Saturday, December 1, 2012

मुर्गा अगर बांग नहीं देगा तो क्या सूरज नहीं निकलेगा,.... लोग नहीं जागेंगे ..ये मुर्गे की गलतफहमी है ....

वैसे तो मुर्गे की ये आदत होती है की वो रोज़ सुबह भोर के वक्त बांग देता है, और साधारण रूप से लोग सुबह उठ भी जाते हैं और भोर तो सूरज के निकलने के साथ ही होती है
परन्तु कुछ ऐसे मुर्गे भी होते है की उन्हें ये लगता है की जब वो बांग देंगे  ....
तभी सूरज निकलेगा और लोग भी जागेंगे ...अब मुर्गा है गलत फहमी हो जाती है ...
हाँ कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी नींद बांग सुनकर खुल जाती है ...तो सच भी है पर पूर्ण नहीं
सच सिर्फ उनके लिए जो जगाने से जी चुराते है जो ज्यादा से ज्यादा सोना चाहतें है ....
और फिर जब सूरज की चमक आँख पर पड़ती है तभी उनकी नींद खुलती है ...
सभी तरह के लोग है .....बहुत सारे लोग तो धुंध में भी सूरज को ढूंढ ही लेते है ....
और खुद ही  काम पर निकलते है ...दूसरों को भी जगा कर काम पर जाने को बोलते है ....सभी तरह के लोग है,...
पर इस पूरे कार्यक्रम में .....अगर किसी मुर्गे को गलत फहमी हो जाती है ...की वो बांग नहीं देगा ...
तो सूरज नहीं निकलेगा ...लोग नहीं जागेंगे ....तो ये उनकी सोंच है ....क्या कर सकतें है ...
पर सूरज तो निकलेगा ही .....लोग जागेंगे भी ....मुर्गा बांग दे या फिर न दे ...
कुछ भोर के लुटेरे होते हैं .....जो मुर्गे को किसी तरह चुप करा देते है .....और सोती हुई जनता को ....लूटते रहतें है
परन्तु आज तो स्थिति और भी विकट है .....भोर लुटेरे ....और मुर्गे में सांठ गाँठ हो गई है ....
कोइ नहीं ....पर आज मुझे
मीडिया कुछ मुर्गे सी, नेता भोर के लुटेरे से ....और आप (AAP - अरविन्द जी) सूरज से नज़र आ रहें है
जो जागेंगे ही ....औरों को जगायेंगे भी ........और भोर के लुटेरों को भगायेंगे भी ....
हाँ कुछ है ...जो आप के साथ आयेंगे ....पर चमक के साथ ....थोडा बाद में ....
तो इन बाद वालों को जल्दी लाने के लिए ...जो बिन मुर्गे के जागें हैं .....उनको धुंध हटानी होगी ...
सूरज को चमकाना होगा ....इसकी तपिस बढ़नी होगी .....ताकि कायर और काहिल भी जाग सके ....
अँधेरा है घनघोर, सत्ता मैं बैठे है चोर |
जनता कराह रही, पर कोई नहीं सुनाता शोर ||
लगा दो पूरा जोर, लाने को अब भोर |
सूरज एक उगाना होगा |।
इसकी तपिश को बढ़ाना होगा ।।
...नागेन्द्र शुक्ल



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