Monday, September 16, 2013

ये दर्द है उन लाखों करोड़ों भारतीयों का का

दोस्तों,

नीचे लिखी ये महज कुछ चंद पंक्तियाँ ही नहीं हैं- ये दर्द है उन लाखों करोड़ों भारतीयों का का जिन्हें आज़ादी के इतने सालों के बाद भी ना तो हमारे भ्रष्ट नेता और अफसरशाह इन्हें रोटी मुहैया करवा पाए, ना पानी, ना कपडा, ना घर, ना सड़क, ना बिजली, ना अस्पताल, ना स्कूल.......कुछ भी तो नहीं !!

इसी तड़प को शायर/ कवि गोंडवी साहब ने कुछ यूँ बयान किया है-

" वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है

उसी के दम से रौनक आपके बँगले में आई है,

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का

उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है,

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले

हमारा मुल्कि इस माने में बुधुआ की लुगाई है,

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी

जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है "

और अगर कुछ मुहैया करवा पाए भी हैं ये बेशर्म भ्रष्ट लोग इस देश की अधिकांश जनता को तो वो है सिर्फ और सिर्फ- भूख, गरीबी, नंगापन, बीमारी, अनपढ़ता, अन्याय, असमानता, रिश्वत, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, महंगाई, छदम सेकुलरवाद, असुरक्षा, दंगे, हत्या, बलात्कार, अपराधिक राजनीती, राजनितिक अपराध, सारे-आम खजाने की नंगी लूट....

और दियें हैं तो वो बेशर्मी से भरे वो "कुटिल" चेहरे जो हर नाजायज बात / फैसले को मीडिया पर आकर को उतनी ही आसानी से जायज़ बतलाते हैं जितनी आसानी से तिवारी जी ने अपनी ही औलाद को नाजायज़ बतलाया था.....

बस एक निवेदन है तुम लोगों से- अब ये तमाशा बंद करो- हम हिंदुस्तानिओं का मज़ाक उड़ाना बंद करो -

और नहीं तो कम से कम गरीबी रेखा - BPL ( Below Poverty Line ) का नाम बदल कर भुखमरी रेखा - BSL ( Below starvation Line) कर दो साहब...

क्या कहा .......क्यों ?

क्योंकि अब 28 रूपए में जिया तो नहीं जा सकता साहब, पर हाँ इस कीमत में भुखमरी की मौत से तो बचा ही जा सकता है ना...इसीलिए कहा कि नाम बदल दो !!

" रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है " ......

मुल्क आपका, पेट आपका, भूख आपकी तो फैसला भी आपका !!

जय हिन्द !! भारत माता की जय !! वन्दे मातरम !!

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