Thursday, December 13, 2012

फल कम हो चाहे हो ज्यादा, मिटती नहीं कृषकों की बाधा ! फल कम तो लाले पड़ जाएँ, ज्यादा से भी वे घबराएँ !


फल कम हो चाहे हो ज्यादा,  मिटती नहीं कृषकों की बाधा ! फल कम तो लाले पड़ जाएँ,  ज्यादा से भी वे घबराएँ !
सरकार के एक कैबिनेट मंत्री (बेनी प्रसाद वर्मा जी ) ....वैसे इनकी बात करना बेकार है क्यूंकि ये बिना पेंदी लोटे है ....फिर भी मंत्री है, और बोलते हैं ...तो सुनायी भी पड़ जाता है ....कल की ही तो बात है ..इन्होने अपनी राय  जाहिर की अफसल गुरु पर ...चलो छोड़ो ..पर इनकी बात याद आई की इन्होंने ही कहा था की "बढ़ती महंगाई से किसान खुशहाल होगा" अब इनकी सोंच पर और इनकी बात पर कोई comment करना जनता की तौहीन है ...इसलिए इनकी बात नहीं करते ...
पर मुझे किसानो से याद आया की उनकी परेशानियाँ बहुत ज्यादा है ....मैं सब के बारे में तो नहीं जनता पर एक दो जो मुझे अनुभव से और बात करके पता चलीं हैं ..वो है ...
1. बात थोड़ी पुरानी है की जब मेरे गाँव में ...मेरे दादा जी ने और भी बहुत सारे किसानो ने ....आलू की खेती की ....और जब आलू के खुदने का समय आया तो पता चला की ...एक बीघे आलू को खोदने में जो लागत आ रही है ...वो उपज से कहीं कम हैं ...तो मेरे गाँव के तो बहुत सरे किसानो ने बेहतर समझा था की ...इसको बिना खोदे ...ही इस खेत को जोत कर ..अगली फसल बो देतें है तो फायदे में रहेंगे ......क्या माहोल था उस साल मेरे गाँव में .....कैसे मनी थी हमारी होली ...मुझे याद है .....हालत यह की जो आलू खुद गयी थी और घर में पड़ी थी ....और रोज़ तेज़ी से सड रही थी ....हमारे परिवार के सारे लोगों का ज्यादातर समय ....सड़ी और बची आलू अलग करने में ही गुजरता था .....फिर एक ऐसा समय आया की .....स्थिति हाथ से बाहर हो गई ....गाँव में जिधर देखो बस सड़ी आलू का ढेर ....और होली के पहले खुशनुमा माहौल में ...सड़ी आलू की दुगंध ....में तो छोटा था ...समझ नहीं आत था की क्या परशानी है .....पर आज याद आया पूरा मंजर आँख के सामने .....और समझ भी ....
अब AC में बैठे ...ज्ञानी बोलेंगे की भाई cold store में क्योँ नहीं रख्खी .....तो बता दूं की ..दो कारन थे
1. रखने के लिए ..उनको खुदवाना, फिर बॊरे खरीदना , भरना ...और ट्रांसपोर्ट की लागत और cold store का किराया ...सब मिलकर ....घर में खाने को दाने भी नहीं छोड़ते ....हाँ एक और बात ...cold store कब खाली होते हैं .....किसान छोटे किसान का माल रखने के लिए ....वो तो booked थे ..उन व्यापारियों के आलू रखने के लिए ...जो गिद्ध की तरह ..औने पौने दाम में ...आधा माल सड़ने के बाद मन मर्जी से खरीदते थे ....
2. अगर एक आम किसान किसी तरह से cold store में रख भी दे ..तो समय आने पर पता चला की ....आलू सड गई है ...और अजब बहाने ....की आलू ही गीली रही होगी ....एक ऐसा साल भी याद है ..की दादा जी ने cold store में रख्खे ...और लेने जाना बेहतर नहीं समझा ..क्योंकि cold store का किराया ही ..माल से ज्यादा होता .....

पर मान गए आम आदमी को ...की रास्ते निकाल ही लेता है ...जिंदगी ...जीने के लिए ....याद है उस साल ....गाँव में तकरीबन सभी छोटे किसान और बड़े परिवार के लोगों ने .....आलू को सड़ने से बचने के लिए ....पहले उनको काट कर उबाला ....और फिर धुप में सुखाया .....और बस हो गया जुगाड़ साल भर की सब्जी का ..जब बनानी हो ...पानी में भिगो और बना लो ...थोड़ी कम अच्छी लगती थी ...पर खली पेट से भरा पेट हर हाल में बेहतर होता है .....
अब सरकार FDI ला कर ....किसानो की मदद करने का ख्वाब दिखा रही है ...पर समझ नहीं आता .......की कैसे बदलेगी ...जमीनी परेशानी .....

अभी कुछ महीने पहले एक न्यूज़ पढ़ी थी की हमारे देश के गेहूँ को खरीदने के बजाय ....जो बड़ी बड़ी floor mil है ....बंदरगाह के किनारे ....विदेशों से खरीद कर ..आटा बना कर .....बेच रही है ....और हमारे किसान की मेहनत ...खुले आसमान के नीचे सड़ रही है ....
मैं यह जानना ..चाहता हूँ ...की walmart ऐसा क्या करेगा की किसान की हालत सुधरेगी .....walmart से तो रही सही .....छोटे गृह उद्यौग भी ख़त्म होते दिख रहे है मुझे .....
शायद मुझे इतनी समझ नहीं ...की कैसे बदलेगा ये हमारे किसान की हालत ....कोई समझाने में मदद करो प्लीज ...नागेन्द्र शुक्ल


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