Thursday, January 30, 2014

चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है

आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली, चाहूँगा कि आप भी इसका आनन्द लें !
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चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
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जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।

तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।

जिस वक़्त याद में सीता की ,
तुम चुपके - चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ,
हम ही जागते होते थे ।

संजीवनी लाऊंगा ,
लखन को बचाऊंगा ,.
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा कर,
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।

रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।

सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया ?

अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं , चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।

तो राम ने कहा, क्यों व्यर्थ में घबराता है ?
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ,
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे ।

जय िसयाराम

Monday, January 27, 2014

महज़ 1 महीना पुरानी दिल्ली आम आदमी सरकार से आप और क्या चाहते हैं ?

महज़ 1 महीना पुरानी दिल्ली आम आदमी सरकार से आप और क्या चाहते हैं ?

✪लालबत्ती और VIP कल्चर समाप्त !
✪400 युनिट से कम पर बिजली के बिल आधे !
✪20,000 लीटर पानी, प्रत्येक कनेक्शन परप्रतिमाह मुफ्त !
✪दिल्ली से रिटेल में एफडीआई (FDI) समाप्त !
✪ठण्ड से परेशान गरीब असहाय लोगों के लिए 300 रैनबसेरे !
✪बिजली कंपनियों के लेखे जोखे की CAG द्वारा जाँच के आदेश !
✪दिल्ली जलबोर्ड में 800 कर्मचारियों का तबादला, 3 सस्पेंड !
✪दिल्ली जलबोर्ड जलबोर्ड घोटाला में 56 अधिकारी फंसे !
✪भ्रष्टाचार से लडने के लिए एंटी-करप्शन 1031 और 25356971 नंबर जारी !
✪नर्सरी एडमिशन हेल्‍पलाइन नंबर, 011-27352525 नंबर जारी !
✪डोनेशन के नाम पर स्कुलों में सरेआम होनेवाली सौदेबाजी बन्द !
✪भ्रष्टाचार पर की जा रही है लगातार सटीक कार्यवाही !
✪दिल्ली से दलाली प्रथा समाप्त !
✪पुलिसवालें अपने घरखर्च के लिए अपनी सेलरी इस्तेमाल करने लगे हैं !
✪राशन माफियाओं की नाक में नकेल ।
✪शराब माफियाओ के खिलाफ लडते हुए शहीद होने वाले दिल्ली पुलिस के जवान के परिवार को एक करोड रूपये का मुवायजा !
✪संगम विहार, देवली गाँव जैसे इलाको में पानी माफियाओ पर शिकंजा...बौरवेल लिए सरकारी कब्जे में !
✪दिल्ली में मोजूद बंग्लादेशी घुसपैठिए शॉर्टलिस्ट !
✪तेजी से बनाई जा रही हैं मोहल्ला सभाएँ !
✪दिल्ली जनलोकपाल बिल का फाइनल ड्राफ्ट तैयार !
✪सवराज बिल पर काम चल रहा है !
✪महिला सुरक्षा दल बनाने पर काम जारी !
✪दिल्ली सरकार के अंतर्गत ठेकों पर काम करने वाले लगभग एक लाख कर्मचारियों को स्थायी करने का ऐलान !
✪दिल्ली में कम से कम 20 से 30 फीसदी भ्रष्टाचार कम हुआ !
✪दिल्‍ली के लोधी कॉलोनी इलाके में एक रिक्‍शावाला ने किया एनडीएमएसी के अस्‍पताल का उद्घाटन !
✪दिल्ली आम आदमी सरकार ने तेज भागते बिजली मीटरों की जांच कराने का फैसला !
✪दिल्ली सरकारी स्कूलों में सुधार लाने पर काम जारी !
✪स्कूलों के अध्यापकों का काम करने का समय बढ़ा कर 45 घंटे/हफ़्ता किया !
✪दिल्ली में एक महीने में बदलाव आया !
✪जनता पर हुए अत्याचारों के लिए धरना !
✪दिल्ली सरकार में 8000 से ज्यादा भर्तियां !
✪दिल्ली में 83% लोग आम आदमी की सरकार के काम से संतुष्ट - TOI (The Times of India) सर्वे !
✪दिल्ली में 76% लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काम से संतुष्ट - CNN-IBN-CSDS POLL !

दिल्ली आम आदमी सरकार ने एक महीने में मध्य प्रदेश बीजेपी की, राजस्थान बीजेपी की, छत्तीसगढ़ बीजेपी की और मणिपुर कांग्रेस की चुनी हुई सरकार से ज्यादा काम किया...यही सच्चाई है...कोई भी तुलना करके देख ले !
कांग्रेस बीजेपी के हाथों बिका हुआ मीडिया दिल्ली आम आदमी सरकार इन कामों पर कुछ नहीं बोल रहा...इन सब कामों को दबाने के लिए सोमनाथ भारती और धरने वाला मुद्दा उछाला जा रहा है !!! जागो जनता जागो !!!

Saturday, January 25, 2014

मेहमान भगवान का रूप होता है ,....


मेहमान भगवान का रूप होता है ,....
ऐसी मान्यता वाले हमारे देश में ,.... इस आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री,..... सोमनाथ भारती ने,...कितना अधम काम किया ,....
मेहमान से बसलूकी ,… की,..
बीजेपी,… कितनी अच्छी पार्टी है ,.... उसने इस मसले को कितना बड़ा बना दिया ,…
वाकई बीजेपी का मानना है "वसुधैव कुटुम्बकम",…
कितना सतर्क और अच्छा है महिला आयोग ,… जिसने इस कृत्य को गम्भीरता से लिया ,… और प्रदर्शन जारी है ,....
कितनी शानदार है दिल्ली पुलिस ,… कानून का कितना पालन करती है ,… कि अपने फ़र्ज़ को अंजाम देने के लिए ,… एक मंत्री तक से भिड़ गयी ,....

कितनी अच्छी व्यवस्था चल रही थी ,… पिछले कई सालो से ,…
किसी को कोई परेशानी नहीं थी ,....
ना महिला आयोग को ,… ना बीजेपी को ,.... ना कोंग्रेस को ,.... ना मीडिया को ,… ना इस देश के कानून को ,… ना पुलिस को ,… ना ही उन विदेशी मेहमानो को ,.... किसी को कोई परेशानी नहीं थी

पर नहीं,.... कोई था,… जो परेशान था ,....
बहुत परेशान था ,… पिछले कई सालो से ,....
कौन था वो ,....

वो था इस महान देश का महान नागरिक ,.... हिन्दू भी,...मुस्लिम भी ,…अगड़ा भी,...पिछड़ा भी ,....
परेशान वो भी था ,… जिसने आप को वोट दिया ,…
परेशान वो भी था ,… जिसने कांग्रेस या बीजेपी या किसी को वोट दिया हो ,....
सच ये है कि ,… खिड़की गाँव का हर शख्स परेशान था ,.... चाहे वो महिला हो या पुरुष ,…

दिन भर सब ठीक चलता था ,.... शाम होते ही ,.... धीरे धीरे ऐसा माहौल खड़ा होता था ,....
कि हमारे माताओ बहनो का घर से निकलना नामुमकिन ,....
हालात ऐसे ,… कि आज सुबह जब उस पार्क में घूम रहा था ,… तब भी पार्क के कोनो में कॉन्डम्स कुछ इस तरह बिखरे पड़े थे जैसे बनाने वाली कंपनी ने खराब हुए एक साथ फेंके हो ,....

पार्क घुमते हुए,… इलाके कि एक बहन से पूँछा ,… कि क्या वाकई कोई परेशानी थी ,… इनता सुनते उसने अपनी आप बीती बताई ,… कि कैसे एक बार जब उनकी बिल्डिंग में एक बार इन मेहमानो की पार्टी शुरू हुई ,… नशे का हर तरह का सामान ,… हर तरह का ,....
बस आने लगा ,.... खुले आम ,…
धीरे धीरे ,… रात 10 बजे तक ,… 70 - 80 इकठ्ठा हो गए ,.... और अब सब ,… फ्लैट के बाहर लॉबी,… बालकनी और छत पर भी होने लगा ,....
घर में परेशान इस बहन ने ,… 100 नंबर लगाया ,… कोई नहीं आया,... घंटो तक ,.... हमेशा की तरह ,…
पर आज दिक्कत कुछ ज्यादा ही थी ,.... बार बार लगाया 100 पर फिर भी कोई नहीं आया ,....
कहीं से इलाके के SHO का मोबाईल नंबर जुगाड़ा ,.... तो SHO साहब ने कहा वो ,.... शिमला में है कुछ नहीं कर सकते ,…

खैर हार नहीं मानी ,… ऊपर फोन लगाया ,… तब जा कर पुलिस वैन आयी ,....
पर वैन के आने से 15 मिनट पहले ,.... सब "go there " चिल्लाने लगे लगे ,....
जब पुलिस आयी तो ,। घर में सिर्फ एक परिवार था ,… जो पार्टी कर रहा था ,....
विडिओ फोटो सब था ,… पर पुलिस को कोई interest ही नहीं ,....
कोई शिकायत नहीं ,.... कोई जांच नहीं ,… पुलिस ने कहा compromise कर लो ,....
उस दिन ,.... पुलिस के जाने के बाद भी अपने घर जाने कि हिम्मत नहीं थी ,.... पडोसी के घर सोये ,....

और वो कहते है ,.... कि गलत किया सोमनाथ भारती ने ,....
अरे क्या किया सोमनाथ भारती ने ,.... बस यही ना ,… कि सच को बेपर्दा कर दिया ,....
और सच ये ,…
कि देश में ये सब होता नहीं है ,.... कराया जाता है ,…
और अब तक आम आदमी कि,.... किसी सुनी ही नहीं ,.... और गलती,.... सोमनाथ भारती की है,....
कि जनता की पीर सुन ली ,....

और हाँ कल धरने में किसी भी समर्थक या कार्यकर्ता को आने से मना किया है अरविन्द जे ने ,.... तो आप भी मत जाना ,....

पर सच बताये ,… वाकई बदल दी है राजनीति ,… अरविन्द ने ,… वर्ना ,…
आज से पहले ,.... राजनीति में मैंने ना देखा,… ना सुना,…
कि कोई नेता धरने पर बैठे ,.... और जनता से ,.... कार्यकर्ताओ से ,…
अनुरोध करे ,.... कि कोई मत आना ,....
अरे अकेला केजरीवाल ही काफी है ,… इस भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ने के लिए ,.... और केजरीवाल ही तो है ,… जो वाकई लड़ रहा है ,.... देश के लिए ,.... देशवासियो के लिए ,....
और अंत में ,…
वो हिन्दू रक्षा दल ,.... कमाल है ,…… कमल ,… कमाल,.... नागेन्द्र शुक्ल

Friday, January 24, 2014

बीजेपी को शर्म आनी चाहिए !

बीजेपी को शर्म आनी चाहिए ! (१) समझोता एक्सप्रेस पाकिस्तान कौन लेकर गया? (२) खोखरापार को रास्ते पाकिस्तान रेल कौन लेके गया? (३) परवेझ मुर्शरफ को आग्रा (भारत) िकसने बुलाया? (४) जब संसद पर हमला हुआ था तब सरकार किसकी थी? (५) जब लाल िकल्ले पर हमला हुआ तब सरकार किसकी थी? (६) जब अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ तब सरकार किसकी थी? (७) जब कंधार विमान कांउ हुआ तब सरकार किसकी थी? (८) दामात की तरह आतंकवादीयों को विमान से छो़डने कौन गया था? (९) पाकिस्तान में जाकर िजन्ना के मदार पर कौन रोया था? ताकी भारत के मुसलमानों को बेवकूफ बनाया जाये| (१०) कारिगल युद्ध हुआ जो शहिदों के लिए कफन और ताबूत का भ्रष्टाचार हुआ तब किसकी सरकार थी? क्या आपको नहीं लगता बिजेपी को शर्म आनी चाहिए ऐसी हरकते करने वालों को आप वोट देंगे नहीं.....नहीं........ नहीं...........

Thursday, January 23, 2014

हां! हम नए हैं. हम सब पहली बार मंत्री बने हैं. हम पहली बार सरकार चला रहे हैं...

हां! हम नए हैं. हम सब पहली बार मंत्री बने हैं. हम पहली बार सरकार चला रहे हैं... लेकिन ज़रा याद तो करिए कि इस 'नए..अपरिपक्व...लोगों की सरकार ने महज़ २० दिन में क्या क्या कर लिया है -
1. सरकार बनते ही नेताओं और अफसरों की गाडियों से लाल और नीली बत्तियां हटाने का आदेश. ये बत्तियां सत्ता के अहंकार का प्रतीक बन चुकी थीं
2. आते ही बिजली के दाम आधे किए.
3. बिजली कंपनियों का आडिट शु्रू करवाया, जोकि कई साल से रुका पडा था
4. हर घर को 700 लीटर तक पानी रोजाना मुफ्त किया
5. दिल्ली में 5500 नए आटो परमिट जारी किए
6. रैन बसेरों की संख्या 175 से बढाकर 230 तक कर दी. बसों में रैन बसेरे जैसे अभिनव प्रयोग किए. दिल्ली के बेघर लोगों के लिए ठोस नीति बनाने का काम चालू कर दिया गया है
7. एफ.डी.आई. में विदेशी निवेश का फैसला वापस लेकर दिल्ली के लाखों खुदरा किराना विक्रेताओं को राहत दिलवाई
8. भ्रष्टाचार के खिलाफ हेल्पलाईन शुरू, जिसकी वजह से रिश्वत मांगने वालों में खौफ बढ़ रहा है
9. निजी स्कूलों में नर्सरी एडनिशन में मदद के लिए शिक्षा मंत्री की हेल्पलाईन.
10. एक एक सरकारी स्कूल में पानी, शौचालय आदि के इंतजाम का बारीकी से निरीक्षण कराया गया. एक सप्ताह तक चले अब इस व्यापक अभियान के बाद हर स्कूल को यह सुविधाए तुरंत ठीक करने के लिए अतिरिक्त फंड दिया गया
11. दिल्ली के कालेजों की गवर्निंग काउंसिल सदस्य बनने के लिए पहली बार विज्ञापन के जरिए शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया है, जबकि अब तक केवल राजनीतिक संबंधों के आधार पर शिक्षा मंत्री यह नियुक्तियां करता रहा है
12. उच्च शिक्षा में छात्रों की सहायता के लिए 10,000 नई स्कालरशिप
13. पानी के टैंकरों की पूरी जानकारी नेट पर उपलब्ध कराकर टैंकर माफिया पर अंकुश लगाया
14. पर्यावरण के नजरिए यमुना के लिए खतरनाक मिलेनियम बस डिपो को हटाने का निर्णय
15. इस सरकार के मंत्री रात रात तक जनता के साथ, उसके मसलों पर घूमते हैं

इसके अलावा जिन मसलों पर काम लगभग हो चुका है, या शुरू किया गया है और आने वाले दिनों में इसके नतीजे देखने को मिलेंगे -
1. जनलोकपाल कानून
2. स्वराज कानून
3. महिला सुरक्षा दल के लिए कानून
4. अनियमित कालोनियों को नियमित करने पर जोर शोर से काम चल रहा है
5. झुग्गियों के पुनर्वास के लिए नीति पर काम चल रहा है और आदेश जारी किया जाने वाला है कि तब तक झुग्गियों को तब तक तोडा ना जाए
6. दिल्ली सरकार में वर्षों से खाली पडे 35000 हजार पदों पर नियमित नियुक्तियां करने का कार्य शुरू. इसके साथ ही ठेके पर या अनियमित नौकरी वाले सभी पदों पर नियमित नियुक्तियां करने का कार्य शुरू
7. 197 नए स्कूल संभवत: एक से डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जायेंगे
8. दिल्ली जल बोर्ड और कामनवेल्थ खेलों की फाईलें पढी जा रही हैं, इसमें से जल्द कुछ निकलेगा

इस सबके बाद भी हम अपरिपक्व ही हैं. मुझे नहीं पता कि दिल्ली के साथ ही चुनाव के बाद बनी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ की सरकारों ने ऐसा क्या कर दिखाया है कि कुछ चैनल, अखबार उनकी परिपक्वता का लोहा मानकर उन्हें भूल ही गए हैं. शायद चुनाव जीतने के बाद इन सरकारों ने कई बड़े काम कर दिए हैं जो उनकी परिपक्वता की पहचान बन गई है़।
अब जरा हम उन तर्कों पर भी नजर डाल लें जिनकी वजह से हमें अपरिपक्व बताया जा रहा है -
1- राखी बिड़ला के कार का शीशा टूट गया
2- सोमनाथ भारती ने अपने लाॅ सेक्रेटरी को कुछ कह दिया
3- सोमनाथ भारती को 10 साल पहले एक गवाह से बात करने के लिए डांटा गया था
4- सरकार के मंत्री जनता के चल देते हैं
5- बिन्नी ने बयानबाजी कर दी।
6- जनता दरबार में ज्यादा भीड़ आ गई
7- अरविंद केजरीवाल को क्यूं नहीं पता चला कि पुलिस कमिश्नर छुट्टी पर नहीं हैं

मेरी जानने की जिज्ञासा है कि आजाद हिंदुस्तान में बनी किस सरकार ने इतनी तेजी से महज 20 दिन में इतने बड़े-बड़े फैसले लिए हैं?

हमें इस पर गर्व है कि हम राबड़ी देवी जैसे परिपक्व नहीं हैं। हम अखिलेश यादव की तरह परिपक्व नहीं हैं। हममें येदियुरप्पा, निशंक, गडकरी जैसी परिपक्वता नहीं है। हमें ए राजा, कलमाडी जैसी सरकार चलाने की समझ नहीं है।
जी हां, हम नये हैं और हम जो कर रहे हैं अगर वह अपरिपक्वता है तो हम ता-उम्र अपरिपक्व रहना चाहेंगे।

Friday, January 17, 2014

सर सर ओ सर ......वी लव यू

पागलों कि टोली ... राखी बिड़ला और क़ानून मंत्री आधी रात को शहर कि क़ानून व्यवस्था का जायजा लेने के लिए घर से बाहर निकलते हैं वो भी इतनी सर्दी में ...ऊपर से उनकी क्लास लेने कि जगह उनका साथ देने आ गया अरविन्द...भला पुलिस से भी कोई पंगा लेता है वो भी आम आदमी के लिए..?..जो पार्टी समर्थन दे रही है २४ घंटे उसी पार्टी के पीछे पड़ा रहता है .कोई मौका नहीं छोड़ता उनकी ऐसी कि तैसी करने कि .शहर में सब आराम से चल रहा था मगर आते ही अफरा तफरी मचा दिया ..किसीको जैल भेज दिया किसीका तबादला कर दिया .एक बेवकूफी की हो तो बताऊँ .शीला के खिलाफ चुनाव में खड़े होने का रिस्क हो या अमेठी में कुमार विश्वास को राहुल के सामने लड़वाने का फैसला .बवकूफी पे बेवकूफी .अगर दुश्मन से निपटना ही है तो एक एक करके निपटता एक साथ सबसे भिड़ने कि क्या जरूरत है ?..जनता को तो आदत पड़ चुकी थी जैसे तैसे जीने कि फिर क्या जरूरत पड़ी थी उनकी जगाने कि..?..रोज गालियां खाने कि आदत है शायद इस आदमी को ...अब कहता है मजबूत लोकपाल लाऊंगा अरे जिस अन्ना ने लोकपाल कि लड़ाई कि शुरुवात करी थी जब वो ही पीछे हट गए तो तुम्हारे सर में कोई कीड़ा है क्या ..?..खुद भी सोता नहीं है और मुझे जैसे जाने कितने लोगों को भी काम पे लगा रखा है सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि दुश्मन हर पल पीछे पड़ा है ..हर पल हमला कर रहे हैं ..याद रखना उन्हें सिर्फ एक बार कामयाब होने कि जरूरत है और अरविन्द को हर बार कामयाब होकर दिखाना होगा ...हमने भी किन पागलो को सत्ता सौंप दी यार ..किसीको सर फ़िल्म का वो गाना याद है..?.. आज हमने दिल का हर किस्सा तमाम कर दिया खुद भी पागल हो गए हमको भी पागल कर दिया . सर सर ओ सर ......वी लव यू

Thursday, January 16, 2014

"नेता जी के तेवर"

कैसे भूल सकते है कि दिल्ली पुलिस ने क्या क्या नहीं किया आपको दबाने के लिए ,.... आज से नहीं जब से आप बनी है तभी से ,.... ठनी है आपसे ,…
ये वही पुलिस है जिसने ,.... हेड कांस्टेबल ,… की मृत्यु को ,… हत्या बनाया था ,। और 8 निर्दोष वालंटियर्स को फंसने के लिए कहानी ,....
ये वही पुलिस है जीने ऑटो के बेवजह चालान काटे थे सिर्फ आपका पोस्टर होने पर ,....

समझ नहीं आता कि ये दिल्ली पुलिस कैसे भूल सकती है ,। कि अभी अपने फ़र्ज़ को निभाते हुए शहीद हुए ,… कांस्टेबल को 1 करोड़ की मदद दी गयी ,… वर्ना पहले तो करोड़ सिर्फ छक्के पर मिलते थे ,.... फ़र्ज़ अदा करने पर नहीं ,....

बुरा लगे तो माफ़ी चाहता हूँ पर सच है तो है !
जनता ने कहा एक घर में sex रैकेट चलाया जा रहा है पुलिस से बहुत शिकायत की पर सुनवाई नहीं हो रही है ! दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती रात में १२ बजे जनता की शिकायत फिर से आने पर निकल पड़े जायजा लेने ! शिकायत सही साबित हुई ! पुलिस को बुलाया और वहाँ रेड डालने को कहा गया ! पुलिस ने कहा नहीं करेंगे ! सोमनाथ जी ने जोर डाला और कहा डूब मरो पानी में सामने sex रैकेट चल रहा है और आप रेड नहीं डालते ! पुलिस वाला भीड़ गया सोमनाथ जी से !पुलिस कहती है हम गवर्नर से शिकायत करेंगे की सोमनाथ जी कानून को अपना काम नहीं करने दे रही है !
पुलिस की नामर्दगी और नपुंसकता का इससे बड़ा कोई और उदाहरण मिलेगा आपको ??? news नेशन इस खबर को "नेता जी के तेवर" के हैडलाइन के साथ चला रहा है ! ये वही चैनल है जिसके मालिक के खिलाफ एक बलात्कार की पीड़ित बच्ची को बदनाम करने का आरोप है और FIR भी दर्ज है पर उनकी गिरफ्तारी भी नहीं हो रही ! शायद इसलिए sex रैकेट का बंद हो जाना इन्हें रास नहीं आ रहा !
दूसरी बात क्या पुलिस के गुर्दे में इतना दम तब होता बहस करने का अगर कोई लाल बत्ती में में पुरे दल बल के साथ आता और आदेश देता ???? दिल्ली के कानून मंत्री से sex रैकेट में दलाली खाने वाली पुलिस बहस कर रही है ??? क्या यही पुलिस कहती फिरती है दिल्ली पुलिस सदैव आपके साथ ????
क्या ऐसी नाकारा नामर्द नपुंसक पुलिस दामिनी को बचा सकती थी ??? क्या ये वर्दी में छुपे सरकारी दलाल गुडिया की अस्मत को बचा सकते थे ???
तीसरी बात और सबसे बड़ा सवाल की क्या ये लोग आगे किसी को दामिनी या गुडिया बनने से रोक सकते हैं ???


Watch this video http://www.facebook.com/photo.php?v=457798390986593&set=vb.290805814352519&type=2&theater

आप में घटिया दर्जे के लोग है ,…

हाँ, कल सलमान खुर्शीद जी ने कहा ,.... आप में घटिया दर्जे के लोग है ,…
सलमान जी,…इस घटया दर्जे को ही आम आदमी कहा जाता है ,…जिसके नाम पर इस देश में लोकतंत्र चल रहा है ,…
जिसकी कमाई के पैसे से ,.... आपकी ऐसो आराम भरी जिंदगी चल रही है ,....
और जिसकी ,… चुप्पी का फायदा उठा कर आप लोग ,। बड़ी आसानी लूट रहे थे ,....

पर इस घटिया दर्जे के आदमी को समझ आ चूका है ,… जिन पर भरोषा कर सौपा देश ,....
वो देश की बजाय ,.... हमारे धर्म जाति भाषा के लिए ज्यादा चिंतित है ,....
वो चिंतित इस बात के लिए नहीं कि ,.... हमारे शिक्षा है या नहीं ,.... है तो कैसी है ,…
क्या हमें रोटी मिलती है ,। अगर मिलती है तो उसके लिए हमें ,… कितने घंटे ,… किन हालात में काम करना पड़ता है ,…

इनकी चिंता इस बात की भी नहीं ,.... समाज बँट रहा है ,… देश की सोंच और नैतिकता बिगड़ रही है ,…
इन्हे चिंता ,… अब हुई है कि ,…
ये घटिया आदमी ,… अब इनसे सवाल क्यों कर रहा है ,… आँख में आँख क्यों डाल रहा है ,…
ये तो घटिया दर्जे का आदमी है ,.... ये सवाल करने कि हिमाकत कैसे कर रहा है ,....

सलमान जी,.... आम आदमी पार्टी रहे या ना रहे ,… जीते या हारे ,…
पर ये घटिया दर्जे का आदमी जरुर रहेगा ,… और अब जागेगा ,… क्योंकि जगाया है आप ने ,… अरविन्द ने ,....
इस घटिया दर्जे के आदमी को ,.... इस आम आदमी को ,....

अब देश में ये बेवकूफ बनाने वाली राजनीति का अंत होगा ही होगा,....... नागेन्द्र

"रास्ता सही, पर क्या तैयारी पूरी?"


आम आदमी पार्टी :- "रास्ता सही, पर क्या तैयारी पूरी?"

पिछले कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी (आप) पर हमले तेज हो रहे है. ये ठीक तब से चालू हुवा है जब से आम आदमी पार्टी ने बिजली कंपनियों की CAG से जाँच करवाने के आदेश दिए. मीडिया और बीजेपी कांग्रेस का सोशल मीडिया दोनों गलत और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर आप पर आरोप लगा रहे है.
खैर इन से उम्मीद भी कुछ और नहीं की जा सकती है. पर बड़े ही आश्चर्य की बात ये है की आप की तरफ से इन सभी आरोपों के कुछ भी सही जवाब नहीं आ पा रहे है.
क्या कारण है की अपने सवालों और जवाबों से सब की बोलती बंद कर देने वाली आप की सोशल मेडिया टीम कुछ भी जवाब नहीं दे पा रही? क्या वो जीत के नशे से निकले नहीं है ? या फिर वो बीजेपी और कांग्रेस द्वारा फैलाया जा रहे झूट को देख नहीं पा रहे है और इस से पार्टी को होने वाले भारी नुकसान को समझ नहीं पा रहे है?
पिछले 15 दिनों में आप ने कई सारे अच्छे काम किये जो पहले कोई नहीं कर पाया पर सोशल मीडिया पर उन कामों को सही तरह से जनता के बीच रखने में आप की सोशल मीडिया टीम पूरी तरह से विफल रही है. जबकि बीजेपी और कांग्रेस वाले उन अच्छे कामों को भी गलत निर्णय साबित करने में सफल रहे है. आज देश (दिल्ली के बाहर के) के आम आदमी जो किसी पार्टी का भक्त नहीं है के मन में यही धारणा बन गयी है की बिजली और पानी को ले कर आम आदमी पार्टी ने जो निर्णय लिए है वो गलत निर्णय है. सोमनाथ भरती और राखी बिरला जैसे मंत्री ने पुलिस को सही ढंग से काम न करने पर जो फटकार लगा कर अच्छा काम किया वो भी देश की मीडिया गलत ढंग से दिखा रहा है. यही काम अगर मोदी या किसी और नेता ने किया होता तो पूरे सोशल मीडिया में उस की जय जयकार हो रही होती. ऐसे कई उदाहरण है...
तो क्या आम आदमी पार्टी का सोशल मीडिया पिछले 15 दिनों में पूरी तरह विफल रहा है? अपने ऊपर उठे सवालों का जवाब देने और पार्टी द्वारा किये गए अच्छे कामों को जनता तक पहुचाने में पूरी तरह विफल रहा है?
और ऐसा क्यों हो रहा है?
बात चिंता की है और इस का उपाय जल्दी ही होना चाहिए वर्ना भारी नुकसान होगा पार्टी को.
पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीट पर चुनाव की तयारी कर रही है. और सदस्यता बढ़ाने की मुहीम चला रही है. अच्छी बात है करना भी चाहिए पर क्या महज फॉर्म भर देने से या sms कर के सदस्य बन जाने से कोई व्यक्ति पार्टी का सच में कार्यकर्ता बनता है? क्या वो लोग वोट भी देंगे पार्टी को जब बीजेपी कांग्रेस द्वारा फैलाये झूट से प्रभावित हो जायेंगे तब?
मै बैंगलोर में रहता हूँ, कहने को यहाँ आप के 20000 सदस्य थे आज से ४ महीने पहले. पर आज तक मैंने किसी भी कार्यक्रम में 200 से 300 सदस्यों से ज्यादा को नहीं देखा सिवाय उस दिन के जब अरविन्द खुद यहाँ आये थे.
मेरे विचार से पार्टी को सदस्य बनाने में इतना भी मशगुल नहीं होना चाहिए और इतना भी खुश नहीं होना चाहिए की पार्टी जो अच्छा काम दिल्ली सरकार में कर रही है वो भी लोगों तक न पहुच सके. और वही व्यक्ति जो सदस्यता फॉर्म भर कर जब अपने मोबाइल पर फेसबुक खोले तो बीजेपी और कांग्रेस के फैलाये झूट को पढ़ कर आप पार्टी से नफरत करने लगे. टीवी का मीडिया आम आदमी पार्टी का कभी साथ नहीं देगा ये तय है, जैसे ही मीडिया को बीजेपी और कांग्रेस से पैसा मिलेगा वो अपना असली रूप दिखायेगा. सोशल मीडिया ही आप की असली ताकत है और वो लोग भी सो जायेंगे तो हो गया समझो...
कहने का मतलब बस ये है की:- "कहीं हम जीत के नशे में इतने गुम तो नहीं है की जब नशा उतरेगा तो पूरा घर लुटा हुवा पाएंगे?".......SS

“नेताओं” और "प्रसिद्ध लोगों" का जो दिल्ली की जीत के बाद “आप” में शामिल हुए....

आज मुद्दा उन “नेताओं” और "प्रसिद्ध लोगों" का जो दिल्ली की जीत के बाद “आप” में शामिल हुए....

इतिहास गवाह है कि किसी नए विचार, किसी नए आन्दोलन, किसी नए विकल्प को लाने वाले लोग वाकई बड़े हिम्मती और विरले होते हैं...बहुत हिम्मत चाहिए होती है धारा के विपरीत चलने और बहने के लिए...स्वामी विवेकानंद ने एक जगह कहा है कि धारा के साथ तो मुर्दे भी बह जाया करते करते हैं, असली पौरुषत्व तो धारा के विपरीत बहने में है......

अरविन्द और साथिओं ने एक नयी विचारधारा बताई और एक नए समृद्ध, सुरक्षित, समान, सम्मानित, खुशहाल, भारत का सपना पूरा करने का रास्ता बताया..बहुत से लोग जो तब तक राजनीती के नाम से भी चिढ खाते थे और अपना वोट तक नहीं डालते थे, इस नयी विचारधारा से प्रभावित हुए.....फेस बुक पर केवल गप्प मारने, चैट करने वाली "यो-यो " वाली पीढ़ी अब राजनीती को सुधारने की बात करने लगी..

"आप" के आने के बाद अब क्रिकेट के ज्यादा मज़ा नेताओं के भाषण में आने लगा था लोगों को....अब गली मोहल्लों में लोग इस नए आन्दोलन को उत्सुकता भरी नज़रों से जवान होते देख रहे थे..रोज़-रोज़ नए खुलासे, रोज़-रोज़ बड़े बड़े नेताओं के चेहरे से नकाब उतरने शुरू हो चुके थे...अन्याय के खिलाफ, बलात्कार के खिलाफ, लूट और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग सड़कों पर आ चुके थे....

पर इस पूरी मुहीम में वो कौन लोग थे जो सड़कों पर भूखे-प्यासे पुलिस की लाठियां खा रहे थे ??

वो कौन लोग थे जो हाड़ - कंपाती ठण्ड में पानी की तेज़ बौछारें सह रहे थे ?

वो कौन थे जिनके खिलाफ पुलिस झूठे मुक़दमे दायर कर उन्हें डरा और परेशान कर रही थी क्योंकि वो सच के साथ खड़े होकर इस सड़ चुकी आत्याचारी व्यवस्था को ललकारने की हिम्मत कर रहे थे ?

वो कौन थे जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के रात-रात भर जाग कर इस मुहीम और “आप” को पूरे सोशल मीडिया का बेताज़ बादशाह बना डाला जिसके लिय बीजेपी/ कांग्रेस की पैसे लेकर काम करने वाली मशीनरी केवल सोच कर मन-मसोस कर रह जाती थी ?

वो कौन लोग थे जिन्होंने अपनी नौकरी, घर-बार, पढाई छोड़कर दिल्ली में डेरा जमा लिया और घर घर जाकर “आप” का प्रचार किया ? जिन्होंने ऑटो के पीछे पोस्टर चिपकाए, मेनिफेस्टो मीटिंग की, जन-सभाएं की, पुलिस थानों में जाकर लाचारों की मदद की, रात –रात भर जाग कर पर्चे बांटे, पोस्टर चिपकाए ?

वो कौन लोग थे जिन्होंने अपने दोस्तों, घर वालों और रिश्तेदारों से सिर्फ “आप” के लिए दूरियां बना ली ?

वो कौन लोग थे जिन्होंने हाथों में झाड़ू थाम कर गलियां साफ़ की, गरीबों की झोंपडियो में जाकर उन्हें बताया कि स्वराज क्या बला है और उन्हें बताया कि ये व्यवस्था बदली जा सकती है और कैसे एक एक वोट इस सड़ी गली व्यवस्था को बदलने को जरुरी है ?

वो कौन लोग थे जिन्होंने दिन रात बैठकर लोगों के वोटर कार्ड बनवाने में मदद की और फर्जी वोटों का पता लगा कर उन्हें निरस्त करवाया ?

वो कौन लोग थे जिन्होंने अपनी खून-पसीने की कमाई -- एक एक रूपए--को इस महा-यज्ञ में आहुति के तौर पर डाला ?

वो कौन लोग थे जो गर्मी, सर्दी, धूप, बरसात, आँधी-तूफ़ान की परवाह किये बगैर पैदल चलते गए और अनजान रास्तों, अनजान मोहल्लों और अनजान लोगों के बीच जाकर “आप” का प्रचार करते रहे- कौन थे वो गुमनाम से चेहरे ?????

आखिर थे तो कौन थे वो लोग ?????????????????????

जी हाँ !! ये वो लोग थे जिसे इस मुल्क का “आम आदमी” कहा जाता है..जो दुखी था, अपमानित था, हताश था, पीड़ित था, परेशान था इस मौजूदा व्यवस्था से.....जो हमेशा कुछ कर गुजरने की बात तो करता था, जिसका दिल इस मुल्क की तस्वीर को बदलने के लिए तडपता तो था और जैसे ही उसे उम्मीद की एक छोटी सी किरण दिखी “आप” में तो वो "आम आदमी" दौड़ा चला आया, वो भागा चला आया--- बदहवास सा, अपना सब कुछ दांव पर लगा कर, अपनी पुरानी विचारधारा और पार्टी प्रतिबद्धता को त्यागकर, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ आया वो “आम आदमी”......

और जब दिल्ली में उस “आम आदमी” ने अपनी जीत का परचम लहराया तो पूरी दुनिया सन्न रह गयी....”आम आदमी” की ताक़त ने सत्ता के सारे समीकरण एक झटके में बदल डाले...पर ठीक उसी समय........

जी हाँ, ठीक उसी समय आम आदमी की पार्टी में कुछ “ख़ास” लोगों ने दस्तक देनी शुरू की..

वो लोग जो अब तक “आप” को अभी तक गरियाते थे, जो “आप” की विचारधारा को “अव्यवहारिक” बताते नहीं थकते थे, जो पूरी शिद्दत के साथ “आप” को सड़कछाप, लड़के-लपाटों की पार्टी कहते थे, जो इसकी सफलता को सिरे से खारिज़ कर देते थे, एक –दो सीट जीत लेने की बात पर कटाक्ष करते और हँसते थे.....

और इनके साथ-साथ अब वो लोग भी "आप" की बहती गंगा में हाथ धोने को तत्पर हो गए जो सिर्फ दूर रहकर “आप” को आन्दोलन करते, मेहनत करते, पसीना बहाते, घर-घर भटकते देखते थे..बस देखते ही थे पर कुछ बोलते नहीं थे, कुछ करते नहीं थे, कोई हौसला नहीं देते थे, खुद आगे नहीं आते थे---- खुश थे वो अपनी ऐशो-आराम की दुनिया में ये कहते हुए कि अब इस मुल्क का कुछ नहीं हो सकता.....

और अगर किसी का साथ था "आप" के साथ इस पूरे आन्दोलन में तो वो साथ था इस आवाम के आम आदमी का---अनजाना और अपरिचित "आम आदमी" का....

कहते हैं ना कि असफलता अकेले अनाथ बन कर रोती है और सफलता के हज़ार बाप होते हैं....अब दिल्ली की जीत के बाद “आप” की सफलता के भी हज़ार बाप पैदा हो गए हैं.....ये “खास” लोग अब “आम बनने या यूँ कहिये कि “आम” दिखने की चाह में “आप” के पास आये और मज़ा देखिये कि “आप” ने भी इन्हें इस तरह गले लगाया कि जैसे इस पूरी जंग के सबसे बड़े सिपहसालार यही लोग रहे हों !!!!!

बीजेपी, कांग्रेस, सपा और दूसरी पार्टिओं से टिकट ना पाने वले नेता अब “आम आदमी” बन रहे हैं...अब लेखक, पत्रकार, उद्योगपति, बड़ी-बड़ी कंपनियों के अरबोंपति अधिकारी, खिलाडी, अभिनेता, कवि, कलाकार और ना जाने कौन कौन सी प्रजातिओं के “खास” लोगों के लिए “आप” अपने भविष्य की राजनैतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने का जरिया बन गयी लगती है......

ये वो लोग थे जो अपने अपने क्षेत्र में इतनी दौलत और नाम कमा चुके थे कि अब इन्हें अपने और अपने परिवार के जीवन-यापन की कोई चिंता नहीं थी-----अपना पुराना धंधा छोड़कर ये बड़े आराम से अब राजनीती की नयी पारी खेलने को तैयार हैं....

अब ये “ख़ास” से “आम” बने लोग “आप” के नेता हैं आजकल.....दो दिन हुए नहीं होते “आम आदमी” की टोपी डाले और टीवी पर इनके “एक्सपर्ट कमेंट” शुरू हो जाते हैं----“आप” ने ये क्यों किया, ये क्यों नहीं किया, इसे ऐसे करते तो अच्छा होता, तुम्हे ऐसा करना नहीं आता और आखिरी में- तुम ऐसा कैसे कर सकते हो ???????????????

क्या अब आम समर्थकों और कार्यकर्ताओं को इन “खास” लोगों को अपना नेता मानना पड़ेगा ? क्या टीना शर्मा और अलका लाम्बा जैसे लोगों को हमें अपना आदर्श मानना पड़ेगा ? कहाँ था मिल्खा सिंह जी का परिवार और कहाँ थे कैप्टन गोपीनाथ, शास्त्री जी के प्रपोत्र, मल्लिका साराभाई, बालाकृष्ण और अलका लाम्बा जैसे लोग जब “आप” के समर्थक पुलिस की लाठियां और पानी की बौछारें खाकर “आम आदमी” के हक की लड़ाई लड़ रहे थे ?

क्या अब वो लोग “आप” का भविष्य तय करेंगे जो इस संघर्ष के या तो विरोध में थे या मूक-दर्शक थे ? जो लोग अब “आप” को रास्ता दिखायेंगे जिन्होंने कभी गलियों की धूल नही फांकी, जिन्होंने कभी ऑटो के पीछे पोस्टर नहीं लगाया, कभी जन-सभा नहीं की, कभी पुलिस की लाठियां नहीं खाई, कभी ठोकरें नहीं खाई खाकी वर्दी की.....जिन्होंने कभी इस नए विचार को समझा और अपनाया ही नही, कभी हौसला-अफजाई नहीं की...

और जब इन्हें “आप” में टिकट नहीं मिलेगा या इनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होगी तो वो चार दिनों में ही अपना असली रंग दिखाना शुरू कर देंगे और इनमे से कुछ ऐसा कर भी रहे हैं.....

हमारा ये कहना नहीं है कि अब “आप” में किसी नए व्यक्ति को आने नहीं दिया जाये....पर इन नए लोगों को सिर पर नहीं बैठाया जाना चाहिए...इन्हें बेवजह की पब्लिसिटी नहीं मिलनी चाहिये.....

दिल्ली की जीत के बाद “आप” में आने वाले लोगों के लिए एक नीति बनानी ही होगी जिसमे स्पष्ट किया जाये कि ऐसे लोगों को पार्टी में आने के दो साल तक किसी भी स्तर पर कोई पद नहीं दिया जायेगा....और साथ ही साथ ये नीति भी कि इन्हें अगले पांच साल तक “आप” की तरफ से किसी भी स्तर पर कोई टिकट नहीं दिया जायेगा.....

"आप" को अब गंगोत्री बन कर दूसरी पार्टी के नेताओं के पाप धोने की कोई जरुरत नहीं है.......अब "ख़ास" लोगों को पहले "आम आदमी" बन कर रहना ही पड़ेगा ताकि तब कहीं जाकर उन्हें इस जनक्रांति की जिम्मेदारी दी जा सके...

इन नए “नेताओं” को जरा कम से कम दो साल तक आम कार्यकर्ता की तरह घर-घर झाड़ू उठाकर काम करने दिया जाये ताकि इस “शुद्धीकरण प्रक्रिया” से इनका राजनैतिक शुद्धिकरण किया जा सके...

इस आन्दोलन को आम आदमी ने आगे बढ़कर अपने बल बूते पर लड़ा और जीता है....दिल्ली की जीत के बाद आये लोगों की वजह से “आप” नहीं जीती है....अगर “आप” को अच्छे लोग, अच्छे नेता, नए विचार, नए सुझाव वाले लोग चाहिए तो उसे इस देश की आम जनता से ऐसे हजारों हीरे मिल सकते हैं बस थोडा मेहनत करके उन्हें तलाशने और तराशने की जरुरत है..

ये आन्दोलन पूरे मुल्क की आशाओं का प्रतिबिम्ब है और इस सपने को हम यूँ ही टूटने नहीं दे सकते चाहे इसके लिए हमें कोई भी कुर्बानी क्यों ना देनी पड़े........

इसी कड़ी में अब वक़्त आ गया है कि इस निर्णायक मोड़ पर पार्टी जल्द ही इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर ये निर्णय ले क्योंकि ऐसा ना करने से कहीं ऐसा ना हो कि आम आदमी को ये महसूस करे कि—

“आज वो काबिल हुए,
जो कभी काबिल ना थे,
और मंजिले उन को मिली,
जो दौड़ में शामिल ना थे”....

जय हिन्द !! वन्दे मातरम !!

डॉ राजेश गर्ग.

( आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है पर तर्क और संस्कारित भाषा के साथ और बिना इस बात को भूले कि हम आज भी "जिन्दा" लोग हैं जो "आप" की भलाई और उन्नाति के लिए सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखते हैं ).

Monday, January 13, 2014

आम आदमी पार्टी द्वारा लोकसभा में

दोस्तों,

अभी हाल फिलहाल में ही आम आदमी पार्टी द्वारा लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीट पर लड़ने का ऐलान किया गया है.....इस घोषणा पर विभिन्न संघटनों और व्यक्तियों की अलग अलग किस्म की प्रतिक्रिया हुई है...”आप” के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की राय भी इस विषय पर थोडा बंटी हुई है कि पार्टी को लोकसभा में इतनी ज्यादा सीट पर लड़ना चाहिए या नहीं...

हम इस विषय पर अगर आत्म-मंथन करते हैं तो निम्नलिखित मुद्दे निकल कर आते हैं---

१.पहली बात जो कि बीजेपी के समर्थक कहते है कि वोट बंटेगा और बहुत सी सीट जो “मोदी-लहर” में बीजेपी जीती हुई मान रही है वो कहीं कांग्रेस के पास ना चली जाये....इस तरह से जनता का एक-मुश्त “कांग्रेस-विरोधी” गुस्सा कहीं बिखर ना जाये और फिर से त्रिशंकु संसद की त्रासदी इस देश को ना झेलनी पड़ जाये....

प्रथम परिदृश्य------अब अगर ऐसी परिस्थिति बनती है कि “आप” तकरीबन 125-175 सीट जीत जाती है तो वो किसके समर्थन से सरकार बनाएगी ?

क्या कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद, जे.डी.यू., बीजद, द्रमुक जैसे अन्य दलों का समर्थन ले कर “सेकुलरिज्म” के नाम पर “आप” सरकार बनाने को तैयार होगी ?

क्या ऐसे में दिल्ली की तरह “अल्पमत” की सरकार बोलकर बाहर से समर्थन लिया जा सकेगा ?

क्या राष्ट्रीय परिदृश्य में इतनी सारी भ्रष्ट और अपराधी-छवि वाली पार्टिओं के साथ मिलकर एक अस्थाई और अस्थिर सरकार बनाना व्यवहारिक होगा ?

या फिर इस बार बीजेपी या उसके सहयोगी दलों के साथ मिलकर “आप” दिल्ली की भांति फिर वही “अल्पमत” वाली सरकार बनाएगी ?

दोनों ही स्थिति में ये बहुत मुश्किल होगा क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर केवल बिजली, पानी, भ्रष्टाचार, सड़क, स्कुल, अस्पताल के मुद्दों पर समर्थन लेकर काम नहीं चल सकता.....दिल्ली में इन मुद्दों पर सरकार बनाई जा सकी है पर केंद्र में ये संभव नहीं क्योंकि वहां आतंकवाद, तुष्टिकरण, आरक्षण, कश्मीर, धारा 370, धारा 377, विदेश नीति, नक्सलवाद, नए राज्यों के गठन,राज्यों के अधिकार, जन लोकपाल, पुलिस और न्यायिक सुधार, महंगाई, जमाखोरों पर लगाम, पेट्रोल/ डीजल/ गैस के दामों पर निर्णय, स्वास्थ्य सेवाएं (जो कि राज्य का विषय भी है), नुक्लिअर शक्ति, FDI, ठेका प्रणाली जैसे अनगिनत मुद्दे हैं जिन पर केवल केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों की सलाह और कुछ मामलों पर अनुमति भी चाहिए होगी...तो ऐसे में “अल्पमत” की सरकार कैसे निर्णय ले पायेगी ये बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है.....

दूसरा परिदृश्य--- अगर कांग्रेस के पास 125-150 तक सीट आती है बीजेपी के पास 175-225 सीट आती हैं और “आप” के पास 22-75 सीट- तो “आप” किसका समर्थन करेगी ? क्या तब “आप” मुद्दों पर ही सही पर क्या बीजेपी गठबंधन को बाहर से समर्थन देगी ? ये बात अभी चुनाव पूर्व ही तय की जानी चाहिए क्योंकि कल चलकर अगर “साम्प्रदायिक ताकतों” को रोकने के लिए “आप” फिर से कांग्रेस, सपा, बसपा का साथ देकर उनकी सरकार बनवाती है तो ये हिंस्दुस्तान के आवाम के लिए बहुत बड़ा धोखा होगा....

तब सपा, बसपा, राजद, द्रमुक, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस में और “आप” में क्या फर्क रह जायेगा जो पिछले दस सालों से लगातार “छदम सेकुलरिज्म” के नाम पर कांग्रेस की खुली और नंगी लूट का समर्थन कर रहे है ? और तब क्या उस स्थिति में सबसे बड़ा गठबंधन बना कर उभरे बीजेपी और सहयोगियों को सत्ता से दूर रखना राष्ट्रीय स्तर पर मुमकिन और जायज होगा ?

क्या पार्टी को अभी से तय नहीं कर लेना चाहिए कि वो बीजेपी और कांग्रेस के बराबर-बराबार सीट पाने वाली स्थिति में क्या रुख अख्तियार करेगी ? “आप” को वोट देने वालों को ये जानने का अधिकार तो है ही...

२.इस पूरे खेल में कब तक “अल्पमत” वाली सरकार बनायीं या बनवाई जा सकती है ? दिल्ली की बात कुछ और है- ये एक राज्य हैं और यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय है और यहाँ फिर से चुनाव हो भी जायें तो बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला...पर यही बात राष्ट्रीय परिपेक्ष में लागू नहीं होती है......

हर अगली आने वाली साँस पर टिकी सरकार को कैसे संभाला जायेगा ? क्या पूरे देश में फिर से चुनाव करवाना इतना आसन होगा ? करोड़ों- अरबों रूपए खर्च होंगे, फिर से तक़रीबन दो महीने के लिए “आचार-संहिता” लगाई जाएगी जिससे पूरे देश का काम-काज ठप्प हो जायेगा, लाखों सुरक्षाकर्मियों और सरकारी कर्मचारिओं को फिर से चुनाव ड्यूटी में लगाना पड़ेगा और इतना सब करने के बाद भी क्या गारन्टी है कि फिर से त्रिशंकु सरकार ना बन जाये ? क्या देश इस पूरे चुनावी ताम-झाम के लिए तैयार है ?

३.और तजुर्बा भी एक बहुत बड़ी चीज़ है.....अभी महज सिर्फ एक राज्य में “आप” की सरकार है...वो भी महज चंद कुछ रोज़ पुरानी....सभी विधायक अभी नए है और बहुतों को शासन-प्रशासन चलाने का बिलकुल भी इल्म और तजुर्बा नहीं है... दिल्ली में चूँकि मुद्दे साफ़ हैं और “गठबंधन धर्म” की भी कोई मज़बूरी नहीं तो यहाँ सरकार अपना काम आसानी से कर सकती है.....और इसके साथ-साथ दिल्ली चूँकि छोटा सा राज्य है तो वहां अरविन्द और मनीष के नेतृत्व में सरकार चलाना मुश्किल नहीं होगा और हमारे नेता बढ़ते वक़्त के साथ धीरे-धीरे काम करना सीख भी जायेंगे.....पर राष्ट्रीय स्तर पर क्या ये आज की तारीख़ या आने वाले कुछ महीनों में संभव है ?

४.क्या दिल्ली में जिस तरीके से अलग अलग राज्यों से लोगों ने आकर अपना योगदान दिया था और अपनी नौकरी, घर-बार छोड़कर महीनों दिल्ली में रहकर दिन रात घर घर जा कर लोगों का समर्थन माँगा था- क्या ऐसा दोहराना महज अगले चार महीने में संभव है ? क्या बाकि हिन्दुस्तान में हमारे पास दिल्ली की तरह चप्पे-चप्पे पर फैला निस्वार्थ वालंटियर्स का जाल बिछा है जो पार्टी के लिए पूरे संसदीय क्षेत्र में घर-घर जाकर प्रचार कर सके, बैनर लेकर सड़कों पर खड़ा हो, ऑटो के पीछे पोस्टर लगाये, वोटर लिस्ट बनवाये और ये सब भी अपने खर्च पर रह कर ?

क्या हम फिर से इतने बड़े पैमाने पर बाहर से वालंटियर्स को बुलवा सकते हैं हर लोकसभा सीट पर जिस पर हम लड़ रहे हैं ? समर्थक और कार्यकर्ता में जमीन-आसमान का फर्क होता है जनाब.......क्या हमारे पास हर जगह इतने निस्वार्थ कार्यकर्ता हैं ? और जब तक़रीबन सात-आठ महीने की बहुत ही ज्यादा कड़ी मेहनत के बाद भी हम दिल्ली में पूर्ण समर्थन हासिल नहीं कर पाए और तक़रीबन एक तिहाई वोट ही अपने पक्ष में ले पाएं हैं तो इतने बड़े देश में बड़े-बड़े लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी की क्या उम्मीदें हैं ?

५.क्या गारन्टी है कि जो लोग दिल्ली की जीत के बाद “आप” से जुड़े हैं वो निस्वार्थ भावना के साथ जुड़े हैं ? हरियाणा में नेतागिरी के चक्कर में बहुत से लोग “आप” से जुड़ रहे हैं....बहुत लोग जो पहले “आप” पर उँगली उठाते थे आज टोपी पहन कर “आप” को टोपी पहना रहे हैं....अब थोडा-बहुत भी नेतागिरी का शौक रखने वाले लोगों को लगने लगा है कि इस नयी पार्टी “आप” में भविष्य बनाया जा सकता है....

जिन के पास आज खाने –पीने या परिवार पालने की समस्या नहीं है वो बड़े बड़े लेखक, पत्रकार, उद्योगपति, वकील, बैंकर, मैनेजर, कलाकार, खिलाडी आदि दिल्ली की जीत के बाद “आप” में आकर बड़े पद और टिकट की चाह रख रहे हैं.....पैसे की बल पर वो कुछ सौ या हज़ार लोगों का समर्थन भी ला सकते हैं....पर क्या हमारे पास दिल्ली की तरह वालंटियर्स का जमीनी स्तर का जाल बिछा है जो हमें भूसे के ढेर में से सुई निकालने में मदद करे...?

६. क्या हम जनता की उम्मीदों पर एक दम से खरा उतरने के लिए तैयार हैं ? क्या हमारे सारे विधायक अभी पूरी तरह से परिपक्व हैं ? क्या राखी बिडला के गाडी के शीशे और धर्मेन्द्र कोली के विवादस्पद जलूस जैसे मुद्दों को “आप” नज़रंदाज़ कर सकती है ? जैसा आज हुआ है दिल्ली के जनता दरबार में कि छत से खड़े होकर लोगों की समस्याएं सुननी पड़ी, तो क्या हम अभी इतने परिपक्व और इतने तैयार हैं इस पूरे मुल्क के आवाम की आशाओं को एकदम से एकसाथ पूरा करने के लिए ? क्या हमें अपने सुझाये स्वराज माडल को पहले जमीनी स्तर पर उतारकर और उसमे यथार्थवादी सुधार करके उन्हें और बेहतर नहीं बनाया जाना चाहिये ?

हम अपने दिल और आत्मा से चाहते हैं कि अरविन्द जी इस देश के प्रधान मंत्री बने और कई सालों तक इस मुल्क की खिदमत दिलो-जान से करें....ये हर “आप” से जुड़े समर्थक और कार्यकर्ता का सबसे बड़ा सपना है...पर क्या जल्दबाजी में हम कहीं अति-उत्साहित तो नहीं हो रहे ? कहीं ऐसा ना हो कि शिशु के जन्म देने की जल्दी में हम उसे नौ महीने से पहले ही जन्म दिलवाने का हठ करके उस शिशु के जीवन को ही खतरे में ना डाल दें ? कहीं ऐसा तो नहीं कि एक बहुत होनहार पांचवी के छात्र को अति-उत्साह में बाहरवीं की परीक्षा का बोझ डालकर उसे फेल ही कर दिया जाए...

और अंत में- बेहतर यही रहेगा कि अभी “आप” दिल्ली में स्वराज का एक बेहतरीन मॉडल बना कर और उसे चला कर दिखाए....फिर उसे किसी को कुछ साबित नहीं करना पड़ेगा....”आप” का काम बोलेगा पूरे हिन्दुस्तान में...बाकि राज्यों के लोग तरसेंगे “आप” जैसा शासन पाने के लिए...खड़ा करे मजबूत और निस्वार्थ संगठन हर राज्य में...परखे लोगों को उनके काम, उनके आचरण, उनके व्यवहार और उनकी क्षमता के हिसाब से ताकि हर राज्य में बेहतरीन नेताओं की एक श्रृंखला खड़ी की जा सके......

एक के बाद एक राज्य को जीतकर “आप” अपनी उपस्थिति भारतीय राजनीती में मजबूती से दर्ज करवाती रहे और फिर पांच साल बाद के लोकसभा चुनावों में अपनी धमाकेदार एंट्री करे...तब तक अगर बीजेपी की सरकार हुई केंद्र में तो तब तो वो पांच साल तक राज कर भी चुकी होगी और मोदी के काम के हिसाब से हम जनता को बता भी सकेंगे कि “आप” इससे भी बेहतर भारत का निर्माण करने में सक्षम हैं...

अच्छा होगा कि “आप” कुछ चुनिन्दा लोकसभा क्षेत्रों (30-40 सीट) में ही बाकि पार्टिओं के बड़े-बड़े नेताओं और भ्रष्ट मंत्रिओं के खिलाफ चुनाव लड़कर उन्हें ढंग से हराए और उन्हें चुनावी धूल चटाकर जमीनी हकीकत से रूबरू करवाए...इससे “आप” की ताक़त का अहसास भी बाकि पार्टिओं और देश के लोगों को हो जायेगा...ये कुछ सीट ही भारतीय राष्ट्रीय राजनीती में "आप" की इमारत के लिए मजबूत नींव का काम करेंगी जिसके बल पर 2019 में एक भव्य राजनैतिक इमारत का निर्माण किया जा सकता है...

अश्वमेध यज्ञ का घोडा इतनी जल्दी नहीं छोड़ा जाता भाई, पहले कुछ राज्यों पर परचम तो लहरा कर ही चक्रवर्ती बना जा सकता है....

अरे, अभी अभी मेरे कानों में मेरी माँ की आज दोपहर की उसकी एक बात फिर गूंज उठी---- ठंडा करके नहीं खा सकते क्या ? जल्दबाजी में गरम –गरम खाने की कोशिश करोगे तो मुँह जलेगा ही..

जगजीत सिंह साहब की एक ग़ज़ल आज बहुत याद आ रही है----

“प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है,
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है”.....................

जय हिन्द !! वन्दे मातरम !!

डॉ राजेश गर्ग.

(कृपया अपनी बात को तर्क सहित रखिये- चाहे विरोध हो या समर्थन )...

Tuesday, January 7, 2014

एक सवाल था आपसे ,…

एक सवाल था आपसे ,……
दो साल पहले ,… मेरे एक दोस्त को डेंगू हुआ ,.... जब प्लेटलेट्स काउंट काफी कम हो गया ,… तब उसे पास के सरकारी अस्प्ताल ले कर गए ,… अस्प्ताल में ना ही बिस्तर थे और ना ही ,.... डेंगू का इलाज़ ,....
फिर अगले दिन AIIMS में प्रयास किया ,.... पर बात नहीं बनी ,....
अब तक प्लेटलेट्स काउंट ,.... बहुत कम हो चुका था ,… एमर्जेंसी बन गयी ,… अब प्राइवेट अस्प्ताल लेकर जाना पड़ा ,....
प्राइवेट अस्प्ताल में,.... एमर्जेंसी के केस में ,… हमेशा सुपर डीलक्स कमरा ही है जो खाली होता है ,…
भर्ती कराना पड़ा ,.... इलाज़ हुआ ,....
दोस्त ठीक हुआ ,…. पूरा बिल बना 85 हज़ार रुपये ,…
अब वो बंदा चाँद महीने पहिले ,… गाँव से आया था ,… पैसा कमाने ,… और आज 85 हज़ार का करजदार हो गया ,…
तनख्वाह मिलेगी एक महीने बाद ,… पूरे 6000 ,....
अब सोंचने की बात ये है कि इस उधार को चुकाने में ,.... कितना समय लगेगा ?.... पैसे घर भी भेजने है ,.... खाना तो पड़ेगा ,....

खैर सोंचता ,.... ये भी हूँ कि इस उधार पर अगर ब्याज लगे तो ,… वो भी महाजनी तो ?,.... नप गए ना लम्बे से ,…

गुजर गयी जिंदगी ,… हो गए सपने पूरे ,....
क्या हुआ था ,…एक मच्छर ने ही तो काटा था बस ,....

पर गलती किसकी थी ????,.....
क्या हमारी अकर्मण्यता नहीं थी की ,.... डेंगू का मच्छर पैदा होने ना देने में मदद करते ,…।
क्या सरकार और जनता इस कम को मिलकर नहीं कर सकती थी ???…। (स्वराज - ग्राम सभा मोहल्ला सभा )
क्या सरकार और समाज की,.... ये जिम्मेवारी नहीं थी ,…

क्या सरकारी अस्प्ताल में इलाज़ नहीं हो सकता था ?????
क्या हुआ था ,… क्यों नपी उसकी जिंदगी ,.... बस एक मच्छर ने ही तो काटा था ,....

काटा क्या था ,.... समाज और व्यवस्था दोनों की हकीकत ही दिखाई थी ,…
इतना मुश्किल भी नहीं ,....
इसे बदलना ,....
बस जागरूक जनता ,… और पारदर्शी व्यवस्था,.... सहयोग का भाव ,.... ही तो है,… जो चाहिए ,....
और यही लाने की तो एक कोशिश कर रहे है आप ,…। हाँ #AAP ,…

कोई लोकतंत्र जी ही नहीं सकता ,…अगर जनता में सहयोग की भावना ना हो तो ,…।.…नागेन्द्र शुक्ल

Friday, January 3, 2014

आम आदमी पार्टी को पत्र ,… लोकसभा चुनाव 2014 के बारे में



आदरणीय, आम आदमी पार्टी

विषय :- लोकसभा चुनाव की तैयारी
जी हमें स्रोतो से यह पता चला है कि AAP ने निर्णय लिया है के 2014 के चुनाव में हम 300 सीटो पर लड़ने की तैयारी कर रहे है, इस विषय में मैं आपको अपनी सोंच से अवगत कराना चाहता था ,…
मैं कौन ?…जैसा की आपको ज्ञात होगा की आंदोलन और चुनाव के दौरान हज़ारो अज्ञात चेहरो (faceless volunteers) ने सोशल मीडिआ से लगाकर जमीन तक बहुत ही श्रद्धा और पूरी मेहनत से काम किया था ,.... मैं उन्ही अज्ञात चेहरो में से एक और मेरा विचार यह है की,…..
हम 2014 का चुनाव केंद्र में सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि "आप" को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करने के लिए लड़ रहे है
मेरी समझ से शायद यही उद्धेशय है क्योंकि हकीकत ये है कि लोकसभा चुनाव, दिल्ली चुनाव से कहीं ज्यादा मुस्किल होते है दिल्ली चुनाव में भी हमने mismanagement महसूस किया था अंतिम 3/4 दिनों में हमारा तालमेल और प्लानिंग बहुत गड़बड़ थी सबसे ज्यादा मुश्किल पोलिंग एजेंट बनाने में आई थी

2/3 अर्धशहरी लोकसभा के क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मुझे पता चला की साधारण रूप से लोकसभा का क्षेत्रफल काफी काफी ज्यादा होता है
पर मुझे चिंता क्षेत्रफल की नहीं ,… वो तो हम मेहनत करके कवर कर सकते है पर आपको तो पता ही होगा की resources भी लिमिटेड है और समय भी
तो ऐसी स्थिति में 300 सीटो पर लड़ना और जीतना बहुत मुश्किल होगा

सवाल जीतने या हारने का नहीं है ,.... हम एक उद्देश्य के लिए काम कर रहे है ,… जीत हार से नहीं डरते पर यदि 300 सीटो पर लड़े तो हार बड़ी दिखेगी बजाय उन सीटो की जीत के जिनमे हम जीते ,....
यदि आगामी चुनाव में हम पूरे देश से 50 सीटे भी जीतते है तो ,.... ये एक बड़ी जीत होगी ,.... और सम्माननीय ,....

अब अगर 100 में 50 जीते तो,… जीत बड़ी है ,....
300 में 50 तो जीत छोटी,और 300 में लड़ने की वजह से हमारी ताकत भी बँट जायेगी ,… और इस जल्दबाज़ी में कई गंदे लालची और अवाँछित लोग पार्टी में प्रवेश कर पाएंगे ,… जो हम बिलकुल नहीं चाहते ,…

मेरा सुझाव है कि हमें हर राज्य में कम से कम उसकी राजधानी में और उसके बड़े शहरो में लड़ना चाहिय ,… और दिल्ली से जुड़े एवं बड़े राज्यो में जैसे हरियाणा उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र में ज्यादा सीटो पर लड़ना चाहिए ,…

परन्तु हर राज्य में कम से कम १ या २ सीट पर जरुर लड़े और उस राज्य में जो भी AAP का आगे जा कर चेहरा बन सके उसे ही लड़ाये ,… इससे पूरे देश में उपस्थिति भी हो जायेगी और प्रचार भी ,… पहचान और चेहरा भी ,.... फिर लोकसभा के बाद एक एक करके ,.... सारे राज्यो में चुनाव की तयारी करनी चाहिए

राज्यो में सीटो का चुनाव करते समय भ्रष्ट नेताओ और चेहरो का भी ख़याल रखे ,.... जैसे सलमान खुर्सीद , कलमाड़ी, कनिमोजी , येदुरप्पा , मुलायम सिंह , नीरज तिवारी , गडकरी , सिब्बल इत्यादि ,....

ऊपर से जब हम 300 में लड़ेंगे, तो वोट कटुआ होने का भी सन्देश जनता में जायेगा, जो की गलत होगा और त्रिशंकु कि परिस्थिति में हमें फिर किसी ना किसी को सहयोग देना लेना पड़ सकता है जो की आत्मघाती होगा ,…

अंत में सिर्फ इतना कहना चाहेंगे कि "हल्का तवा जल्दी गर्म होता है और ठंडा भी ,.... ऊपर से हल्के तवे में बनी रोटी अक्सर कच्ची रह जाती है ",.,.......

आशा है कि इस अज्ञात आम आदमी ,… जो की वास्तव में देश में बदलाव चाहता है उसकी बात पर ध्यान जरुर देंगे ,… आप हाँ AAP ,.... धन्यवाद

Wednesday, January 1, 2014

17 'scams' that Narendra Modi doesn't want Lok Ayukta to probe

17 'scams' that Narendra Modi doesn't want Lok Ayukta to probe

Saturday, Aug 27, 2011, 16:56 IST
Earlier this year, Gujarat Congress had submitted to the Governor Dr Kamla and the president a detailed list of '17 scams' that had allegedly taken place under the Modi government.
Earlier this year, Gujarat Congress had submitted to the Governor Dr Kamla and the president a detailed list of '17 scams' that had allegedly taken place under the Modi government. It  demanded probe by an independent agency. Last week, when it was getting apparent that a Lok Ayukta for the state was close, the state government set up an enquiry commission to be headed by retired Justice MB Shah. The following is the list of alleged scams submitted by the Congress to the Gujarat governor and the president:

Land for Nano plant at low rate
The state government allotted 1100 acres of land to Tata Motors Ltd (TML) to set up the Nano plant near Sanand. The land was allotted allegedly at Rs900 per square metre while its market rate was around Rs10,000 per square metre. Simply put, the government gave Tata Motors total monetary benefit of Rs33,000 crore.

Land sold cheap to Adani Group
Land was allotted to Adani Group for the Mundra Port & Mundra Special Economic Zone (SEZ) at Re1 per square metre. This is grossly lower than the market rate.

Cheap land for ind, not for airforce
The Gujarat government allotted 3,76,561 square metre of land to real estate developer K Raheja at Rs470 per square metre, while the South-West Air Command (SWAC) was asked to pay Rs1100 per square metre for 4,04,700 square metre land.

Agricultuure University land allotted for hotel
State government allotted 65,000 square metres of land belonging to Navsari Agriculture University in Surat to Chatrala Indian Hotel Group for a hotel project despite objection from the institute. This deal was allegedly brokered by the chief minister through his office causing a loss of Rs426 crore.

Border land for chemical firms
A huge plot of land near the Pakistan border was allotted to salt chemical companies said to be close to BJP leader Venkaiah Naidu.

Essar Group's encroachment
State government has allotted 2.08 lakh square metres of land to Essar Steel. Part of the disputed land is CRZ and forest land that cannot be allotted as per Supreme Court guidelines.

Land given to Bharat Hotel
Prime land was allotted to Bharat Hotels without auction on Sarkhej-Gandhinagar Highway in Ahmedabad. The company has been allotted 25,724 square metre land.

Corruption in allotment of lakes
State government, in 2008, awarded contracts for fishing activities in 38 lakes without inviting any tenders; bidders were ready to pay Rs25 lakh per lake.

Land given to L&T
Larson & Toubro (L&T) was allotted 80 hectare land at Hazira at the rate of Re1 per square metre.

Land allotted to other industries
Instead of auctioning prime land in the major cities of the state, the Gujarat government had allotted the land to some industries and industrialists who had signed MoUs in the five editions of VGGIS.

Cattle feed fraud
The Gujarat government had purchased cattle feed from a blacklisted company at Rs240 per 5 kg whereas the market rate is just Rs120 to Rs140 per 5 kg.
Scam in Anganwadi centres
Two bidders apparently formed a cartel and bid for supplying supplementary Nutrition Extruded Fortified Blended Food (EFBF) to Anganwadi centres of the state. One company bid for three zones, while the other for only two. Guidelines were violated, causing the state exchequer a loss of Rs92 crore.

GSPC
Despite an investment of Rs4933.50 crore, GSPC has been able to earn only Rs290 crore from the 13 out of 51 blocks of oil and gas discovered by the company. Contractual relations of Geo-Global and GSPC deserve investigation since Geo-Global is to be hired for a higher fee, above profit-sharing.

Luxury aircraft used by CM
Instead of using commercial flights or state-owned aircraft and helicopter, chief minister Narendra Modi had used private luxury aircraft for around 200 trips in five years. The cost had been borne by the beneficiary industries.

Rs500 crore SSY scam
The Rs6237.33 crore Sujalam Sufalam Yojana (SSY) announced in 2003 was to be completed by 2005 but it is still not completed. Public accounts committee of Gujarat assembly unanimously prepared a report indicating a scam of over  Rs500 crore which was not tabled.

Indigold Refinery land scam
Around 36.25 acre farmland in Kutch district was purchased and sold in violation of all norms by Indigold Refinery Ltd.

Swan Energy
49% of the shares of Pipavav Power Station of GSPC were sold to Swan Energy without inviting any tenders.
http://www.dnaindia.com/india/report-17-scams-that-narendra-modi-doesnt-want-lok-ayukta-to-probe-1580274

मैं नहीं जानता, अरविंद केजरीवाल कितने सफल हो पाएंगे।

मैं नहीं जानता, अरविंद केजरीवाल कितने सफल हो पाएंगे। उनकी पार्टी और उनके साथी इस देश से और समाज से करप्शन को किस हद तक मिटा पाएंगे, राजनीति को कितना शुद्ध कर पाएंगे? लेकिन मैं उनको और उनके तमाम साथियों को इस बात के लिए सलाम करता हूं कि उन्होंने कोशिश की।

अरविंद केजरीवाल की यह बात बार-बार कानों में गूंजती है कि यदि राजनीति कीचड़ है तो हमें इस कीचड़ में घुसकर ही उसे साफ करना होगा और यदि नहीं कर पाए और नष्ट हो गए तो हम समझेंगे कि देश के लिए कुर्बानी दे दी।

मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं।

हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

देश और दुनिया के समस्त अरविंद केजरीवालो, हमें माफ करना। हम कमज़ोर लोग हैं, हम डरपोक लोग हैं, लेकिन हम तुमसे प्यार करते हैं और हम तुमको सलाम करते हैं। हम चाहते हैं कि तुम अपनी कोशिशों में कामयाब रहो ताकि इस हताशा के माहौल में उम्मीद के दीए जलें और इस देश में हज़ारों-लाखों केजरीवाल पैदा हो सकें।

मैं प्रधान मंत्री बनने के लिए तैयार हूँ मगर

मैं प्रधान मंत्री बनने के लिए तैयार हूँ मगर
(1) मैं पार्टी के और अम्बानी अदानी से लिए पैसों का हिसाब नहीं दूंगा
(2) मैं सोनिया शीला और राहुल का घोर दुश्मन हूँ मगर उनके सामने बेकार और मरे गिरे उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाउंगा
(3) मैं एक तरफ विकास का नारा दूंगा और एक तरफ हिंदुत्व का झंडा भी बुलंद रखूँगा...और दोनों तरफ से जनता को बेवक़ूफ़ बनाऊंगा
(4) मैं दुनिया को बताऊंगा कि अरविन्द ने अन्ना को धोखा दिया है मगर अडवाणी के बारे में चूं तक नहीं करूँगा
(5)अब मंदिर के नाम पर कोई वोट नहीं देगा इसलिए अब शौचालय के नाम कि राजनीति करूँगा
(6) मैं भ्रस्टाचार को मिटा दूंगा मगर गडकरी ,,बंगारू और बाबू बोखारिया का साथ नहीं छोडूंगा
(7) मैं कांग्रेस और सोनिया को मिटाना चाहता हूँ मगर शीला और सोनिया पर भ्रस्टाचार कि कोई जांच नहीं करवाऊंगा.
(8) मैं अपनी मर्जी से चोला बदलूंगा ..कभी सेक्युलर कभी राष्ट्रवादी हिन्दू बन जाऊँगा
(9) मैं देश का विकास करूँगा मगर कैसे करूँगा ये नहीं बताऊंगा
(10) मैं देश में महंगाई कम कर दूंगा मगर गुजरात में इतनी महंगाई क्यों है बिलकुल नहीं बताऊंगा
(11) मैं जनलोकपाल का समर्थन करता हूँ मगर गुजरात में जरूरी नहीं समझता.
(12)मुझे वोट दो मुझे प्रधान मंत्री बना दो क्योंकि कांग्रेस तो चोर है इसलिए मुझे ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिलना ही चाहिए...
शायद इसीलिए लोग मुझे फेंकू कहते है....
from NARENDRA MODI