Wednesday, December 5, 2012

कुछ ऐसा हो सकता है हमारा लोकतंत्र ......

FDI in Retails, लोकसभा में पास ।। और पास होने की प्रक्रिया (process) ने छोड़े कुछ - गंभीर सवाल
1. इस तरह के मसले जिनका की सीधे जनता पर प्रभाव है ....हर वर्ग पर प्रभाव है - उसका फैसला कुछ लोग (हमारे चुने  हुए ही सही पर हैं ) ही लेते हैं, जिन्होंने मिल बैठ कर ...या  मिलबांट कर ले लिया हमारी तरफ से फैसला की हाँ भाई - सब ठीक है - दे दो क्लीन चिट और
चल गया हमको पता की ....हम क्या की चाहते थे ....हमें क्या मिलना चाहिए  - भाई लोकतंत्र है और सब काम ऐसे ही होता है ।।

हमारी मन्यता तो दूर की बात है ....हमारे कुछ सांसद भी जो की शायद व्यक्तिगत/वैचारिक  रूप से इसके पक्ष में होंगे ये विपक्ष में, कुछ की मर्जी होगी की वोट दें पर ....हाई कमान को तो shopping करनी है ...तो अब संसद से जाना ही पड़ेगा क्या कर सकतें है
हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि ---> हाँ इसी शब्द का प्रयौग करते है ...कुछ ताकतवर लोग जो हमारी किस्मत का .... हमारी जरूरतों का ....हमारे भविष्य का फैसला करते हैं
जनप्रतिनिधि मुंह नहीं खोल सकते - पार्टी हाई कमान के सामने ....क्योँ हाँ बोलना है ...क्योँ ना बोलना और क्योँ shopping करनी है ,....ये ऐसा नहीं कर सकते क्योँ ?

क्यूंकि ...इनको चुनाव लड़ने का टिकट ..है हाई कमान देता है ना की जनता ?
जब हमारे चुने  जनप्रतिनिधि अपना मुंह नहीं खोल सकते .....तो हम आम आदमी की क्या विसात ...की पूंछे ... जनप्रतिनिधि से ..की भाई उस दिन shopping करने क्योँ गए थे ?

हाँ आएगा 5 साल के बाद ...हमारा भी नंबर ....वोट देने का ..हम वोट देंगे ...और फिर ...हाई कमान किए चुने हुए ....टट्टू को ....बना देंगे ....जनप्रतिनिधि ....और ...बस हो गया ....कुछ ऐसे ही चल रहा है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ?

इसी वजह से ...अरविन्द जी ...कहना है की
- आप की पार्टी (AAP ) में ..कोई हाई कमान नहीं होगा
- आप (AAP ) की तरफ से ...चुनाव में कौन उतरेगा ...इसका फैसला भी आप करेंगे, जनता करेगी ... कोई हाई कमान नहीं
----अरे भाई, जब इनको चुनाव का टिकट ही हम देंगे ....तो जब हम इनसे कुछ पूंछेंगे ...तो इनको जवाब देना ही होगा .....
अगर ...नहीं देते ..करते है ...मनमानी ...तो फिर ? फिर क्या
अरविन्द जी कहते है ...होगा ना Right To Reject और लोकपाल ....
कुछ ऐसा हो सकता है हमारा लोकतंत्र ......बस जरुरत है
आपको समझने की ...और हाँ मेहनत से ...काम तो करना पड़ेगा ..क्यूंकि हमारे पास ...ये चुने हुए जनप्रतिनिधि तो है नहीं ....और मीडिया तो खुद एक विपक्ष है
क्यूंकि हम तो जनता है ।।
अब आप को ही करना पड़ेगा ......नागेन्द्र शुक्ल



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