Wednesday, December 26, 2012

मेरे बाद, तुम खुद ...करना प्रयास ....

जुर्म का हम अम्बार लगाये बैठे हैँ
कागज़ पर कानून बनाये बैठे हैँ

बड़े बड़े जो मुजरिम हैँ इस मुल्क़ के वो
संसद मेँ दरबार लगाये बैठे हैँ

हमने तो बस अपना हक़ माँगा साहब
आप हैँ के हथियार उठाये बैठे हैँ

कौन बचाये लाज यहाँ माँ-बहनोँ की
गुन्डे जब सरकार बनाये बैठे हैँ

ख़ुद पर बीतेगी क्या तब चिल्लायेँगे
अब भी मुँह पर टेप लगाये बैठे हैँ

क़ुर्बानी का मौसम है ये जान के भी
लानत है हम जान बचाये बैठे हैँ

प्यार भरा देँगे समाज हम तोहफ़े मेँ
बच्चे ये उम्मीद लगाये बैठे हैँ
Israil khan

किस से करें..कोई आस
जलमग्न है ....हम तुम
....फिर भी बुझती नहीं प्यास ...
है नाव boat स्टीमर ...सब उपलब्ध ....
पर कौन सुनेगा ....निरीह तेरे शब्द ...

क्या झूंठी है कल की ....आस
हो रहा ...प्रलय का ...आभास
क्या कर कैसे - आस .....बचाऊँ,...
कैसे
तुम्हें सान्ध्य-तारा दिखलाऊँ!
कोई नहीं आस - पास ...
मेरे बाद, तुम खुद ...करना प्रयास ....नागेन्द्र शुक्ल

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