Thursday, December 27, 2012

पैर - उंगली या दो साल मेहनत?

मेरा दोस्त जिसके पैर की एक उंगली में एक दाना है ....जिसमे थोडा और लगातार दर्द रहता है .....चला गया एक एलोपैथी MBBS के पास दिखाने .....देखने सुनने के बाद MBBS ने बताया ....की भाई पैर काटना पड़ेगा .....वो निकला और
चला होम्योपैथी के चिकित्षक के पास ..पूंछा उन्होंने बताया की भाई ऊँगली कटवा के और मीठी दवा से भी काम चल सकता है, पूरी तरह से कभी ठीक नहीं होगा  .....फिर बाद में देखेंगे ....
अब परेशान दोस्त निकला रोड पर ......एक आयुर्वेद के जानकार का बोर्ड दिखा ..ये गए मिलने ....उन्होंने बताया की
भाई दो साल थोड़ी मेहनत ..थोडा नियम संयम ....थोड़ी कड़वी दवा ....तो ठीक हो जायेगा ....और पक्का ठीक जायगा।।

अब वो चला आया मेरे पास पूंछने ...किसके पास जाएँ ?...
मैंने कहा भाई अगर तुम अभी भी BJP के ही समर्थक हो तो ..उँगली कटवा लो .....और मीठी गोली खा लो ...और दर्द सहते रहो थोडा - थोडा ......
हाँ अगर AAP को support करते तो ....पूरा इलाज़ कवने की सोंचो ...अब पिछले 10 साल से झेल रहे हो .....2 साल मेहनत करके ....थोड़ी मुश्किल ही सही ....कडुवी दवा खा लो .....
क्या पता काम कर जाये ......इलाज़ पक्का हो जाये ...और ना हो तो 2/3 साल के बाद चाहे पैर कटवाना .....या उँगली .....ऑप्शन तो रहेंगे ही ....न होम्योपैथी कही जा रही है और ना एलोपैथी।

वो बोला पर भरोषा कैसे करें ? भरोषा .....कोई डिग्री नहीं .....कोई review नहीं

मैंने कहा ....एक बेहतरीन डॉक्टर भी ...कभी न कभी ...अपना पहला operation करता है ...तब भी वो नया होता है ...और बेहतरीन होता है  ...
उस वक्त उसकी ..नियत, उसकी मेहनत ...उसकी इमानदारी ....उसका समर्पण ही उसके साथ होता है ....और वहीँ से वो बेहतरीन होने की शुरुवात करता है ....
तो बस उसकी नियत चेक कर लेना ....और अपनी मेहनत के साथ ...उसको भी बताते रहना ...असर के बारे में ....ताकि वो दवा ...बदल सके ....मर्ज के साथ ......और मेहनत ....
वो तो तुमको ही करनी पड़ेगी .....उसका कोई इलाज़ नहीं मेरे पास ....नागेन्द्र शुक्ल

जी हाँ मेरा उद्देश्य यह बताना ही है ..की AAP को support करो ...अगर आपको अभी भी लगता है की .....बीजेपी कांग्रेस से थोड़ी बेहतर है ....और AAP नई और inexperience .....
और एक बात AAP आपकी पार्टी है ....जहां आप ही मालिक हो ....आप ही नेता हो ....जो भी करना है वो आपको ही करना है ....मुझे नहीं....किसी और को भी नहीं ....आप का काम करने का तरीका ही ऐसा है ....कैसे जुड़ के देखो ....ना समझ आये छोड़ देना ...क्या चला जायेगा ...एक बार सोंच के देखो ....नागेन्द्र शुक्ल

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