Sunday, May 21, 2023

महान ज्ञानी ध्रुव राठी जी,....

 महान ज्ञानी ध्रुव राठी जी,....का जन्म 8 अक्टूबर 1994 को हरियाणा में एक हिंदू जाट परिवार में हुआ

मतलब ,... 

इसके पैदा होने से पहले ,.... कारसेवा आंदोलन हो चुका था ,... 

मुलायम गोली चलवा चुके थे ,... विवादित ढाँचा टूट चुका था ,... 


1990 - 91 - 92 के दंगे हो चुके थे ,... 

1993 का मुंबई बम काण्ड हो चुका था 

इनके पैदा होने से पहले  ही,..... !


जब ये जनाब 5 साल के हुए ,... मतलब 

जब चढ्ढी को बिना हाथ से पकडे चलने के लायक हुए और ABCD सीख रहे थे तब ,... 

देश में अटल जी की सरकार  चुकी थी ,... तकरीबन सब बढ़िया चल रहा था !!


फिर 2002 में जब गोधरा हुआ ,... तो तब ये साहेब थे ,... 

8 साल के ,... 

मतलब ,.. cat mat rat पढ़ रहे थे ,... दूध के दाँत टूटना चालू हुए थे !!

और रहते कहाँ थे ?? हरियाणा में ,... 

हरियाणा जहाँ वैसे भी शांति दूतों की संख्या देश में सबसे कम है ,... और जो हैं वो एक निश्चित इलाके में ,... 


फिर साहेब ,... चले गए जर्मनी बैचलर करने ,... मतलब 17 या 18 साल के ,... 

वहाँ से पढ़ाई की ,.. वहीँ रहे ,... 


फिर आया आम आदमीं पार्टी के बनने का दौर ,... 

जिसमे बहुत सारे ऐसे नवयूवक ,... जो बेरोजगार थे (Engineering के बाद) और इस लायक भी नहीं थे की नौकरी ढूंढ सके ,.. 

उनको आप ने तनखैया नौकर बना लिया थे ,... सोशल मीडिया में हवा बनाने के लिए ,... 

इनको उस वक्त आपने भी तनख्वाह पे ना रखा हो ,... 


खैर ,... 

2015 / 16  के आस पास एक दौर आया ,... जब सारे फर्जी इंजीनियरिंग वाले ,... 

या तो you tuber बनने लगे ,... या फिर standup कमेडियन ,... 

अब रोजी रोटी के लिए कुछ तो करना था ,... 

youtuber का धंधा चुन लिया !!


अब उस वक्त ,... जिसका राजनीति में जरा भी इंटरेस्ट था ,... और youtuber था ,.. 

उसके पास दो रास्ते थे ज्यादा से ज्यादा फॉलोवर पाने के ,... 

एक ,... हर हर मोदी - घर घर मोदी ,... 

दुसरे ,... बाल नरेंद्र tails वाले ,... 


अब पहले रास्ते पर,.. उस वक्त बहुत भीड़ थी - tuff compition था ,... 

शायद इसलिए ,... जनाब ने दूसरा रास्ता चुन लिया ,... 


दूसरा रास्ता चुनते ही ,... कुछ (लेफ्टिस्ट / ज्ञानी / कथित सेक्युलर) गिद्धों की नजर पड़ी और ,... 

और ,... वो जर्मनी में रहने वाला ,... ध्रुव राठी ,... अन्धो की लकड़ी बन गया ,... 

youtube चैनल चल निकला ,... धन वर्षा होने लगी ,.. तो ,.. 

तो अब धंधे से कैसे धोखा करें - पापी पेट का सवाल है ,... काम बदस्तूर जारी है !!


वैसे ,.. 

ध्रुव राठी जी को हम कुछ महीने सपत्नीक ,.... कानपुर के चमनगंज या दिल्ली के जामिया नगर जैसे इलाके में एक महीने के प्रवास का प्रस्ताव देते है और उस प्रवास का पूरा खर्च हम उठा लेंगे !!


एक महीने बाद ,.. 

एक महीने बाद ,... अगर ध्रुव राठी को गूगल सर्च करने में ,... 

अलग तरह का data / stats ना मिलने लगे तो ,... 

तो अपना बांकी जीवन ,.. इनके लिए मुफ्त में excel बनाते रहेंगे !!


रही बात हमारी,.. तो हम उल्लू थे ,.. उल्लू हैं और हाँ ,... Rathee is a resident of Germany. In November 2021, Rathee married his long-time girlfriend Juli Lbr ,... दोनों के लिए राठी जी को congratulations !!

Sunday, January 31, 2021

कहाँ है लब आजाद किसी के ?

 ना तेरे ना मेरे - कहाँ है लब आजाद किसी के ?

हर काम में व्यापार जुड़ा ,... हर व्यवहार में है स्वार्थ जुड़ा ,... 

स्वार्थ क्या धन सिर्फ ?,... क्या स्वार्थ बड़े होने का नहीं ?

क्या स्वार्थ ज्ञानी दिखने का नहीं ??


मान लिया वर्तमान ही सच ,... पर इतिहास में क्या मिटटी डालें ?? और कब तक हम मिट्टी डालें ?

जो आज हुआ ,... होगा,... इतिहास वो कल ,.. 

कल फिर - बोलोगे ,... 

इतिहास को लेके रोना क्या ,... इतिहास को लेके लड़ना क्या ??


दोस्त मेरे ,... मिथ्या है ये ,... 

बता,... वर्तमान इतिहास से जुदा है कैसे ??

क्या मूल - फूल का साथ नहीं ? इस शूल में क्या बीज का होइ हाँथ नहीं ??


वर्तमान तेरा - इतिहास रचा ,... 

मत भूल तेरा इतिहास कभी,.... 


हर बार ,... एक नया घाव तू खायेगा ,...

पहले से गहरा ,.. पहले से पीड़ादायक ,...  

घाव - घाव का मर्ज बने ?? कौन सा ज्ञान बताये इसे सही ??

ज्ञानी बन,...  जो रिसते घाव को इतिहास बतायेगा,... 

खुद ही इतिहास बन जायेगा ,... 


जो जीतेगा ,... वो मिटा के नामो निशां तेरी कुर्बानी के ,... खुद को ,... सिकंदर बतायेगा ,... 


यदि है लब आजाद तेरे ,... 

तो बोल ,... तो बोल जंग कब शुरू हुई??,.... तो बोल जंग क्यों शुरू हुई ??

#NagShukl

Monday, January 25, 2021

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ,... "किसान आंदोलन पर मेरे विचार",...

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ,... "किसान आंदोलन पर मेरे विचार",... 

लेख थोड़ा लम्बा है - क्योंकि आंदोलन भी लम्बा हो चुका और सरकार - किसान की वार्ता भी भी लम्बी हो चुकी !!

जो देश कृषि प्रधान देश हो ,.... जिस देश में सीमा पे जवान - संसद में बैठा नेता - दफ्तर में बैठा अधिकारी,.... सभी किसान के बेटे होने का दावा करने में गर्व महसूस करते हों ,... उस देश में ,... 

उस देश में - ऐसा क्यों ?? की उस देश के गणतंत्र दिवस पर ही - किसानो को अपनी माँगो/बातों  के लिए सरकार को - दुनिया को समझाने के लिए राजधानी में परेड करनी पड़े ??

ऐसा क्यों ? 

वैसे हमारे देश में किसान - वास्तव में हम सभी के दिलों के करीब है बहुत करीब - हम सभी किसी ना किसी रूप से खेती किसानी से जुड़े रहे है और कुछ भी बन जाने के बाद भी ,... हम सब के दिल में एक दबी - छुपी इच्छा - अपने खेत - जमीन और किसानी की बनी ही रहती है ,... 

ऐसे देश में - भला कौन,.... किसानो के खिलाफ बोलने की हिमाकत करेगा ?

ऐसा कैसे ,... की कोई सरकार - कोई राजनीतिक पार्टी ,... किसानो की बात ना मानने पर अड़ जायें ??

इतनी हिम्मत - इतनी हिमाकत सरकार में - राजीनीतिक दल में कहाँ से आयी ??

इससे भी बड़ी जिज्ञासा का विषय ये है की ,... 

सर्दी के इस महीने में - जब किसान पिछले 2 महीने से,.... कुहरे - बारिश - सर्द हवाओं के बीच खुले आसमान के नीचे सड़को पर पड़ा हो ,... और ,... 

और बांकी देश सोता रहे ?? बाकी देश अपने ढर्रे पे चलता रहे है ?? ऐसा कैसे ??

जिस देश में किसान सभी की भावनाओं के करीब है - उस देश में ,...2 महीने का किसान आंदोलन - "जन-आंदोलन" क्यों नहीं बन पाया ??

अगर ये जन-आंदोलन नहीं बन पाया तो इसका एक ही कारण हो सकता है की,... 

की जनता का एक बड़ा हिस्सा - किसानो की मांग से सहमत नहीं या इन मांगो को व्यवहारिक नहीं मानता !!

चूँकि ,... ये हकीकत है की किसान सभी के दिलों के करीब है ,... इसलिए आम जनता ,... किसानों से सहमत ना होते हुए भी उनके खिलाफ या विरोध में नहीं है.

आम जनता की यही दुविधा ,... 

सरकार को,.... सम्बल दे रही है की वो भी किसानों की तरह अपने रुख पर अड़े रहे..... 

तो अब ,... तो अब ये तो समझ आ रहा है की ,... 

किसको - कहाँ से ताकत मिल रही है.

खैर ,...इस मामले में हमारी समझ क्या है ,... प्रस्तुत करने की हिम्मत जुटा रहे है ,.... 

मेरी समझ से किसानों की मांग ,... की MSP को हर जगह लागू करने पर बाध्य किया जाये ,.... 

मेरी समझ से "पूर्णतया अव्यवहारिक" है ,... 

और यही वो माँग है जहाँ पर सारा विमर्श टिका है। 

बेशक MSP की मांग से किसानो का सीधा हित है ,... परन्तु ये संभव नहीं यदि ऐसा हुआ तो किसानों का MSP उत्पाद बाजार में बिक ही नहीं पायेगा,.. क्योंकि ऐसे में खाद्य  सामग्री के दाम नियंत्रित रखने में ,... खाद्य प्रसंस्करण (Food processing) कंपनी अनाज के आयात पर जोर देंगी और सरकार ,... 

और सरकार ,... कितना खरीदेगी ?? 

वैसे आज भी कितना खरीद रही है ??

वैसे मेरी बुद्धि के हिसाब से ,.... 

इन बिलों के बाद ,... ये बिलकुल सत्य है की हरियाणा - पंजाब से भी मंडियाँ ठीक उप्र - बिहार की तरह से ख़त्म हो जायेंगी ,... फिर ,... 

फिर क्या हरियाणा - पंजाब का किसान भी ,... उप्र - बिहार - उड़ीसा - मप्र - छत्तीसगढ़ आदि ,... के किसानों की तरह गरीब हो जायेगा ??

शायद यही चिंता है हरियाणा - पंजाब के किसानों की ,... जो उन्हें इस आंदोलन के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही है,... 

इस मामले में मेरा विचार ये है की ,... 

साल - दो साल के बाद जब हरियाणा - पंजाब से मंडियां ख़त्म हो जायेंगी - तब ,... 

तब ,... 

हरियाणा - पंजाब के किसानों का ,... मोहभंग होगा गेंहूँ और चावल की खेती से ,...तब,..

और तब ,... ये किसान,.... हरियाणा पंजाब के किसान,... 

"जो धन संपन्न है - साधन संपन्न है ,... आयात निर्यात ,... रुपये - डॉलर आदि को अच्छे से समझते है",... 

मजबूरन गेंहूँ - चावल छोड़ ,... कुछ cash crops जैसे ,... स्ट्रॉबेरी, अवकार्डो, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न आदि-इत्यादि  जिनका निर्यात किया जा सके की तरफ ध्यान देंगे और ,.. 

मेरी समझ से ,... ऐसा करने में हरियाणा - पंजाब के किसानों को अप्रत्याशित सफलता मिलेगी और इनकी सफलता पर कोई संदेह इसलिए भी नहीं क्योंकि इनके पास वो सभी ज्ञान और साधन उपलब्ध है ,.. जो सफलता के लिए चाहिए,... 

ये निश्चित है की इनके हाल आज से बेहतर होंगे !!

दूसरी तरफ ,... जब इन किसानों का गेंहू - चावल से मोहभंग होगा,.. तब झारखंड - छतीशगढ - मप्र - उप्र - उड़ीसा आदि के किसानो को ,... गेंहू चावल पर - आज से बेहतर दाम मिलने की संभावना प्रबल होगी !!

और इस वजह से मुझे नहीं लगता MSP की माँग मानी जा सकती है ,... मेरी समझ से बिल्कुल भी नहीं !!

ये तो था इसका आर्थिक पहलू ,... अब राजनीतिक पहलू की बात करते है ,... 

किसान बिलों को वापस ना ले के ,... सरकार ,.. 

बेशक हरियाणा - पंजाब के किसानों का समर्थन खो देगी और निश्चित रूप से वहाँ की अपनी सीटें भी ,... लेकिन ,... 

लेकिन इसी की वजह से वो परोक्ष रूप से ही सही - बांकी कम से कम 10/12 राज्यों के किसानों की - हितैषी होने का दम्भ भरेगी 

और ऐसे हाल में ,.. उसे राजनीतिक नुकसान की जगह फायदा ही दिख रहा है तो ,... 

तो अब पक्का है की ,... सरकार बिल वापस लेने से रही - MSP तय करने से रही !!

अब अंत में ,.. बता दें ये सब लिखते समय जब हम देश के किसानों का विभाजन कर रहे थे ,... 

हरियाणा - पंजाब के किसान और बाँकी  देश के किसान ,... तब ,... 

तब यकीन मानो दोस्त ,... बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था ऐसा कोई विभाजन करने  पर ,... पर,... 

पर सच तो ये है की ,... 

MSP और मंडियों की खरीद पर ,... हमारे देश का किसान तो पहले से ही विभाजित था ,... 

और ये विभाजन - कब और किसने किया था ,... इसका हमें कोई पता नहीं !!

#NagShukl

Monday, November 30, 2020

किसान बिल - अच्छा है की बुरा ,...

किसान बिल - अच्छा है की बुरा ,... ये कहने की समझ नहीं है मुझमे पर ,... 

पर जो पता है,... वो ये,...की हमारे दादा / नाना एक कहावत कहते थे ,... 

"उत्तम खेती मध्यम बान,.... निषिद चाकरी भीख निदान"

इस कहावत के हिसाब से ,... खेती सर्वोत्तम थी और चाकरी (नौकरी) निम्नतम।

लेकिन अब विकास के साथ साथ ,... ये कहावत एकदम गलत सिद्ध हो रही है ,... आज की हकीकत यही है की,.. 

की खेती किसानी,... दिहाड़ी मजदूरी के सामने भी,.. कहीं नहीं टिकती। 

हमें अच्छे से याद है,... 

जब गेंहू का दाम पाँच/छह रुपये किलो था तब ,... तब गाँव में दिहाड़ी मजदूरी 40 - 50 रुपये थी 

अब ,... 

अब दिहाड़ी मजदूरी 500 के करीब तो ,... तो इस हिसाब से गेंहूँ की कीमत 50 - 60 होनी चाहिए थी ,... 

लेकिन आज गेंहू की कीमत क्या है ,... ये आप सबको पता है 

पता है की नहीं पता है ?? पता है ना ??

ना ना ,... वो कीमत नहीं - जिस पर आप खरीदते हो ,.... 

अरे दोस्त हम उस कीमत की बात कर रहे है जिस पर किसान को बेंचना पड़ता है। 

किसान के बेंचने की कीमत ,.... 

अलग अलग राज्यों में ,... बल्कि अलग अलग जिलों में - अलग अलग है ,... 

लेकिन एक बात जो सब जगह सही है वो ये की ,.... पूरे देश में कहीं भी गेंहूँ का दाम सरकार द्वारा तय MSP से ज्यादा नहीं है ,... 

MSP ,... MSP सिर्फ हरियाणा पंजाब के किसानो को ही मिल पाती है ,... हमने हमारे गाँव के आस पास तो कभी MSP या मंडी का नाम भी नहीं सुना था 

लेकिन ,... 

लेकिन सवाल MSP के मिलने ना मिलने का नहीं है ,... सवाल है खेती किसानी - किसानों के हालात सुधारने का ?? वो कैसे सुधरेंगे ??

हमारी पारम्परिक खेती के माध्यम से तो ये ,.... दिहाड़ी मजदूरी से भी बुरी तरह पिछड़ती है ,... 

हालत सुधारने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा ,... पर ,.. क्या वो कुछ ना कुछ इन "किसान बिलों" से संभव है ??

सरसरी नजर से देंखे तो शायद नहीं ,.. शायद क्या बिलकुल नहीं। 

पर ,... 

पर जिस तरह से दूध से मख्खन निकालने के लिए उसे बिलौना होता है उसी तरह से ,.... खेती से मख़्कन निकालने के लिए पारम्परिक तरीके को भी बिलौना पड़ेगा ,... 

बिलोते - बिलोते ,... कहीं ना कहीं मख्खन निकलेगा जरूर ,.... 

मेरा समर्थन किसान बिल को इस लिहाज से है की ,... 

की ये खेती को बिलोना है ,... और मेरा जो विरोध किसान बिलों से है वो ये की ,... 

इसमें ,... कोई न्यूनतम दाम की व्यवस्था नहीं ,... और बिना न्यूनतम दाम के ,... बड़े बड़े व्यवसाई /व्यापारी ,... किसानो का वही हाल करेंगे ,... जैसे ,.. 

जैसी आपके पास की आटा पीसने वाली चक्की की ,... पैकेट बंद आटे ने ,... 

जैसी टकटकाते टाइप राइटर की ,.... कंप्यूटर ने की ,... 

जैसी नोकिया के लोहालाट मोबाईल की ,... टच स्क्रीन मोबाईल ने की ,... 

खतरा तो है ,... पर खतरा किस बात का है ??

खतरा है भविष्य की अनिश्चितता का ,... परन्तु सच है की ,... ढर्रे पर चलती व्यवस्था भी खतरा ही है ,... 

तो ,... 

तो एक तरफ कुआँ है दूसरी तरफ खाई ,.... 

किसान बिल का समर्थन या विरोध करने से पहले ,... ये जरूर सोंचना ,... 

भविष्य में अनिश्चितता तो है - पर ढर्रे पर चलती व्यव्य्स्था का अंजाम सुनिश्चित है। 

अंत में साफ़ कर दें की ,.. किसान बिल को मेरा समर्थन तो है ,... लेकिन न्यूनतम खरीद दाम एक माँग भी। 

अंत में दादा जी की एक और कहावत सुना दें ,... 

"खेती उत्तम काज है,,... इहि सम और न होय,... 

खाबे कों सबकों मिलै,... खेती कीजे सोय॥"

खेती सर्वोत्तम कार्य है, इसके बराबर कुछ और नहीं,... यह सबको भोजन देती है किसी को (ना सिर्फ मनुष्य वरन पशु - पक्षी जीव जंतु) भूखा नहीं रहने देती,.. इसलिये खेती करनी चाहिये।

#NagShukl 




Friday, April 24, 2020

#परशुराम_जयंती

ब्राम्हण कोई जाति नहीं - एक कर्म है ,....
हमने देखा है दलितों में ,.... अनेक ब्राम्हण ,... और ब्राम्हणों (कुल आधारित) में अनेक दलितों को ,....
ब्राह्मण होने के लिए शिक्षा, दीक्षा और कठिन तप आवश्यक है,.... इसके बाद ही किसी को ब्राह्मण कहा जा सकता है !!
जिन लोगों ने ब्राह्मणत्व को अपने कठिन तप वा अथक प्रयासों से हासिल किया,..... उनके कुल में जन्मे लोग खुद को ब्राह्मण समझने लगे और समाज अपनी सुविधानुसार उनको मान्यता देने लगा !!
ब्राम्हणो की वो संतानें भी खुद को ब्राह्मण मानने लगी,... जिन्होंने न तो विद्या ली, न दीक्षा और न ही कोई तप किया,...
यहाँ तक की ,.... वो जनेऊ,....शिखा (चोटी) ,... गायत्री मन्त्र ,... संयमित जीवन से भी दूर रहे,... पर ,....
पर उन्होंने ,... और ब्राम्हण विरोधी समाज ने ,... ऐसे लोगो को ब्राम्हण होने की मान्यता दी !!
ऐसी मान्यता देने में ,... दोनों का स्वार्थ निहित था ,...
एक जिनको ब्रम्हाण होने का सम्मान मुफ्त में चाहिए था ,...
दूसरा जिसे ब्रम्हाण को हर हाल में ,... गाली दे अपनी कुंठा को मिटाना था !!
ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या :
जो ब्रह्म (ईश्वर) को छोड़कर किसी अन्य को नहीं पूजता,.... वह ब्राह्मण,..
जो पुरोहिताई करके अपनी जीविका चलाता है,.....वह ब्राह्मण नहीं, याचक है।
जो ज्योतिषी या नक्षत्र विद्या से अपनी जीविका चलाता है,..... वह ब्राह्मण नहीं, ज्योतिषी है
जो कथा बांचता है वह ब्राह्मण नहीं,.... कथा वाचक है।
इस तरह जो समाज को तात्कालिक परिस्थियों में दिशा दिखाने के सिवाय ,.... कुछ भी कर्म करता है वह ब्राह्मण नहीं,...
ब्राह्मण होने का अधिकार सभी चाहते है ,... ब्राह्मण होने का कर्तव्य पालन करने वाले विरले ही है
ब्राम्हण ,... वो है ,... जो सर्वशक्तिमान भी है और निरीह भी ,...
ब्राम्हण,... वो जिसके पास सब कुछ है ,.... पर अपने लिए कुछ भी नहीं !!
ब्राम्हणत्व के इसी मानक को स्थापित किया ,.... भगवान् परशुराम ने !!
आज के समय में ,... वो कोई भी जो अपने आप को ब्राम्हण कहने की सोंचता भी हो ,...
सुनिश्चित करे की ,.... वो कम से कम ,.. जनेऊ - शिखा - हनुमान चालीसा - गायत्री मन्त्र का पालन करता हो !!
#NagShukl #परशुराम_जयंती
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Sunday, March 24, 2019

एक दृश्य - जो आँखों से देखा ,....

एक दृश्य - जो आँखों से देखा ,....
इस बार - होली के अवसर में ,... हम बैंगलोर के एक ऐसे इलाके में थे ,... जहाँ बहुलता में मुस्लिम है !!,...
खैर इस इलाके में ,... कुछ - कुछ ,... ईसाई भी है ,...
परन्तु ,... चूँकि -
धर्म परिवर्तन कराने की दौड़ में ,.... इस्लाम - क्रिश्चियनिटी से जीत गया तो ,...
तो ये इलाका ,... मुस्लिम बहुल और ईसाई दुसरे नंबर के - निवासी है !!

खैर ,.... अब होली का दृश्य ,...
होली का दिन ,... दोपहर की नमाज का वक्त ,...
कुछ ,... बच्चे सड़क के एक चौराहे पर,....
"आते - जाते लोगो को ,....ये याद दिलाने के प्रयास में ,... की आज होली है",...
अर्थात ,.. कुछ उंगलियों पर गिने जाने वाली संख्या के - बाहरी बच्चे जो पढ़ने के लिए ,.. यहाँ बने PG में रहते है - होली खेल रहे थे !!
नमाज का वक्त ,.. पास रहने वाले ,...
सज्जाद - रफीक - अब्दुल भाई ,... बड़ी शान से ,... सफ़ेद ,...
सफ़ेद कुर्ते में ,... चौराहे से जब गुजरे तो ,..
तो अचानक ,... होली खेलते हाँथ रुक गए !!,... थोड़ी देर के लिए समय रुक गया ,....
जैसे ,.. शहंशाह की सवारी निकल रही है ,...
सड़क किनारे - अदब से खड़े रहो ,... क्योंकि रंग के कुछ छींटे - अगर ,.. शहंशाह के दामन पर पड़ गए तो ,...
तो ,..
शहंशाह का - मजहब खतरे में पड़ जायेगा !!,...
खैर ,..
सवारी अब गुजर चुकी थी ,... अब एक बार से - हांथो में बिजली की तेजी वापस आयी और ,...
ये क्या ,... छपाक से ,...
छपाक से ,.. एक गुब्बारा मेरी ,... सफ़ेद टी-शर्ट में गिरा ,...
इस गुब्बारे की ,.. मेरी सफ़ेद शर्ट में,.. फटने की हिम्मत शायद - इसलिये पड़ी - क्योंकि ,...
शर्ट तो सफ़ेद थी ,... पर सर पर टोपी नहीं थी !!
देश में - जब हम सब रंगो को मिला के रखने की बात करते है तो ,...
तो होली में ,... सफ़ेद जुदा क्यों रहना चाहता है ?? या गर सच कहें तो ,...
तो हमारे नेता ,..
हमारे नेता ,... होली में इस सफ़ेद को - जुदा क्यों रखना चाहते है ??
खैर ,...
गुब्बारे ने सज्जाद - रफीक और अब्दुल से दूरी बनाये रखी ,.. मगर ,..
मगर ,... रमजान - तौफीक - अहमद ,... ने खुद ही गुब्बारों के बीच जा - उन्हें अपने ऊपर फटने के लिए कहा ,...
तो ,.. तो शायद ,...
वो शहंशाह है ,.. जिनके सफ़ेद रंग को ,... होली के रंग से खतरा है ,.. पर ,..
पर,...
ये "रमजान - तौफीक - अहमद " अभी अभी हाल ही में ,.. इस शाही खानदान में शामिल किये या कराये गये - तो ,..
तो इनका मन ,.. मचल गया ,... होली के गुब्बारे को !!
कहानी नहीं - हकीकत है ,.. जो देखी - इस बार - होली के दिन !! #NagShukl

Thursday, November 22, 2018

जब मकान हमारे कच्चे थे,...रिश्ते सारे पक्के थे

दादी माँ बनाती थी.. रोटी !!
पहली.. गाय की ,
और आखरी.. कुत्ते की..!
हर सुबह.. नन्दी आ जाता था ,
दरवाज़े पर.. गुड़ की डली के लिए..!

कबूतर का.. चुग्गा ,
चीटियों.. का आटा..!
शनिवार, अमावस, पूर्णिमा का सीधा.. सरसों का तेल ,
गली में.. काली कुतिया के ब्याने पर.. चने गुड़ का प्रसाद..!
सब कुछ.. निकल आता था !
वो भी उस घर से..,
जिसमें.. भोग विलास के नाम पर.. एक टेबल फैन भी न था..!
आज..
सामान से.. भरे घरों में..
कुछ भी.. नहीं निकलता !
सिवाय लड़ने की.. कर्कश आवाजों के.!
....हमको आज भी याद है -
मकान चाहे.. कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे.. सच्चे थे..!!
चारपाई पर.. बैठते थे ,
दिल में प्रेम से.. रहते थे..!
सोफे और डबल बैड.. क्या आ गए ?
दूरियां हमारी.. बढा गए..!
छतों पर.. सब सोते थे !
बात बतंगड.. खूब होते थे..!
आंगन में.. वृक्ष थे ,
सांझे.. सबके सुख दुख थे..!
दरवाजा खुला रहता था ,
राही भी.. आ बैठता था...!
कौवे छत पर.. कांवते थे
मेहमान भी.. आते जाते थे...!
एक साइकिल ही.. पास था ,
फिर भी.. मेल जोल का वास था..!
रिश्ते.. सभी निभाते थे ,
रूठते थे , और मनाते थे...!
पैसा.. चाहे कम था ,
फिर भी..
माथे पे.. ना कोई गम था..!
मकान चाहे.. कच्चे थे ,
पर..रिश्ते सारे सच्चे थे..!!
अब शायद..सब कुछ पा लिया है !
पर..
लगता है कि.. बहुत कुछ गंवा दिया!!!