Tuesday, September 24, 2013

Dr. Kumar's Words

बाँट दिया इस जमीन को, चाँद सितारों का क्या होगा?
नदियों के कुछ नाम रख दिये , बहती धारों का क्या होगा?

शिव की गंगा भी पानी है, काबे ज़मज़म भी पानी है,
मुल्ला भी पिए पंडित भी पिए, पानी का मज़हब क्या होगा?

इन फिरकापरस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे?
एक हवा में साँस है सबकी, क्या हवा भी नयी लाओगे?

नस्लों का करे जो बटवारा रहबर वो कौम का ढोंगी है,
क्या खुदा ने मंदिर तोडा था? या राम ने मस्जिद तोड़ी है
++++Dr. Kumar's Words++++++++++++++


"दोनों ही पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ
हम गर्दनों के साथ हैं, वो आरियों के साथ"
'सच के रास्ते में कठिनाइयाँ आती हैं'- ये सुनने में जितना सरल लगता है, जीने में उतना ही कठिन। पिछले कुछ दिनों से मेरे खिलाफ चल रहे षड्यंत्र की अगली कड़ी में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा एक नया संपादित विडियो जारी किया गया है, जिसमे मुझे सिख समुदाय के बारे में बोलते हुए दिखाया गया है।
इसी षडयंत्र के अन्तर्गत पहले मुझे 'हिन्दू धर्म के खिलाफ' और उसके बाद 'इस्लाम के खिलाफ' बताने की कोशिश की गई। सबसे पहले मै पुनः माफ़ी मांगता हूँ, यदि मेरी बात से किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस पंहुची हो। यंहा पर मै यह भी कहना चाहता हूँ कि मै हर धर्म का बराबर सम्मान करता हूँ और किसी भी धर्म के प्रति मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है। ये वीडियो 8-10 वर्ष पुराने कवि-सम्मेलनों के हैं। यदि मैंने किसी कवि-सम्मलेन में पचास हज़ार की भीड़ के सामने कोई अनुचित बात कह दी होती, तो क्या मुझे उसी समय जनता की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना नहीं करना पड़ता? निश्चित है, कि कवि-सम्मलेन सुनने आई जनता में हर धर्म-मज़हब के लोग होंगे। यदि मैंने दुर्भावना से किसी धर्म के बारे में कोई आहत करने वाली बात कही होती, तो क्या उस समुदाय के लोगों ने वहीँ सवाल नहीं खड़े किये होते? क्यों इतने वर्षों बाद मेरे दोस्तों और मेरे प्रशंसकों को मेरे खिलाफ करने का प्रयास शुरू हो गया है? जो भी हो, मुझे इस बात से बल मिला है कि मेरे मित्र, प्रशंसक, और मुझे देखने-पढने-सुनने वाले आप सब ने पिछले विडियो दुष्प्रचार के दौरान भी सच्चाई को समझा और मेरे साथ रहे, एक दूसरे के साथ रहे, देश के साथ रहे और इनका षड्यंत्र कामयाब नहीं होने दिया।

रही इस षड्यंत्र और इसके पीछे लगे षड्यंत्रकारियों की बात, तो मै स्पष्ट कर दूँ कि मेरे खिलाफ चाहे कितने भी हमले सियासत की ओर से होते रहें, मै जिस काम में लगा हूँ और जो करने की ठानी है, उस रास्ते में किसी को भी रूकावट नहीं बनने दूंगा, क्यूंकि मै सच के साथ हूँ और मेरी लड़ाई जारी रहेगी।
सरकार और उसके सफेदपोशों की वंदना में गीत, और उनके भाषण लिखने वाले दर्ज़नों कवि अलग-अलग राज्यों में सरकारी सम्मान, पद और लाल-बत्ती तक के हकदार बने हुए हैं। मुझे नहीं बनना, क्योंकि "किसी का क़द बढ़ा देना, किसी के क़द को कम कहना// हमें आता नहीं ना-मोहतरम को मोहतरम कहना". जो सरकारें मिल कर आज़ादी के 67 वर्षों बाद भी देश के लोगों का भोजन-सुरक्षा-बिजली-पानी सुनिश्चित नहीं कर पाई, और अपने-अपने भण्डार भरने के लिए देश को ताक पर रख दिया, उनका यश-गान कैसे लिख दूं मैं? सरकारें और राजनेता कवियों को मुंह खोलने के बदले पुरस्कार, सम्मान और लाल-बत्ती देते हैं, मुझे मुंह बंद रखने के लिए इन सब की पेशकश की गई, और न मानने पर धमकियाँ मिलीं, और अब यह षड्यंत्र। आन्दोलन से जुड़ने से पहले भी, और उसके बाद भी मैंने कभी सरकारी कवि सम्मेलनों में शिरकत नहीं करनी चाही। मुझे अपने लिए किसी सरकारी सर्टिफ़िकेट की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मेरा संवाद सीधे आपसे है और मेरी हर लड़ाई के लिए इतना ही काफी है।
"सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे
शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दो कि औकात में रहे" -(राहत इन्दौरी)
http://www.youtube.com/watch?v=eg91xhetHxM

1 comment:

  1. Bhai kumar biswas jee aap kaise galat bol sakte hain... Is me koi v galat nahi hai... Log dharm ka sahara lekar insaan ko galat raste pe le jaa rahe hain.. dharm ek aysa hatiyaar hai iske aage sab kamjor pad jate hain.. kyun ki sab ko swarg , jannat aur heaven chaihey...

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