Monday, December 24, 2012

कल को अगर माओवादी ...प्रदर्शन करेंगें ..तो क्या हम उनसे भी बात करेंगे....सुशील कुमार शिदे

हमारे गृह मंत्री का अजीबो गरीब बयान ....."कल को अगर माओवादी ...प्रदर्शन करेंगें ..तो क्या हम उनसे भी बात करेंगे ".....गृह मंत्री का प्रदर्शकारियों से मिलने से इनकार ...
श्रीमान सुशील कुमार शिदे जी .....मेरी समझ से इससे बड़ा भड़काऊ बयान ...पिछले एक सप्ताह में नहीं सुना ....आज जब हमारे देश की जनता को ...युवा को ..एक विस्वास चाहिए ....उन सभी लोगों से ...जिन्हें इन्होने ही ताकत दी है ....और आपका ऐसा जवाब ....शर्मनाक है ....घटिया है ....
हमें जरुरत है ...एक ठोस कदम की ....आपके ज्ञान की नहीं ....

हम देख चुके है ....संसद में अपका रोना धोना .....देख चुके है आपकी की सिसकियाँ ....और सुन चुके है ...की आप भी बेटियों के पिता है .....
अब इस तरह के बयान के बाद .....मैं ..मजबूर हूँ ..यह कहने के लिए ...की तुम सब ...ढोंगी हो ....धूर्त हो ....हम नउम्मीद है ..तुम सब से .....

जनता के द्वारा ...जनता के आन्दोलन ...शांतिप्रिय / अहिन्षक आन्दोलन ...को षडयंत्र करके ......हिंसक बनाना ....हिंसक करार देना .....दिखता है ....तुम्हारे संवेदनशीलता को .....वो बर्बर और अचानक ...पुलिस के द्वारा की गई ...पिटाई ....दुःख देती है ....
मान नहीं लग रहा किसी और काम मे ....महसूस कर रहा हूँ ...बेबस और घिरा हुआ ......
लोकपाल में जनता को धोखा .... फिर बाबा रामदेव के दिल्ली के अनशन में पिटाई और रात में सोते हुए लोगों पर ..फिर ....एक बार दिल्ली में लोकपाल को लेकर हुए आन्दोलन में आपकी ..संवेदनहीनता ......
और मजबूर करना आम आदमी को ....सीधे राजनीती में आने के लिए .....

आपके के मंत्री ...ये भ्रष्ट नेता ....खुद ही Set करते है rules of the game हाँ कुछ ऐसा ही बोल था आपके गैर कानून मंत्री सलमान खुर्सीद ने ....
ये सब शर्मनाक है ......कब था हमारे पास time ...अपने परिवार को पालने के लिए ही समय कम पड़ रहा है,....दो रोटी के इंतजाम मे ही गुजर जातें है 24 घंटे  ...और ऊपर से ...एक और जिम्मेवारी ....एक और लडाई .....

तुम बहुत चालाक हो ...आन्दोलन को मानोगे नहीं ...तुम्हें पता है ...की तुमने महंगाई और system को इस जगह पहुंचा दिया है की .....आम आदमी के पास टाइम ही नहीं बचा .....
यूवा ...को पढ़ना है ....समाज के लिए लड़ना है ....और भी बहुत कुछ ...और ...तुम मजबूर कर रहे हो ......हमें ....की हम सामने आये ....और लड़ें ....उस खेल में ....जिसके सारे rule तुम बनाते हो ....खेलते भी तुम हो .....और रेफरी भी तुम ही हो .....

पर अब बर्दास्त के बहार है .....अब में नहीं सोंच सकता कोई और रास्ता ......कूदना ही पड़ेगा ....और तुमसे लड़ना ही पड़ेगा .....हाँ एक चेतावनी जरुर देना चाहूँगा ...की तुम हमें ...सिर्फ परेशान कर सकते हो ....हरा नहीं सकते ....
बस हमको यह सोंचना है ....की हम खेलना चाहते है ....की नहीं .....

समझ नहीं आता रास्ता क्या है इसके सिवाय ....पता नहीं ....वो जो पक्षधर हैं ...अनसन के अभी भी ...जिनको लगता है ...की राजनीती कोई सही रास्ता नहीं है ...कहाँ है ....में बात करना चाहता हूँ ....पूँछना चाहता हूँ ...की बताओ ये होगा कैसे .....
क्या करें हम ....नागेन्द्र शुक्ल






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