Saturday, March 29, 2014

एक बार एक हिटलर था:-

एक बार एक हिटलर था:-
1) हिटलर ने शादी नहीं की थी

2) हिटलर पक्का राष्ट्रवादी था

3) हिटलर एक धर्म विशेष के लोगों को देश का दुश्मन मानता था तथा उसने उनको सबक सिखाया था

4) हिटलर कम्युनिस्टों को विदेशी एजेंट कहता था

5) हिटलर के समर्थकों को उसकी आलोचना बर्दाश्त नहीं होती थी

6) हिटलर एक अखंड बड़ा जर्मनी बनाना चाहता था

7) हिटलर ने बचपन में पेंट करने का और रंग बेचने का काम किया था

8) हिटलर नाज़ी पार्टी में साधारण सदस्य के तौर पर भर्ती हुआ था और फिर सारा कम्पटीशन ख़त्म करके पार्टी का सर्वमान्य नेता बन गया था

9) हिटलर कविता लिखने की कोशिश करता था

10) हिटलर अपने पडोसी देशों को जर्मनी का दुश्मन कहता था

11) तमाम प्रचार के साधन, अख़बार , पत्र-पत्रिकाएँ हिटलर के प्रचार में लगे थे

12) हिटलर ने तमाम मजदूर आन्दोलनों को कुचल दिया था

13) हिटलर अपने विरोधियों को देशद्रोही कहता था

14) हिटलर ये प्रचार करके सत्ता में आया था कि वो देश की सभी समस्याओं को चुटकी में ख़त्म कर देगा

15) हिटलर सत्ता में आने के बाद समस्याओं को तो ख़त्म नहीं कर पाया, लेकिन उसने जर्मनी को जरूर बर्बाद कर
दिया था

ये पोस्ट सिर्फ और सिर्फ हिटलर के बारे में है। हिटलर के अलावा इस पोस्ट से अगर किसी और का सम्बन्ध पाया जाता है तो इसका श्रेय केवल स्वयं की कल्पना को दें।

Monday, March 24, 2014

काँच की बरनी और दो कप चाय

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी
से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम
पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आतीहै ।
दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे
आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ...
उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल
टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने
की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ...
आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये h धीरे
- धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा
गये , फ़िर
से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ
... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना
शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर
हँसे ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ
.. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा .. सर ने टेबल के नीचे से
चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित
थोडी़ सी जगह में सोख ली गई ...
प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया –
इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....
टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र
, स्वास्थ्य और शौक हैं ,
छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और
रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..
अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की
गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं
भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...
ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ... यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे
पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये
अधिक समय नहीं रहेगा ... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है ।
अपने
बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ ,
घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ... टेबल टेनिस
गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है
... बाकी सब तो रेत है ..
छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे .. अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह
नहीं बताया
कि " चाय के दो कप " क्या हैं ? प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही
रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ...
इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन
अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिय

‘Zero’ is given by Indian,…I proud on that.



In a view, the calculation below looks okey. You may not find anything wrong.
But there are two principles in mathematics.
  1. Anything multiplied by 0 is zero. While
  2. Anything divided by 0 is undefined.
Undefined,…..means we can be sure about that. That could be anything. Hence puzzle below can be proved.

Now, remember, Who has given this most important number to the world,….Yes its India.
Indian does less,….but amazing.
‘Zero’ is given by Indian,…I proud on that.

Tuesday, March 18, 2014

- आम आदमी पार्टी की उपलब्धि -

- आम आदमी पार्टी की उपलब्धि -

पहली बार हम को पता चला कि मीडिया भी बिकाऊ होता है !

पहली बार हम को पता चला कि कांग्रेस और बीजेपी अदानी और
अम्बानी की दुकान है!i

पहली बार हम को पता चला कि कितने सारे क्रिमनल्स और
करप्ट्स सिस्टम में बैठे हैं !

पहली बार हम को पता चला कि हमारे वोट की अहमियत क्या है!

पहली बार हम को पता चला कि धर्म के इलावा भी मुद्दे हैं,जिस
पर अवाम एक जुट हो सकती है।

पहली बार हम को पता चला कि कोई शख्स सी.एम्.बन कर
महज़ 49 दिन में एक कानून के लिए कुर्सी छोड़ देता है!

पहली बार हम को पता चला कि 49 दिन में सी.एम्.बन कर इतने
काम कर दिए जो 49 साल सत्ता में भी रह कर नहीं कर सके !

पहली बार अवाम इकट्ठा है ,ईमानदार राजनीत के लिए!

पहली बार भारत जागा है!

यह है आप का इफ़ेक्ट !!

मेरा भारत महान ।।।।

हमारी एक माँ है ।।इसको गाँव के लोग भारत ।।पढ़े लिखे लोग इन्डिया और इसके दीवाने भारत माता कहते हैं । आज़ादी के बाद से ही इसके सीने पे इसके ही देखरेख करने वाले ठेकेदारों ने जख्म देने शुरू कर दिए ।।। लेकिन उन जख्मों को को जब सबने देखा और पूछा ये क्या है ।।हमने उन जख्मों का इलाज नहीं किया ।।बस उसके उपर एक धुली हुई सफ़ेद चादर डाल दी और बोला ।।ये देखो मेरा भारत महान ।।।।। समय बढ़ता गया और समय के साथ जख्म भी बढ़ता गया ।।।फिर उस जख्म से बदबू भी आनी शुरू हो गई ।।सबने पूछा ये क्या है ।।।हमने उस सफ़ेद चादर पर खुशबू बिखेर दी ।।बदबू आनी बंद हो गई ।।हमने फिर बोला ।।।देखो मेरा भारत महान ।।।। समय के साथ जख्म और बढ़ता गया ।।हमने जख्म का उपचार नहीं किया उल्टा और जख्म देते गए और सफ़ेद चादर से ढकते गए ।। अब हालात ये हैं की कोई भी सफ़ेद खुशबूदार कपडा उस जख्म को छुपाने में नाकाम हो रहा है ।।।जख्मों से सड़ांध आनी शुरू हो गई है ।। इस हाल के जिम्मेदार शायद हम सब हैं । चाहे हम राजनितिक हों या गैर राजनितिक ।।।हम सभी कहीं न कहीं अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं ।।।आज सभी पूछ रहे हैं ये जख्म और इतनी सड़ांध कहाँ से आ गई।।।।।। हो सकता है अभी भी कुछ लोग यही कहें ये तो कुछ नहीं है जी ।।।मेरा भारत महान ।।।।

पकड़ा गया रजत शर्मा का सफ़ेद झूठ और सफाई देने की नोटंकी ......

पकड़ा गया रजत शर्मा का सफ़ेद झूठ और सफाई देने की नोटंकी ......

इंडिया टीवी के सर्वेसर्वा रजत शर्मा 14 मार्च को प्रसारित 9 बजे के कार्यक्रम 'आज की बात' में अरविंद केजरीवाल के कई पेंच खोलने की कोशिश की। बुखार होने और बीमार होने का हवाला देते हुए रजत शर्मा ने पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करने के लिये 14 मार्च का कार्यक्रम एंकर किया। लेकिन कार्यक्रम के अंत में रजत शर्मा ने जो दावा किया था अब वो सारे दावे सवालों के घेरे में है। इस कार्यक्रम के अंत में रजत शर्मा ने अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को संबोधित करते हुए कहा कि "केजरीवाल जी, आपको पब्लिक लाइफ में आये हुये चार दिन हुये हैं। संघर्ष क्या होता है, ये आपको नहीं मालूम है। लेकिन अपनी बात कहने की आजादी के लिये मैंने इमरजेंसी के ज़माने में जेल काटी है। उस ज़माने में जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश था, आज़ाद अखबार निकालने के लिये पुलिस मुझे पकड़ के ले गई और मैंने मार खाई। दो दिन तक थाने में टार्चर सहा और अगर हिम्मत से सच कहने के लिये सौ बार और ज़ेल जाना पड़ेगा तो मैं तैयार हूं क्योंकि देश की जनता मेरे साथ है।" गौरतलब हो कि रजत शर्मा ने अपने कार्यक्रम में इस तरह के दावे किये हैं।

दरअसल 57 वर्षीय रजत शर्मा का जन्म 30 अप्रैल 1956 में हुआ था। इन्होने जिस इमरजेंसी के ज़माने में जेल काटने की बात कही है, उसकी हक़ीकत ये है कि रजत शर्मा ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत ही 1982 के आसपास की थी। आपातकाल 25 जून, 1975 को लगाया गया था और 21 मार्च 1977 तक लागू था। यहाँ गौर करने की बात ये है कि जिस वक़्त के बारे में रजत शर्मा एक स्वतंत्र अखबार निकालने की बात करते हैं उस वक़्त इनकी उम्र मात्र 19 साल की थी। अब यहाँ ज़रा सोचने वाली बात ये है कि अगर वो सिर्फ आंदोलन में जेल जाने की बात कहते तो एक बार उनकी बातों पर विश्वास किया भी जा सकता था। लेकिन 19 साल की उम्र में अखबार का मालिक, ये ज़रा अतिसंयोक्ति सी लग रही है क्यूंकि उन्होंने खुद अपने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि उनका पत्रकारिता कैरियर 1982 में शुरू हुआ है तो 1975 में वो अखबार के मालिक कैसे हो गए? रजत शर्मा के ही पुराने इंटरव्यू के अनुसार 1982 में पहली बार उन्होंने ऑनलुकर में अपना पहला लेख लिखा था।

गौरतलब हो कि 11 अप्रैल 2009 को बीबीसी को दिये एक साक्षात्कार के अंश में या विकिपीडिया पर इसकी सत्यता की जांच कर सकते हैं। उनका कहना था कि "पत्रकार बनने का कभी नहीं सोचा था। बस सोचा था कि एम कॉम के बाद बैंक में नौकरी करूँगा और घर का भार कम करूँगा। एम कॉम के रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहा था तभी मेरी मुलाक़ात जयनंदा ठाकुर से हुई। उन्हें रिसर्चर की ज़रूरत थी। उन्होंने इसके लिए मुझे चार सौ रुपये महीने देने का वादा किया। एक दिन मैंने उनसे कहा कि जितनी सूचनाएँ मैं देता हूँ, वो सब तो आप इस्तेमाल नहीं करते। क्या मैं इसे इस्तेमाल कर सकता हूँ? फिर मैंने एक लेख ऑनलुकर पत्रिका को भेजा और उन्होंने इसके लिए मुझे 600 रुपये दिए। ये बात जुलाई 1982 की होगी। ऑनलुकर के एडीटर डीएम सिल्वेरा ने मुझे पत्रिका में बतौर ट्रेनी का ऑफ़र दिया। इसे आप मेरी किस्मत ही कह सकते हैं। 1982 के आखिर में उन्होंने मुझे संवाददाता बना दिया, फिर 1984 में दिल्ली का ब्यूरो चीफ़।"

अब यहाँ ये रिसर्च का विषय है कि रजत शर्मा ने अपने पुराने इंटरव्यू में झूठ बोला था कि उनका पत्रकारिता कैरियर सन 1982 में शुरू हुआ था या फिर अब बोल रहे हैं कि वो 1975 में आपातकाल के दौरान उनके आज़ाद अखबार चलाने के लिए उन्हें जेल भेजा गया था। वैसे 'आप की अदालत' लगा कर मशहूर हुये रजत शर्मा अब 'आप' की अदालत के कटघरे में हैं। जाहिर है, केजरीवाल को झूठा बताने की कोशिश में रजत शर्मा ऐसी बात कह गये हैं, जिसे साबित करना उनके लिये मुश्किल होगा।

Wednesday, March 5, 2014

#AKinGujarat

गुजरात में पुलिस ने जो गिरफ्तार किया ,… वो उनकी गलती थी ,…या तानाशाही रवैया था
पर आप को भी दिल्ली में ,… बीजेपी दफ्तर के सामने इतनी जल्दी में प्रदर्शन भी नहीं करना चाहिए था ,…
जो मार पीट ,… लड़ाई झगड़ा हुआ ,… उससे स्वस्थ लोकतंत्र कभी नहीं आ सकता ,… और हमारी तो लड़ाई ही लोकतंत्र की है ,…

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#Raga अमेठी में घुसने नहीं देंगे ,.... #Namo गुजरात में ,… #Irfansolanki मेडिकल कॉलेज में घुस पीटेंगे ,....
लोकतंत्र है देश में ,.... #AKinGujarat
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देश के अन्य राज्यो की पुलिस को सीखना चाहिए,.... ट्रैफिक जैम ना हो,.... इसलिए गिरफ्तार किया जा सकता है ,…
कुछ तो सीखो गुजरात से ,… #AKinGujarat
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बीजेपी वाले आडवानी के घर के बाहर प्रदर्शन करे तो ठीक ।
बीजेपी वाले तरुण तेजपाल के केस में महिला संपादक के घर के बाहर प्रदर्शन करे , नेम प्लेट पर कालिख पोते तो ठीक ।
बीजेपी वाले राहुल गाँधी के घर के बाहर प्रदर्शन करे तो ठीक ।
बीजेपी वाले जयराम रमेश के घर के बाहर सू सू करके प्रदर्शन करे तो भी ठीक ।
लेकिन आम आदमी पार्टी बीजेपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करे तो इन बीजेपी वालो की फ#@% जाती है
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 सालो से ,.... सिंगापूर हॉंगकॉंग चीन की सड़के और इमारते ,....दिखा दिखा कर विकास गाथा गाने वालो को ,.... अगर #BJP ने रोका होता तो ,…
तो कल अरविन्द को ,.... #AAP को रोकने की जरुरत नहीं पड़ती ,....

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मोदी जी का इतिहास ही तानाशाही है ,.... और यही तानाशाही नुकसान पहुंचा रही है #BJP को ,…वर्ना इतना अच्छा #Congess और #Corruption विरोधी माहौल था ,.... फायदा बीजेपी आराम से उठा सकती थी ,....
पर बीजेपी की बदली हुई सोंच ,… कि वृंदावन में रहना है तो ,.... राधे राधे कहना है ,....
साफ़ दिखती है ,.... जब सड़क पर कोई काम की बात नहीं ,.... बस नमो नमो चिल्लाते है ,…
ये क्या है ,… हम चुनाव में ,… किसी विचारधारा को चुनते है ,… या व्यक्ति को ?....
हाँ व्यक्ति अगर अटल जी जैसा ,.... सहिष्णु हो तो सही पर ,....
सिर्फ हर हर मोदी ,… घर घर मोदी ,… है क्या ये ???
बताना क्या चाहते है मोदी और मोदी भक्त ???

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विषम परिस्थिति में उग्र होना ,… कमजोर और हतास की पहचान है ,.... उग्रता #BJP ने दिखाई ,… गुजरात से लेकर दिल्ली लखनऊ तक ,....
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मैं कुछ भी मानने को तैयार हूँ ,.... पर ये कतई नहीं की ,.... #AAP volunteers ने पहले ही बेवजह पत्थर चलाये होंगे ,....
क्योंकि याद आता है 26 नवम्बर 2013 ,… का जंतर मंतर ,.... जहाँ आप volunteers की भीड़ थी ,… और वहीँ कोने में कुछ भाजपाई ,.... माइक लगा केजरीवाल के लिए उल्टा सीधा चिल्ला रहे थे ,… पर किसी वालंटियर ने ,.... विरोध नहीं किया ,…
मैं इस बात से किसी भी हाल में सहमत नहीं की ,… क्रिया आपकी होगी ,… हाँ लोग आप से प्रतिक्रिया की भी उम्मीद नहीं करते ,… शायद इसलिए ,। उनको बुरा लग रहा होगा ,....

अब दिल्ली पुलिस को मौका मिला है ,… #AAP के खिलाफ ,....
इस देश में किसी को कोई दिक्कत नहीं AAP से ,… बस वो चुनाव ना लड़े ,…
हम कहते है AAP चुनाव नहीं लड़ेगी ,....
बस जनलोकपाल ,… स्वराज ,… RTR की बात करो ,.... फंडिंग की transparency,.... और दागी नेता को दूर रखने की कोशिश करे ,....
पर #BJP #Congress ये कर नहीं सकती ,.... तो चुनाव तो लड़ना पड़ेगा ,… चाहे लाठी चले या डंडे ,....

लोगो को ये समझना चाहिए ,.... कि ,… आप सिर्फ इस चुनाव के लिए नहीं है ,…
बल्कि आप ,.... देश में राजनीतिक सुधार के लिए है ,.... और बाँकी राजनीतिक पार्टीयो को सुधरने पर मजबूर करने के लिए है ,……

कम समय की वजह से शायद गलतियाँ हो रही होंगी ,.... पर गलतियों से सीख लड़ते रहना ही तो काम है ,.... आम आदमी का ,....

वैसे सड़क पर चलने वाले ,… कल के लाठी डंडे ,.... बंद कमरे में ,.... होने वाली राजनीतिक डीलिंग से लाख गुना बेहतर ,… और कम नुकसानदायक है ,.... नागेन्द्र 

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Tuesday, March 4, 2014

समझौता Express,.....#BJP

272 के चक्कर में "राष्ट्रवादी" जिस तेज़ी से रंग बदल रहे
है वो देखकर तो गिरगिट के फेफड़े भी फूलने लगे है।
योजना स्पष्ट थी कि पहले एक फर्जी किस्म
का "मंदिर" बनाओ फिर देश की जनता को एक
नकली "भगवान" उपलब्ध करवाओ और फिर इस
तथाकथित मंदिर और भगवान की आड़ में जो चाहे
कुकर्म करो चाहे जैसे घिनौने समझौते करो ।
समझौता 1. अटलजी को वेश्याखोर, शराबी और
अंग्रेजो का दलाल, संघ को "छोटी चड्डी,
छोटा दिमाग" और
सोनिया गाँधी को दुर्गा का अवतार बताने वाले
दो कौड़ी के सुब्रमण्यम स्वामी को भाजपा में जगह ।
समझौता 2. अवैध खनन मामले में जेल की हवा खा चुके
और भाजपा से बगावती तेवर में बदला लेने की मंशा से
एक साल अपनी पार्टी चला चुके
येदुरप्पा की वापसी ।
समझौता 3. अटलजी के गठबंधन में रहते हुए उनके
"गौहत्या विरोधी" बिल के विरुद्ध समर्थन
वापसी की धमकी देकर बिल पास न करने देने वाले
चंद्रबाबू नायडू से समर्थन ।
समझौता 4. एक हज़ार करोड़ रुपये के राशन घोटाले में
जेल की हवा खा चुके गेगांग अपांग की भाजपा में
एंट्री ।
समझौता 5. गुजरात दंगो को लेकर भाजपा से
पल्ला झाड लेने के बाद 10-12 सालों तक भाजपा और
मोदी को जी भरकर गालियाँ देने वाले पासवान से
समर्थन ।
ये सब तो शुरुआत है, आप "मोदी" भक्ति में रम जाइये
पीठ पीछे ऐसे गंदे और घिनौने समझौते होते रहेंगे 272 के
लिए । वैसे भी में आम आदमी की चुप्पी और
सहनशीलता का इस्तेमाल राजनीती में समर्थन के रूप में
किया जाता रहा है ।
क्षमा करें लेकिन इतने सारे तथ्य समझने के बाद
भी अगर किसी को भाजपा और मोदी से देशहित
की उम्मीद है तो आने वाले समय में वो भी देश
की होने वाली दुर्दशा का दोषी है, उसे भी गद्दार
की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए ........

Sunday, March 2, 2014

एअरपोर्ट कहाँ गया,,, फ्लाईओवर कहाँ गया ,, मेट्रो कहाँ गई ,,, का जवाब

एअरपोर्ट कहाँ गया,,, फ्लाईओवर कहाँ गया ,, मेट्रो कहाँ गई ,,, का जवाब
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खुशहाल देश का एक "विज्ञापन" ये भी ..
एक महिला पति से :- अजी, आप " सुबह सुबह " बैठे क्यों हो,… "सिलेंडर" खत्म हो गया है अलमारी से 200 रूपये ले लो और जल्दी से एक 'सिलेंडर'' ले आओ और हाँ जाते जाते,… 80रुपये का "लाईट का बिल" भी भरते आना ! वापसी में " स्कूटर " मे ,.... 30 रु का "एक लीटर" पेट्रॊल डलवाना ना भूलना
मेहमान आ रहे है 14 रुपये वाली 'दूध' की दो थैलीयां ले आना और हां साथ मे दस रुपये की 2 किलो ''प्याज'' भी लेते आना !

बेटा पिताजी से :- पापा; ये मॉं को क्या हुआ है ?
पिता मॉं को हिलाते हुए :- जागो भागवान जागो, तुम भी ना नींद मे कुछ भी बोलती रहती हो ? .....
मॉं आंखे खोलते हुए - उफ़ ये 'महंगाई ये 'भ्रष्टाचार ये घोटाले और वो भी सिर्फ़ 'पिछले दस सालों' मे । .....
#BJP #Congress लाखों करोड़ों के घोटालों का ज़वाब कौन देगा !!!!!

A Must watch Video
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