Friday, December 22, 2017

गुरु का थैला

गुरु का थैला
क्यूं शोर मचाते हो अगर उठा लेते हैं हम
थैला हमारे गुरु का
यकीन करो इसमें रिश्वत का धन नहीं
कोई हथियार, बम या गन नहीं
इसमें तो है सुंदर प्रार्थनाएं, कुछ नन्हीं कहानियां
इनमें चौक और डस्टर हैं
थोड़ी सी टॉफियां और मूंगफलियां भी हैं
जब भी कोई रोता है
तो इन्हीं से चुप
है
मेरे गुरु को अपशब्द कहते हो
उन्हें अखबार की सुर्खियों में टांग सा देते हो
इन्हीं के हाथों में तो तुम्हारे मुन्ने मानव बनते हैं
उनके हाथों में ही तुम्हारी गुड़ियाएं चहकती
महकती और नाचती हैं
वे ही तो बनाते हैं उन्हें मैरी कॉम सा निडर
और टेरेसा सा करुणामय
मेरे उन गुरुजनों का थैला मुझे उठाने दो
उनके भरोसे को मुझमें
और मेरे भरोसे को उनके मन में पलने दो
मेरे नन्हें कदमों को
उनके सुरक्षित पदचिन्हों पर चलने दो !!!!! Credits to Unknown.


Thursday, December 14, 2017

तू काट ,.. तू जम के काट ,...

वो बरगद - पीपल के पेड़ को कम से कम ना काटें ,....
इसलिये ,... हमने समझा दिया ,...
"बेटा काटोगे तो ,.. तो ब्रम्ह राक्षस पीछे पड़ जायेगा",...
अब ,...
अब ग्यानी ,.. हमारे ऊपर आरोप लगाते है ये ,..
कहतें है - वो हमें उल्लू बनाते है ,...

तो भाई ना बन उल्लू ,....
ना बन उल्लू ,... तू काट ,.. तू जम के काट ,...
तू ज्ञानी है - विज्ञानी है - इसलिये ,...
तू ,... तब तक काट ,.. जब तक ,..
काटने के लिए ,...
पीठ पर "ऑक्सीजन" सिलेंडर ना लादना पड़े !
==============
हमें पता है की ,... घर में "तुलसी" का पौधा क्यों होना चाहिये ,...
पर ,.. हमें जो नहीं पता ,... वो ये की ,...
किसी के घर में.. वो "क्रिश्मस ट्री" क्यों होना चाहिये ??

नया सवेरा लाना है ,...

सूरज एक ,... धरती एक ,....
वो बताते है ,.... नया सवेरा लाना है ,...
गर नया सवेरा लाना है ,....
तो सूरज नया - उगाना है ,...
जो सूरज नया उगाना है ,... तो ,...
तो खुद तप के ,... दहकना है चमकना है ,...
खुद तप के ??,... तप ,...
तप कोई नई बात नहीं ,... तप ,..
तप से ही तो आएं है ,...
जितने नये सवेरे आयें है

" सच्चा ज्ञान "

" सच्चा ज्ञान "
एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।” संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?” औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।” संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”
शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया। औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।” औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा। संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।” “पर क्यों?” – औरत ने पूछा। उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और ज्ञान हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया। उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।” लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।” उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह पढ़ी-लिखी ज्ञानवान थी। वो माता-पिता के पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें ज्ञान को आमंत्रित करना चाहिए। ज्ञान से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें ज्ञान को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने कहा। औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से जिनका नाम ज्ञान है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
ज्ञान घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे। औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने तो सिर्फ़ ज्ञान को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा –
“यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने ज्ञान को आमंत्रित किया है। ज्ञान कभी अकेला नहीं जाता। ज्ञान जिसके घर जाता है, उसे असली 'सच्चा ज्ञान' हो जाता है कि संसार में वो खाली हाथ आया था और उसे खाली हाथ ही जाना है। कौशल व् धन-दौलत तो निमित मात्र हैं। मानव जन्म अनमोल है। आपसी प्रेम व् भाईचारे से, इसे निष्काम मानव सेवा में लगाना ही श्रेयस्कर है। इसी से 'मन को संतोष और शांति' मिलती है। यही सफलता है, यही सच्चा ज्ञान है। ''
जय हिन्द !!

Monday, December 4, 2017

बैगन का भर्ता

#WorldSoilDay पर एक कहानी - जो यथार्थ है ,....

अभी पिछले महीने की ही तो बात है ,... मेरी दीदी ने घर के सामने से ,.. बढ़िया चमकते बैगन खरीदे ,....
दोपहर में खाने को दाल - रोटी और बढ़िया बैगन का भर्ता था ,.... वाह ,.. पर ,..
पर ये क्या ,... आज अचानक ,...
खाने के बाद - घर में तीनो को जबर्जस्त नींद आ गयी ,..
इतनी गहरी - इतनी तेज की ,... की घर के दरवाजे तक खुले पड़े रहे ,...
2 घंटे बाद जब आँख खुली ,तो,... देखा सब जहाँ तहाँ सो रहे थे ,,...

अब जागने पर सबने सोंचा ,.. ऐसा हुआ क्यों कैसे ??
तब याद आया - ये दाल - ये रोटी तो रोज खाते है ,... नया तो केवल बैगन था ,...

नींद बताती है ,.... वो सिर्फ बैगन - नहीं ,... जहर (पेस्टिसाइड) बुझा बैगन था ,....
जिसने सुलाया - गहरी नींद ,....
शुक्रिया ,... जो केवल भरता था ,...  सब्जी सिर्फ उसी की होती तो ,..
तो ना जाने क्या होता ,...

खैर ,...
खैर ,....धीरे धीरे ही सही ,... पर जहर खाने और पचाने की आदत - डाल रहे है हम ,...
तुम ,..
तुम चिंता  ना करो ,... बस किसी तरह उपजाते रहो ,...
तुम भी क्या कर सकते हो ,.... हम भी क्या कर सकते है ,...

ये बाढ़ का पानी ,... और इसमें बहना ही - जिंदगानी है