Friday, November 30, 2012

ऐसा नहीं है की मीडिया को TRP सबसे ज्यादा प्यारी है

ऐसा नहीं है की मीडिया को TRP सबसे ज्यादा प्यारी है दोस्तों, 4 दिन गुजर गए आप का आगाज़ हुए। कुछ अचानक से ऐसा हुआ की पूरा का मीडिया, पूरी तरह से सो गया हो जैसे
उसको कुछ पता ही न हो, न कोई न्यूज़ न ही discussion न कोई कवरेज यह कोई आश्चर्य जनक बात तो नहीं पर दुखद जरुर है,
आज मन में प्रश्न उठा की क्योँ है ऐसा?
क्या सरकार यानि कांग्रेस का दबाव है या BJP का या फिर किसी का नहीं और मीडिया इसको इतना महत्वपूर्ण नहीं समझती
मीडिया के रवैये के मैं बड़ा बदलाव उस दिन के बाद से है जब से अरविन्द जी ने Reliance के विरुद्ध बोला उससे पहले तो कुछ थोडा बहुत था भी
तो ये साफ़ है की ये कुछ बिज़नस मैन ही देश की हर चीज़ चला रहें है चाहे वो सरकार हो या मीडिया,.....और
अंतिम कड़ी हम,... आम आदमी तो मजबूर है की ये मीडिया/सरकार,...नेता, गुंडा वगैरा जैसे चलायें हमें चलना पड़ता है
पर ताज्जुब इस बात का है की ये हम ही हैं आम आदमी ही जो ....सरकार बनाते है, मीडिया को TRP देते ....और
हम ही है ..जो इन पून्जिपतियौ के उपभोक्ता है और इनको पूंजीपति बनाते है
ये हम ही हैं, जिसकी जेब मैं दुनिया की सबसे से ताकतवर कंपनियों की नज़र है ....
अर्थात ....सब कुछ के केंद्र हम है ...वोट भी हमारा, नोट भी हमारे ..TRP भी हमीं से ....और ये सब मिलकर हामी को बेवकूफ बना रहें है
.....क्या बात है ...क्या हालत है ....
 लकिन आज सोंच रहा हूँ की ऐसा हो क्योँ रहा है तो बस 2/3 छोटे - छोटे कारन ही है ...जिनको दूर करना आसन है ...और हम कर सकतें है ..
1. क्यूंकि हम  बैंक हैं ...वोट बैंक है ....इन्शान नहीं
2. हमारी याददास्त काफी कमजोर है ....और आसानी से बेवकूफ बन जाते हैं
3. हम जाती, धर्म, भाषा ...प्रान्त और भी बहुत कुछ में बंटे है
क्या यह सब कारण ...वाकई important .....हमारे लिए कितना मुश्किल है इनको दूर करना ?
कुछ वषों पहले एक बच्चा प्रिंस बोर वेल मं गिर गया था तो उसे बचने के लिए पूरे मीडिया ने ...सेना से भी ज्यादा मेहनत की थी ....
तब लगा था की वाकई मीडिया देश को सुधर सकती है .....पर यहाँ भी धोका ...इनके लिए भी देश, देश वाशियो ..और तो और TRP से भी बढ़ कर है .....पैसा ...
नेता को तो चुनाव मैं हरा सकतें है ...पर इस मीडिया का क्या करें .....कुछ बताइए क्या कर सकतें है ?
...नागेन्द्र शुक्ल

मैंने हवाओं की बागडोर मोड़ी थीं, ख़ाक में मिलाया था पहाड़ों को,




FDI in Retail पर बहस

दोस्तों, संसद में FDI in Retail पर बहस चल रही है, सरकार इसको पास करवाने की पुरजोर कोशिश कर रही है । इस मुद्दे पर बहस सिर्फ संसद में ही नहीं सड़क पर भी हो रही है जिनमे से एक को मैंने भी सुना और आप से शेयर करता हूँ,
चूँकि ये सड़क की बात है तो इसकी कितनी सच्चाई है इसका पता मुझे नहीं है आप अपने comments से discuss कर सकते है, कुछ points जो सुने वो इस प्रकार हैं
1. सुना है की ओबामा जी के चुनाव प्रचार के

लिए वालमार्ट ने काफी ज्यादा funding की थी और वो चुनाव जीते
2. फिर सुना की अमेरिका में व्ल्मार्ट का विरोध हुआ, वालमार्ट के employee भी खुश नहीं है
3. सुना की ओबामा जी ने संसद में बोला की वालमार्ट की जगह खुदरा बाज़ार से खरीदना बेहतर है
फिर देखा की सरकार को काफी जल्दी है FDI बिल पास करने की, सारी ताकत लगा रही है
कहीं ऐसा तो नहीं की ओबामा जी ने वालमार्ट से वादा किया हो, की वालमार्ट को भारत में जगह बनाने में मदद करेंगे ? मुझे नहीं पता ...आप ही खोजें ...की सच क्या झूठ
कुछ वैसा ही तो नही जैसे हमारे देश में होता है की चुनाव funding के बाद काम तो करना ही पड़ेगा ...करवाना ही पड़ेगा ....कुछ समझ नही आता
मैं भी प्रयास कर रहा हूँ ।।
ये शक करने की आदत भी गन्दी है ...कुछ भी हो FDI in Retail मुझे समझ नही आता ? ये कोई इसा sector नहीं है जहां किसी technology की rocket science की जरुरत है
...नागेन्द्र शुक्ल

अब पथ है यही अब रुकना नहीं ।।



जिंदगी ने कर लिया स्वीकार, अब तो पथ यही है|
एक हलका सा धुंधलका था कहीं, कम हो चला है,
यह शिला पिघले पिघले,
रास्ता नम हो चला है,
क्यों करूँ आकाश की मनुहार ,
अब तो पथ यही है |
है गलत या सही, ये पता ही नहीं
पर अब पथ है यही ।।
गलत या सही,,ये बताएगा भविष्य
...वर्तमान नहीं।
कुछ भी हो,....पर अब पथ है यही
अब रुकना नहीं ।।
 

Wednesday, November 28, 2012

मीडिया हो तो सही, ना हो तो भी सही - मीडिया का फर्क तो पड़ता है .....पर वो सिर्फ हमें रोक नहीं सकता

मीडिया influenced है? या कहिये impartial नहीं है। मीडिया को हम लोकत्रंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में देखते है। या कहें कि ..देखने की उम्मीद रखते है।
लेकिन सब-कुछ, देश में भष्टाचार के रावन के आगे बेबस है ..या यूँ  कहें की अपनी गरिमा को बनाये रखने में नाकामयाब साबित होता नज़र आ रहा है।
सवाल सांसदों, व्यवसाइयों,.... से लेकर मीडिया के आँगन तक आ खड़े हुए ।
हमारे देश में सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर न जाने कब  कौन सी बात, किसको खटक जाए और गिरफ्तार कर लिया जाये।।पता नहीं!
एक कार्टूनिस्ट पर देशद्रोह का आरोप लगता है ..गिरफ्तार किया जाता है ..फिर मामला वापस!...
किसी RTI कार्यकर्ता को एक Tweet के नाम पर सुबह सुबह पुलिस गिरफ्तार कर ले जाती है!......और भी बहुत कुछ पता नहीं,....
आम आदमी की सिस्टम के आगे बेबसी तो है पर इससे बाहर निकलने का रास्ता भी आम आदमी के हाथ में है और हमें सिर्फ आप (AAP) में नज़र आता है।
सोशल मीडिया की अपनी पहुँच एक है .,,और उसकी शक्ति का अंदाज़ा सबने अभी देखा भी है। Egypt के अन्दर जो आन्दोलन हुआ उसमें फेसबुक और ट्विटर की भूमिका हम सबने काफी सुनी थी।
फिर सुना की गवर्नमेंट ने facebook और Twitter, 24 जनवरी 2011 को Egypt  में बंद कर दिया था, फिर alternative साइट्स पर जनता ने स्टेटस और प्रोग्राम्स शेयर करने चालु कर दिए ...और
फिर सुना की पूरी तरह से इन्टरनेट को ही ठप्प कर दिया गया ...
सवाल आज यह है की क्या किसी जन आन्दोलन को इस तरह कुचला जा सकता था?
नहीं, जवाब भी मिल चुका है Egypt से ही ...जहाँ सुना है की लोगों ने एक-एक घर का दरवाजा खट -खटाया और अपने सेल फ़ोनों के जरिये अपने आन्दोलन को इसकी परिणति (अंजाम) तक पहुँचाया
यह काम हमारे देश के लिए तो नया भी नहीं है, 1857 की क्रांति हो या उसके बाद का कोई भी जन आन्दोलन, कोई नहीं थमा चाहे तब के मीडिया (प्रिंट मीडिया) पर कितनी ही बंदिशे क्यों न रहीं हों ।
आज की परिस्थिति थोड़ी सी अलग है। हम सब आज़ाद हैं (कितना सच पता नहीं) ।।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी है ....फिर भी यह लाचारी?...कुछ अटपटा सा आलम है ...जैसे आज़ादी तो है ...उड़ने के लिए खुला आसमान भी, पंख है की किसी और के हाथ में।।
दुखद है, पर कोई नहीं .....ये चाहे जो करलें अब आपका (AAP) आन्दोलन रुकने वाला नहीं,.....अब आम आदमी रुकने वाला नहीं
मीडिया हो तो सही, ना हो तो भी सही - मीडिया का फर्क तो पड़ता है .....पर  वो सिर्फ हमें रोक नहीं सकता,....क्यूंकि हम तो आप (AAP) हैं ....कोई आप को रोकेगा कैसे,...नागेन्द्र शुक्ल


Tuesday, November 27, 2012

कल आप (AAP) के आगाज़ में,....


कल आप (AAP) के आगाज़ में,....
आप (AAP) के साथ से,.....
चहुँ ओर था उल्लास भरा
,
नवसृजन का मानो आभास भरा |
नाची धरती, गरजे अम्बर,
हम जीवित है , ये अहसास हुआ,....
हर मद्धिम मन था प्रखर हुआ,...
आम आदमी था, मुखर हुआ,....
हर दिल में थी, एक नयी उमंग,...
हर कोई था, एक दूजे के संग,....
बस बिखरे थे, 'स्वराज' के ही रंग,....
आशा भरी दीवालीथी,....
कल शाम बड़ी मतवाली थी ।।
बस आज़ादी, एक खुमारी थी, कल आप (AAP ) का आगाज़ था
हम बदलेंगे ये अहसास था ।।
मीडिया बताये न बताये ....अब हम मुहँ खोलेंगे
......और सबसे बोलेंगे ....हम कौन ...अरे आप (AAP ).
....नागेन्द्र शुक्ल 







Friday, November 23, 2012

अरे ये तो 2012 है 2014 नहीं - किसी के पास जवाब नहीं होगा

दोस्तों, घर के सामने की सड़क बन रही थी, बगल की गली से एक लेडी आईं और उन्होंने ठेकेदार से पूंछा उधर की सड़क नहीं बनेगी क्या ? वो बोला नहीं वो पास नहीं है
मैंने ठेकेदार से पूंछा की ये सड़क क्योँ बना रहे ये तो ठीक है बस 2/3 गड्डे हैं patch work से ठीक रहेगी अभी 2/3 साल और चल जाएगी, वो बोला ठेका मिला है तो बना रहे है JE से पूंछो
अब पहले की बात होती तो चुपचाप घर आकर सो जाता, पर अरविन्द जी ने दिमाग मैं कीड़ा दाल दिया है
चला गया JE के पास पूंछा  - वो भी बोला की कॉर्पोरटर से पूंछो
तभी याद आया "अरे ये तो 2012 है 2014 नहीं - किसी के पास जवाब नहीं होगा"
अब आये थे तो एक और सवाल पूँछ लिया "अगर हर साल सड़क को 1 इंच ऊँचा करोगे तो सीढ़ी चढ़ने के नहीं ....उतरने के लिए बनवानी पड़ेगी, हर बार थोड़ी खरोंच के उसी लेवल पर क्योँ नहीं बनाते
वो बोला technically सड़क 2/3 साल में 1 इंच घिस जाती है तो effectively कोई फर्क नहीं पड़ता
मुझ से निकल गया पर जनाब बस पिछले 6 सालों में मेरे घर की एक सीढ़ी ...ख़त्म कैसे हो गए practically
अब वो झल्ला गया ...बोला lunch time के ठीक बाद क्या टाइम पास कर रहे हो - मुझे नहीं पता
बी क्या था चुपचाप ये सोंचते - सोचते घर चला आया की अगर किसी तरह अरविन्द जी को जीता दें तो इस तरह असहाय महसूस नहीं होगा
स्वराज में खुद बात करके जो बनवानी होगी - वही सड़क बनवा लेंगे एक ठंडी सांस भरी - चलो 2 साल की ही तो बात है ....चलो कोई नहीं ।।
भाइयों, आचा होगा न अगर हम ये कर पाए ....हम तो कोशिश करेंगे ...आप भी करना
भूल गए ...हम कौन .....हम और आप ...आम आदमी
.......नागेन्द्र शुक्ल

2014 के बाद करना है तुम्हे आराम, फिर न कहना ना माया मिली ...ना राम ।।

धन्यवाद! उन सभी नेताओं को ..जिन्होंने
अरविन्द जी, को राजनीती में आने के लिए प्ररित किया या यूँ कहें मजबूर किया ||
अब हम कहते है,....इनसे ये भी बढ़ा लो,
वो भी बढ़ा लो 7000 हज़ार की थाली, जल्दी से खा लो
समय है कम तुम्हारे पास

अरे भ्रष्ट नेताओं (सब नहीं) ....
अपना मुकदमा लड़ने के लिए कुछ पैसे बचा लो ।।
2014 के बाद करना है तुम्हे आराम,
फिर न कहना
ना माया मिली ...ना राम ।।
...नागेन्द्र शुक्ल


Thursday, November 22, 2012

सुकून इस बात का, की प्रयास होने लगा ।।

संसार में जीना एक विद्द्या है।
अपने सुख के लिए जीने वाले, को ये कला आती ही नहीं
कुछ देने की, कुछ करने की इच्छा,.....ही सामाजिक आधार है
कुछ चाहने से हम पराधीन हो जाते है और
अपेक्षा ही उपेक्षा की जननी है
जो किसी से कुछ न चाहे, बस वही स्वाधीन है ।।
ये इच्छायें ही है जो किसी को, राजा से  भिखारी ....
और भिखारी से राजा बना देतीं हैं ।।
संसार में रह कर,....स्वतंत्र जीना ही तो जीना है
प्रतिकूल परिस्थिति में भी अडिग रहने से,...
निश्चय ही विजय होती है ।।
घोर अँधेरी रात में ...एक चिंगारी भी नज़र आती है
और रात के बाद ही ....भोर सुखद होती है ।।
रहत मिली है मन, चलो कुछ ख़ास होने लगा ।
आम आदमी भी अब, राजनीती में आम होने लगा ।।
ग्रहण लगा सूरज, निकलने को बेताब है ।
सुकून इस बात का, की प्रयास होने लगा ।।
....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी
..........नागेन्द्र शुक्ल

Monday, November 19, 2012

है ये व्यवसाय बड़ा मुश्किल .... ये मुझे,...... आता ही नहीं .....

खुदा बसता है,.... खुदा के बन्दों में
बस यही याद रखना है

हो एक स्नेह,.....और  स्निग्ध साथ
बढे हर ओर,.....एक मदद भरा हाथ
ना समझे,.....कोई हारा
खुद को, किस्मत का मारा
नोट नहीं, पद नहीं, प्रतिष्ठा नहीं
बस हो इंसान प्यारा ....
कुछ ऐसा बने ....संसार हमारा

है करना ज़रुरी....
गिरे हुए को उठाना
ज़ख्मो को सहलाना
ना हो मलहम कोई बात नहीं,....
पर नमक,.... न लगाना ....

ये जनता है ....कोई कूड़ा नहीं,  करकट नहीं ,
कोई कीड़ा नहीं ...कोई मरकट  नहीं
दोस्त ना सही, कोई बात नहीं ...पर दुसमन ना समझाना
क्यूंकि ये आम आदमी भी इन्शान है,......
कम से कम ...इन्शान समझाना,...

कहतें है ये,... किताबी बातें है .....
हकीकत से कोई नाता नहीं,...
मैं क्या करूँ ......नफा नुकसान
ऊपर नीचे ......मोल भाव .....
है ये व्यवसाय  बड़ा मुश्किल ....
ये मुझे,...... आता ही नहीं .....
Nagendra Shukla

Saturday, November 17, 2012

कैसी होनी चाहिए हमारी पार्टी (आम आदमी की पार्टी )

अरविन्द जी हमसे पूंछा है की "कैसी होनी चाहिए हमारी पार्टी (आम आदमी की पार्टी )" बहुत ज्यादा तो नहीं सोंच सकता पर एक नज़र में ऐसा लगता है की हमारी पार्टी कुछ ऐसी लगनी चाहिए .....
...की वो हमारी पार्टी है .....हम उसका सम्मान कर सकें .....उसका समर्थन कर सकें और ....सबसे ज्यादा जरुरी है की हम ......
जब सहमत ना हो तो ....विरोध कर सकें ....और वो विरोध ...सिर्फ उसी मुद्दे मर हो ..ना की किसी छुपे मतलब के लिए,.....उस विरोध का फैसला सब की राय से लिया जाये ....
ना कि किसी सुप्रीमो की मर्जी से,.....हमारी पार्टी मैं कोई बड़ा  या छोटा ना हो ....बस जहाँ जिसकी जरुरत हो वहाँ वो ही काम करे ।।
In Short हमारी पार्टी = लोकपाल + शिक्षा की समनाता (quality Education) + विषय विशेषज्ञ की समझ + अर्थ क्रांति + चुनाव सुधार + स्वराज + सिटीजन चार्टर + राजनीतिक सुधार + आधार
....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी
..........नागेन्द्र शुक्ल

Friday, November 16, 2012

मैंने एक सपना देखा की..........सरकार यानि की कांग्रेस, ने डिनर पर बीजेपी समेत अपने कई विरोधियों को बुलाया है,

आज 17 नवम्बर को सरकार यानि की कांग्रेस, ने डिनर पर बीजेपी समेत अपने कई विरोधियों को बुलाया है, क्या ये बात सच है ? कोई नहीं आगे की बात करते हैं
दोस्तों, मैंने एक सपना देखा की मेरे जान पहचान के एक नेता ने  - अब उसका तो नाम नहीं बताएँगे,......और  ये भी नहीं बताएँगे की छोटा या बड़ा
नहीं नहीं ये भी नहीं की वो बीजेपी का है या किस पार्टी का - आप कोई भी मान लीजिये ।।
ने फ़ोन करके बताया की ये डिनर पर क्योँ बुलाया गया था  उसने बताया की जो भ्रष्ट नेताओं की जो जमात है (कुछ अच्छे भी फंसे है) बहुत डरी हुई है
हाँ हाँ ...केजरीवाल जी से .....हमसे ...और आपसे ....क्यूंकि हम जग रहे है और लड़ रहें है ...इनसे

तो बैठक करके ये discuss/विचार करने के लिए की क्या किया जाये .....कैसे आखिर कैसे?
निपटा जाये .......अरविन्द जी से (हाँ हाँ - उसे नेता ने भी जी लगाया)
(.......जी हाँ वो नेता भी गया था )
तो बैठक में कई विचार सामने आये कुछ निम्न है ...(अब सारे ना मैंने सुने ...और न ही detail में बताऊंगा )
1. कुछ ने कहा :- क्योँ ना चुनाव जल्दी ही करा दिया जाये ...ताकि इनको (अरविन्द जी को) अपनी पार्टी को पूरे देश में पहुँचाने का समय ही न  मिले - हूँ आइडिया अच्छा है है न ?
2. कुछ ने कहा :- कुछ ने कहा नहीं (जो सरकार मैं हैं ) एक काम करते हैं सरकार चलने देतें है और ऐसा करते हैं की इस बार 2013 में दिल्ली में और 2014 में ऐसा करते है की .....हर जगह से अपने प्रत्यासी (अरे ! candidate ) कुछ ऐसे चुनते है की हमारे बीच कहीं कदा मुकाबला ना हो या तो हम जीते या आप फिर बाद मैं मिल कर सर्कार बना लेंगे,( क्यूंकि दिखावे के लिए तो candidate खड़ा करना ही पड़ेगा ना है की नहीं ? नहीं तो हम और आप आम आदमी समझ नहीं जायेगा की ये दोनों एक ही है ).... और मोटा माल मिल बांट कर खा लिया जायेगा और 5 साल में तो अरविन्द की पार्टी भी अपने आप ख़त्म हो जाएगी :- आइडिया तो ये भी अच्छा है है की नहीं ?

नहीं नहीं अभी ये decision  नहीं हुआ है कुछ final नहीं हुआ अभी बात चल रही है  - आहा OK
उसने ये भी बताया की अब किस - किस,...........को ........किस किस से अपने ...चार काम करवाने हैं .......और वो क्या हैं,....हाँ ये decide हो गया है .....पर इस बार बड़ा दिमाग लगा कर किया भाई  मानना  पड़ेगा 
अच्छा हाँ सच में  - ये बहुत डर रहें है ....अरविन्द जी से
अच्छा .............
बस फोन ...कट गया और नींद खुल गयी ।।
पर अब एक बात बताएं की भगवान् की कुछ ऐसी कृपा है मेरे ऊपर की ....मेरे जीवन में बहुत सारे सपने सच हुए हैं .....अभी टीवी खोली तो पता चला एक हिस्सा तो सच हो भी गया .....वाकई मैं बुलाया है BJP को ...लो कर लो बात
क्या पता आगे भी सच हो ....भगवान् जाने ....
पर मेरा एक सपना है ....जो आप पूरा कर सकते हो ....और वो है
...हाँ आप को पता है .....अरविन्द जी को PM बनाने का ......
पूरा करोगे न ......मुझे पता है करोगे .....क्यूंकि ये ही तो आपका भी सपना है ....और उद्देश्य (हाँ हाँ aim फिर हिंदी ) भी ....
है ....ये सपना हारा है ....और पूरा करना हमारे ही हाँथ में है ...है की नहीं ....क्योँ है हमारे हाँथ मैं ...क्यूंकि ..हाँ हाँ ...
हम तो हम हैं ....हम और आप हैं .......आम आदमी है .......
नागेन्द्र शुक्ल ........
(पढ़ा क्या ?) अच्छा नहीं लगा ...चलो share  कर दो ....औरों को भी बोर करतें है .....हा हा हा


Thursday, November 15, 2012

हम व्यवस्था बदलेंगे ....और आपको ऐसे काम के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा जो आत्मा गवाही न दे 

महाराष्ट्र में पुलिस की गोली से मारे गये किसान चंद्रकांत के शरीर से कुल पांच गोली मिली.. दो सर में लगी थी और तीन सीने में लगी थी |
जबकि दुसरे किसान के शरीर से कुल सात गोली मिली.. उसके भी एक गोली सर में लगी थी |
चलिए ये पुलिस है, सरकार जो कहेगी वो इनको करना पड़ेगा,.....पर मेरे पुलिस वाले दोस्तों मैं एक बात याद दिलाना चाहता हूँ
की याद करो जब मुंबई में आतंकी हमला हुआ था तो .......आपको पता चला था की ....इन भ्रष्ट नेताओं का आसली चेहरा
जिन्होंने आपके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट में भी गड़बड़ की थी जिसकी वजह से आपके कई सारे साथी शहीद हुए थे ।
उस दिन भी बुरा लगा था और आज भी बुरा लगा .....बहुत दुःख हुआ,.....
पर आप क्या करो, आप तो सरकारी कर्मचारी हो .....पर दोस्तों,....आपको पता ही होगा की आप जनता के सुरक्षा के लिए है .....
ना की नेताओं की सनक या उनके सपनो को पूरा करने के लिए,....
मैंने सुना है, की आपको मनचाहा पद, मनचाही पोस्टिंग सिर्फ तब मिलती है जब आप इन नेताओं को खुश रखते है,....सही है
तरक्की सभी को चाहिए,....करनी भी चाहिए।।
पर एक बार ये सोंचना भी जरुरी है की ...इस तरक्की की कीमत क्या अदा कर रहें है।
हर एक सरकारी कर्मचारी ...एक आम आदमी भी है,.....जिसका मानवता के प्रति भी कर्तव्य बनता है,...
और हाँ अंत में यह कहना चाहता हूँ की आप कर्मचारी हो किसी के गुलाम नहीं,.....हाँ जो गुलाम हैं वो अपने लालच के गुलाम है,....
ये नेता वयवस्था ...बनाते हैं ...और आप उसको चलाते  हो,......
एक बार सोंचने की जरूरत है की .......व्यवस्था इतनी बिगड़ी तो क्योँ ....और कैसे .....कहीं आप भी जिम्मेवार तो नहीं,....
हमारे लिए आप हो .....और आप के लिए हम ......क्यूंकि हम तो हम हैं ...हम कौन .....आम आदमी ...
....नागेन्द्र शुक्ल .....

है अगर कुछ शर्म बची ...तो करो कुर्सी खाली,...की जनता आती है ...करो कुर्सी खाली,......

लूट के घर जिसका, बैठे हो महल सजा, अपना
समझते हो की हम,.... ..भूल जायेंगे,.....
तुम्हारी बातों में फिर,... फंस जायेगे,.....
तुम लूटते रहोगे ......हम लुटते रहेंगे,.....
ये बता दे तुम्हे की .....अब ये न होगा,......

हम समझते थे तेरी चालें ...हमेशा से,....
माफ़ करते रहे,.......तुम्हें वर्षों से ......
इस उम्मीद में की ...सुधारोगे कभी,.....
पर तुमने तो सारी हदें तोड़ीं,.........

जो देती थी ...अंडा सोने का,....
उसी मुर्गी (आम आदमी) पे बुरी नज़र डाली,.....
हम बैठे थे भरोषे तेरे ......
पर धोखे की अति कर डाली,.....
अब आँख खोल के देखा, तो पाया ...
कि तुमने (नेताओं) तो कर दी ....
पूरी दाल ही काली ।।

है अगर कुछ शर्म बची ...तो करो कुर्सी खाली,...
इतनी गंध भरी तुममे (भ्रष्ट नेताओं),......की,
जिस गली से गुजरो ...........वो लगे नाली,.......
हम साफ़ करेंगे,....हर गली .......हर नाली,....
की जनता आती है ...करो कुर्सी खाली,......
....नागेन्द्र शुक्ल

Wednesday, November 14, 2012

दोस्तों इन माचिसों को .......पटाखों से दूर रखना है ।।

आप आतिशबाजी (पटाखे) कितने भी रुपये ले कर आये हों पर उसमे आग लगाने के लिए माचिस एक रुपये की थी ।।
ठीक इसी तरह हमारे देश के शहीदों ने, अच्छे नेताओं ने,.......और हमारी कर्मठ जनता ने
दिन रात अपने खून पसीने से इस देश को बनाया और बहुत आगे बढाया
परन्तु पिछले कुछ वर्षों से ......कुछ नेता अपने कुछ रुपये के व्यक्तिगत फायदे के लिए
या ये बोलें की दो कौड़ी के अहंकार के चलते जो कृत्य कर रहें है
वो हम सभी के अथक प्रयसों को उसी तरह नष्ट कर रहें है
जैसे एक रुपये की माचिस ......हजारों के पटाखे ।।
दोस्तों इन माचिसों को .......पटाखों से दूर रखना है ।।
अब हम ही पटाखे बनायेंगे .......और हम ही दिवाली मनाएंगे,.......
ये भ्रस्टाचारी नेता और उनके चमचे नहीं ....क्यूंकि अब हम जाग गए है
किसी ने हमें जगा दिया है ......और अब हम सोने नहीं वाले,.....
अब हम अपनी किस्मत लिखेंगे ......अब किस्मत पर रोने नहीं वाले,............
ये डरायें चाहे जितना ....अब हम डरने नहीं वाले,.........
अब बिना व्यवस्था परिवर्तन,... के हम ......रुकने नहीं वाले .....

हमारा सेनापति .......(अरविन्द जी),......हमारा मार्गदर्शन करेगा .......
पक्का पता है .....वो हमको ....और हम उनको .....
....हारने नहीं देंगे,............हारने नहीं देंगे,........
हम ......हम कौन?.....हम और आप,......आम आदमी,.........
.......नागेन्द्र शुक्ल

Tuesday, November 13, 2012

इन मुंडेरों पे कोई दीप ना धरने आया .

"आखँ की छत पे टहलते रहे काले साए,
कोई पलकों में उजाले नहीं भरने आया,
कितनी दीवाली गयीं ,कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पे कोई दीप ना धरने आया ..!"(Dr. Kumar Vishwas)
इन घरों में कभी जला चूल्हा, कभी जलने नहीं पाया
हाथ थाम कोई, शुभ दीपावली ना बोला
बस इनके बच्चो को सुबह, करकट में
जिन्दा पटाखे बीनते हुए पाया ।।
......नागेन्द्र शुक्ल ....

Monday, November 12, 2012

अब अँधेरा मजूर नहीं,.....शुभ दीपावली, Happy Diwali ।।

थी एक दबी - छुपी चिंगारी हमारे मन में
पता नहीं था - क्या करना है,
क्योँ करना है इस जीवन में ।।
कोई हवा का झोंका आया
जिसने चिंगारी को एक लौ ....और लौ से दिया बनाया ।।
अब ये दिया जलेगा, साथ चाहिए तुम्हारा
की ये जलता रहे
अन्धकार से लड़ता रहे ।।
चाहे आंधी आये या तूफ़ान, इस लौ की हिफाजत करना ।
इस लौ के साथ जीना, इसी के साथ मरना ।।
इस दिवाली है, एक दिए से,.... सौ को जलाना
इस दिये की तपिश को है बढ़ाना
अब वक्त है आया ...की हर चिंगारी को हवा दो ।
इसको दिया ....फिर दिए से ....अलख जगा दो ।।
अब अँधेरा मजूर नहीं,.....
समझो हम मजबूर नहीं ....
अब दिये से दिये ...जलेंगे,...
कोई धर्म नहीं, कोई जाति नहीं,.....
कोई प्रान्त नहीं, कोई देश नहीं,......
मानवता को रोशन ...करेंगे,......
आओ दिये से दिये जलाये,......सब मिल दिवाली मनायें ।।
......नागेन्द्र शुक्ल ......शुभ दीपावली, Happy Diwali ।।

आओ मिल के दिवाली मनाये ।। शुभ दीपावली, Haapy Diwali ।।

कितने ही विचार, मन को मथ रहे
कभी अमृत, तो कभी विष उमड़ रहे
अमृत के लिए हैं भीड़ बड़ी
एक बूँद मिल जाये, इसके लिए सब लड़ रहे
कई है, जो इस विष को भी पी रहे
और नीलकंठ बनके जी रहे
है नीलकंठ का जीवन मलंग ।
विष रखता पास, बांटे अमृत सबके संग ।।
हर वो नीलकंठ है, जो इस महंगाई में जी रहा
है हालत ऐसी, की लक्ष्मी - गणेश, धुप - दीप सब चीन से आ रहा ।
आओ दिल में, दिए जलाये
इन दियौं से एक अलख जलायें
और ऐसे की, कहीं अँधेरा न रह जाये ।
आओ मिल के दिवाली मनाये ।।
शुभ दीपावली, Haapy Diwali ।।
हर कोई, जो जहाँ भी, जैसे भी इस अँधेरे से लड़ रहा ।।
ये आम - आदमी, उसी के भरोसे जी रहा ।
और सबको - शुभ दीपावली कह रहा ।।
......नागेन्द्र शुक्ल ......शुभ दीपावली, Happy Diwali ।।

मनीष जी और कुमार विस्वाश जी को डराने - धमकाने की कोशिश

मंजिल पुकारती है, तूफ़ान से न डरना
ये रास्ते कठिन है, फिर भी है गुजरना
बादल  गरजने वाले, कुछ शोर ही करेंगे
गर की कोशिश, हमसे टकराने की
तो बिजली की तरह, खुद ही जलेंगे ।।

हम तो चल रहें है, चलते रहेंगे ।।

रखतें है हम जान, हथेली पर .......
है देश के लिए मरना,........
वो करलें चाहे कुछ ......अब हमें नहीं डरना
अब हमें नहीं डरना ।।
हम कौन ....अरे आप और हम ...आम आदमी
....नागेन्द्र शुक्ल ....thanks सुनील तेलंग



मनीष जी और कुमार विस्वाश जी को डराने - धमकाने की कोशिश
हम नहीं डरने वाले  - इनका ये कृत्य ....इस बात को पुख्ता करता है ...की ये हमसे डर रहें है ....इनके नीचे से जमीन खिसक रही है ...ये डर रहें है ...हमसे, अरविन्द जी की सच्चाई से,..........
सबसे ज्यादा अपने बुरे कर्मों से,......
इस तरह के प्रयास - घटनाएँ हमें और बल देती है .....
हम जनता है.....पर भूल गए एक कहानी हैं||
की ....कबूतर... ले उडे थे....शिकारी का जाल...
बस भरी थी हुंकार.....और ....किया था .....एक साथ....प्रयास ||
आओ मिल जाएँ....भरें हुंकार...करैं प्रयास ...भगाएं....भ्रस्टाचार ||
इस महायज्ञ में ...देनी है...आहुति..और करना है ....सतत प्रयास ||
जागते रहो....... जगाते  रहो |
कदम कदम....बढ़ाते रहो ||
..........अरविन्द जी हम साथ है || (vote to Arvind Ji......Support to both Anna & Arvind Ji)

Saturday, November 10, 2012

इस बार कुछ मांगेंगे भी ... और वो है .....अरविन्द जी के लिए समर्थन ....है ना ...मांगेंगे ना ?

दोस्तों कल ट्रेन के जनरल टिकट पर सफ़र करना पड़ा (हाँ रिजर्वेशन करना भूल गया था फिर मिला नहीं), जनरल बोगी मे बहुत - बहुत भीड़ थी,  बैठने की तो बात दूर रही खड़े होने की भी जगह कम थी, पर इस मुस्किल हालत मे भी एक अच्छी बात हुई...
बोगी में बहुत सारी सवारी थी लोगों से बहुत सारी बातें हुई....एक बात जो शेयर करनी थी वो ये की ...दो सवारियाँ नूर आलम और राधेश्याम ..जो की एक ही गाँव के हैं और दिल्ली मैं एक ही जगह काम करते हैं...ने बातों में बड़ी सही बात कही की .....उनको कुछ पता ही नही चलता जबकि वो दिल्ली मे हैं तो गाँव - गाँव मे लोगों को कैसे पता चलेगा की अरविंद जी क्या कह रहें है...क्या कर रहें है ......क्या और क्योँ करना चाहते हैं ....
सवाल वाजिब था ....थोड़ा सोचकर मैं बोला की पता चलेगा,... सबको पता चलेगा - हर गाँव मे पता चलेगा हर इंशान को पता चलेगा ....और सब प्रयास करेंगे...और ये होगा ज़रूर......वो बोले कैसे ?
मैने कहा की ....भाई ये बताओ की देश मैं कौन लोग रहतें है .....
या तो मेरे दोस्त, रिश्तेदार या फिर तुम्हारे - और है क्या देश की जनता ....आप ही बताओ इसके आलवा कोई है क्या?...नही है ना ....
फिर परेशानी की बात क्या है .....हो गया काम
जब भी मैं अपने दोस्तों से मिलूँगा, रिश्तेदारों से मिलूँगा ...उनसे बात करूँगा उनको समझाउँगा...
जब आप मिलना ....आप समझाना ......
बस हो गया काम....हो गया की नही......दोस्तों
 त्योहारों में हम अपने दोस्तों से मिलते है रिश्तेदारों से मिलतें है ....एक दूसरे को शुभकामनाये / मुबारकबाद देतें है ......इस बार भी देंगें ....पर इस बार कुछ मांगेंगे भी ...
और वो है .....अरविन्द जी के लिए समर्थन ....है ना ...मांगेंगे ना ?
जब हम यह करने लगेंगे तो देश मैं कोई अनजान नहीं बचेगा और काम हो जायेगा ......
एक बात और जो मुझे लगती है की जब भी हम किसी रिक्शे में, ट्रेन में , बस में ...या कहीं भी जहां लोग हों ......हम उनसे बात कर सकते हैं ......
उनसे अरविन्द जी के बारे में पूछ सकतें है .......मुझे लगता है की पूछना फिर उनकी बात को सुन कर उत्तर देना ...ज्यादा असरदार होगा .....पर आप समझदार है ....
हमें पता है ...की एक नहीं हज़ार रास्ते निकल लेंगे .....इस देश से भ्रस्टाचार को मिटने के लिए .....अरविन्द जी को PM  बनाने के लिए ......
काम कोई मुश्किल नहीं ....आसान है ...अगर हम करना चाहें .......कोई काम होगा कैसे नहीं ....बस हम करना चाहें।।
हम ...हम कौन .....हम और आप ....आम आदमी ...
......नागेन्द्र शुक्ल .....शुभ दीपावली ।।
दोस्तों मेरा विनम्र निवेदन है की जब भी जहां भी मौका मिले लोगों से बात करें .....और बताएं ....हम जीतेंगे ...हमें जितना ही होगा,.....हम सब प्रयास करेंगे,....करेंगे ना ?

Thursday, November 8, 2012

कैसी दिवाली ....कौन सा बाल दिवस ....हमारे लिए ...तो सब एक जैसा है .....65 साल गुजर गए .....और स्थिति ...बद से बदत्तर ....कैसा लोकतंत्र

त्यौहार का उल्लास आज इस पॉश इलाके में नज़र आ रहा है, इसके पीछे की बस्ती में एक छोटा बच्चा यह सोच रहा है - कि
क्या बंगलो की सजावट का मतलब ही दिवाली होता है ?
अपने पिता से पूछता है कि हमारे घर में बिजली की झालरे क्यों नहीं लग सकती?
 - पिता क्या समझाए लेकिन कोशिश करता है कहता है
"बेटा यह दिल्ली है यहाँ बिजली चोर नेता या उनके चमचे ....या रिश्तेदार ...या फिर टैक्स चोर व्यापारी या घूसखोर अफसर ही
बिजली की झालर लगा सकते है - आम आदमी केवल देखने के लिए है ।
फिर लड़का एक सवाल और दाग देता है - पापा यह आम आदमी क्या होता है ?
 पिता झल्ला के जवाब देता है की आम आदमी
" वो व्यक्ति या आदमी जिसके ऊपर सारे सरकारी नियम लागू होते है,......जो सिर्फ आरोप लगने तक से घबराता है ...जो बिना जांच के दोषी करार दिया जाता है ....जो वोट देने जाता ...जो खता कम ...खाने के बारे मैं सोंचता ज्यादा है ....जो देश को बनता है ....दिन रात काम करता है ....फिर भी कुछ नहीं पता है "
बच्चे को समझ में नहीं आता .....और गुस्साते हुए बोलता है ...समझ गया ...जो त्यौहार के नाम से दर जाता है ...और चिल्लाता है ...वही  आम आदमी होता है,.....

शायद वो हमारे कुटिल लोकतंत्र पर हँस रहा था,......अपने पिता या आम आदमी पर नहीं  - बच्चे सब जानते है, बचपन से ही समझ जाते हैं ....की सरकार क्या करती है ....
अभी आ रहा 14 November ....होगा चाचा जी का Happy Birth Day .....छापेगा अखबार पर ....बच्चों से बहुत ...प्यार करते थे .....
बस सुना ही है ...क्या पता ....कितना सच ...कितना झूठ ....
क्या आपको को पता है .....
हमें तो नहीं .....
हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ......आम आदमी के विचारों पर आधारित ....Thanks

Wednesday, November 7, 2012

सबको साथ आना पड़ेगा .....बिना यह सोंचे की हमारी जाति, धर्म ..भाषा,....क्षेत्र क्या है हमें क्या मिलेगा.....

दोस्तों हम सब व्यवस्था से परेशान है ...उसको बदलना चाहतें है .......और यह बदलेगी भी ....क्योंकि आपने प्रयास प्रारंभ भी कर दिए है ...और उसके अच्छे परिणाम भी दिखने सुरु हो गए है
परन्तु सिर्फ इतने प्रयास से हम .....व्यवस्था की गन्दगी दिखा सकतें है .....उसे जड़ से मिटा नहीं सकते ...
मिटाने के लिए और ताकत लगनी पड़ेगी ....सबको साथ आना पड़ेगा .....बिना यह सोंचे की हमारी  जाति, धर्म ..भाषा,....क्षेत्र क्या है   
हमें क्या मिलेगा.....
आखिर में सब हमारे द्वारा .....और हमारे लिए ही है ......अंतर यहीं पर आता है
यह भ्रस्टाचारी ....हमें हमारा त्वरित सस्वार्थ दिखातें है .....हमसे सच छुपाते है,....
लालच देतें है ...और हम फंस जातें हैं ....फिर बदल - बदल कर फंसते रहतें है ...
कभी ये  फंसतें  है ...कभी वो .....
पर अब हम नहीं फसेंगे ....क्यूंकि हमें याद आ गई है
एक कहानी हैं||
की ....कबूतर... ले उडे थे....शिकारी का जाल...
बस भरी थी हुंकार.....और ....किया था .....
एक साथ....प्रयास ||

आओ मिल जाएँ......भरें हुंकार......
करैं प्रयास ....भगाएं.....भ्रस्टाचार |||
इस महायज्ञ में ......देनी है...आहुति....
और करना है .....सतत प्रयास ||

जागते रहो.......जागते रहो |
कदम कदम....बढ़ाते रहो ||
..........अरविन्द जी हम साथ है ||

26 नवम्बर को हम आयेंगे .....और अपने साथी ...रिश्तेदारों को भी लायेंगे .....

हम आयेंगे अपने मन से ....अपने धन से .....

हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ......

Tuesday, November 6, 2012

Arvind Ji is leading by example ..... हमें ......हमारा नेता मिल गया है ......

दोस्तों, आज मैं आप से क्षमा मांगना चाहता हूँ क्योँ ?....क्यूंकि पिछले  कई वर्षों से मैं एक शब्द "नेता " का प्रयौग एक ....अपशब्द की जगह करता आया हूँ.....माफ़ी तो मांगता हूँ पर मैं करता भी क्या ....जब भी मैं जिधर भी किसी नेता के बारे मैं सोंचता था ...तो वाकई मैं मुझे ये शब्द कुछ कुख्यात ही लगता था ...
इसका कारण साफ़ था,.......... कोई ऐसा था ही नहीं (कुछ को छोड़ कर)......जो इस शब्द की ....गरिमा को भाता हो,........
इन सभी ने बार बार ....लगातार इस शब्द की गरिमा को धूमिल किया ....और इस स्तर पर पहुंचा दिया ...की मैं इसको अपशब्द की तरह प्रयोग करने को मजबूर हो गया ।।

परन्तु था तो ये गलत ही ना ....अब ये आज के लालची भ्रस्ताचारी लोग अगर MLA /MP बन जाएँ ....और ऊपर से इतना घमंड ...इतनी क्रूरता ...इतना धोखा ....इतना अविश्वास .....मैं करता भी तो क्या?

जब मैंने पढ़ा था की नेता क्या होता है ...तब उदाहण थे महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस , भगत सिंह , लालबहादुर शास्त्री, सरदार पटेल ....और भी बहुत - बहुत सारे ......
मैं इनको और जिनको यहों लिख नहीं पाया उन सभी को नमन करता हूँ ......और इस शब्द के दुरूपयोग के लिए क्षमा मांगता हूँ

परन्तु जब होश सम्हाला ...कुछ समझ आने लगा तो पाया की ...नेता ...
नेता तो सोनिया जी को , गडकरी जी को, लालू जी को, मुलायम जी को, माया जी को , शीला जो को .......और पता नहीं किन किन को कहतें है ......
हाँ दो और हुड्डा जी और उनके मित्र कांडा जी को कैसे भूल सकते है।।

तब मुझे ...ऐसा लगा की जो पढ़ा था .....और जो सामने है ...दोनों मे जमीन - आसमान का अंतर है ....या यूं  कहें की ...एक दम विरोधी है ....
तो मेरे जैसे साधारण समझ के व्यक्ति के लिए लाज़मी था ..........की नेता शब्द के मायने ....एक अपशब्द के सिवा कुछ नहीं .....

पर कहते है ना ....की संसार मैं समय एक जैसा नहीं रहता ......ये एक चक्र की तरह घूमता है .....और देखो ...
आज फिर से लग रहा है ...की जो पढ़ा था वो सिर्फ किताबी बातें नहीं थीं .....हकीकत मैं भी नेता ...हाँ नेता महान होता है .....

अब यहाँ मैं अरविन्द जी ....को धन्यवाद दूंगा ....की उन्होंने ..इस शब्द के मायने बदलने से बचा लिए,........
आज मैं गर्व से बोलता हूँ .....और ये स्वीकार करता हूँ की हाँ ......
अरविन्द जी ...हमारे नेता हैं ....और वो ही नेता हैं ......

अरे दोस्तों ...नेता का काम होता है ....जनता मैं विस्वास जगाना .....नैतिकता देना ......कर्म करना ....उन्नति के लिए प्रयास करना ......और सबसे बड़ी बात की
जो बोले ...वो बोलने से पाहिले चरित्र मैं ......ढ़ाल कर दिखाए .....
जिससे हम जैसे आम आदमी .....आसानी से समझ सकें की ....क्या और कैसे करना चाहिए .......
क्या करने से देश का विकास होगा ......नैतिकता का विकास होगा .....आम आदमी का उत्थान होगा .....

ऐसी उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी .....अभी तक किसी से ......
पर हाँ ....आज है हमारे पास भी एक नेता है ......जिसका नाम है अरविन्द जी ......
बांकियौं ने तो ....नेता को गुंडा,.....दलाल ....क्रूर ....और भी बहुत कुछ ...(छोड़ो कौन मूड ख़राब करे इनके बारे मैं सोंच कर ).....बना दिया था ....

आज हमने अपना नेता पा लिया ......या यूँ  कहें ....अरविन्द जी को अपना नेता मान लिया .....
अरे दोस्तों, नेता कोई MP / MLA  या कोई business man या फिर किसी नेता का बेटा  या रिश्तेदार भी नहीं होता .....

नेता तो एक आम आदमी होता है ....एक संत होता है ....एक फ़कीर होता है ......जो जनता की भलाई सोचता है ...और करता है .....
नेता वो नहीं ....जो नेता पैदा होता है ......
नेता वो जिसको ....जनता ...आम आदमी ...अपना नेता मानती है ....
हाँ और आज हम अरविन्द जी को अपना नेता मानतें हैं ......

नेता कोई पार्टी नहीं ....कोई घराना नहीं ...कोई पोस्ट नहीं ......बनाती  .....
नेता ...नेता तो जनता बनाती है .....आम आदमी बनता है .......हम बनातें है ....आप बनाते हो .......
फिर ये गलत लोग नेता कैसे बन जाते हैं ......क्या कारन है ?

मुझे यहाँ पर Chicken – egg problem लगती है .......
कोई कहता है की जनता जैसी होती है .......नेता भी वैसा होता है .....
कोई कहता है की ....नेता जैसा होता है ....जनता वैसी बन जाती है .....

ख़ैर कुछ भी हो .......अब लगता है की ये Deadlock ख़तम हो गया है ....
यह  Chicken – egg problem जनता और नेता के मामले मे हल हो गयी ......

हमें हमारा नेता मिल गया .....अब हमें उनके काबिल बनना  है ....उनके बताये ...दिखाए रस्ते पर चलना है ......
क्योँ ?.......क्यूंकि ...ये (अरविन्द जी ) सिर्फ ज्ञान बांटते नहीं है ...................उस पर अमल भी करते है ......
ये कहने से पाहिले ...उसको test करते हैं ....check करतें है .......और यधि संभव होता है ...तो ही बोलते है ..............

हाँ आज मैं गर्व से कहा सकता हूँ की 21वीं  सदी मैं ....मेरे देश को .....
मेरे देश की जनता को  ......हर आम आदमी को ......अब नेता ...नेता मिल गया है ......अरविन्द मिल गए हैं .......
अब हम भी सुधरेंगे .......ताकि कोई भी गुंडा भ्रताचारी .....अपने आप को हमारा नेता कहने की हिम्मत न जुटा  सके ........
उसको पता होना चाहिए ....की नेता की क्या जिम्मेवारी हैं .......क्या दर्शन है .....

अंतिम मैं .....हम जनता है ...और ये हमारी जिम्मेवारी हैं ........की हम अपने नेता को ...समय समय पर बताते रहें की कब वो सही है ....और कब गलत .....ताकि कोई निरंकुश न बने .......अत्याचारी न बने .....
हम अपनी जिम्मेवारी हैं ....से भाग नहीं सकते ........और यह नयी सुरुवात करने के लिए .....
अभी  हमें ......हमारा नेता मिल गया है ......
और वो हैं ............अरविन्द जी ......
हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ......