं रहेगी ??
देखो अब समझ लो ,....
मुख्यमंत्री तो ,…बीजेपी का ही होगा ,.... दोनों जगह ,....

राजनीति ,....
राजनीति है ये ,…इसमें सिद्धांत ,.... सिर्फ कुर्सी और ताकत है ,....
ये समझने में अरविन्द ,.... असमर्थ है ,....
पर अगर अरविन्द समझे ,…तो ,…
तो अरविन्द ख़त्म ,....
#AAP के दोस्तों ,....
संकेत साफ़ है ,…

अगर टिके रहे ,.... जुड़े रहे ,… चलते रहे ,....
तो विपक्ष का केंद्र ,… आप होगे ,....
क्योंकि अब राजनीति के सिद्धांत बदल रहे है ,....
अब देश में ,.... सेक्युलर कम्युनल पर ,.... बहस नहीं होगी ,....
बहस सिर्फ ,....
भ्रष्टाचार और ईमानदारी होगी ,....
मतलब AAP के लिए विपक्ष तय ,....#NagShukl

Saturday, September 20, 2014

open letter to Sh Narendra Modi ji ...........AK

माननीय प्रधानमंत्री जी,
सरकार के 4 महीने पूरे हुए। लोगों में इन 4 महीनों की खूब चर्चा है। लोगों की भावनाओं को इस पत्र के जरिए मैं बयान कर रहा हूं।
लोगों का मानना है कि आप बहुत अच्छा बोलते हैं। बहुत अच्छे भाषण देते हैं। लेकिन आपकी पार्टी के नेता और मंत्री आपकी बातों के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं। आप उस पर न कुछ कहते हैं और न ही कुछ करते हैं। इससे लोगों में असमंजस है।
जैसे अभी कुछ दिन पहले आपने कहा कि अगले 10 सालों तक देश में साम्प्रदायिकता की बातें नहीं होनी चाहिए। आपने कहा कि साम्प्रदायिकता से किसी का भला नहीं होता। लोगों को आपकी ये बातें बहुत अच्छी लगी। लेकिन लोग तब दंग रह गए जब आपके भाषण के कुछ दिन बाद ही आपकी पार्टी के सांसद योगी आदित्यनाथ ने धर्म के नाम पर ज़हरीले भाषण दिए। आपकी पार्टी के लोगों ने लव-जिहाद के नाम पर धर्मों के बीच ज़हर घोलना शुरू किया। लोगों को आश्चर्य हुआ कि आपकी पार्टी के लोग ही आपकी बातों को क्यों नहीं मान रहे? लोगों को उम्मीद थी कि आप योगी आदित्यनाथ को और अपनी पार्टी के अन्य लोगों को यह सब करने से रोकेंगे। लेकिन जब आप भी चुप रहें तो लोग असमंजस में पड़ गए।
आपने लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना दिखाया। आपने यहां तक कहा- ‘‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा।’’ सबको यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। लोगों में विश्वास जगा कि अब भ्रष्टाचारियों को जेल होगी और ईमानदारों की कद्र होगी। लेकिन जब आप ही के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने एक बेहद ईमानदार अफ़सर श्री संजीव चतुर्वेदी को अपने पद से हटा दिया तो लोगों को आश्चर्य हुआ। सारा देश जानता है
कि किस तरह से संजीव चतुर्वेदी ने सरकार में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और कई भ्रष्टाचारियों को जेल पहुंचाया। यहां तक कि स्वयं राष्ट्रपति और संसदीय समिति ने भी श्री संजीव चतुर्वेदी के काम को सराहा है। लोगों को तो उम्मीद थी कि ऐसे अफसरों को आप पद्म भूषण से सम्मानित करेंगे। उनके हटाए जाने का मीडिया और जनता ने कड़ा विरोध किया। लोगों को उम्मीद थी कि आप स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और संजीव चतुर्वेदी को फिर से बहाल कराएंगे। लेकिन जब आप इस मामले में भी चुप रहे, तो लोगों को आश्चर्य हुआ।
अभी कुछ दिन पहले आपके ही गृहमंत्री ने नोटिफिकेशन जारी करके दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच की शक्तियों को कम कर दिया और उसे नकारा बना दिया। यदि आप वाकई भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो आपको तो एंटी करप्शन ब्रांच को और सुविधाएं और पावर देनी चाहिए थीं और उसमें ईमानदार अफ़सरों की भर्ती करनी चाहिए थी। उसे
पंगु बनाकर तो आपके मंत्री भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि चूंकि आपने देश से भ्रष्टाचार दूर करने का वादा किया था इसलिए आप राजनाथ सिंह जी को कहकर ये नोटिफिकेशन रद्द करवाएंगे। लेकिन इस पर भी आप चुप रहे।
अभी कुछ दिन पहले ऐसा सुनने में आया कि आपके एक मंत्री के बेटे ने दिल्ली पुलिस में ट्रांसफर करवाने के लिए कुछ लोगों से पैसे ले लिए। जब आपको पता चला तो आपने उन मंत्री जी और उनके बेटे को बुलाकर खूब डांटा। लोगों को यह बहुत अच्छा लगा। लेकिन आपसे विनम्र निवेदन है कि अगली बार किसी मंत्री का बेटा रिश्वत लेते हुए पाया जाता है, तो आप उसे डांटने के साथ-साथ पुलिस के हवाले भी कर दीजिएगा।
दिल्ली में आपकी पार्टी के उपाध्यक्ष कैमरे पर दूसरी पार्टी के विधायकों को खरीदते हुए नज़र आए। दिल्ली में आपकी पार्टी खुलेआम जोड़-तोड़ करके बेइमानी से सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। लोग बेचैनी से इंतजार करते रहे कि आप अपनी पार्टी को गलत काम करने से रोकेंगे। लेकिन अब तक आप चुप हैं।
चुनाव के पहले आपने तत्कालीन यूपीए की सरकार को इस बात के लिए कई बार आड़े हाथों लिया था कि पाक सीमा पर हमारे सिपाहियों के सर कटने के बावजूद और चीन सीमा पर चीनियों के घुसपैठ करने के बावजूद डा. मनमोहन सिंह सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब आप अपने भाषणों में इस बात को उठाते थे तो लोगों में जज़्बा पैदा होता था और लोगों को अच्छा लगता था। लेकिन आपकी सरकार बनने के बाद भी चीन और पाक की घुसपैठ पहले की तरह लगातार जारी है। चुनाव के पहले आप इस मुद्दे को इतने ज़ोर-शोर से उठाते रहे। लेकिन अब आप भी कुछ ठोस नहीं कर पा रहे हैं?
अभी कुछ दिन पहले अंग्रेजी के एक बड़े अखबार में खबर छपी थी कि आपके कोयला मंत्री 9 प्राइवेट कंपनियों को 1500 रुपये प्रति टन के हिसाब से 25 सालों के लिए सरकारी कोयला बेचने का एग्रीमेंट कर रहे हैं। जबकि उस कोयले का बाज़ार भाव 4000 रुपये प्रति टन है। उस खबर के मुताबिक देश को इससे डेढ़ लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। मतलब कि नई सरकार में भी घोटालों का सिलसिला चालू हो गया? डा. मनमोहन सिंह जी की ठीक नाक के नीचे घोटाले होते रहे और वे चुप रहे। आपसे विनम्र निवेदन है कि आप घोटालों में चुप मत रहियेगा। कृपया इस घोटाले को होने से पहले रोक दीजिएगा।
चुनाव के पहले आपने कहा था कि अच्छे दिन आने वाले हैं। पिछले 65 सालों से इस देश के लोग अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं। इस देश के लोगों को तो पता ही नहीं कि अच्छे दिन कैसे होते हैं? लेकिन फिलहाल तो महंगाई की वजह से लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। जिस मिडिल क्लास और गरीब लोगों ने आपको वोट दिया, आज उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चे पालने मुश्किल हो गए हैं। आप तो अब सर्वशक्तिमान हैं। संसद में आपके पास पूर्ण बहुमत है। इसीलिए आपसे विनती है कि अच्छे दिनों के बिना तो फिर भी लोग रह लेंगे, फिलहाल तो महंगाई से किसी तरह लोगों को जल्द छुटकारा दिलवा दीजिए।
प्रधनमंत्री जी, आपको ऐतिहासिक मौका मिला है। लोगों को आपसे बहुत उम्मीदें हैं। उपचुनावों के नतीजे दिखाते हैं कि लोगों की उम्मीदें धीरे-धीरे टूट रहीं हैं।
धन्यवाद
अरविन्द केजरीवाल

Wednesday, September 17, 2014

गुडगाँव टीम की व्यथा

दिल्ली चुनाव ख़त्म होने के बाद हम सब बहुत खुश थे की गुडगाँव को श्री योगेन्द्र यादव जैसा राष्ट्रीय स्तर का नेता मिला है चुनाव लड़ने के लिए ,....
पर जब से उन्होंने गुडगाँव का कामकाज देखना शुरू किया ,....धीरे धीरे सभी पुराने कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस करने लगे ,…
पार्टी कुछ इस तरह से चलने लगी जैसे ,…कोई कॉर्पोरेट कंपनी ,....
जिसमे लोगो से काम कराने के लिए लालच दिए जाने लगे ,.... अचानक से आयी लोगो की बाढ़ में पुराने साथी बहते चले गए ,…
किसी ने सम्हालने की कोशिश नहीं की ,....
ताकि कार्यकर्ता एक दूसरे से ज्यादा बात चीत ना कर पाये ,....उनको विधानसभा की सीमाओ में बाँध दिया गया ,…
तुम गुडगाँव टीम - तुम बादशाह पर टीम ,....
तुम गुडगाँव से बादशाह पर क्या गए ,....
वगैरह - वगैरह प्रश्न किये जाने लगे ,....

वो कार्यकर्ता जो दिल्ली चुनाव में निस्वार्थ और देशभक्ति की भावना  प्रेरित काम करते थे ,....उनको लगने लगा की ,…
उनसे निखालीज़ देशभक्ति की उम्मीद और जो पद पैसे प्रतिष्ठा परिवार पुरानी जानपहचान की वजह से जुड़े आगे बढे ,....वो राजनीति,....उसी पुरानी राजनीति में व्यस्त दिखे ,....

- कार्यकर्ताओ के बीच भ्रम और अविस्वास फैलाया गया,....यहां तक की वो एक दुसरे की रिकॉर्डिंग से डरने लगे ,....
लोगो को टिकट के लालच में , …काम करने के लिए प्रेरित किया गया , …

पार्टी के अंदर अच्चानक एक ख़ास NGO के लोगो की भरमार दिखने लगी ,....कई बार तो ऐसा लगा परोक्ष  से कांग्रेस करीब आ रही है ,....घुसी जा रही है
पार्टी एक कॉर्पोरेट कंपनी की तरह चल रही थी ,....अंग्रेजी बोलने के सामने हिंदी बोलने वाले कमजोर महसूस करने लगे ,

 वो ऑटोवाला उपेक्षित महसूस करने लगा ,…लोगो को काम दिया जाने लगा ,....काम का हिसाब लिया जाने लगा
कोई सलाह नहीं,… कोई बातचीत नहीं ,....
नए और पुराने लोगो के बीच ,....किसी ने सामंजस्य बिठाने की कोशिश ही नहीं की ,....
ऐसा लगने लगा ,....पुराने की जरुरत ही नहीं ,....
ऊपर से डायलॉग "पुराने पत्ते गिरेंगे तो नए आयेंगे",.... इत्यादि ,....

यहां तक तो सब सहनीय था ,....
पर असहनीय तब हुआ जब ,....समर्पित कार्यकर्ताओ के स्टिंग में वीडियो बनवाए जाने लगे ,....बातचीत की रिकॉर्डिंग ,....एक बात को दूसरे से कन्फर्म करना ,....
कई बार,…धन के मामले में भी पारदर्शिता की कमी दिखी ,…तत्कालीन accountant ने बिल माँगे,....inventory की details माँगी पर मिलनी मुश्किल दिखी,…उन्होंने त्यागपत्र दिए ,....हज़ारो की संख्या में पोस्टर छापने के बिल ,....पर हकीकत में दीखते नहीं थे ,....

और सबसे बड़ी तीन घटनाये ,....
1 ख्यालिया को भारी विरोध के बाद टिकट दिया गया,....सबूत सामने रखने पर,.... कहा गया मामला प्रशांत भूषन के पास भेज दिया गया है ,....फिर कहा गया प्रशांत ने कहा है कुछ गलत नहीं ,…जबकि इस बात के साक्ष्य है की प्रशांत ने टिकट कैंसिल करने के लिए कहा था
2 गुडगाँव टीम ने सर्वसम्मति से जिस कार्यकर्ता को टीम से बाहर किया था उसे वापस से ला प्रवक्ता बनाया गया और पूंछने पर बताया गया मैं उसे जानता ही नहीं ,....जबकि इस बात के साक्ष्य है की उसके रात डिनर किया था ,.... इस प्रवक्ता की हाल ये थे की इन्होने कई मौको पर टीवी में अरविन्द तक की बुराई की ,....
3 मेवात के वरिष्ठ कार्यकर्ता को राहुल गाँधी से मिलवाया गया ,....पूँछने पर कहा गया वो बात बहुत बहुत पुरानी है जबकि ऐसा नहीं था (हलाकि इसका कोई documented सबूत नहीं)
4. मैं भी आम आदमी के अंतर्गत संख्या को कई कई गुना बढ़ा चढ़ा के प्रस्तुत किया गया ,....गुडगाँव में 1 लाख बताये गए ,… जबकि पूरा डेटा सिर्फ बीस हज़ार से भी काम था ,… उसमे से वास्तविक कार्यकर्ताओ की संख्या शायद 5 प्रतिशत भी नहीं
5. कमिटी के सदस्यों को ही अखबार के माध्यम से पता चला की ,…कमिटी भंग कर दी गयी ,....
चाटुकारिता चरम पर और फोटो खिचवाने वाले आगे ,....लालच ही एक तरीका दिखा काम करवाने का ,… पार्टी के मूल तौर तरीके ताक पर रख दिए गए
6. चुनाव के दौरान गुडगाँव में एक बलात्कार की घटना हुई थी जिसमे वो पुलिस वाला जिसने विशेल ब्लोअर का काम किया था उसी को ससपेंड किया गया था गुडगाँव के आंदोलनकारी कार्यकर्ताओ ने जब इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया तो योगेन्द्र यादव ने कार्यकर्ताओ में बोला की ये मामला गलत है इसे छोड़ चुनाव के काम में लगो ,....आंदोलनकारी साथी समझ रहे थे की इस मामले का फायदा चुनाव में भी मिलेगा और सबसे बड़ी बात हम सही का साथ देने की बजाय उसे दबाने छोड़ने का काम कैसे  कर सकते थे 
7. ऐसा लग रहा था ,....
अरविन्द को और उनके करीबियों को ,.... या उस आंदोलन कर्ता सोंच वाले लोगो को हटाना ही उद्देश्य बचा है ,....
जो पोस्टर छपवाए (कुछ) गए उनमे अरविन्द गायब थे ,…खुद को एक मात्र नेता की तरह प्रस्तुत किया गया ,....
अपने रिस्तेदारो को पार्टी के पदो पर स्थापित कराया ,....
नए साथियो में पुराने के प्रति दुर्भावना भरी गयी ,....
8. चीज़ो के ज्यादा दाम चुकाए गए ,.... जबकि बेहतर  सस्ते में हो सकता था 

उपरोक्त स्थानीय कारणों के अलावा ,…राष्ट्रीय कारण भी काफी हावी थे ,.... जैसे की
जरुरत से ज्यादा सीटो पर चुनाव लड़ना
पैसे से टिकट बेंचना
लोगो को बिना मर्जी के ,…क्षणयंत्र से गलत सीटो पर खड़ा करवाना ,....


और नतीजा ,....
सारे के सारे ,…पुराने और आंदोलन के साथी किनारे होते गए ,....

अंत में सिर्फ इतना कहना चाहूँगा की ,....
ऐसा दिख रहा था ,....AAP को जानबूझ कर ख़त्म करने की साजिश की जा रही है ,....
ऐसा लग रहा था कोई इसे पुराने ढर्रे की पार्टी बनाना चाहता है ,....कुछ लालू यादव जैसे फॉर्मूले मुस्लिम - यादव वगैरह ,....

मुझे याद आता है वो ऑटो वाला जो एक दिन ,…ऑटो चलाता था और एक दिन दिल्ली में प्रचार ,
दिल्ली चुनाव के बाद वो और उसका जूनून खो गया ,....

Tuesday, September 2, 2014

अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद

आज देश में अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद
किसी पहचान का मोहताज नहीं है| अरविन्द केजरीवाल एक ऐसे इंसान का नाम है जिसने अपनी सुख सुविधा वाली नौकरी और आराम वाली ज़िन्दगी छोड़ कर देश के लिए कुछ करने की सोची| पर शायद इस देश के लोग हमारी भ्रष्ट व्यवस्था के इतने आदी हो चुके हैं की उन्हें अरविन्द का इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ना अच्छा नहीं लगा| ये एक कडवा सच है की हमारे देश के लोग जाने अनजाने कहीं न कहीं इस भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा है,कभी हम ट्रैफिक पुलिस को रिश्वत देते हैं ताकि हमे कहीं पहुचने में देरी न हो जाए, कभी हम बिजली के दलाल को पैसे देते हैं ताकि हमारा काम जल्दी हो जाए| अरविन्द केजरीवाल ने इन सबके खिलाफ आवाज़ उठाई गलत किया ? शायद देश के बहुत से लोगो के हिसाब से गलत किया , क्योंकि आज
भी हम में से ज्यादातर लोग अपनी सुविधा पहले देखते हैं
देश बाद में |अरविन्द केजरीवाल के बारे में कुछ लोगो( भारतीय जनता पार्टी केसमर्थको का ख़ास तौर से ) के विचार देख कर तकलीफ होती है, राजनैतिक विरोध एक बात है मगर अरविन्द जैसे व्यक्ति का सिर्फ इस वजह से विरोध करना और अपशब्द कहना क्योंकि उसने भ्रष्टाचार के हर आरोपी के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है कहाँ तक सही है? लोगो के अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता की अरविन्द केजरीवाल ने देश के लोगो की राजनीति में रूचि जगाई ,अरविन्द केजरीवाल ने दिखाया की ईमानदारी से साफ़ पैसे से चुनाव लड़ा जा सकता है, अरविन्द ने दिखाया की जब नीयत साफ़ हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं | दिल्ली में आम आदमी पार्टी के २७ विधायक मोहल्ला सभा करते हुए देखे जा सकते हैं , वोह लोगो से पूछते हैं की ४ करोड़ की विधायक निधि कहाँ खर्च होनी चाहिए | शायद इससे पहले लोगो को येभी नहीं पता था की दिल्ली में विधायक निधि ४ करोड़ है |अरविन्द में कमियां हो सकती है वो भी इंसान हैं ,वो खुद मानते हैं कि वो गलती कर सकते हैं लेकिन शायद वो एकलौते ऐसे राजनेता होंगे जो अपनी गलती स्वीकार करने की क्षमता रखते हैं और उनसे सीखने के लिए तैयार हैं| अरविन्द के बारे में सबसे
ज्यादा भारतीय मीडिया ने विरोधी रुख अपनाया क्योंकि उन्होंने मीडिया पर भी सवाल
उठा दिए | लोगो को भी लगा की अरविन्द मीडिया की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं , लेकिन CNN-IBN (Network 18) के एडिटर राजदीप सरदेसाई ने जबचैनल से इस्तीफ़ा दिया और एक बड़ा खुलासा किया की कैसे मुकेश अम्बानी ने चैनलको अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से सम्बंधित खबरों को न दिखने का फरमान जारी किया था तो ये बात साफ़ हो गयी की कैसे मीडिया पे नेता और बड़े उद्योगपति नियंत्रण करते हैं | फिर भी हमारा मीडिया जगत नहीं समझ पा रहा की आज मीडिया कितने निम्न स्तर पे पहुच गया है , सवाल सिर्फ अरविंद की खबरे दिखने का नहीं सवाल है मीडिया की निष्पक्षता का | आज मीडिया इतना बदनाम हो चुका है की शायद ही लोग ख़बरों को सच माने | इतनी आलोचनाओं और विषम परिस्थितियों के बावजूद अरविन्द संघर्ष कर रहे हैं , आम आदमी की आवाज़
बनके लड़ रहे हैं | शायद उनका सही आकलन देश आज न कर
सके लेकिन भविष्य में वो याद किये जायेंगे देश के लिए
इस योगदान के लिए |
-प्रशांत शर्मा
कोहराम के नियमित पाठक और स्तंभकार है--------"आप" जितिन