Sunday, December 30, 2012

कुछ दर्द ऐसे होते है ......जिनका निकलना ठीक नहीं होता ...

कब से सुनाने में लगें है .....काफी सारे ज्ञानी ...बताने में लगें है ...की यह सामाजिक गड़बड़ है .....और समाज को सुधरने की जरुरत है ....इसमे कोई दो राय नहीं,... बात सही है ....
पर सिर्फ इन तर्कों के सहारे ....राजनीतिक अकर्मन्यता को छिपाया नहीं जा सकता .....समाज ....समाज होता क्या है ...कौन बनाता है इस समाज को .....कौन है जो इस समाज का ...दिशा देता है ....
सुना था की वो नेता .......और साहित्य होता है ....जो देता है ...दिशा ....समाज को ....
यह भी सुना था की "जैसा राजा ...वैसी प्रजा"......क्या गलत है?... यह सब ....

अब आज का साहित्य तो फ़िल्में है ....और मीडिया ...और इन दोनों के ऊपर ...नेता हावी ....और नेता के ऊपर ..व्यापारी....व्यवसायी .....और व्यवसायी वो ....जो सिर्फ अपने ....फायदे के लिए ..काम करता है .....
कब जन कल्याण की सोंचता है .....कैसे सुधरेगा ...समाज ...
बिना राजनीतिक ...इच्छाशक्ति के ......बस देख रहा हूँ ...होते लीपा पोती ....की बस टल जाये ....किसी तरह निकल जाये ...गुस्सा इस जनता का ....
कुछ दर्द ऐसे होते है ......जिनका निकलना ठीक नहीं होता ......जिनको पलना ही कल्याणकारी होता है .....

वैसे सोंचने की बात यह है की ...कल रात को दिल्ली में ....फिर एक बस में ...छेड़छाड़ की घटना हुई ....हाँ फर्क इतना पड़ा की ...पुलिस ने आरोपी कंडक्टर को गिरफ्तार किया .....बाद में छोड़ भी दिया .....
ये परिणति ...नहीं हो सकती .....जनता के गुस्से की ......बहन दामिनी की ...शहादत की .......नागेन्द्र शुक्ल
वैसे दुखद ..यह है ..की दामिनी क अंतिम संस्कार भी कर दिया चोरी छुपे .......अरे ...यही सरकार ...यही व्यवस्था ......देती है मौका ....श्रधांजलि देना का .....एक नेता को ....बनती है स्मारक .....उनकी नहीं ....उनके contribution की याद में ......मुझे नहीं लगता ...की मैंने अपने अभी तक के जीवन में देखा है ...इससे बड़ा किसी का बलिदान ..समाज के लिए ....हमारे लिए ....और बेहद असरदार ....जाग गएँ हैं .....हम और तुम ...

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