Wednesday, October 24, 2012

विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें ||

दोस्तों, विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें || हम हर साल रावण को जलतें है...और ये है की....... बस रूप बदल - बदल कर......
पहले से ज्यादा शक्तिमान हो कर ......प्रकट होता रहता है.....ऐसा क्योँ हो रहा है...क्यूंकि हमें बरगलाया जा रहा है....असली रावण है कौन?....... बताया नहीं जा रहा.....
हमारे मार्गदर्शक ..........ना जाने क्या-क्या .........रावण के रूप मैं ...दिखाते थे.........और असली चेहरा छुपाते थे.....

पर अभी - अभी.....कोई है.............जिसने इनका मुखौटा ...उतरा है....और....
ना सिर्फ......असली चेहरा दिखाया है.......बल्कि लड़ने और जीतने का भी बीड़ा उठाया है......
कौन है वो ?.......जिसने भरी ताकत.......रावण से टकराने की.....और जोश,.......... इसको जड़ से जलाने का....
है काम किया जिसने ........आम आदमी को जगाने का.....
वो लडेगा.....पूरे जोर से लडेगा.......
रावण मरेगा.....जरूर मरेगा......

एक - एक करके...रावण के सारे रूप ......
1  गरीबी :- दुनिया की एक - तिहाई .....गरीबों की संख्या हमारे देश मैं है.....इतनी महान वयस्था की ......साला हर साल हजारों ...टन आनाज सड जाये पर...कोई गरीब ना खाए......ये क्या है?
2  भ्रस्टाचार :- इतना की दो - चार सौ ...करोड़ का घोटाला....चिल्लर बोला जाता है....और करने वाला....सुपारी की बात करता है.....सच एक अपराध हो गया है ....ये क्या है?
3 स्वास्थ्य :- व्यवस्था इतनी महान की....अगर हो गए बीमार तो .....बीमारी से नहीं....सरकारी अस्पताल......की बद- इन्तजामीं....से मरे जाये ........ये क्या है?
4  बुनियादी ढांचा :- बस वो ही ....सड़कें जिन पर ....मोटा टोल देना होता है......पर चलाना संभव है .....बांकी तो....जाने की सोंचना भी मत.........ये क्या है?
5  जल संकट :- पीने का पानी .......सिर्फ बोतल मैं ही बंद है ......बांकी तो क्या करें......बस पी लेतें है....या पीना पड़ता है .............ये क्या है?
6  महिला उत्पीडन :- जो होता है....शर्म नाक है............हमारी मां - बहन......बस भगवान् भरोसे ही सुरक्षित है .....हालात ऐसे की ....हाल ही घर का इकलौता .....आदमी मर गया ...तो घर की औरतों ने.....आत्महत्या...को बेहतर समझा........ये क्या है?
7  साक्षरता :- गली - गली मैं .....शिक्षा की दुकाने......colleges ....की फीस.......दहेज़ की मांग जैसे...पूरी करनी ही पड़ेगी......और 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे...स्कूल पढ़ने नहीं.....खाने के लिए चले जातें है...पर वो भी कहाँ मिलता है.......ये क्या है?
8  मलिन बस्तियां :- जीवन बड़ा जटिल है......कैसे कैसे ...जीना सीख ही लेता है......या यूं बोलें की .....जी लेता है.....की जिन्दा भी नहीं होता .......ये क्या है?
9 पर्यावरण :- वातावरण अब हरा नहीं रहा....इसका रंग बदल गया है.....कही कांच से बना है ...तो कहीं.....गमले में जिन्दा है .......ग्रीनरी मतलब......कोई पेंटिंग.......ये क्या है?
10 बेरोजगारी :- रोजगार के नाम पर किसी गली मैं .......किसी लाला की नौकरी..........या फिर......... वाल मार्ट मैं ......दरवाजा खोलने ...की नौकरी.........ये क्या है?
दोस्तों .....ये क्या है?.......

हम कब एकजुट ....होकर इनसे लड़ेंगे.......
हम कब जोर से बोलेंगे....की हमें ...ये चाहिए.......जाति, धर्म ....आरक्षण नहीं ||..........
जरा सोंचो.......इस व्यवस्था .....को बदलना ही होगा...........
अगर रावण का वध करना है तो ..................
.इस व्यवस्था .....को बदलना ही होगा...........

हम खाते है कसम........इसको बदलने का .................अरविन्द का साथ निभाने का.......और.........
रावण मुक्त ..............भारत बनाने का .............अरविन्द तुम अकेले नहीं......हम साथ है.......
........हम कौन?..................आम आदमी...........
..........नागेन्द्र शुक्ल.......
दोस्तों, विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें ||

Wednesday, October 17, 2012

..आम आदमी...निर्जीव है, बैंक है........वोट बैंक हैं..

अरविन्द जी, कहते रहते हैं कि .........बीजेपी और कांग्रेस ....दोनों एक साथ है....एक ही थाली के चाटते बट्टे है.......और ये दोनों ही बताते रहते हैं कि...... अरविन्द जी, उनके नहीं .....बल्कि प्रतिवादी के एजेंट हैं.......
आज मुझे समझ आया ...बीजेपी और कांग्रेस के ...वक्तव्य में थोड़ी थोड़ी तो सच्चाई है .....
हलाकि अरविन्द जी, कि बात में कोई........ शक  शुबा नहीं.......परन्तु ......
हाँ इनमे भिन्नता है......वो भिन्नताएं ...साफ़ है.....
1  कांग्रेस के मंत्री....NGO बना कर ...देश को लूटते हैं........तो बीजेपी के अध्यक्ष....को-ऑपरेटिव बना कर.........हाँ अंतर तो है.........

2 इनके savings accounts ......(हाँ वोट बैंक ).......भी अलग हैं....जिनके दम पर .....ये खुलेआम लूटते है............जिसके  पास ........जितना पक्का........वोट बैंक .......वो उतना ही ज्यादा निरंकुश....और बर्बर.......सही है...

हम आम आदमी भी तो कुछ ऐसा ही करतें है....
पहली तारिख को ...जब तनख्वाह ...आती है...तो शुरु के 10 /12  दिन तो हम भी ....राजा हो जातें है........बेपरवाह हो जाते है......निरंकुश हो जाते है.......फिर
जैसे - जैसे ....saving accont ....कमजोर होता जाता है...........नैतिकता याद आती जाती है.........
कोई काम करने से पहले ....थोडा सोचना शुरू......कर देते हैं......फिर 20 ...आते - आते ...
हमारा दिमाग कितना काम करने लगता है..........जरुरी...गैर जरुरी...का विचार .....करने लगता है.....और क्या - क्या  सोंचने लगते  है......फिर 30 ......के कुछ पाहिले.......

क्रेडिट कार्ड कि याद आती है ......ठीक उसी तरह.............जैसे........
इस BJP और कांग्रेस को ...........ममता - समता और मुलायम .....कि याद आती है........और फिर ...उधार कि व्यवस्था चलती है..........

अब सोचने कि बात ये है.........कि इनमे........या यूँ कहें कि .......हममे....ये ताकत आती कहाँ से है...........जनाब.....
अब तो साफ़ है........बैंक से ..............हाँ - हाँ....वोट बैंक से.........

तो ...अब रास्ता साफ़ है...........इनको.....सबक सिखाने का.........हमला करो......इनके बैंक पर.......जी हाँ.........मेरा मतलब है ....वोट बैंक पर.......
ये वोट बैंक है कौन............अरे भाईयो.............ये सभी को पता है .............हम और आप........

वैसे अगर विचार करें......तो ये हमें...बैंक ...वोट बैंक .....समझते..क्योँ है...........ये हमारी ही गलती है........जो हम....बे वजह......बिन कारण......इनके पीछे चिल्लाते हैं.........
नेता जी ...आगे बढ़ो......और हमको लूटो.......
अबकी बारी.......................तुम्हारी बारी..........

दोस्तों मुझे....दुःख है.......कि सिर्फ....और सिर्फ .......
वोटिंग लिस्ट ......को ...दिल्ली में देख कर.....फिर ये सोच कर .....कि किस ...धर्म...और किस जाति ......का........
बल्लेबाज .....किसने उतारा....है ......उसी हिसाब से......ये अपना......गेंदबाज़....उतार देते है.........

यह तो ...हम ...आम आदमी ...हैं......जो जाति....और धर्म के बारे मैं बात करतें है ..........ये पोलिटिकल (राजनीतिक ) अंडर वर्ल्ड (गुर्गे )........तो सिर्फ वोट बैंक कि बात ही करते हैं ||
बेवकूफ बनातें है ........बेवकूफ.........

और जनता..............
तो जनता है............
जीते कोई भी.........हर बार चुनाव......
पर चुनाव ....से पाहिले ही हार जाती है........

ये ठीक उसी तरह ......प्रतीत होता है ..................
जैसे मैदान में ...........सिक्का उछाला..................और बस .....मैच खत्म.........
कौन जीतेगा...बता दिया......क्योँ और कैसे.....अरे जनाब ...अब मैच का नहीं.......मैच फिक्सिंग का जमाना है......

चुनाव राजनीती का नहीं ...........किसी मुद्दे का नहीं ...........किसी विचार धारा का नहीं.............
बस .......कहीं............. किसी जाती का ............तो...
कहीं किसी ......धर्म का है ...........

और इस .....राजनीतिक ......नाटक का........सूत्रधार.....कहानी लिखने वाला.......जी जनाब......एक व्यापारी है .....व्यापारी ही है..........

और एक सफल .................व्यापारी कभी ....एक ही जगह .....पैसा नहीं लगता.........प्रतिशत...में बाँट कर........अलग - अलग ......पैसा लगता है..............

यही कारण है ...........चुनाव कोई भी हो ...............जनता हारती है .........
बस ये ....नेता / व्यापारी ..........जीत जाता है............क्योँ जीत जाता है ...........

क्योँकि ..........हम इन्शान नहीं...........निर्जीव है, बैंक है..............वोट बैंक हैं..................
हमें..............वोट बैंक ............कहा जाता है..........
वोट बैंक ............कहा जाता है..........
अरे.......दोस्तों.........क्या अच्छा लगता है ..............आपका पता नहीं .............
पर हमें नहीं ..............भाता है ...........
जब हमें.........वोट बैंक ............कहा जाता है........

मैं आज ये नहीं कहूँगा........कि अरविन्द जी, को जिताना है......पर मुझे इतना ही कहना है........कि
अब हमें वोट बैंक नहीं रहना है......
हम भी सोच सकतें है................हम भी बोल सकतें है........और अब .................
हम मुंह खोलेंगे..............अब हम बोलेंगे.............हम कौन............आम आदमी......
...................नागेन्द्र शुक्ल


लोकपाल को थाम .....हाथ में........है अपना कदम बढाया ||

एक दिन मैंने ..........बड़ी मुश्किल से ,,,,,,,
संसद के सामने से गुजरने कि............हिम्मत जुटाई |
तभी एक प्रहरी चिल्लाता है, .........तू किधर से आया.....
यहाँ सिर्फ चुना हुआ......प्रतिनिधि आता है ||

यह प्रतिबंधित क्षेत्र ......कहलाता है |
इसका ना कोई........आम आदमी से नाता है ||

उसने टेढ़ी नज़र दिखाई.........
बात मेरी समझ में.....आयी....
मैंने तुरंत 500 कि हरी .....पत्ती दिखाई ||

प्रहरी कुछ सकुचाया..........मैंने उसे समझाया |
जो भी यहाँ आता है ...........
खाता और खिलाता है ........
तू बेकार में सकुचाता है ||

मैं बोला ....धीरे ने नोट ....दबा ....और आगे का रास्ता बता |
फिर क्या...........मैं आगे बढ़ गया ........भाई,
तभी एक कराह दी.............. सुनाई ||

मैंने पूंछा.......
तू कौन है .....क्योँ रोता है ||
वो बोला,
मैं हूँ ...............संसद.....
राज जहां से चलता है.......
देश जहां से ......बनता और बिखरता है ||

पाहिले था, मैं लोकतंत्र का मंदिर......अब तानाशाहों .....का अड्डा हूँ |
जो मेरी एक नहीं सुनतें है ...........मैं भर - भर के रोता हूँ ||

पर तू कौन......तुझे क्योँ........ अपना दुःख बतलाऊँ ?

मैं बोला .......मैं आम आदमी.....
सुनते ही ....संसद चिल्लाया....
कब से था .........तेरा इंतज़ार....
ये बता.......क्योँ .....भेजते हो तुम अपराधी...गुंडे और भ्रस्टाचारियों  को.......
ये करतें है .....मेरी इज्ज़त .........तार तार .....एक नहीं........ बार बार ||

मैं बोला ...देर से आया हूँ .................पर दुरुस्त आया हूँ |
तेरे लिए एक अच्छी ..............................खबर लाया हूँ ||

वो बोला क्या ....अच्छी ....खबर...
मैं बोला ......हाँ
कोई है जिसने, इन तानाशाहों ...को है ललकारा......और है खूब छकाया |
लोकपाल को थाम ..........हाथ में....................है अपना कदम बढाया ||
गर जनता ने ...........उसका साथ निभाया......तो समझो कल ही आया |
और फिर बस....................................................... लोकपाल आया ||
फिर क्या.....सब मिल....
धृतराष्ट को.....................भगायेंगे............
दुर्यौधन...यहाँ फटक ना .....पाएंगे |

अरविन्द को PM .........................बनायेंगे......और
भ्रस्टाचारियों....के लिए ...प्रहरी ...बिठायेंगे ||
तेरे आँगन में..........फिर से लोकतंत्र का.........
मंदिर...................................हम  बनायेंगे ||

बनायेंगे ना ?
क्योँ दोस्तों.....कौन बनाएगा........हम बनायेंगे........
हम कौन........भूलो मत ....आम आदमी................
......नागेन्द्र शुक्ल

Tuesday, October 16, 2012

बीजेपी समर्थकों के लिए ..........

बीजेपी समर्थकों के लिए ..........कुछ ही समय के बाद............अरविन्द जी ........कोई बड़ा खुलासा करने वाले है.......अगर मीडिया कि माने तो वो महानुभाव ......गडकरी जी हो सकतें है.......वैसे मेरी नज़रों मैं गडकरी जी ......तो कभी नेता थे ही नहीं.......सिर्फ एक व्यापारी ही थे ||
नाज़ुक परिस्थिति ..........को भापते हुए...........
हलाकि, BJP  ने अपने हथियार तो पाहिले ही डाल दिए है.....और चिल्लाने लगें है .....ये बताने लगे ...कि वो कांग्रेस से भी कहीं ज्यादा  बेशर्म है................और सुनतें रहेंगे..........कोई  कुछ भी कहें..........
अरे बीजेपी वालों............तुम और कर भी क्या सकते हो..........कोई रास्ता ही नहीं आपके सामने.........अपनी बची कुची इज्ज़त को ढकने कि कोशिश के लिए ...........अगर कुछ उल्टा सीधा बोल दिया तो ......कांग्रेस से भी बुरा हाल करेंगे ||
चलो सही है, दूसरों से जैसे भ्रस्ताचार सिखा था .........बेशर्मी भी सीख ली ...........

अरविन्द जी, ने सच ही बोला था...........कि दोनों......दोनों नहीं तकरीबन सभी मिलें है..........विपक्ष सिर्फ और सिर्फ आम आदमी है ........और कोई नहीं ||
हालात ये हैं कि ...........ईमानदार सिर्फ और सिर्फ वो ही बचा है ......................जिसे बईमानी का मौका नहीं मिला.........सच है ...........

मैं बिना किसी हिचक के.....यह बताना चाहता हूँ कि......मैं उस दिन तक, जिस दिन तक अन्ना ने अरविन्द जी को ........समर्थन  देने से मना किया था..........
BJP का ही समर्थक था.....वो इसलिए  नहीं कि मैं बीजेपी कि किसी ideology को मानता था.........उसका कारण सिर्फ एक और एक ही था.......और वो मेरी सोंच .....और किसी बेहतर ....विकल्प का उपस्थित ना होना.....
मुख्या रूप से दो ही बातें थी जो मुझे बीजेपी से जोड़ देती थीं.......
1 . मैं पूरी और पूरी तरह से regional पार्टी के खिलाफ था .
2 . मैं कांग्रेस का ....धुर विरोधी था....और हर उस पार्टी का .......जिसमें एक ही व्यक्ति कि चलती हो ......चाहे वो कोई भी हो.....वो पार्टी जिसमें खुद लोकतंत्र नहीं .....वो क्या समझेगी लोकतंत्र क्या है....
बस ये ही दो मुख्य कारण थे |
परन्तु मन मैं ......हमेशा से अन्ना जी और अरविन्द जी के लिए सम्मान था.......जिस दिन तक अन्ना ने अरविन्द जी को  ........समर्थन  देने से मना किया था.........
उस दिन लगा ......कि जैसे सच्चाई मर रही. है .........और बस सोच लिया .......अब अगर अरविन्द जी, का साथ नहीं दिया तो ......ना ही देश का कर्ज उतरेगे ..................ना ही धर्म का..........और आत्मा हमेशा कचोटती रहेगी......एक घुटन होगी.......
और बस कूद गया .....पूरी ताकत और जोश के साथ.........सच बोलूं तो ............इतनी संतुष्टि ......कि अनुभूति पाहिले कभी नहीं हुई थी .........कसम से लगा रहा है ...........जीवन काम आ गया.....

मेरे कुछ ख़ास दोस्तों ने ......सुरुवात मैं मैं मुझे समझाने कि काफी कोशिश कि.........
कई तर्क भी दिए......बहुत सवाल पूंछे....जिनके उत्तर शायद अभी तक नहीं दिए मैंने .......छमा करना .....पर अब सिर्फ अरविन्द जी के समर्थन के सिवाय कुछ सोंचने कि शक्ति नहीं रही.......
कई ने तो ये तक बोला कि ...................अरविन्द जी, समर्थन करके.......तुम कांग्रेस का समर्थन कर रहे हो......एक बार तो लगा कि शायद ...सही बात है .......परन्तु आत्मा ने इतना ....धिक्कारा इतना धिक्क्कारा...कि अपने आप को रोक नहीं सका.....
मैं आपको ये कहानी इसलिए बता रहा हूँ क्योँ कि मुझे ऐसा लगता है ....कि जिस मनोदशा ....मैं मैं था ......हमारे कई कई ....दोस्त अभी भी है .......हो सकता है कि ....इस कहानी से अपना फैसला लेने मैं मदद हो ||

मैं अनुरोध करता हूँ ...................बीजेपी के उन सभी समर्थकों से जो अभी भी किसी भी प्रकार कि दुविधा मैं है
...........एक बार ईमानदारी से विचार करें - अति कृपा होगी ||
और मेरा पक्का वादा है .....कि आपका आत्म सम्मान ............अपनी ही नज़रों मैं कई कई गुना बढ़ जायेगा || इसे महसूस कर के देखो ||
...........अगर अच्छा ना लगे तो माफ़ कर देना.......प्रशन मत करना ...........मैं उत्तर नहीं दूंगा ..........सलमान खुर्शीद कि तरह..........हाहाहा.......
..........एक बीजेपी का पूर्व समर्थक ............नागेन्द्र शुक्ल

Monday, October 15, 2012

संसद मार्ग से धरना समाप्त.....हमारा असर....

दोस्तों, ....कल अरविन्द जी, ने संसद मार्ग पर अपना ....धरना....समाप्त किया.....तो कुछ ज्ञानियों के मुंह से निकला कि.....इनकी आदत है ....छोड़ देने की.
हम आप से ......पूँछना चाहतें है ......क्या ये ज्ञानी ....सही हैं ?
आप अपने विवेक से सोचो........मेरा तो उत्तर .......सिर्फ ना है ? अरविन्द जी....ने हिम्मत दिखाई .........उन्होंने हमें साहस दिया ......लड़ने का और बोलने का....
इसका ...फर्क साफ़ है........हरियाणा के IAS अफसर अशोक खेमका जी .....ने 21 सालों में 40   तबादलों का ......सचिन तेंदुलकर जैसा .................कीर्तिमान बनाया है .......
और जनता को ये बताया है की ........सरकार के दामाद को ....................दलित की जमीन कैसे दी गयी........और.......
फिर जा कर ४१वे ....का विरोध किया......................और बिना किसी डर और जिझक  के  बोंले ............"अब पानी सर से ऊपर जा रहा है " .............
बोलना ही पड़ेगा.....हमारा सलाम है इस ......अफसर को.....और मेरा समर्थन भी.......
आपका ?
ये चिंगारी तो अशोक खेमका जी....के अन्दर हमेशा से रही होगी...........पर हवा किसने दी .......कौन है वो ?....आप सोंचों......और बोलो ||

अरविन्द जी, ने हममें ....अब इतना साहस भर दिया है कि........अब हम नहीं रुकने वाले.....आगे और आगे ही बढ़ेंगे........
अब हम राजनीती कर रहें है ........हाँ हम राजनीती कर रहें है ......अब दुबारा मत पूँछना........(कुछ याद आया क्या ?).....

अब हम आगे बढ़ेंगे ........जिस लोकतंत्र की ये हत्या कर चुके है........और जब डर जातें है ................तो उसी के शव (लाश) .......के पीछे जा कर चुप जाते है............और इस लाश को ढाल बना......पीछे से चिल्लातें है ||

पर अब हम समझ गए हैं इनकी चाल .........अब हम नहीं फंशने .......वाले......
अब हम आगे बढ़ेंगे .........इस लाश में........जान फूंकेंगे........लोकतंत्र को पुनः .....जिन्दा कर.......पूरी ताकत से स्थापित करेंगे......और इतनी ताकत देंगे कि.....फिर कोई इसको .......घायल तक ना कर पाए ||........

करेंगे ना ? ........इससे बेहतर ....दूसरा....अवसर नहीं आएगा ||

रही बात सलमान जी, के इस्तीफे कि..........तो अब हम ऐसे लोंगों को............किसी भी ऐसे पद पर ही नहीं आने देंगे.......कि हमको इन् जैसों  के सामने ......कुछ माँगना पड़े....कुछ भी .......माँगना पड़े ||
और राबर्ट बदरा जी ..............उनके लिए ...तो अब अशोक खेमका जी....ही काफी होंगे......
होंगे जरूर होंगे.......अगर हमने.........साथ दिया......देंगे ना ?

और अरविन्द जी, हमारे सेनापति.........अरे कल 17 तारिख है..........17 ......अब अगले को पकड़ेंगे.......और करेंगे जनता के हवाले.......अरविन्द जी ...आप एक एक कर के बताते रहो.......बस....
और सबक तो हम सिखाते रहेंगे.........क्योँ दोस्तों ....सही कहा ना ......

अब सबक हम सिखायेंगे..........हम कौन...........आम आदमी..........
.........नागेन्द्र शुक्ल.

...क्या बात है.............क्या सरकार चलतें है .............

आज अरविन्द जी, ने बहुत सारे नए तर्क दिए...और ये सिद्ध किया की ....सलमान जी झूंठे है...........
ये सिर्फ उनके लिए थे ....जिनको अभी भी जरा सा विस्वास बचा है या उनके चमचे......या गुलाम है.......
हमें तो अब कुछ नहीं सुनना..........हमें पक्का पता है.....

अरविन्द जी ने बहुत....कुछ बताया..........माफ़ कीजिये .......पर सिर्फ एक ही बात याद रही.....की

NGO , ने कुछ लोग जिनके .........पैर में दिक्कत थी ...उन्हें .....कान की मशीन दी.....क्योँ भाई ...क्योँ दी कान की मशीन.......
कई कारण है.......
१. एक तो ये सरकार........सुनने में नहीं ........सिर्फ सुनाने में ही विस्वाश रखती है ........और बोलने नहीं देती.....
पर अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे....
तुम सुनो ना सुनो .....अगले चुनाव में.......तुम्हे...सुनाने लायक ....नहीं छोड़ेंगे.......
ये तो पक्का है ...............पक्का है ना दोस्तों...?
२. इसमें .....हमे कुछ ख़ास ......आश्चर्य नहीं हुआ ............क्योँ भाई...क्योँ नहीं ?
वो इसलिए ....क्योँकी ...जिस सरकार के ये मंत्री है ......और जिस परिवार के संतरी.........
उनके काम करने का तरीका............ही यही है............
कुछ मत सुनो......किसी की मत सुनो......
ठीक है भाई........मत सुनो.......क्या कर सकतें है .......आपकी मर्जी.....आपके संस्कार........

हम बोलते ही कब थे............हमें...अभी हाल ही में तो .....मुंह मिला है.........
जबसे हमें ........................................................अरविन्द मिला है.............
अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे.........
तुम बोलते रहो .........चिल्लाते रहो......................हम कान से बहरे हैं.........
तुम्हारी ................नहीं सुन सकते...................
तुम किसी को भी .............कितनी भी.........कान की मशीन .....बांटो....
और अब हमें........चाहे जितना........डाटो.............
हम नहीं सुनते....हम नहीं सुनते........
अब हम बोलेंगे......अपना मुंह.....खोलेंगे.........

३. और प्रमुख कारण..............इनकी सरकार भी तो यही करती है.........
मांगो पीने का पानी .......तो चौराहे पर .....फाउनटेन.......लगवातें है.............
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......
बोलो की महंगाई ......बहुत है .......तो.......दारू के दाम घटातें है.........
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......

गर कोई बोला........समर्थन.....वापस लेतें है .......तो .........CBI के ...केस खुल जातें है .......
क्या बात है......क्या सरकार चलतें है.......

जीतने के लिए चुनाव.......पैसा बहुत बहातें है............ना जाने कहाँ - कहाँ .....से ले कर आते है.....
जितने के बाद......जिनसे लिए थे पैसे.......उनके पैर...दबातें है ......
अरे क्या ......बोलूं........दलाल बन जातें है...............
क्या बात है.............क्या सरकार चलतें है .............

आने दो 2014 ..........हम तुमको...बतातें है.........
अभी थोडा busy हैं ...............रुको.....हम अब संसद आतें है........
और बताते है .......................कैसे सरकार चलतें है.........क्योँ दोस्तों.....
बताएँगे ना......इनको सबक सिखायेंगे ना.....?


लगा दो इतना जोर.........मचाओ इतना शोर........कि..........

बिन मशीन के हम सुनने लगें...............और अपना मुंह .........खोलने लगें......


.........पर मत भूलना .........हम कौन............आम आदमी......
..........नागेन्द्र शुक्ल


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Sunday, October 14, 2012

अब हम नहीं सुनते........अब हम बोलेंगे...

सलमान जी ...अपने अहंकार के चलते......आज आपने फिर से  क्या बोला......
बोला की ...अरविन्द जी 3rd grade के सड़क पर चलते फिरते लोग है .....
जानाब ....हम 3rd grade के सड़क पर चलते फिरते लोग.............ने ही गलती से तुमको नेता बना दिया......
भारत की जनता को समझते नहीं ......और ऑक्सफोर्ड में मिले सम्मान को ....गिनाते हो....
जनाब अब वोट भी उन्ही से लेना.....क्योँकी अब हम.... 3rd grade के सड़क पर चलते फिरते लोग.....हमारे घर मत आना....

अब हम, सिर्फ 3rd grade के लोगो को ही अपना सेनापति बनायेंगे.............एक सलाह है आपको .......अगर इज्जत बचानी है ....तो चुनाव में खड़े भी मत होना...... नहीं तो .......जमानत ...तक जब्त करा देंगे ......
ट्रेलर तो आप देख ही चुके हो ......लुइस जी का कौन सा नंबर आया था ...आप को बेहतर पता होगा .....
अरे कल ही तो बात है ...आपही के CM  ....के बेटे का क्या हाल हुआ......शायद आप landon में थे पता नहीं होगा .....पता कर लेना.....
और हाँ ....किसी तरह से आपके ...संकट मोचन के ...बेटे का संकट ...टल गया ...कोई बात नहीं ......अभी बहुत कुछ बांकी है .......

अब बीजेपी, की बात करतें है ......इनकी  ..स्थिति भी ....साफ़ नहीं दिखाई ..देती.....
या ये बोलें की ..साफ़ नज़र आती है ........की ये आप के सहयौगी है ....और जनता के विरोधी है ......

कांग्रेस और bJP  दोनों के पास अब ...कोई जवाब नहीं बचा....इनके सारे हथियार ..बेकार हो गए है ....
बस अब ...बेशर्मी....और बर्बरता ही बची है ........इनके पास......
हम कहना चाहतें है ......आप दोनों से .....अब आप को कोई नैतिक ...आधार नहीं ...बचा.....
अब हम आप की नहीं सुनते......
अब हम मैदान में उतरें है .....और बोल रहें है .....अभी चिल्ल्लायेंगे....और फिर दहाड़ेंगे .....
अब तुम बोलते रहो .......हम नहीं सुनते .....क्योँ.......... ...
क्यूंकि हम जानते है ...तुम झूठे हो.....

अरे इसमें बुरा भी क्या है ......क्योँ दोस्तों है क्या?.....
ये शुरु तो आपने ही किया था ....
हम ..अनशन पर बैठे....आप सी विनती की ....आपने वादा किया ...फिर धोखा दिया .....
हम फिर बैठे...........और आप बोंले हम नहीं सुनते ..........

तो जाओ ...जा कर कहीं और अपनी नेतागिरी करो......अब यहाँ नहीं चलेगी .......अब हम कहतें है ..कि
अब हम आप की नहीं सुनते......

वैसे आप के पास बोलने के लिए कुछ है भी नहीं .....
झूंठे ..दस्तावेज ...दिखाते हो .......ऊपर से डराते हो .......हम क्योँ सुने .....अब हम आप की नहीं सुनते......

अब अंत में हम ये बताना चाहते है ...की आप ने आज बोला ....
"I will See you In court "……दोस्त  अब हम  बोलतें  है ….we will see you on road…..
क्योँ भाइयों .............सही कहा ना ?
आप नाली के कीड़े बताते हो......अब हम बताते है की ...आप क्या हो....
आप पाहिले तो नेता हो ..........
ऊपर से ......अहंकारी.........अरे हिटलर ...हो .......
अब हम नहीं सुनते........अब हम बोलेंगे......हम कौन.......आम आदमी ............
------------नागेन्द्र शुक्ल

Saturday, October 13, 2012

मम्मी जी.....ये तो राजनीती कर रहे है..!!

न्यूज़ चंनेल्स पर....तक़रीबन सभी एंकर...बोलतें है कि आप राजनीती कर है है.....
और अरविन्द के साथी....बार बार....पूरी जिम्मेवारी और सिद्दत के साथ स्वीकार करतें है ...
........
और कहतें है की हाँ ..."हम राजनीती कर रहें है" फिर भी पूंछा करते है.....
अरे मेरे मीडिया के ज्ञानीयों..............और जनता के विपक्षी नेताओं.......
कितनी बार बोले......हाँ "अब हम राजनीती कर रहे है"......और पूरी ताकत से साथ बोलने के आलावा हम....इनको ये याद दिलाना चाहतें है और पूँछना चाहतें है की
मजबूर किया किसने ?
हाँ, हम कर रहें है राजनीती........और राजनीती ऐसे ही होगी......तुममे है हिम्मत तो ......तुम भी कर के दिखाओ ?
अब जनता जाग गयी है......और ऐसी जागी है की .....तुमको भी सोने नहीं देगी |
तुमको हम ...सिद्ध कर चुके है कई बार कर चुके है की तुम .......
झूंठे हो .........भ्रस्टाचारी हो.....आत्याचारी हो......नैतिकता विहीन ......और व्यभिचारी हो ......
अब क्या क्या बोंले......आप नेता हो...बस बोल दिया.......
और ये हम कौन ?......अरे जनाब भूल गए..........आम आदमी
............. - नागेन्द्र शुक्ल
 

......अरविन्द जी हम आ रहें है || ......और हम भी आने वाले है ......आपके साथ...

न्यूज़ चंनेल्स पर....तक़रीबन सभी एंकर...बोलतें है कि आप राजनीती कर है है.....
और अरविन्द के साथी....बार बार....पूरी जिम्मेवारी और सिद्दत के साथ स्वीकार करतें है ...........
और कहतें है की हाँ ..."हम राजनीती कर रहें है" फिर भी पूंछा करते है.....
अरे मेरे मीडिया के ज्ञानीयों..............और जनता के विपक्षी नेताओं.......
कितनी बार बोले......हाँ "अब हम राजनीती कर रहे है"......और पूरी ताकत से साथ बोलने के आलावा हम....इनको ये याद दिलाना चाहतें है और पूँछना चाहतें है की
मजबूर किया किसने ?
हाँ, हम कर रहें है राजनीती........और राजनीती ऐसे ही होगी......तुममे है हिम्मत तो ......तुम भी कर के दिखाओ ?
अब जनता जाग गयी है......और ऐसी जागी है की .....तुमको भी सोने नहीं देगी |
तुमको हम ...सिद्ध कर चुके है कई बार कर चुके है की तुम .......
झूंठे हो .........भ्रस्टाचारी हो.....आत्याचारी हो......नैतिकता विहीन ......और व्यभिचारी हो ......
अब क्या क्या बोंले......आप नेता हो...बस बोल दिया.......

चलिए अब काम की बात करतें है.......अरविन्द जी के कुछ (कुछ इसलिए की ये वाकई में कुछ ही है.....
अगर ....काफी की बात की तो....पूरी दिल्ली......और
अगर सब की बात की तो ......पूरा............ देश (बस नेताओं और उनके चमचों को छोड़कर )
संसद मार्ग पर ही डटें है.......

भाइयों, और सरकार का फ़ॉर्मूला तो पाहिले से ही exposed है......देर लगाओ.....और थका दो......इतना समय लगा दो की लोग बोर जाये.....और छोड़ दें||
इनका ये फ़ॉर्मूला ..........अरविन्द जी के आने से पाहिले....कारगर भी था.....
पर इन् लोंगो से गलती हो गयी ..........बहुत बड़ी हो गयी ......

की ......(fill In the blank क्योंकी मुझे ....वो जो धोबी के पास होता है...याद नहीं आ रहा है ) ने उनको ही राजनीती में....न्योंता दे दिया......
जो अभी तक वोट देते थे.............सही कहा ना?

और ऊपर से जनता का सेनापति........अरविन्द जी ...वाह वाह क्या बात है ...........इतना हिम्मत वाला की .........कभी 15 दिन की छुट्टी ले कर लिखूंगा.......छोटा काम नहीं है...
इनका ये फ़ॉर्मूला....काम नहीं कर पायेगा.......क्योंकि अब हमें.........याद आ गयी एक कहानी है

की ....कबूतर... ले उडे थे....शिकारी का जाल...

बस भरी थी हुंकार.....और ....किया था .....

एक साथ....प्रयास ||

आओ मिल जाएँ......भरें हुंकार......

करैं प्रयास ....भगाएं.....भ्रस्टाचार |||

इस महायज्ञ में ......देनी है...आहुति....

और करना है .....सतत प्रयास ||

जागते रहो.......जागते रहो |

कदम कदम....बढ़ाते रहो ||

घर से निकलो.........संसद मार्ग चलो |

पहुँचो....और खाना ले कर जाओ, बिस्तर ले कर जाओ....और डटे रहो...........

डटे रहो..............जब तक हमारा ....सेनापति .....खड़ा है...........

में निवेदन करता हूँ सभी से ...........

इस महायज्ञ में ......देनी होगी...आहुति....और करना है .....सतत प्रयास ||

..........अरविन्द जी हम आ रहें है || ......और हम भी आने वाले है ......आपके साथ.....

ये हम कौन ?.............अरे जनाब भूल गए.................आम आदमी

............. - नागेन्द्र शुक्ल
अरविन्द जी हम साथ है ||

Friday, October 12, 2012

जान की अमान...चाहता हूँ .............कृपया मेरी आवाज़ सुनो ||

जान की अमान...चाहता हूँ .............कृपया मेरी आवाज़ सुनो ||

आज बड़े दुख और उससे भी ज्यादा क्रोध के साथ.......पता नहीं दुःख ज्यादा है या क्रोध...आप ही समझ लेना ||
मै ये बोलना चाहता हूँ की ...इस  देश में हो क्या रहा है
देश का प्रधान मंत्री.....देश की सरकार .........
देश की जनता...... अपाहिज जनता.........से मिलना नहीं चाहती ....
उनकी बात सुनना नहीं चाहती ||
अरे हम आम नागरिक है ...क्या करतें ........
आप से आपील...या ज्ञापन....पर आप हैं की आप .............. सुनाने को तैयार ही नहीं |
एक तो भ्रस्टाचार ...ऊपर से घमंड ...और फिर बर्बरता.....
राशिद जी (सरकार के प्रवक्ता )..................... आप हमेशा दुहाई देतें है की ये हो क्या रहा है इस देश में .....
जनाब में भी ये ही जानना चाहता हूँ ......कि, ये हो क्या रहा है देश में ?

सिर्फ और सिर्फ आज की बात करतें है......
१. देश का प्रधान मंत्री.....देश की सरकार, ....आज देश की जनता...... और अपाहिज जनता से मिलना नहीं चाहती ....उनकी बात सुनना नहीं चाहती ||
२. हरियाणा का मुख्यमंत्री ....बोलता है कि,....बलात्कार के ....ज्यादातर मामले में ...लड़की अपनी मर्ज़ी से जाती है ...फिर फंस जाती है ...बाद में चिल्लाती है ||
३. उत्तर प्रदेश में ..एक मंत्री खुले आम गुंडागर्दी करता है ......एक CMO ..को गायब करा देता है ...और इस criminal कृत्या पर २ दिन बाद सिर्फ ..इस्तीफा लिया जाता है, वो भी ...नैतिक आधार पर ||
४. हरियाणा के विपक्षी दल का मुखिया बोलता है संविधान के खिलाफ..............की शादी की उम्र कम कर दो ...बलात्कार कम होंगे.

राशिद जी, कृपया ये बताएं..................
ये हो क्या रहा है देश में....और आप के साथी क्या बोल रहे है ......क्या कर रहें है ....कृपया बताएं...ये हो क्या रहा है?

दिल्ली में संदीप जी बोलतें है ...प्रधान मंत्री सबसे नहीं मिल सकतें......और ऊपर से बोलना कि सारी FIR ..केस नहीं बन जातें....
अरे संदीप जी ....आप क्या बताएँगे .........ये तो हम वर्षों से झेल रहे है ......और आप की जानकारी में ला दे कि ..
इतना ही नहीं ...हमारी तो FIR भी नहीं लिखी जाती ....केस तो दूर की बात है.

अरे ...अब ये कहना  की "अब हद हो गयी है" अपना मतलब खो चूका है.....
अब क्या लिखों ..........क्या बोलूँ ..........कोई नए भाषा ...इजाद करनी पड़ेगी ||
ये तो आप बार - बार...... ..बहूत बार................हर कदम में ......पार कर चुकें है ......
मै वो घटनाएँ...गिनना नहीं चाहता ........क्यूंकि ...ये तो आप  रोज़ रोज़ कर रहें ........
किसी भी दिन किसी भी समय ....कई उदहारण ....मिल जायेंगे ||

मै यह कहना ......चाहता हूँ ....आप से कि ...
अब डर लगता है ...................हम आम आदमी है .....और सच में ...अब डर लगता है ....हर जगह डर लगता है .......देश में कोई घर नहीं ...कोई सड़क ऐसी नहीं ...जिसमें मै महफूज़ ...महसूस करू |
मै ये कहना ......चाहता हूँ..........की अब नींद में भी डर लगता है .....में सो नहीं पता .......
इस तरह डर डर ...जीना होता .........तो बेहतर होता ......की किसी तरह वीजा लेकर ....किसी भी ...banana country ..में चला जाता.....
या फिर देश .............आज़ाद ही नही होता||

हालात तो एक जैसे ही है .....
राबर्ट जी ने तो .......सिर्फ बोला था .........पर आपने ....तो करके दिखा दिया .....बहुत दुःख ..के साथ बोलना पड़ रहा है ....कि
प्रधान मंत्री जी ...मुझे आप से ये ऐसी आशा ...... नहीं थी |
में समझता था की ...आप चुप रहतें है ..पर जब जरूरी होगा ...तो बोलेंगे ...और शायाद ...सही बोलेंगे......
में जानना ...चाहता हूँ की ...
आपकी ...क्या मजबूरी है .......जो आप कुछ बोल नहीं सकतें ......
शर्म आती है .....कि.....
अभी तक में जिस देश के लिए ये सोंचता था की ....महान है...जो की था भी और है भी.....

मै अब धन्यवाद देता हूँ .....आप ही के ..आदर्श ...
महात्मा गाँधी को ....कि उनहोंने ...इस देश में जनम लिया ......और हमको चुपचाप .....सहन करनें की शक्ति दी .....

पर अब ...सहन नहीं होता ....कृपया ..इस देश के आम जनता को ....बताएं की ...ऐसा क्या हुआ कि..........
गाँधी के देश में ......भी अब सहन शक्ति ..जवाब दे रही है ?

पर नहीं ...में सहन करूंगा ...इसलिए नहीं की .......हम डरतें है .....
जी बिल्कुल नहीं डरतें ..............नहीं तो देश कभी ....आज़ाद नहीं होता ....और आपका ...ऐसा ..राज नहीं होता ||

मै सहन करूंगा .........क्यूंकि ........
महंगाई इतनी ज्यादा है की ........अगर एक दिन भी ...कमाई रुक गयी ...
तो घर में चूल्हा नहीं ...जल पायेगा .......बच्चे ...भूंखे चिल्लायेंगे....
उनकी चिल्लाहट से ...व्यर्थ ...ही क्रोध आयगा ....और उन्ही बेचारों ....पर निकल जायगा ||

पर अब लगता है ....की फायदा क्या है ...ये सब करने का ......
क्या पता कभी में बीमार हो गया तो ..............
तो भी तो बच्चे ...भूखे रह जायेंगे ........और अगर मै  मर गया .....
तो वो भी ...बेमौत मर जायेंगे ......
कुछ कीजिये .....कुछ कीजिये .......

आपका बहूत - बहूत - धन्यवाद ...आपने हम को
शिक्षा का अधिकार दिया ........आपने ....भारत निर्माण किया.....

पर एक और चीज़ दे दो ........कृपया ..कृपया ....हमें ...सुरक्षा का भी अधिकार दे दो .........
बोलने का अधिकार दे दो .....मुझे आत्म सम्मान दे दो .....
नहीं तो सब कुछ ....वापस ले लो ........
इस तरह के दान का हम ....करेंगे भी क्या ......

कुछ ऐसा महसूस होता है ....कि
आपने खाना देने का ...सपना तो दिया ...पर मुंह ...में पट्टी बाँध दी ......
कृपया ...ये पट्टी खोल दो ..............................
.............मेरी आवाज़ सुनो....अपना घमंड...जिद्द ...छोड़ दो .......फिर से शुरुवात...करो ......
अब भरोषा नहीं रहा..........कुछ  तो ऐसा काम करो .....कि
एक दिन ....तो नींद आजाये ........हम बिना किसी डर के सो जाये.......

मै करता हूँ.....विनती....मेरे दोस्तों से...कि....इसका सभी...भाषाओं में ....अनुवाद किया जाये..........
क्या जाने............कौन सी भाषा.........इनको समझ ...............आये.........

 मेरे पर निराश .............ना हो..........
स्याह रात ...................नाम नहीं लेती ढलने का |
यही तो वक़्त है ................सूरज के निकलने का ||

घर में ........बहूत चूहे हो गए है ............चलों सफाई करें ||
------------नागेन्द्र शुक्ल
Requesting all my friends……………… to translate above in all languages....So that everyone can read......common man feeling………...and to confirm government……...that they understand it.....not which language they understand....Thanks.
- Nagendra Shukla




Thursday, October 11, 2012

अब आया है समय ..........प्रायश्चित करने का......

कभी .....जाने, अनजाने ......
कभी....थोडा समय बचाने.......
कभी लाइन से खुद को बचाने...........
कभी अपनी life ..बनाने.............
कभी ...व्यवस्था से ........मजबूर......
हम सभी ने किया है ..............भ्रस्टाचार ....
अब आया है समय ..........प्रायश्चित करने का......
की गयी ....सभी भूल सुधारने का ........
रास्ता है सिर्फ एक ............ये प्रायश्चित...कर पाने का....
वो है ........अरविन्द जी को ........PM  बनाने का ||

बदलने की है, जरूरत......हर उस (System) व्यवस्था को जो.....उकसाता है .....भ्रस्टाचार ....
कल था ...जन्मदिन.......JP का......करना है उनका सपना .....साकार........
और दण्डित करने का...उनको, जिन्होंने.....
पाने को सत्ता.....मार दिया JP .....का विचार .....
--नागेन्द्र शुक्ल
My Community @ http://www.facebook.com/WeWantArvindKejriwalAsIndianPm

Wednesday, October 10, 2012

लानत है...हम पर ...........अगर अभी भी ...ना PM बनाया ||

अरविन्द जी, की सोंच, हिम्मत......जज्बा....सब कुछ है भाया.....
इसीलिए तो हर आम आदमीं ने ......इस आम आदमीं को है, अपना बनाया ||

इन्होंने दी हमें हिम्मत.............और सच का पाठ पढाया |
होता क्या है.....परमार्थ........करके चरितार्थ....है दिखाया ||

अब कुछ हम करें, उनके लिए ...........ऐसा समय है आया |
लानत है...हम पर ...........अगर अभी भी ...ना PM बनाया ||

गर अभी भी ...ना...... PM बनाया |
तो उनका कुछ ना जायगा,

वो फ़कीर है ........फ़कीर ही रह जायगा ||
पर आम आदमी.....Mango Man .....और देश bnana republic बन जायगा ||

भ्रस्टाचारी, तानाशाही .......घर में घुस ....जनता को मुंह....चिडायेगा |
देश की जल, जमीन......कोयला........सब को बेंच......facebook पर account बनाएगा ||
हो रहा है ...भारत निर्माण ......जबरदस्ती..कहेलवायेगा ||

बोलो ऐसे हालात में .........एक अन्ना.......कैसे जी पायेगा |
अनशन पर अगर बैठा.............तो मीडिया भी ना बताएगा |
अन्ना..........................बेचारा अनशन पर ही मर जायगा ||

रोयेगा............. गाँधी.........भगत सिंह को लगेगी ...फांसी |
ना बचेगी............ईमानदारी, देशभक्ति ..............जरा सी ||

बढ़ेगी महगाई..............
मरेगा ........गरीब.......... मेरे भाई |
अगर अभी भी ना .....सारी ताकत लगाई ||
अगर अभी भी ना .....सारी ताकत लगाई ||

गर अभी भी ...ना......अरविन्द को PM बनाया |
तो समझो.........जनता ने ....जनता का ....भरोसा खोया ||
वो मारेंगे....करेंगे मनमानी........
आम आदमीं....आम आदमी से ...ना पूंछेगा.....तू क्योँ रोया ?
--नागेन्द्र शुक्ल

Monday, October 8, 2012

ये नेता है......तानाशाह है

ये नेता है......तानाशाह है
कुछ मेरी मजबूरी...... कुछ मेरे ही गुनाह है|
जो .......आज...ये .... तानाशाह है ||

ये......सुनते नहीं....सुनातें है |
अब सुनाने की .........इन्तहा हो गयी ||
कब तक सियासत के ताज सहते रहेंगे,
गर हम उब गए...... तो बस समझ लेना
यह ताज पैरो में पड़े होंगे||

हम तो पिंजरे के परिंदे बन गए है |
हम लोकतंत्र के शांत...........कबूतर बन गए है ||

हम शांत है, मगर.....कमजोर नहीं |
और साहस ....आपसे कहीं ज्यादा......खुली सड़क पर....दौड़ा करतें है
और एक आप है......जो घर पर भी ....संगीनों के साये में रहतें है ||

हम समझते है .....आपकी मजबूरी,
जब कर्म हो ख़राब...............तो डर लगता है ...जनाब||

हम अब व्यवस्था..बदलेंगे.......
और आप को...खुली सड़क पर भी सुरक्षा देंगे.....

हम जनता है.....पर भूल गए एक कहानी हैं||
की ....कबूतर... ले उडे थे....शिकारी का जाल...
बस भरी थी हुंकार.....और ....किया था .....
एक साथ....प्रयास ||

आओ मिल जाएँ......भरें हुंकार......
करैं प्रयास ....भगाएं.....भ्रस्टाचार |||
इस महायज्ञ में ......देनी है...आहुति....
और करना है .....सतत प्रयास ||

जागते रहो.......जागते रहो |
कदम कदम....बढ़ाते रहो ||
..........अरविन्द जी हम साथ है ||
--नागेन्द्र शुक्ल 

Wednesday, October 3, 2012

ठूंठ (सुखा पेड़) की व्यथा

मै, एक आम आदमी |
       महंगाई और भ्रटाचार, से लाचार ||
एक दिन मिला मुझे रोजगार ||
एक नेता का चमचा आया,
       और मुझे 100 का नोट दिखाया |
मै झट हो गया रैली, को तैयार ||

जेब में थे पैसे कम,
       सो दूर हो गए कुर्सी से हम |
तभी एक ठूंठ (सुखा पेड़) नज़र आया,
       और हमने उस पर, आसन जमाया ||

तभी पुलिस का रेला आया,
       और पीछे से, नेता ने हाथ लहराया |
ठंडा पड़ा माहौल, आचानक गरमाया ||

न जाने, ये सब देख,
       ये ठूंठ क्योँ शरमाया |
मैंने पूंछा, क्या हो गया भाई,
         आखिर तुम्हें, क्योँ शर्म आई ||

वो बोला,
           फिर एक नेता आया है |
तुम्हारे दुःख, तुम्ही को बताएगा |
       और तुम्हीं से, वोट ले जायेगा ||

आज 100 , देगा ............................कल 500 , वसूलेगा ||

करने को घोटाला,
      मुझ ठूंठ को, पेड़ बताएगा ।
और 10 रुपये , का पानी लाख में डलवायेगा ||

में तो ठहरा, ठूंठ,
       ठूंठ , ही रह जाऊँगा |
पर वो सामने खड़ा पेड़,
       बिन पानी के मर  जायेगा ||

मैं, शर्मिंदा हूँ............................... क्यूंकि मैं ठूंठ हूँ |
       कुछ कर नहीं सकता ||
छोड़, तू भी तो आम आदमी है...........क्या कर पायेगा |
       फिर 100 रुपये में, किसी रैली में बिक जायगा ||
और फिर से, मुझ ठूंठ को सिंचवायेगा ||

ठूंठ आगे बोला, चल छोड़, ये बता.......
सुना है, अरविन्द भी पार्टी बनायेगा |
और कहता है, ईमानदारी से चलायेगा ||
तो क्या, ............................कभी वो भी रैली कर पायेगा |
             और क्या, तू बिना 100 रुपये के आएगा ||

क्या वो, पेड़ को पेड़ |
और ठूंठ को ठूंठ बतायेगा ||

यदि उत्तर है - हाँ
तो अब, हर अन्ना, बजाय दिल्ली में अनशन के |
आराम से, अपने गाँव में ......गन्ना खायेगा ||

ठूंठ, बात कह गया बड़ी |
चोट सीधे, दिल पर लगी ||
खाता हूँ कसम, अब 100 रुपये में .....रैली में नहीं आऊँगा |
और वोट, उसी को..............जो ठूंठ को ठूंठ और पेड़ को पेड़ कह पायेगा ||

-----------एक आम आदमी द्वारा -----------दूसरे आम आदमी को समर्पित.
--------नागेन्द्र शुक्ल

लड़ो पढ़ने के लिए, और पढो लड़ने के लिए

लड़ो पढ़ने के लिए, और पढो लड़ने के लिए
विगत कुछ वर्षो मैं सबसे जयादा नुकसान हमारी शिक्षा प्रणाली को हुवा है, पाहिले तो इन नेताओं ने शिक्षा का व्यवसायीकरण किया, फिर अपने स्कूल कॉलेज खोले.
इन संस्थानों मैं शिक्षा के साथ मजाक हो रहा है, प्रत्यक्ष उदहारण है की आज किसी भी छात्र के लिए BTec, BCA, MCA, MBA...etc..मैं Admission  मिलना कितना आसान हो गया है.
आप कहेंगे ये तो अच्छी बात है.......जी हाँ जरूर अच्छी बात होती अगर इन संस्थानों मैं शिक्षा का स्तर भी बेहतर होता......
आज किसी गाँव, कसबे के सरकारी स्कूल मैं पढ़ने वाला मेधावी छात्र इनके फंदे मैं आसानी से फँस जाता है. माध्यम वर्गीय आम आदमी....
यह सोच कर की बेटा इंजीनियरिंग कर रहा है, आपना सब कुछ झोंक देतें है इन संस्थानों की demands को पूरा करने में | ये ठीक उसी तरह प्रतीत होता है जैसे दहेज़ प्रथा ||
और finally engineering complete करके  छात्र को पता चलता है की उसने वो तो पढ़ा ही नहीं........जो एक अदद नौकरी के लिए जरूरी था.........अब सुरु होता है छोटी मछली का खेल....
सभी बड़े शहरों में Job oriented specific coaching classes .....जब पिताजी को पैसे देने का समय आया तो अब फिर कोचिंग के लिए पैसे चाहिए....उसके बाद भी जॉब की क्या गारंटी.....और अगर मिल भी गयी तो Quality का क्या....ये है हमारा पढ़ाई का स्तर.....शर्म आती है की इंजीनियरिंग खत्म करने के बाद भी....Coaching .....ये कैसा मानसिक विकास है, जो एक युवा को भी बैशाखी के सहारे की जरूरत पड़ रही है
अब ये युवा आपनी पूरी उर्जा सिर्फ, अपनी नौकरी को बचाने में......और फिर से इन नेताओं के स्कूलों में अपने बच्चे के लिए डिग्री खरीदने के लिए पैसे जोड़ने में ही गुजार देगा.....और नेता...नेता तो नेता है बस ऐस करेगा, और उसका बच्चा पढ़ाई के नाम पैर विदेश में ऐस करेगा.....फिर सही समय आने पर नेता बन कर देश को लूट कर....पिताजी की तरह ऐस करेगा ......बस यही क्रम चलता जा रहा है .....पर कब तक? और हम क्योँ चलने दे रहे है....क्योँ ?.....क्योंकि हमें इन नेताओं से दान चाहिए कभी कोई चुनाव जीत कर TV वितरण करता है तो कोई लैपटॉप.....Please हमें दान, धर्म, दया और आरक्षण मत दो......बस बेहतर शिक्षा दे दो, पानी दे दो, बिजली दे दो, स्वास्थ दे दो, सड़क दे दो .....हम भारत को सबसे ऊपर पहुंचा देंगे....हाँ और आपका SENSEX भी....