Thursday, November 20, 2014

मोदी—अडाणी पर कुछ तथ्य बनाम अच्छे दिन

मोदी—अडाणी पर कुछ तथ्य बनाम अच्छे दिन
1: पूरा देश जानता है कि गौतम अडानी ने लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए फंडिंग की थी. प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए नरेंद्र मोदी अडाणी के हेलीकॉप्टर में सवार होकर गुजरात से दिल्ली आए थे. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही अडाणी साये की तरह उनके साथ फिर रहे हैं. अडानी के कारोबार का टर्न ओवर 2002 के 76.50 करोड़ डॉलर से बढ़कर फिलहाल 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. संयोग से यह दौर नरेंद्र मोदी के सत्ता में लगातार मजबूत होते जाने का है.
प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के दौरान सरकारी उपक्रम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अडानी ग्रुप को 6000 करोड़ रुपए का लोन देना मंजूर किया है। ऑस्ट्रे लिया के वेस्टरर्न क्वीं सलैंड स्थित क्लेेरमोंट के करीब कारमाइकल में अडाणी माइनिंग प्रोजेक्टर है, जिसके लिए यह पैसा दिया गया. देश की जनता का पैसा एक ऐसे उद्योगपति को राहत देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जिसने सत्ताधारी पार्टी को चुनावों में मदद की. अडाणी के पास पहले से करीब 65 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। उधर, बैंकों की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि कंपनियों को दिया गया कर्ज वसूलना मुश्किल हो रहा है।
एसबीआई ने इस ऋण समझौते को लेकर किसी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। अडाणी और एसबीआई के बीच यह समझौता बेहद गोपनीय तरीके से किया गया, जबकि कई बड़े वैश्विक बैंकों ने पर्यावरण कारणों के मद्देनजर इस उद्यम को लेकर सवाल उठाए थे, साथ ही क्रेडिट लिमिट बढ़ाने से भी इनकार कर दिया था। एसबीआई ने अडानी को ऐसे उद्यम के लिए ऋण देने का निर्णय लिया है, जिसका भविष्य क्या होगा, किसी को नहीं मालूम.
यह भी याद करना चाहिए कि 2002 में दंगों के बाद व्यापार जगत की संस्था कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (सीआईआई) से जुड़े उद्योगपतियों ने हालात पर काबू पाने में ढिलाई बरतने के लिए मोदी की आलोचना की थी. तब अडाणी ने उद्योगपतियों को मोदी के पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सीआईआई के समांतर एक और संस्था खड़ी करने की चेतावनी भी दी थी.
नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार पर आरोप लगा था कि उन्होंने अडानी समूह को भारत के सबसे बड़े बंदरगाह मुंदड़ा के लिए बड़े पैमाने पर कौड़ियों के भाव ज़मीन दी है. बीती मई में सरकारी अधिकारियों ने बिजली बनाने के काम में आने वाले उपकरणों के आयात की क़ीमत को कथित तौर पर क़रीब एक अरब डॉलर बढ़ाकर दिखाने के लिए नोटिस जारी किया था. फरवरी, 2010 में अडानी ग्रुप के प्रंबंध निदेशक और गौतम अडानी के भाई राजेश अडानी को कथित तौर पर कस्टम ड्यूटी चोरी के मामले में गिरफ़्तार भी किया गया था.
क्या इन सब बातों को एकदम सामान्य समझा जाना चाहिए? क्या अडाणी और मोदी की यह नजदीकी अडाणी का विकास कोई सामान्य घटना है? क्या उनका विकास क्रोनी कैपिटलिज़्म का नतीजा है? यदि मोदी से फायदा खाकर अडाणी का साम्राज्य बढ़ने में कुछ गलत नहीं है तो यूपीए सरकार के दौर में भी तो सत्ता और पूंजीपतियों का ऐसा ही गंठजोड़ हुआ था, जिसके बाद लाखों करोड़ लूट सामने आई थी.
2: अडानी के पास पहले से करीब 65 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। इसके बावजूद एसबीआई ने उन्हें 6000 करोड़ रुपए का लोन देना मंजूर किया है। वह भी तब जब बैंक लगातार यह बता रहे हैं कि कंपनियों को दिया गया कर्ज वसूलना मुश्किल हो रहा है। ढेर सारी इन्फ्रास्ट्र क्चयर कंपनियां बैंकों से लोन रीस्ट्रिक्च र करवाने की अर्जियां डाल रही हैं।
ऑस्ट्रे्लिया के वेस्टचर्न क्वींंसलैंड स्थित क्ले रमोंट के करीब कारमाइकल में अडानी माइनिंग का प्रोजेक्टट है। इस प्रोजेक्ट् के लिए गौतम अडानी के अडानी समूह और एसबीआई के बीच 6000 करोड़ रुपए का लोन सैंक्श्न करने से संबंधित सहमति पत्र पर दस्तमखत हुए हैं।
अडानी इंटरप्राइजेज की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के पास 49,584 करोड़ का दीर्घकालिक (यानी जिसे लंबे समय तक चुकाया जा सकता है) कर्ज है। 15,394 करोड़ का कर्ज ऐसा है जिसे कम वक्त में ही चुकाना है। यह स्थिति 31 मार्च, 2014 की है। कंपनी ने 218 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है और इस सितंबर में खत्मर हुई तिमाही के दौरान कंपनी ने अपना टर्नओवर 3328 करोड़ रुपए बताया है। (स्रोत: दैनिक भास्कर)
पत्रकार कृष्णा कान्त की वाल से साभार
http://firstbiz.firstpost.com/corporate/pressure-cong-aap-sbi-defends-rs-6200-cr-loan-adani-109348.html

Tuesday, November 18, 2014

जय जवान - जय किसान

जय जवान - जय किसान
ये नारा दिया था हमारे सबसे लोकप्रिय और अपनी सादगी और संवेदना के कारण लोगो के दिली में रहने वाले प्रधानमन्त्री स्व. श्री शास्त्री जी ने.
शास्त्री जी ने समझा देश की अखंडता और विकास के लिए जवानो की बन्दूक में गोली और किसान के पेट में रोटी तन में लंगोटी बहुत जरुरी है ,… शायद इसीलिए उन्होंने कहा "जय जवान - जय किसान",....

उनके बाद के समय में ,…जो थोड़ी बहुत सुविधाये मिली वो हमारे सैनिको को मिली ,…पर देश के अन्नदाता के हालात धीरे धीरे - बद से बदतर होते चले गए और आज उस स्थिति में है की छोटा किसान "ना जीता है ना मरता है - बस यूँ ही किसानो के दुर्भाग्य और अनदेखी से लड़ता रहता है",....

तो हमारा सुझाव ये है की,....जैसे जवानो को टैक्स फ्री सामान के लिए CSD कैंटीन है हमारे किसानो (छोटे) के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए

प्रस्ताव है की,…
दिल्ली में जब #AAP की सरकार बने तो, तो हम किसानो को किसी ना किसी तरह इस तरह की सुविधा दें,
सरकार के पास साधन सीमित है
इस पर दिल्ली सरकार पर बहुत ज्यादा बोझ आने की उम्मीद इसलिए नहीं दिखती की ,....दिल्ली में किसानो(छोटे) की संख्या काफी कम होगी।
फायदा
दिल्ली में किसानो की संख्या कम है - पर दिल्ली में #AAP का ये विचार, पूरे देश के सामने एक प्रश्न रखेगा की ,.... हमारे देश में छोटे किसानो के लिए कोई गंभीर क्यों नहीं रहा ,.... दिल्ली में आप की ये घोषणा - जन्म देगी एक नयी और सार्थक बहस को ,.... की "किसानो के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए अथवा नहीं",
इस बहस का फायदा "आप" को दो तरह से मिलेगा
1. दिल्ली चुनाव में टीवी की बहसों में AAP अपना सार्थक पहलू रखेगी और कोई भी पार्टी इसका खुला विरोध नहीं कर पाएगी (दिल्ली में तो लागू करने का खर्च भी कम होगा)
2. इस मांग और मुद्दे से देश की बांकी सरकारे और राजनीतिक दल भी मजबूर होंगे इस दिशा में सोंचने के लिए ,…तो अंतया किसानो को फायदा होगा ,.... और ये आप का ऐसा मुद्दा होगा जिसका विरोध कोई दल, धर्म, जाति या भाषा वाला नहीं कर पायेगा

छोटे किसान से की मतलब ?
वो किसान जिसके पास 5 एकड़ से कम जमीन है उसे इस श्रेणी में रख सकते है

छोटे किसान को पहचाना कैसे जाएगा ?
सरकार के पास सारा रिकॉर्ड होता है दिल्ली में तो शायद ऑनलाइन हो

पर CSD कैंटीन जैसी व्यवस्था को खड़ा करने के लिए ,…जमीन, बिल्डिंग, कर्मचारी वगैरह भी लगेंगे वो कैसे ?
इस पर मेरे दो सुझाव है ,…
पहला हम किसानो को कूपन (जैसे sudekso कूपन) जिनको देकर किसान खुले बाजार में कोई भी सामान टैक्स फ्री ले सकती है इससे सरकार को किसी बिल्डिंग (परिसर) कर्मचारी इत्यादि का खर्च नहीं पड़ेगा।
तकरीबन हर जगह किसानो के लिए सोसाइटी होती है - जहाँ से उसे बीज - खाद इत्यादि मिलता है ,.... वहीँ से किसानो को कूपन दिए जा सकते है

कूपन का तरीका मात्र एक सुझाव है ,....आप सोचेंगे तो बेहतर और आसान तरीके निकालेंगे ,....

आप से अनुरोध है - इस मुद्दे को देश के पटल पर जरूर रखे - क्योंकि आज नहीं तो कल ,....कोई ना कोई कुछ ऐसा उठायेगा जरूर ,....

Friday, November 14, 2014

वाह रे वाह पलटासन करती, यू-टर्न सरकार।

(i)
चुनाव से पहले FDI का, किया था बहिष्कार,
संसद भवन में मचा रखे थे, भीषण हाहाकार,
सत्ता पाकर करने लगे, FDI की जयजयकार,
वाह रे वाह पलटासन करती, यू-टर्न सरकार।
(ii)
चुनाव से पहले पाकिस्तान पर, बयान धुँआधार,
छाती पीट- पीटकर माँग रहे थे, बदला वारंवार ,
सत्ता पाकर हाफिज़, नवाज़, हो गए पक्के यार।
एक बार फिर भाग खड़ी हुई, यू-टर्न सरकार।

(iii)
चुनाव से पहले धारा 370 को जो देते थे नकार,
सत्ता पाकर फौरन हो गए बिलकुल निर्विकार,
अलगाववादी पार्टी के साथ बढ़ा रहे हैं सरोकार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई, यू-टर्न सरकार।
(iv)
चुनाव से पहले दामादश्री का दिखता भ्रष्टाचार,
गला फाड़कर कह रहे थे- हो रहा घोर अनाचार,
सत्ता पाकर बना लिये हैं दामादश्री को रिश्तेदार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई, यू-टर्न सरकार।
(v)
चुनाव से पहले महँगाई पर निकालते आँसु के धार,
आम आदमी की खस्ता हालत का लगाते थे गुहार,
सत्ता पाकर रेल किराया में इजाफा कर दिये यार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई, यू-टर्न सरकार।
(vi)
चुनाव से पहले काले धन के बहुत दिये समाचार,
वापस लाकर जनता को देने के वादे किये हजार,
सत्ता पाकर कह रहे हैं – हमें कुछ नहीं पता है यार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई यू-टर्न सरकार।
(vii)
चुनाव से पहले आधार कार्ड को फ्राड देते थे करार,
चिल्लाकर कह रहे थे बंगलादेशी पा रहे हैं आधार,
सत्ता पाकर कह रहे हैं – आधार ही तो है चमत्कार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई यू-टर्न सरकार।
(viii)
चुनाव से पहले हेण्डरसन ब्रूक्स था बड़ा हथियार,
रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग किये लगातार,
सत्ता पाकर सार्वजनिक करने से कर रहे इन्कार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई यू-टर्न सरकार।
(ix)
चुनाव से पहले स्विस बैंक का खूब किये थे प्रचार,
नेता, बाबा, बुद्धिजीवी, सबने भौंका था बार बार,
सत्ता पाकर दुम दबाकर, बैठ गये सारे होशियार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई यू-टर्न सरकार।
(x)
चुनाव से पहले सिक्ख पीड़ीतों पर खूब थे उदार,
फर्जी मुआवजा का ऐलान कर, खूब किये प्रचार,
देने की जब बारी आई तो, साफ मुकर गये यार,
एक बार फिर भाग खड़ी हुई यू-टर्न सरकार।

भक्तो को मूर्ख भक्त बनने से बचाने हेतु ,....


कल जब मैं मेट्रो से आ रहा थे ,....बगल में एक भक्त बैठा था ,… वो शायद तुमसे भी ज्यादा बड़ा भक्त था,…
पहले तो उसने आस - पास के लोगो को समझाने की कोशिश की - कि अच्छे दिन तो ला चुके मोदी जी ,....
किसी ने पूँछा ,…कब कहाँ किसके ,.... तो जनाब भक्त बोले ,....
देखो मोदीसरकार बनते ही पेट्रोल के दाम कम होने लगे ,....
तब मैं बीच में कूदा ,…कहा हमें तो जो पता है वो ये की ,…
पेट्रोल के दाम अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पर घटते - बढ़ते है ,....
इस पर अब सरकार का नियंत्रण नहीं ,....

बहस के दौरान - जब आस - पास के लोगो को समझ आ गया ,....
तब अंत में ये भक्त - जनाब बोले ,…
आप जो कह रहे हो ,…सही है ,… पर ,…
पर कुछ ना कुछ तो किया होगा मोदी जी ने की ,....
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटे होंगे ,....

अब यहाँ से साफ जाता है की ऐसे भक्त से आगे बात करना व्यर्थ है ,…
पर यहाँ से दो सवाल पैदा हुए ,....
1. इस तरह के अंध भक्त पैदा कैसे होते है ,.... कैसे पैदा किये जाते है (कहीं आप तो नहीं ऐसे भक्त?)
इस सवाल का जवाब मिलता है की ,....
हमारे देश का पिट्ठू मीडिया और सोशल मीडिया पर सफ़ेद झूठ का प्रचार करते भक्त ही ,....
ऐसे भक्त पैदा करते है ,.... कहीं आप तो नहीं करते ऐसा ???

2. दूसरा सवाल जो उठा वो ये था की ,.... "आखिर पेट्रोल के दामो के लिए - किया क्या मोदी सरकार ने",....
इसका जवाब अखबार में छपी आज की इस खबर ने दे दिया ,....
खबर ने बताया की ,....
"अंतर्राष्ट्रीय बाजार कच्चे तेल के दाम घटने से - पेट्रोल के दाम और घटने थे ,.... पर सरकार ने टैक्स बढ़ा ऐसा होने नहीं दिया",…
तो टैक्स का पैसा भी तो सरकार के पास जाएगा ,....
आखिर 60 साल में देश का खजाना खाली कर दिया #Congress ने तो #ModiSarkar उस खजाने को भर रही है ,....
चलिए इस बात को भी ठीक मान लिया ,....
पर दोस्त ,....
शायद आपको नहीं पता की ,.... हमारे तुम्हारे टैक्स के पैसे को ये सरकारी मंत्री अफसर व्यापारी मिल कैसे लूटते है ,....

इसकी बानगी 3 बातो से मिलती है ,....
1 क्या आप जानते है 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के लिए अखबारों में 2 करोड़ 79 लाख 62 हज़ार 994 रुपये के विज्ञापन दिए गए
2. गंगा जी की सफाई की प्लानिंग की पहली मीटिंग में खर्च हुए ,.... 45 लाख और
3. दिल्ली MCD की वेबसाइट बनवाई #BJP ने मात्र 12 करोड़ रुपये में ,…

तो अब याद आता है केजरीवाल ,....
जो कहता है - अगर आपके टैक्स के पैसे की चोरी पर लगाम लगा ले तो ,....
तो देश का बहुत विकास हो सकता है ,.... पर इसके लिए भ्रष्टाचारियो पर एक खौफ पैदा करना जरुरी होगा ,…

तब याद आया ,.... कैसे इधर अरविन्द केजरीवाल के शपथ की तैयारी चल रही थी ,....
उधर दिल्ली जल बोर्ड में ,…फाइल जलाई जा रही थी ,....

वाकई ,…थे तो 49 दिन ,....
पर देश ने देख लिया ,… ईमानदार सरकार कैसी होती है ,.... #AAP की सरकार कैसी होगी ,…
इसलिए तो दिल्ली की जनता कह रही है बार बार ,....
उन्हें चाहिए आपकी हाँ AAP की सरकार #NagShukl
न्यूज़ लिंक ये रहा :- http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/14-nov-2014-edition-Gurgaon-page_12-1636-5877-244.html
 
Post Link:- 

Every Honest who raises voice against injustice & Corruption is a Kejriwal himself-

--According to #BJP :
Every Honest who raises voice against injustice & Corruption is a Kejriwal himself-- Or part of #AAP



अगर दिल्ली में आम
आदमी पार्टी की सरकार आती हैं
तो हमेशा मोदीजी के और अरविन्द के काम
का comparison होगा और दोनों पर बेहतर
करने का दवाब रहेगा और जनता फायदे में
रहेगी अगर दिल्ली की जनता ये बात समझ
जाये तो वो वोट 'आप' को ही देगी, और
तो और, इस दवाब का फायदा पूरे देश के
लोगों को मिलेगा, इसलिए दिल्ली का चुनाव
सिर्फ दिल्ली की जनता के लिये
नहीं बल्कि पूरे देश की जनता के लिये
महत्वपूर्ण है ।
अगर इस देश की जनता मोदीजी पर देशहित
में काम का दवाब बनाए रखना चाहती है
तो उसे दिल्ली के अपने हर दोस्त रिश्तेदार से
अपील करनी चाहिये कि वो AAP
को को वोट दें व केजरिवलजी के
भ्रष्टाचारमुक्त भारत के निर्माण में सहयोग
करें।
 



1 never means,......never,... 3 never means,......May be when required!!

दिल्ली कहेगी दिलसे ,…केजरीवाल फिरसे #KejriwalFirSe
मोदी जी,....मैं हूँ तो आपका भक्त पर ,....
मोदीत्व की तरफ बढ़ती इस #BJP ने आज जो कृत्य किया है ,…
ऐसा लग रहा है ,....उस तालाब में डूब जाऊँ ,…जिसको
अजित पवार ने ,…अपने प्रयासों से भरा हो

1 never means,......never,...
3 never means,......May be when required!!!!
भाई वो एक घोटाला था,... सिचाई वाला ,…
कब खुलेगी वो फाइल?,....
कौन खोलेगा फाइल बीजेपी वाले या वो ( Naturally Corrupt Party ) NCP वाले??,…
और हां,....
वो तालाब भी भरना था ,… इस बार किसके पेसाब से भरेगा???,
अब बीजेपी वाला या ( Naturally Corrupt Party ) NCP की तरफ से ,…
और हा थूक कर चाटने की आदत नहीं है बीजेपी को,…
सायेद इसको यू टर्न कहे या थूक कर चाटना ,.....अपने हिसाब से लगा लो
 
 

तुम्हारे तो पता नहीं ,....ओवैसी के अच्छे दिन ,....ले आये

आखिर किस सच को छुपाने के लिये #BJP भक्तो को इस झूठ का सहारा लेना पड़ा ?
कहीं वो सच ये तो नहीं की ,… ये बीजेपी ही है जो MIM को फंडिंग कर हैदरबाद से बाहर पैर पसारने में मदद कर रही है ?
वो सच ये तो नहीं की ,…की कल महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनवाने के लिये MIM ने बीजेपी समर्थन किया ?
कहीं वो सच ये तो नहीं की ,…की बीजेपी ही MIM को दिल्ली में ऑफिस खोलने में मदद कर रही है और चुनाव लड़ने में फंडिंग ?
तो अब आपका सवाल होगा की ,....
आखिर बीजेपी ऐसा क्यों करेगी ,....
तो साहब ,....ये तो साफ़ है की ओवेसी को आगे बढ़ाने से ,…modified बीजेपी को दूरगामी फायदे देख रही है ?
अभी दिल्ली में लड़ेंगे ,....और अपने सबसे बड़ी चुनौती अरविन्द (AAP) को हराने में मदद करेंगे ,....
फिर ये बढ़ते पैर जो उप्र बिहार में जा रहे है 2017 के आगामी चुनाव तक ओवेसी नाम का चेहरा ,.... आजम खान जैसे चेहरे के सामने खड़ा कर दिया जायेगा ,.... ताकि वही राजनीति आगे बढ़ायी जा सके ,.... जिसमे जनता सोती रहे ,…

किसी ने सच ही कहा था ,...."धर्म एक अफीम की गोली है - जिसे खिला शासक जनता का शोषण करता है",…

हम कोई गुजराती तो है नहीं ,.... जो व्यापार मेरे खून में हो ,…
पर ये बात मेरे एक दोस्त ने समझाई जो मार्केटिंग का काम करता है ,....
उसका कहना है,....
व्यापारी अपने व्यापार को सेफ करने के लिये ,…
अपने प्रोडक्ट का competitor खुद ही खड़ा कराता है ,…
जैसे ,…
चाहे अंकल चिप्स खरीदो या लेस ,…पैसा तो पेप्सिको के खाते में ही जाना है ,…
जैसे ,....
दिल्ली में #MIM को वोट दो ,…या #BJP को ,…
बात एक ही है ,……

दिल्ली चुनाव में #MIM का जितना प्रचार होगा,....उतना आज तक के इतिहास में नहीं हुआ होगा ,....
और पैसा ,....
पैसा तो #Ambani का ही होगा ,…
खर्च चाहे #BJP करे या ओवैसी ,…

जैसे इंदिरा गाँधी ने तैयार किया था ==>> भिंडरवाला को
एक बार फिर वही कहानी,.... ठीक उसी तरह
नरेंद्र मोदी ==>> अकबरुद्दीन ओवेसी (MIM) को तैयार कर रहे है ,....

इन संकेतो को देखने - समझने के बाद ये कहने पर मजबूर हूँ ,....
"औवेसी,पंवार झाँकी है,....लोन,हाफ़िज़ बाक़ी है,."

अंत में यही कहना चाहूँगा ,....
"दोस्त तुम्हारे तो पता नहीं ,....ओवैसी के अच्छे दिन ,....ले आये - मोदी जी",…
और आप से अपील करना चाहूँगा की ,…।
एक तरफ जब भ्रष्ट व्यवस्था को पोषित करने वाले ,.... भ्रष्ट व्यवस्था को चुनौती देने वाले अरविन्द के खिलाफ इस कदर क्षणयंत्र रच सकते है ,....
तो ऐसे में देश के हर अच्छे और सच्चे नागरिक का कर्तव्य बन जाता है ,....
ऐसे लोगो को मिलकर - तगड़ा जवाब देने का ,....

इसलिए आपसे अनुरोध ,....
इस बार दिल्ली चुनाव में "तन - मन - धन" पूरी ताकत से जोर लगा दो ,....
क्योंकि देश को जिताना है - जनता को जिताना है ,.... #NagShukl

आप चाहे तो ,… इस वीडियो को देख सकते है ,....
https://www.facebook.com/video.php?v=1539357866309804&set=vb.100007068161033&type=2&theater


Post link:- https://www.facebook.com/WeWantAKasPM/photos/a.454846544538482.96610.454826997873770/843031702386629/?type=1&theater
 

Wednesday, November 12, 2014

अकबरुद्दीन ओवैसी जिसका नाम

अकबरुद्दीन ओवैसी जिसका नाम
हैदराबाद से बाहर की राजनीती में
कभी किसी ने नही सुना वो 2012-13
में अचानक एक बड़ा विवादस्पद चेहरा बन
जाता है ।
सार्वजनिक मारपीट, खून खराबा और
धार्मिक उन्माद से भरे बयानों के चलते
एक के बाद एक ओवैसी नकारात्मक रूप से
ही सही सबकी ज़ुबान पर
चढ़ता चला गया ।
मुझे कहीं न कहीं लगता था ये शायद
कांग्रेस द्वारा मुस्लिम वोटरों पर
अपनी पकड़ मज़बूत बनाने का एक
हथकंडा है । लेकिन जैसे ही ओवैसी ने
नरेंद्र मोदी पर ज़ुबानी हमले शुरू किए मैं
समझ गया था ये हठकंडा कांग्रेस
का नहीं बल्कि खुद भाजपा, संघ और
मोदी के शातिर दिमाग की उपज है ।
देश की राजनीती में
ओवैसी का अचानक प्रकट
होना मुस्लिम
वोटों का नहीं बल्कि हिन्दू वोटों के
ध्रुवीकरण का मास्टर प्लान था ।
कुछ दिन पहले यह बात मैंने अपनी फेसबुक
वॉल पर लिखी भी थी और तब मेरे कुछ
मोदीभक्त मित्रों को ये बात
बड़ी नागवार गुज़री थी ।
महाराष्ट्र में MIM का भाजपा से
नाजायज़ रिश्ता सामने आ ही गया ।
आज मेरी बात बिलकुल सही साबित हुई

-भावेश जयंत वालवेकर

पता है हमारे देश में कितने विभाग है ?

001. Department of Ocean Development
002. Central Public Works Department
003. Department of Agriculture and Cooperation
004. Department of Agricultural Research and Education
005. Department of Animal Husbandry and Dairying
006. Department of Food Processing Industries
007. Department of Chemicals and Petrochemicals
008. Department of Fertilizers
009. Directorate General of Civil Aviation
010. Depart of Coal
011. Department of Commerce
012. Directorate General of Commercial Intelligence & Statistics
013. Controller General of Patents, Designs and Trade Marks
014. Trade Marks Registry
015. Department of Industrial Policy & Promotion
016. Office of Economic Advisor
017. Department of Supply
018. Directorate General of Supplies & Disposals
019. Communications and Information Technology
020. Department of Telecommunications
021. Department of Posts
022. Directorate of Standardisation, Testing and Quality Control
023. Electronic Governance Division
024. Consumer Affairs and Public Distribution
025. Department of Public Distribution
026. Department of Consumer Affairs
027. Department of Food and Public Distribution
028. Corporate Affairs
029. Serious Fraud Investigation Office
030. Investor Education and Proection Fund
031. Culture
032. Earth Sciences
033. India Meteorological Department
034. India Meteorological Department, Pune
035. India Meteorological Department, Chennai
036. Agriculture Meteorology Division
037. National River Conservation Directorate
038. Finance
039. Central Pension Accounting Office
040. Controller General of Accounts
041. Department of Company Affairs
042. Department of Income Tax
043. Department of Revenue
044. Department of Service Tax
045. Food Processing Industries
046. Health & Family Welfare
047. Dept. of Indian Systems of Medicines & Homeopathy
048. Heavy Industries & Public Enterprises
049. Department of Heavy Industry
050. Department of Public Enterprises
051. Housing and Urban Poverty Alleviation
052. Human Resource Development
053. Department of Women and Child Development
054. Central Hindi Directorate
055. Information and Broadcasting
056. Directorate of Field Publicity
057. Directorate of Film Festivals
058. Films Division
059. Press Information Bureau
060. Publications Division
061. Song and Drama Division
062. Labour and Employment
063. Director General of Employment and Training
064. Directorate General of Factory Advice Service and Labour Institutes
065. Directorate General of Mine Safety
066. Labour Bureau
067. Law and Justice
068. Micro, Small and Medium Enterprises
069. Development Commissioner, M,S & M Industries
070. Mines
071. Minority Affairs
072. New and Renewable Energy Sources
073. Overseas Indian Affairs
074. Panchayati Raj
075. Personnel, Public Grievances & Pensions
076. Department of Administrative Reforms and Public Grievances
077. Petroleum & Natural Gas
078. Directorate General of Hydrocarbons
079. Power
080. Railways
081. Road Transport and Highways
082. Department of Road Transport and Highways
083. Rural Development
084. Department of Drinking Water Supply
085. Department of Land Resources
086. Department of Rural Development
087. Department of Biotechnology
088. Department of Science and Technology
089. Department of Scientific and Industrial Research
090. National Information System for Science Technology
091. India Meteorological Department
092. Directorate General of Shipping
093. Mercantile Marine Department
094. Social Justice and Empowerment
095. Chief Commissioner for Disabilities
096. Statistics and Programme Implementation
097. Department of Statistics (n.o)
098. Steel
099. Textiles
100. Development Commissioner for Handicrafts
101. Development Commissioner for Handlooms
102. Office of Jute Commissioner
103. Office of Textile Commissioner
104. Tourism
105. Tribal Affairs
106. Urban Development
107. Directorate of Estates
108. Directorate of Printing
109. Department of Publication
110. Water Resources
111. Women and Child Development
112. Youth Affairs and Sports

How BJP got majority in Maharashtra


महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी ने ध्वनिमत से विश्वास हासिल करने का दावा किया है. नवनिर्वाचित स्पीकर ने बैलट वोट की बजाय ध्वनि मत को तरज़ीह दी. पार्टी ने इसका फायदा उठाते हुए विश्वासमत हासिल कर लिया. लेकिन इससे कई सवाल उठ खड़े हुए. फडनवीस के 'विश्वास' पर उंगली
अब हम बताते हैं वो दस वजहें, जिनसे इस विश्वासमत पर अविश्वास हो रहा है...
1. सबसे पहले तो स्पीकर को बैलट की बजाय ध्वनिमत का सहारा लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक नई सरकार के विश्वास का मामला था. अमूमन ऐसा प्रावधान बिल वगैरह पारित कराने में होता है, लेकिन विश्वास हासिल करते समय स्पीकर ध्वनिमत का सहारा लेने दें, ऐसा शायद ही कभी सुना गया होगा.
2. ध्वनिमत में सबसे बड़ी बात यह होती है कि यह पता करना कि कितने लोग पक्ष में हैं और कितने विपक्ष में, बहुत मुश्किल है. वहां भी विधानसभा में शोर-शराबा हो रहा था. ऐसे में महज विधायकों की आवाज सुनकर यह कह देना कि फलां के पक्ष में ज्यादा सदस्य हैं, उचित नहीं होगा.
3. बीजेपी के पास बहुमत नहीं है और पार्टी के साथ 144 विधायक नहीं हैं, यह बात पार्टी भी मान रही है. अनेक प्रयासों के बाद वह 137 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है. ऐसे में यह कहना कि उसके पास बहुमत है, गलत होगा.
4. बीजेपी को बाहर से समर्थन दे रही एनसीपी के सदस्य अगर वॉक आउट कर जाते, तो भी बात बन जाती. वे भी वहां बैठे हुए थे. क्या उन्होंने इस पर बिल्कुल चुप्पी साध ली थी?
5. अगर स्पीकर को ध्वनिमत का ही सहारा लेना था, तो उन्होंने पक्ष और विपक्ष में बंटवारा क्यों नहीं करवाया? इससे स्थिति स्पष्ट हो जाती कि कितने सदस्य साथ हैं और कितने नहीं.
6. विश्वास प्रस्ताव रखने में इतनी जल्दबाजी की गई कि किसी को सोचने का मौका ही नहीं मिले. विधानसभा के स्पीकर को यह अधिकार तो है, लेकिन ऐसा करना नैतिक दृष्टि से कितना उचित है, यह सोचना होगा.
7. स्पीकर ने शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे को विश्वास मत के पहले विपक्ष के नेता का पद क्यों नहीं दिया? विश्वास मत मिलने के तुरंत बाद उन्हें विपक्ष का नेता बना देने से संदेह गहरा जाता है कि उनके मन में कुछ चल रहा था.
8. एनसीपी ने हालांकि सदन के बाहर यह एलान किया था कि पार्टी बीजेपी का समर्थन करेगी, उसने सदन में ऐसा कुछ नहीं किया और स्पीकर को इस बात की विधिवत सूचना भी नहीं दी.
9. स्पीकर ने अपना चुनाव होते ही तुरंत विश्वास प्रस्ताव जितनी तेजी से रखा और वह भी सिर्फ एक पंक्ति का, वह भी अजीब-सा था. इतनी जल्दी और हड़बड़ी में उन्होंने यह किया कि दूसरी पार्टी के नेता समझ भी नहीं पाए.
10. इस पूरे एपिसोड में सिर्फ राजनीति दिखाई देती है. विश्वास मत के पारित होने की घोषणा इतनी जल्दबाजी में क्यों कर दी गई कि किसी को कुछ पता ही नहीं चला. नैतिकता की दृष्टि से यह उचित नहीं दिखता. कुल मिलाकर यह विश्वास प्रस्ताव से ज्यादा एक तरह की बाजीगरी दिखती है.

Wednesday, November 5, 2014

This is what delivered in 49 days.

Arvind Kejriwal
Dec 28: अरविन्द केजरीवाल ने रामलीला मैदान में दिल्ली के मुख्यमंत्री के शपथ ली
Dec 29: दिल्ली के जल बोर्ड के चीफ का ट्रान्सफर कर दिया गया
Dec 30: नियमित कनेक्शन उपभोक्ताओ को 700 लीटर निशुल्क जल प्राप्ति की घोषणा की गयी
Dec 31: 400 यूनिट से अधिक वाले विधुत उपभोक्ताओ को 50% सब्सिडी दी गयी
Jan 1: इलेक्ट्रिक बोर्ड की जाँच के लिए कैग ऑडिट का निर्देश दिया
Jan 2: आप सरकार ने ‘ट्रस्ट वोट ‘ जीता
Jan 3: आप MLA एम एस धीर को असेंबली स्पीकर चुना गया
Jan 4: दिल्ली विश्व विद्यालय में दिल्ली के विद्यार्थियो के लिए कोटा देने का सिफारिश, केजरीवाल ने सुरक्षा और डुप्लेक्स घर लेने से मना कर दिया
Jan 5:आप के कार्यकर्ताओ ने दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों का निरिक्षण करना आरम्भ किया तथा सुविधाओ में आपूर्ति सम्बंधित रिपोर्ट तैयार की
Jan 6: 800 दिल्ली जल बोर्ड के 800 कर्मचारीयो का ट्रान्सफर .
Jan 7: नर्सरी में दाखिले के लिए हेल्प लाइन नंबर सेवा शुरू
Jan 8:सरकारी स्कूल के लिए इन्फ्रास्टक्चर ऑडिट गठित
Jan 8: भ्रष्टाचार विरोधी हेल्प लाइन नंबर का शुभारम्भ
Jan 10: बिजली कटौती के लेकर हेल्पलाइन नंबर सेवा शुरू
Jan 10: विधुत बिलों के खिलाफ आन्दोलन में भाग लेने वालो के लिए बिजली की दरो में माफ़ी
Jan 11: केजरीवाल का जनता दरबार शुरू
Jan 16:सोमनाथ भारती और राखी बिड़ला का देर रात्रि छापा अभियान शूरू
Jan 18: केजरीवाल के मंत्रियो द्वारा रात्री में निगरानी
Jan 19: राखी बिड़ला और समर्थको ने खिड़की एक्सटेंशन में अनैतिक कार्य हेतु छापा मारा, जो बाद में सही साबित हुआ
Jan 20: दिल्ली पुलिस के सहयोग न करने के कारण केजरीवाल रेल भवन में धरने पर बैठे
Jan 26 :बिन्नी को आप विरोधी मुहीम के चलते बाहर का रास्ता दिखाया गया
Jan 31:सरकार ने जांच में सहायता न करने वाली कंपनियो का लाइसेंस निरस्त करने की धमकी दी
Feb 3: DERC ने लाइसेंस निरस्त करने के लिए सरकार से सिफारिश की asked to cancel licences of discoms.
Feb 6: राष्ट्रमंडल खेलों के ‘स्ट्रीट लाइट परियोजना में नए सिरे से जांच.
Feb 7: सलीमगढ़ बाईपास के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं की जांच.
Feb 8: केजरीवाल ने ‘जन लोकपाल विधेयक को अपनी मंजूरी के बाद भी केंद्र को न भेजने पर आपत्ति जताई .
Feb 10: दिल्ली जल बोर्ड में 3 घोटालो की जाँच
Feb 11: भारत में उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ाने के लिए मुकेश अंबानी, वीरप्पा मोइली और मिलिंद देवड़ा के खिलाफ केजरीवाल ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया |
तो ये थी सूची जो की मात्र 49 दिन में आप की सरकार ने लोगो को दी लेकिन इसमें कुछ ऐसी बातों का ज़िक्र नहीं जो आप के सत्ता में रहते हुई जैसे की
36000 पदों को नियमित किया गया,जिसमे अनियमित ड्राईवर,कंडेक्टर,शिक्षक,और ठेकेदार शामिल थे इन पदों को आप सरकार ने नियमित करने की सिफारिश की थी और इसके लिए एक समिति गठित की गयी थी जो की आम आदमी पार्टी के उपरांत प्रक्रिया में आई,इसी तरह नर्सरी स्कूल में दाखिलो को लेकर आप सरकार द्वारा चली गयी मुहीम भी आब रंग ला रही है और आप कार्यकर्ताओ ने लगभग 400 बच्चो के लिए आवेदन दे दिया है

रविश की कलम से……

रविश की कलम से……
नई दिल्ली: राजनीति मनमोहन देसाई की फिल्म की तरह है, जो फ्लैशबैक से शुरू होती है, जिसमें दो लड़के अपने परिवेश के बंधनों को तोड़कर भागते हैं और पुल से चलती रेल पर कूदते समय हवा में ही बड़े हो जाते हैं। पर्दे पर लिखा आता है 'इंटरमिशन'। फिल्म तो समाप्त हो जाती है, लेकिन हकीकत और अंतर्विरोध का जो ढांचा होता है, वह असली और पर्दे के जीवन पर बना रहता है, इसलिए हार और जीत किसी कहानी के मोड़ ज़रूर हो सकते हैं, मगर ज़रूरी नहीं कि इससे बुनियादी सवालों पर बहुत फर्क पड़ जाए। 2011-13 की दिल्ली ने जो उम्मीदें जगाईं थीं, वे अब कहां हैं। राजनीति को बदलने के सवाल गुलज़ार का गाना गा रहे होंगे - "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, एक सौ सोलह चांद की रातें, एक तुम्हारे कांधे का तिल, गीली मेंहदी की खुश्बू, झूठ-मूठ के वादे, वो भिजवा दो..." कहीं ऐसा तो नहीं कि दिल्ली उस थियेटर से निकलकर 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी चतुर्थस्तरीय फिल्म देखने में मगन हो गई है, जहां नैतिकता का मतलब सिर्फ जीत है। चोर जीते, लेकिन इंडिया के लिए जीते। वैसे इस फिल्म ने कमाई के रिकॉर्ड भी बनाए हैं।
काला धन और भ्रष्टाचार का मुद्दा अब लतीफे में बदल गया है। लोकपाल का जुनून उस शामियाने की तरह उजड़ गया है, जिसके भीतर कुर्सी कहीं से आई थी और लाउडस्पीकर कहीं से। सब अपना-अपना सामान लेकर चले गए हैं। वित्तमंत्री सीएजी को सलाह देते हैं कि नीतियों के कई पक्ष हो सकते हैं। जो फैसला है, वह लिया जा चुका है, वह सनसनी न करें, हेडलाइन की भूख छोड़ दें। फिर सफाई आती है कि बात को संदर्भ से काटकर पेश किया गया, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि वह बात क्या थी, जो कट-छंट गई। हमारे नेता ही संपादक हैं। कब संदर्भ समाप्त कर मुद्दे को महज़ नारे में समेट देते हैं और कब नारे को किनारे लगाकर संदर्भ समझने की अपील करने लगते हैं, इसका फैसला उन्हीं के पास सुरक्षित है। हर किसी के खाते में तीन लाख आएगा या नहीं, अब यह आक्रोश की जगह लतीफे का मामला बन गया है। जब पता नहीं था, तब संसद में बहस की मांग क्यों हुई, स्थगन क्यों हुए, यात्राएं क्यों निकाली गईं। वे दस्तावेज़ कहां से आए, जिनके आधार पर कहा गया कि देश में लाखों करोड़ का कालाधन है। रेडियो पर प्रधानमंत्री कहते हैं कि किसी को पता नहीं कि काला धन कितना है, पर पाई-पाई लाएंगे, इसका भरोसा उन पर कीजिए। तो क्या भ्रष्टाचार का वह मुद्दा नकली था, तब क्यों नेता ऐसे बोल रहे थे कि किसी को पता नहीं था।
दो सवाल हैं। काला धन आने को लेकर, दूसरा भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर। क्या ये दोनों सवाल इस कदर बेमानी हो चुके हैं कि अब इन पर सिर्फ लतीफे ही बनाए जा सकते हैं। अगर यही बात मनमोहन सिंह कहते कि उन्हें पता नहीं कि कितना काला धन है, तब 2013 का मीडिया और सोशल मीडिया उनके साथ क्या सलूक करता। अब किरण बेदी, बाबा रामदेव सब चुप हैं। सबने इस सवाल को सिर्फ एक व्यक्ति के भरोसे छोड़ दिया है। तब तो इनका सवाल कुछ और था कि भ्रष्टाचार के सवाल को किसी एक व्यक्ति या सरकार के भरोसे छोड़ा ही नहीं जा सकता। यह काम सिर्फ और सिर्फ लोकपाल कर सकता है। क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि लोकपाल को लेकर वैसा आक्रोश अब भी है। ग्यारह महीने से लोकपाल नहीं है और अब इसे लेकर कोई बयान भी नहीं है। राज्यों में भ्रष्टाचार के सवाल पर तो अब करीब-करीब खामोशी-सी छा गई है। जैसे भ्रष्टाचार केंद्र सरकार ही खत्म करेगी और वह भी एसआईटी के ये दो जज, जो इस वक्त वैकल्पिक लोकपाल की तरह उम्मीद बनते हुए प्रतीत होते हैं, लेकिन इनका दावा भी अजीब है। एक साल में ठीक-ठाक पता कर लेंगे काले धन के बारे में। सवाल तो लोकपाल जैसे सिस्टम का था, जो इस महामारी से एक लड़ाई की शुरुआत करता।
इस आंदोलन ने राजनीति में कई नायक दिए। यह और बात है कि इनका नायकत्व किसी और नायक में विलीन हो गया। अब हर दूसरा-तीसरा 'टटपूंजिया आंदोलन' भी 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' कहा जाने लगा है। दिल्ली के ज्यादातर भ्रष्टाचार विरोधी नायकों ने अपनी-अपनी निष्ठाएं घोषित कर दी हैं, जिनके आधार पर इनकी चुप्पी और मुखरता तय हो रही है। तब तो 'न भ्रष्टाचार न, अबकी बार न...' एक उम्मीद टूटती थी तो एक अनशन आकर उसे संभाल लेता था। अब यह सब नौटंकी में बदल दिया गया है। जाने-अनजाने में एफएम रेडियो ने लोकतांत्रिक आयोजनों को प्रहसन में बदल दिया है।
2013 में दिल्ली भ्रष्टाचार के सवाल पर ठीक से अपना पक्ष तय नहीं कर पाई। जितना बीजेपी को पसंद किया, उतना ही आम आदमी पार्टी को। कांग्रेस को जो सज़ा मिली, उसे वही सज़ा देश भर में मिली। तब बीजेपी और आम आदमी पार्टी एक दूसरे से नहीं, बल्कि कांग्रेस से लड़ रहे थे। इस बार लड़ाई बदल जाएगी। बीजेपी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं और इस लड़ाई में कांग्रेस अपने लिए कुछ जगह खोज रही है। लेकिन क्या वाकई आम आदमी पार्टी सामने-सामने से बीजेपी पर वार करेगी। बीजेपी नहीं, मोदी पर वार करेगी। मीडिया, सोशल मीडिया के सहारे इस लड़ाई को व्यक्तिगत बना दिया जाएगा। यही वास्तविकता है। पर क्या दिल्ली खुद को इस व्यक्तिवादी राजनीति से निकलकर सिस्टम से जुड़े मुद्दों पर कोई समझदारी कायम करेगी। बहस की दिशा को बदल पाएगी।
क्या आम आदमी पार्टी जनलोकपाल और भ्रष्टाचार के सवाल पर उस भावुकता को दोबारा रच पाएगी, जो उसने उन दो सालों में किया था। आम आदमी पार्टी अपनी स्थापना का चुनाव उस मुद्दे के सहारे लड़ेगी, जिसके आधार पर वह कायम हुई थी। 2013 और 2014 की दिल्ली काफी बदल गई है। दिल्ली का चुनाव इस बार भारतीय राजनीति की दिशा तय कर देगा। वह यह कि अब राजनीति वही होगी, जो मध्यमवर्ग चाहेगा। वह इस वक्त राजनीति को टीवी सीरियल की तरह देख रहा है, जहां नए-नए कपड़ों में सजे किरदार उसे रुलाते हैं, तो कभी हंसाते हैं। इस चुनाव में दिल्ली के लिए कुछ नहीं है। जैसे उस चुनाव में दिल्ली के लिए कुछ नहीं था। आम आदमी पार्टी अब एक राजनीतिक दल में ढल चुकी है। अब उन नौसिखिये समाजसेवियों की फौज नहीं रही, जो राजनीति को बदलने के लिए निकले थे। उसके राजनीतिक अंतर्विरोध भी सामने आते रहते हैं। जिसके भीतर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई लोकसभा की हार के बाद शुरू होकर थम तो गई थी, लेकिन इस चुनाव के बाद फिर उभरेगी। दिल्ली का फैसला बताएगा कि भविष्य में नई पार्टी के लिए राजनीतिक स्पेस क्या रहेगा। कभी खत्म नहीं होगा, मगर उस स्पेस को लेकर नए तरह के सबक ज़रूर कायम होंगे। फिलहाल एक बात आम आदमी पार्टी के पक्ष में ज़रूर जाती है कि उसके विधायक नहीं टूटे। किसी ने अपनी पार्टी से बाहर से जाकर स्टैंड लेते हुए इस्तीफा देकर बीजेपी के लिए स्पेस नहीं बनाया। देखते हैं कि अरविंद केजरीवाल अपने उन मुद्दों को छोड़ देते हैं या उन्हीं के सहारे फिर मैदान में उतरते हैं या नहीं।
यह चुनाव जितना नरेंद्र मोदी का नहीं होगा, उतना अरविंद केजरीवाल का होगा। इस बीच जनता उन्हें कुछ दिन सरकार में और बहुत दिन विपक्ष में देख चुकी है। जिस भावुकता और जादू के निर्माण करने का सोशल मीडियाई संसाधन केजरीवाल की टीम ने जुटाया था, उसे बीजेपी ने बड़े पैमाने पर अपना लिया है। यह चुनाव दो दलों के संसाधनों के प्रदर्शन के टकराव का भी चुनाव होने जा रहा है। संसाधनों के मामले में आम आदमी पार्टी बीजेपी से हमेशा कमज़ोर रहेगी, इसलिए 'आप' का असली इम्तहान शुरू होता है अब। दिल्ली जी, लॉक किया जाए - अमिताभ की शैली में बोलें तो। देखते हैं, दिल्ली किसे लॉक करती है।
कई लोग कह रहे हैं कि यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए 'करो और मरो' का चुनाव होगा। उनका आकलन है कि अगर विपक्ष लायक बनी तो पार्टी खत्म हो जाएगी। कोई पार्टी विपक्ष में आकर खत्म कैसे हो जाती है। क्या महाराष्ट्र में 15 साल विपक्ष में रहकर बीजेपी खत्म हो गई थी। क्या केंद्र में 10 साल सत्ता से बाहर रहकर बीजेपी खत्म हो गई थी। लेकिन भारतीय राजनीति में अपने लिए दिल्ली जैसा छोटा संदर्भ और लक्ष्य चुनकर अरविंद केजरीवाल ने भी खुद को इन सवालों के घेरे में नहीं ला दिया है। जब दिल्ली नहीं तो फिर कहां। इस चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी का भविष्य भी दांव पर होगा। मेरा अपना मानना है कि हिन्दुस्तान की जनता भ्रष्टाचार के सवाल पर ईमानदार नहीं है। जो इस मुद्दे को लेकर आग में कूदेगा, वह जलकर मर जाएगा। जनता भ्रष्टाचार सिस्टम की लाभार्थी है। उसे अपनी अन्य निष्ठाएं भ्रष्टाचार से ऊपर लगती हैं। वह भ्रष्टाचार के साथ जीना सीख चुकी है। उसे इस मुद्दे और देश की राजनीति से 'स्टॉकहोम सिंड्रोम' हो गया है। जो उत्पीड़क है, उसी से प्यार हो गया है उसे। अगर अरविंद इस धारणा को गलत साबित कर देते हैं तो आम आदमी पार्टी मोदी के वर्चस्ववादी राजनीति और युग में फिर से उम्मीद बनकर ज़िंदा हो जाएगी। दांव तो सिर्फ 'आप' का है। बचे रहने का और मिट जाने का। यह चुनाव अब 'आप' का है, जनता का नहीं। जो अरविंद कहा करते थे कि चुनाव जनता का है, वही जीतेगी या वही हारेगी।
ज़रा सोचिए। बीजेपी की जीत हुई तो नरेंद्र मोदी का कैसा बखान होगा। मोदी तो जीतते ही आ रहे हैं। उनके फैलाए वृत्तांतों के अनुसार ही बहसें चल रही हैं। बाकी दल और नेता अपने अंतर्विरोधों से भाग रहे हैं तो मोदी रोज़ एक नया अंतर्विरोध पैदाकर के भी बच निकल जा रहे हैं। विरोधी कन्फ्यूज हैं कि मोदी पर हमला करें या नहीं। मोदी को इस तरह का कन्फ्यूज़न नहीं है। वह जब चाहते हैं, जिस पर चाहते हैं, हमले करते हैं। वह एक नहीं, हज़ार तीर लेकर उतरते हैं। बिना देखे दाएं-बाएं छोड़ते रहते हैं। हालांकि उनका हर कदम योजना के हिसाब से ही होता है। टीवी और मीडिया को सिर्फ और सिर्फ एक ही योद्धा लड़ता हुआ दिखता है और इस दुनिया में जो दिखता है, वही बिकता है। क्या अरविंद केजरीवाल मोदी पर उस तरह से सीधे टारगेट कर पाएंगे। बीजेपी उन्हीं के सहारे तो मैदान में उतरेगी। कांग्रेस के लिए भी नए नेतृत्व को आज़माने का मौका है। क्या वह कुछ खड़ी हो पाएगी। शीला दीक्षित के सहारे मैदान में उतरेगी या फिर कोई और नया नेता आएगा।
यह भी ध्यान रखना होगा कि क्या इस बार भी दिल्ली का चुनाव किसी राजनीतिक बदलाव की चाहत के लिए होगा। दिल्ली ने राजनीति को बदलने का सपना छोड़ दिया है। अगर दिल्ली में बदलाव की चाहत होती तो वह बवाना और त्रिलोकपुरी की घटना पर इतनी खामोश न होती। वह इन घटनाओं के समर्थन में भले मुखर नहीं है, लेकिन लोगों का मौन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पूर्ण हो चुका है। चूंकि सेकुरलिज्म की तरह यह भी एक बैड वर्ड है, इसलिए दिल्ली का नफ़ीस तबका इसका प्रदर्शन नहीं करेगा। किन्हीं और बहानों के सहारे इस पर चुप रहेगा।
बवाना की पंचायत अगर यूपी में होती तो अब तक कई सवाल अखिलेश सरकार पर दागे जा चुके होते कि सपा बीजेपी से मिली हुई है, ताकि इस ध्रुवीकरण का लाभ दोनों मिलकर उठा लें। दिल्ली में जवाबदेही के सवाल पर वैसी आक्रामकता गायब है। क्यों किसी ने नहीं कहा कि जिस दिल्ली के लाल किले से 10 साल तक सांप्रदायिकता पर रोक लगाकर देशसेवा में जुटने का आह्वान किया गया, उसी दिल्ली में किसकी इजाज़त से महापंचायतें हो रही हैं। क्यों तनाव हो रहे हैं। क्यों नहीं ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से डांट लगाते हैं कि बंद कीजिए। मेरी नज़र है ऐसी घटनाओं पर। वह भी एक ऐसे प्रधानमंत्री से उम्मीद तो की जा सकती है, जिनका खासा समय मीडिया के माध्यमों में गुज़रता है। आम आदमी पार्टी ने भी सांप्रदायिकता के खिलाफ स्टैंड लेकर यात्राएं नहीं निकालीं। घर-घर जाकर लोगों से पर्चे नहीं बांटे। कांग्रेस और 'आप' ने मीडियाई बयान देने की औपचारिकता भर पूरी की। वर्ना कोई बवाना के समानांतर सौहार्द पंचायत करने की भी सोच सकता था। सब इस सवाल पर कन्फ्यूज़ हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि लोकसभा की तरह सेकुलरिज़्म के बैड वर्ड बन जाने का नुकसान न उठाना पड़े। यही तो राजनीति है। नुकसान उठाकर भी आप अपने आदर्शों को नही छोड़ें। लेकिन तब क्या करेंगे, जब सामने वाला हर तरह के आदर्शों की तिलांजलि देकर जीतने पर आमादा है। चुनावी राजनीति की यही तो सीमा है। हर किसी को इसमें फंस जाना पड़ता है। नैतिकता टीवी स्टुडियो में बहस के लिए बची रह जाती है।
http://khabar.ndtv.com/news/india/ravish-kumar-opines-whom-will-delhi-fight-against-688635

Tuesday, September 30, 2014

आप ही बताओ....क्या मैं मोदी जी से,....के बारे में ना पूछूं..

पता नहीं क्यूँ.....भक्त मुझे नेगेटिव सोच वाला समझते हैं.....आप ही बताओ....क्या मैं मोदी जी से धारा 370 के बारे में ना पूछूं.....क्या मैं मोदी जी से गौ-माता के मांस पर टैक्स कम करके गौ-हत्या को बढ़ावा देने का कारण ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से रोबर्ट वाड्रा को z सिक्यूरिटी कायम रखने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से दिल्ली में विधायको की खरीद-फरोख्त के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से केजरीवाल सरकार द्वारा अम्बानी के खिलाफ की गई FIR को रद्द कराने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से दिल्ली की एकमात्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच की शक्तियां छिनकर उसको पंगु बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से AIMS में भ्रष्टाचार के खुलासे करने वाले संजीव चतुर्वेदी को हटाये जाने के बारे में ना पूछूं...........क्या मैं मोदी जी से अब तक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाये गए कदमो के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से महंगाई एक बारे में सवाल ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से काले धन के प्रति ढीले-ढाले रवैये के बारे में ना पूछूं.........क्या मैं मोदी जी से काले धन को राष्ट्रीय सम्पति घोषित करने के वादे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से FDI के विरोध करने वाले ड्रामे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हुए सैनिको के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से चीन की दादागिरी के खिलाफ उठाये गए कदमो के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से लव-जेहाद के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से हाल ही हुए वडोदरा में हुए साम्प्रदायिक दंगे के बारे में ना पूछूं.......क्या मै मोदी जी से दिल्ली में बिजली की कम्पनियों के CAG ऑडिट को प्रभावित करने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से येदुरप्पा जैसे नेताओं को पार्टी उपाध्यक्ष बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से अमित शाह जैसे तड़ीपार को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से स्मृति इरानी जैसी 12वीं पास को फर्जी डिग्री बताकर देश की शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से अरुण जेटली और स्मृति इरानी जैसे हारे हुए प्रतिनिधियों को देश के आम आदमी का प्रतिनिधित्व सौंपने के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से मीडिया के पैसे देकर चलाई जा रही paid news के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से उनकी पार्टी को मिल रहे चंदे के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से चुनावों में उनके उम्मीदवारों द्वारा बांटी जा रही अवैध शराब के बारे में ना पूछूं........क्या मैं मोदी जी से एक बलात्कारी को मंत्री पद दिए जाने के बारे में ना पूछूं......क्या मैं मोदी जी से CBI को आजाद करने के उनके भाषण के बारे में ना पूछूं.......क्या मैं मोदी जी से कोलेजियम सिस्टम ख़त्म करके सुप्रीम कोर्ट में अपने 2 नेताओं के प्राइवेट वकीलों को जज बनाए जाने के फैसले के बारे में ना पूछूं......!!
अगर नहीं तो फिर इसका मतलब या तो मैं इस देश का नागरिक नहीं हूँ.....या फिर मोदी इस देश के चुने हुए प्रधानमंत्री नहीं......!!Naveen Dahiya

Monday, September 29, 2014

प्रधानमन्त्री जी अमेरिका दौरे पर ,....

हमारे प्रधानमन्त्री जी अमेरिका दौरे पर है। आइये कुछ सच्चाइयों से अवगत कराये।
नो उल्लू बनाविंग - नो उल्लू बनाविंग
भारतीय मीडिया
1. नरेंद्र मोदी जी का भव्य स्वागत किया गया।
* जब कि स्वागत के समय मात्र भारतीय मूल के पांच अफसर और एक अमेरिकन प्रोटोकॉल उपस्थित थे।
2. नरेंद्र मोदी जी के लिए कढ़ी सुरक्षा व्यवस्था।
* जब कि एयरपोर्ट से होटल तक मोदी जी अपनी गाडी से अमेरिकन सुरक्षा व्यवस्था के बिना ही गए। कोई भी अमेरिकन पुलिस की मोटर साइकिल नहीं थी।
3. मोदी जी का अमेरिकन वासियो ने आथित्य स्वागत किया।
* जब की अमेरिका दौरे का पूरा खर्च भारत ने किया। उनके ठहरने तक का खर्चा भारतीय दूतावास ने उठाया।
4. आइये देखे वहाँ के लोग और वहाँ के अखबार क्या कहते है।
* न्यू यॉर्क टाइम्स में उनके आने का उल्लेख तक नहीं है। 2002 के दंगो के कारण वहा की कोर्ट द्वारा सम्मन दिए जाने का विवरण है।
* वाशिंगटन पोस्ट ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए लिखा है -
"India’s Modi begins rock star-like U.S. tour" , यानि हमारे प्रधानमंत्री की तुलना वहाँ के नाचने - गाने वालों से की है।
* वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी लिखा है की भारत के प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे से कोई भी महत्तवपूर्ण समझौता (अनुबंध) होने की संभावना नहीं है।
5. "मैडिसन स्क्वायर गार्डन" जहाँ मोदी जी ने रिवॉल्विंग स्टेज पर एक रॉक स्टार की तरह भाषण दिया वह भारतीय मूल के व्यक्तियों (भाजपाई) द्वारा भुकतान करके किराये पर लिया गया है । वहाँ की सरकार का कोई योगदान नहीं है ।
6. हमारे प्रधानमन्त्री के जापान दौरे के दौरान वहाँ इसी तरह का माहोल था। जापान के सबसे ज्यादा लोकप्रिय न्यूज़ पेपर - टोक्यो न्यूज़ पेपर ने उनके जापान आने की खबर मात्र 80sq cm में पूरी कर दी। हमारे मीडिया ने ऐसा दिखाया जैसे की हमारे प्रधानमंत्री जी ने पूरा जापान फ़तेह किया है ।
चीन के प्रधानमंत्री के भारत आने पर हमारी मीडिया ने ऐसा दिखाया कि जैसे भगवान धरती पर आ गए है और वो भी अंगूठा दिखा कर चले गए।
भारत का मीडिया 150 अरब लोगो को उल्लू बना रहा है किसके इशारे पर ??
नो उल्लू बनाविंग - नो उल्लू बनाविंग।
[29/09 10:04] Ajay Tomar: राजदिप ने अडानि की प्रधानमंत्री के साथ रुकने की खबर ट्वीट कर दी तो भक्तों ने उनके साथ मार पीट कर दी, घटना पर मीडिया व पत्रकार खामोश क्यों है? सुप्रभात जयहिन्द

Thursday, September 25, 2014

अरुणाचल के एक भाग को चीन का हिस्सा दर्शाते नक़्शे वाले

चीनी राष्ट्र पति और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में गुजरात सरकार , भारतीय सरकार और चीन के बीच हुवे तीन समझौतों में भारत के एक हिस्से अक्सईचिन को चीन का हिस्सा दिखाते कश्मीर के कुछ भाग और अरुणाचल के एक भाग को चीन का हिस्सा दर्शाते नक़्शे वाले दस्तावेज़ों पर एम ओ यू पर दोनों देशो के अधिकारीयों ने हस्ताक्षर किये है . ऐसा भूल वश भी अगर हुवा है तो यह भारी भूल है और बीजेपी के नए खेवन हार, इस देश के नए प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी द्वारा अपने को युग पुरुष स्थापित करने की उतावली का परिणाम लगती हैं। ऐसे ही उतावले पन में आज़ादी के एकदम बाद नेहरू जी भी थे जब उन्होंने हिंदी चीनी भाई भाई के नारे लगवाते लगवाते चीन की तरफ से आँखे मूँद ली थी और चीन ने अरुणाचल का एक बड़ा हिस्सा कब्ज़ा लिया था। पड़ोसियों से रिश्ते बनाना अहम बात है पर ध्यान रहे की इस तरह की उतावले पण में की गयी भूलो का देश पहले ही बहुत नुक्सान उठा चूका है।
News Link:-
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वाह प्रशांत भूषन जी और विनोद राय जी ,....


वाह प्रशांत भूषन जी और विनोद राय जी ,....
आपकी सच्चाई , ईमानदारी और मेहनत,…का फल पूरे देश को लंबे समय तक मिलेगा ,....
और ,…
जन साधारण को बता दें ,....
इसका जो फायदा आपको मिलेगा ,....

वो राजनीतिक पार्टियो द्वारा बाँटे जाने वाले ,....लैपटॉप टीवी मोबाईल स्कूटी से कई हज़ार गुना ज्यादा और मूल होगा ,....
तो अब ,....
कम से अब ,....
आपको समझ आना चाहिये ,....
की भ्रष्टाचार ,.... आपके जीवन को किस तरह प्रभावित करता है ,....
और भ्रष्टाचार मुक्त भारत क्यों जरुरी है ,....

चलो एक शपथ ले ,.... एक प्रयास करे ,.... सबसे कहे ,....#चलोदेशसुधारे #ChaloDeshSudhare
#NagShukl
 
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मोदी के लिए केजरीवाल ज़रूरी है .........

मोदी के लिए केजरीवाल ज़रूरी है ................................................................................
नये भारत का आन्दोलन मोदी ने नही शुरू किया. नये भारत के आन्दोलन को केजरीवाल और अन्ना ने मिलकर अपने जिगर से फूंका था. अन्ना का आमरण अनशन 1947 के बाद देश के इतिहास का सबसे प्रभावशाली अनशन था. ऐसा अनशन जिसकी लाइव कवरेज ने करोड़ों घरों को पहली बार एक बड़ी लड़ाई के लिए एक जुट कर दिया था. ये वही मोड़ था जहाँ बीजेपी और कांग्रेस दोनों डर कर संसद के दडबे में छुप गयी थी...और मोदी कहीं सीन में नही थे.
इसी मोड़ पर केजरीवाल अपने साथ अन्ना और किरण बेदी को लेकर अगर आगे बढ़ जाते तो शायद 2014 में समूचा हिंदुस्तान उन्हें लाल किले से सुन रहा होता. अगस्त क्रांति के आन्दोलन के वक़्त केजरीवाल और अन्ना की दीवानगी का आलम ये था कि उनकी एक ललकार पर हिंदुस्तान बिछा जा रहा था. उनके मुह से बोल नही मंत्र निकल रहे थे. उनके इशारे पर घटनाक्रम बदल रहा था . उनकी उँगलियों पर राजपथ नाच रहा था .
ये सारा शो केजरीवाल का था. ये सारा आन्दोलन केजरीवाल के ब्लू-प्रिंट से निकला था . अन्ना आन्दोलन का चेहरा बने थे और किरण बेदी उसकी साख. लेकिन महत्वाकांक्षआओं का ज्वार देश के सबसे ऐतिहासिक जन आन्दोलन को निगल गया. किसी का अहंकार तो किसी कि जिद आन्दोलन के लिए आत्मघाती बन गयी. रातों रात मिली शोहरत में किरण बेदी और केजरीवाल दोनों डगमगा गये और अन्ना को उमड़ती भीड़ बहा ले गयी . शायद ये सभी हैसियत से ऊँची छलांग लगा चुके थे और हवा में बैलेंस खो बैठे.
मित्रों इस आन्दोलन की राख से एक व्यक्ति का पुनर्जन्म हुआ... वो व्यक्ति नरेन्द्र दामोदर दास मोदी था जिसने दिल्ली में बिखरी सरकार, बिखरे विपक्ष और बिखरे हुए एक आन्दोलन के शून्य को भरने में देर नही की. जैसे कोई शेर घात लगाकर मौके का इंतज़ार कर रहा हो..वैसी ही मोदी ने मौका पाते ही ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दांव खेला. केजरीवाल अपने मूल साथियों से जुदा होकर एक जीती बाज़ी हार चुके थे ..और मोदी उन्ही के आन्दोलन की राख में बुझी चिंगारियों को जलाकर आगे निकल गये.
मित्रों सफलता के बीच खुद को संभालना ही सबसे बड़ी चुनौती है. सत्ता में बच्चे की तरह चाँद मांगने की जिद नही की जाती .. चाँद और मंगल जीतने की बात होती है . सत्ता में बच्चे की तरह कुर्सी को ठोकर नही मारी जाती ..कुर्सी का इक़बाल कायम किया जाता है.
मित्रों , 2002 में एक पश्चाताप मोदी ने किया था .अब 2014 में एक पश्चाताप केजरीवाल को करना होगा. मोदी के लिए मुलायम, मायावती या पवार जैसे दागदार चुनौती नही है. मोदी के लिए असली चुनौती केजरीवाल ही है. सच यही है कि देश को चलाने के लिए मोदी ज़रूरी है. मोदी को चेक करने के लिए केजरीवाल.
......................Deepak Sharma (AAJ TAK)
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महाराष्ट्र में #BJP #Shivsena गठबंधन समाप्त ,....

राजनीति ,....
महाराष्ट्र में #BJP #Shivsena गठबंधन समाप्त ,....
अगली प्रेस कस्फेरेन्स #NCP की ,....
साफ़ है NCP #Congress का गठबंधन भी गया ,....
क्या सच में गठबंधन गया या नया गठबंधन बना ????

मेरी समझ से नया गठबंधन बना ,....BJP और NCP का ,....
शायद शुरुवात से चाहत ही सिर्फ इतनी थी ,…… दोनों की ,....
ठीक उसी तरीके से जैसे हरियाणा में ,....BJP #INLD का गठबंधन है ,....
हरियाणा में जहां से INLD का मजबूत प्रत्यासी है वहां से बीजेपी का कमजोर और बीजेपी का मजबूत बागी बन ,.... मैदान में ,…

ठीक इसी तर्ज पर आपको महाराष्ट्र में देखने को मिलेगा ,....
अब सवाल ये की ,....BJP INLD NCP के गठबंधन का मूल क्या है ?
सेना बीजेपी का मूल हिंदुत्व था ,.... पर इनका मूल क्या ?

इनका मूल है CBI ,....और सीबीआई का मालिक कौन ? हाँ बस वही इन नए गठबंधनों का मालिक ,....
इधर चौटाला अंदर की बाहर सीबीआई की मर्जी ,…
उधर सिचाई घोटाला - घोटाला या नहीं ,.... सीबीआई की मर्जी ,....
ऊपर से ,....
sugar बेल्ट ,....
शुगर बेल्ट के मालिक दो ,....
पवार और गडकरी ,.... गठबंधन स्वाभाविक ,....

गठबंधन टूटे ,… बने,… पर भक्तो ,....
एक सवाल रह गया ,....
सेना बीजेपी में सेक्युलर कौन ???
या सेक्युलर होना ,.... भक्तो के लिए अब गाली नहीं रहेगी ??
देखो अब समझ लो ,....
मुख्यमंत्री तो ,…बीजेपी का ही होगा ,.... दोनों जगह ,....

राजनीति ,....
राजनीति है ये ,…इसमें सिद्धांत ,.... सिर्फ कुर्सी और ताकत है ,....
ये समझने में अरविन्द ,.... असमर्थ है ,....
पर अगर अरविन्द समझे ,…तो ,…
तो अरविन्द ख़त्म ,....
#AAP के दोस्तों ,....
संकेत साफ़ है ,…

अगर टिके रहे ,.... जुड़े रहे ,… चलते रहे ,....
तो विपक्ष का केंद्र ,… आप होगे ,....
क्योंकि अब राजनीति के सिद्धांत बदल रहे है ,....
अब देश में ,.... सेक्युलर कम्युनल पर ,.... बहस नहीं होगी ,....
बहस सिर्फ ,....
भ्रष्टाचार और ईमानदारी होगी ,....
मतलब AAP के लिए विपक्ष तय ,....#NagShukl

Saturday, September 20, 2014

open letter to Sh Narendra Modi ji ...........AK

माननीय प्रधानमंत्री जी,
सरकार के 4 महीने पूरे हुए। लोगों में इन 4 महीनों की खूब चर्चा है। लोगों की भावनाओं को इस पत्र के जरिए मैं बयान कर रहा हूं।
लोगों का मानना है कि आप बहुत अच्छा बोलते हैं। बहुत अच्छे भाषण देते हैं। लेकिन आपकी पार्टी के नेता और मंत्री आपकी बातों के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं। आप उस पर न कुछ कहते हैं और न ही कुछ करते हैं। इससे लोगों में असमंजस है।
जैसे अभी कुछ दिन पहले आपने कहा कि अगले 10 सालों तक देश में साम्प्रदायिकता की बातें नहीं होनी चाहिए। आपने कहा कि साम्प्रदायिकता से किसी का भला नहीं होता। लोगों को आपकी ये बातें बहुत अच्छी लगी। लेकिन लोग तब दंग रह गए जब आपके भाषण के कुछ दिन बाद ही आपकी पार्टी के सांसद योगी आदित्यनाथ ने धर्म के नाम पर ज़हरीले भाषण दिए। आपकी पार्टी के लोगों ने लव-जिहाद के नाम पर धर्मों के बीच ज़हर घोलना शुरू किया। लोगों को आश्चर्य हुआ कि आपकी पार्टी के लोग ही आपकी बातों को क्यों नहीं मान रहे? लोगों को उम्मीद थी कि आप योगी आदित्यनाथ को और अपनी पार्टी के अन्य लोगों को यह सब करने से रोकेंगे। लेकिन जब आप भी चुप रहें तो लोग असमंजस में पड़ गए।
आपने लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना दिखाया। आपने यहां तक कहा- ‘‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा।’’ सबको यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। लोगों में विश्वास जगा कि अब भ्रष्टाचारियों को जेल होगी और ईमानदारों की कद्र होगी। लेकिन जब आप ही के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने एक बेहद ईमानदार अफ़सर श्री संजीव चतुर्वेदी को अपने पद से हटा दिया तो लोगों को आश्चर्य हुआ। सारा देश जानता है
कि किस तरह से संजीव चतुर्वेदी ने सरकार में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और कई भ्रष्टाचारियों को जेल पहुंचाया। यहां तक कि स्वयं राष्ट्रपति और संसदीय समिति ने भी श्री संजीव चतुर्वेदी के काम को सराहा है। लोगों को तो उम्मीद थी कि ऐसे अफसरों को आप पद्म भूषण से सम्मानित करेंगे। उनके हटाए जाने का मीडिया और जनता ने कड़ा विरोध किया। लोगों को उम्मीद थी कि आप स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और संजीव चतुर्वेदी को फिर से बहाल कराएंगे। लेकिन जब आप इस मामले में भी चुप रहे, तो लोगों को आश्चर्य हुआ।
अभी कुछ दिन पहले आपके ही गृहमंत्री ने नोटिफिकेशन जारी करके दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच की शक्तियों को कम कर दिया और उसे नकारा बना दिया। यदि आप वाकई भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो आपको तो एंटी करप्शन ब्रांच को और सुविधाएं और पावर देनी चाहिए थीं और उसमें ईमानदार अफ़सरों की भर्ती करनी चाहिए थी। उसे
पंगु बनाकर तो आपके मंत्री भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि चूंकि आपने देश से भ्रष्टाचार दूर करने का वादा किया था इसलिए आप राजनाथ सिंह जी को कहकर ये नोटिफिकेशन रद्द करवाएंगे। लेकिन इस पर भी आप चुप रहे।
अभी कुछ दिन पहले ऐसा सुनने में आया कि आपके एक मंत्री के बेटे ने दिल्ली पुलिस में ट्रांसफर करवाने के लिए कुछ लोगों से पैसे ले लिए। जब आपको पता चला तो आपने उन मंत्री जी और उनके बेटे को बुलाकर खूब डांटा। लोगों को यह बहुत अच्छा लगा। लेकिन आपसे विनम्र निवेदन है कि अगली बार किसी मंत्री का बेटा रिश्वत लेते हुए पाया जाता है, तो आप उसे डांटने के साथ-साथ पुलिस के हवाले भी कर दीजिएगा।
दिल्ली में आपकी पार्टी के उपाध्यक्ष कैमरे पर दूसरी पार्टी के विधायकों को खरीदते हुए नज़र आए। दिल्ली में आपकी पार्टी खुलेआम जोड़-तोड़ करके बेइमानी से सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। लोग बेचैनी से इंतजार करते रहे कि आप अपनी पार्टी को गलत काम करने से रोकेंगे। लेकिन अब तक आप चुप हैं।
चुनाव के पहले आपने तत्कालीन यूपीए की सरकार को इस बात के लिए कई बार आड़े हाथों लिया था कि पाक सीमा पर हमारे सिपाहियों के सर कटने के बावजूद और चीन सीमा पर चीनियों के घुसपैठ करने के बावजूद डा. मनमोहन सिंह सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब आप अपने भाषणों में इस बात को उठाते थे तो लोगों में जज़्बा पैदा होता था और लोगों को अच्छा लगता था। लेकिन आपकी सरकार बनने के बाद भी चीन और पाक की घुसपैठ पहले की तरह लगातार जारी है। चुनाव के पहले आप इस मुद्दे को इतने ज़ोर-शोर से उठाते रहे। लेकिन अब आप भी कुछ ठोस नहीं कर पा रहे हैं?
अभी कुछ दिन पहले अंग्रेजी के एक बड़े अखबार में खबर छपी थी कि आपके कोयला मंत्री 9 प्राइवेट कंपनियों को 1500 रुपये प्रति टन के हिसाब से 25 सालों के लिए सरकारी कोयला बेचने का एग्रीमेंट कर रहे हैं। जबकि उस कोयले का बाज़ार भाव 4000 रुपये प्रति टन है। उस खबर के मुताबिक देश को इससे डेढ़ लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। मतलब कि नई सरकार में भी घोटालों का सिलसिला चालू हो गया? डा. मनमोहन सिंह जी की ठीक नाक के नीचे घोटाले होते रहे और वे चुप रहे। आपसे विनम्र निवेदन है कि आप घोटालों में चुप मत रहियेगा। कृपया इस घोटाले को होने से पहले रोक दीजिएगा।
चुनाव के पहले आपने कहा था कि अच्छे दिन आने वाले हैं। पिछले 65 सालों से इस देश के लोग अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं। इस देश के लोगों को तो पता ही नहीं कि अच्छे दिन कैसे होते हैं? लेकिन फिलहाल तो महंगाई की वजह से लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। जिस मिडिल क्लास और गरीब लोगों ने आपको वोट दिया, आज उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चे पालने मुश्किल हो गए हैं। आप तो अब सर्वशक्तिमान हैं। संसद में आपके पास पूर्ण बहुमत है। इसीलिए आपसे विनती है कि अच्छे दिनों के बिना तो फिर भी लोग रह लेंगे, फिलहाल तो महंगाई से किसी तरह लोगों को जल्द छुटकारा दिलवा दीजिए।
प्रधनमंत्री जी, आपको ऐतिहासिक मौका मिला है। लोगों को आपसे बहुत उम्मीदें हैं। उपचुनावों के नतीजे दिखाते हैं कि लोगों की उम्मीदें धीरे-धीरे टूट रहीं हैं।
धन्यवाद
अरविन्द केजरीवाल

Wednesday, September 17, 2014

गुडगाँव टीम की व्यथा

दिल्ली चुनाव ख़त्म होने के बाद हम सब बहुत खुश थे की गुडगाँव को श्री योगेन्द्र यादव जैसा राष्ट्रीय स्तर का नेता मिला है चुनाव लड़ने के लिए ,....
पर जब से उन्होंने गुडगाँव का कामकाज देखना शुरू किया ,....धीरे धीरे सभी पुराने कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस करने लगे ,…
पार्टी कुछ इस तरह से चलने लगी जैसे ,…कोई कॉर्पोरेट कंपनी ,....
जिसमे लोगो से काम कराने के लिए लालच दिए जाने लगे ,.... अचानक से आयी लोगो की बाढ़ में पुराने साथी बहते चले गए ,…
किसी ने सम्हालने की कोशिश नहीं की ,....
ताकि कार्यकर्ता एक दूसरे से ज्यादा बात चीत ना कर पाये ,....उनको विधानसभा की सीमाओ में बाँध दिया गया ,…
तुम गुडगाँव टीम - तुम बादशाह पर टीम ,....
तुम गुडगाँव से बादशाह पर क्या गए ,....
वगैरह - वगैरह प्रश्न किये जाने लगे ,....

वो कार्यकर्ता जो दिल्ली चुनाव में निस्वार्थ और देशभक्ति की भावना  प्रेरित काम करते थे ,....उनको लगने लगा की ,…
उनसे निखालीज़ देशभक्ति की उम्मीद और जो पद पैसे प्रतिष्ठा परिवार पुरानी जानपहचान की वजह से जुड़े आगे बढे ,....वो राजनीति,....उसी पुरानी राजनीति में व्यस्त दिखे ,....

- कार्यकर्ताओ के बीच भ्रम और अविस्वास फैलाया गया,....यहां तक की वो एक दुसरे की रिकॉर्डिंग से डरने लगे ,....
लोगो को टिकट के लालच में , …काम करने के लिए प्रेरित किया गया , …

पार्टी के अंदर अच्चानक एक ख़ास NGO के लोगो की भरमार दिखने लगी ,....कई बार तो ऐसा लगा परोक्ष  से कांग्रेस करीब आ रही है ,....घुसी जा रही है
पार्टी एक कॉर्पोरेट कंपनी की तरह चल रही थी ,....अंग्रेजी बोलने के सामने हिंदी बोलने वाले कमजोर महसूस करने लगे ,

 वो ऑटोवाला उपेक्षित महसूस करने लगा ,…लोगो को काम दिया जाने लगा ,....काम का हिसाब लिया जाने लगा
कोई सलाह नहीं,… कोई बातचीत नहीं ,....
नए और पुराने लोगो के बीच ,....किसी ने सामंजस्य बिठाने की कोशिश ही नहीं की ,....
ऐसा लगने लगा ,....पुराने की जरुरत ही नहीं ,....
ऊपर से डायलॉग "पुराने पत्ते गिरेंगे तो नए आयेंगे",.... इत्यादि ,....

यहां तक तो सब सहनीय था ,....
पर असहनीय तब हुआ जब ,....समर्पित कार्यकर्ताओ के स्टिंग में वीडियो बनवाए जाने लगे ,....बातचीत की रिकॉर्डिंग ,....एक बात को दूसरे से कन्फर्म करना ,....
कई बार,…धन के मामले में भी पारदर्शिता की कमी दिखी ,…तत्कालीन accountant ने बिल माँगे,....inventory की details माँगी पर मिलनी मुश्किल दिखी,…उन्होंने त्यागपत्र दिए ,....हज़ारो की संख्या में पोस्टर छापने के बिल ,....पर हकीकत में दीखते नहीं थे ,....

और सबसे बड़ी तीन घटनाये ,....
1 ख्यालिया को भारी विरोध के बाद टिकट दिया गया,....सबूत सामने रखने पर,.... कहा गया मामला प्रशांत भूषन के पास भेज दिया गया है ,....फिर कहा गया प्रशांत ने कहा है कुछ गलत नहीं ,…जबकि इस बात के साक्ष्य है की प्रशांत ने टिकट कैंसिल करने के लिए कहा था
2 गुडगाँव टीम ने सर्वसम्मति से जिस कार्यकर्ता को टीम से बाहर किया था उसे वापस से ला प्रवक्ता बनाया गया और पूंछने पर बताया गया मैं उसे जानता ही नहीं ,....जबकि इस बात के साक्ष्य है की उसके रात डिनर किया था ,.... इस प्रवक्ता की हाल ये थे की इन्होने कई मौको पर टीवी में अरविन्द तक की बुराई की ,....
3 मेवात के वरिष्ठ कार्यकर्ता को राहुल गाँधी से मिलवाया गया ,....पूँछने पर कहा गया वो बात बहुत बहुत पुरानी है जबकि ऐसा नहीं था (हलाकि इसका कोई documented सबूत नहीं)
4. मैं भी आम आदमी के अंतर्गत संख्या को कई कई गुना बढ़ा चढ़ा के प्रस्तुत किया गया ,....गुडगाँव में 1 लाख बताये गए ,… जबकि पूरा डेटा सिर्फ बीस हज़ार से भी काम था ,… उसमे से वास्तविक कार्यकर्ताओ की संख्या शायद 5 प्रतिशत भी नहीं
5. कमिटी के सदस्यों को ही अखबार के माध्यम से पता चला की ,…कमिटी भंग कर दी गयी ,....
चाटुकारिता चरम पर और फोटो खिचवाने वाले आगे ,....लालच ही एक तरीका दिखा काम करवाने का ,… पार्टी के मूल तौर तरीके ताक पर रख दिए गए
6. चुनाव के दौरान गुडगाँव में एक बलात्कार की घटना हुई थी जिसमे वो पुलिस वाला जिसने विशेल ब्लोअर का काम किया था उसी को ससपेंड किया गया था गुडगाँव के आंदोलनकारी कार्यकर्ताओ ने जब इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया तो योगेन्द्र यादव ने कार्यकर्ताओ में बोला की ये मामला गलत है इसे छोड़ चुनाव के काम में लगो ,....आंदोलनकारी साथी समझ रहे थे की इस मामले का फायदा चुनाव में भी मिलेगा और सबसे बड़ी बात हम सही का साथ देने की बजाय उसे दबाने छोड़ने का काम कैसे  कर सकते थे 
7. ऐसा लग रहा था ,....
अरविन्द को और उनके करीबियों को ,.... या उस आंदोलन कर्ता सोंच वाले लोगो को हटाना ही उद्देश्य बचा है ,....
जो पोस्टर छपवाए (कुछ) गए उनमे अरविन्द गायब थे ,…खुद को एक मात्र नेता की तरह प्रस्तुत किया गया ,....
अपने रिस्तेदारो को पार्टी के पदो पर स्थापित कराया ,....
नए साथियो में पुराने के प्रति दुर्भावना भरी गयी ,....
8. चीज़ो के ज्यादा दाम चुकाए गए ,.... जबकि बेहतर  सस्ते में हो सकता था 

उपरोक्त स्थानीय कारणों के अलावा ,…राष्ट्रीय कारण भी काफी हावी थे ,.... जैसे की
जरुरत से ज्यादा सीटो पर चुनाव लड़ना
पैसे से टिकट बेंचना
लोगो को बिना मर्जी के ,…क्षणयंत्र से गलत सीटो पर खड़ा करवाना ,....


और नतीजा ,....
सारे के सारे ,…पुराने और आंदोलन के साथी किनारे होते गए ,....

अंत में सिर्फ इतना कहना चाहूँगा की ,....
ऐसा दिख रहा था ,....AAP को जानबूझ कर ख़त्म करने की साजिश की जा रही है ,....
ऐसा लग रहा था कोई इसे पुराने ढर्रे की पार्टी बनाना चाहता है ,....कुछ लालू यादव जैसे फॉर्मूले मुस्लिम - यादव वगैरह ,....

मुझे याद आता है वो ऑटो वाला जो एक दिन ,…ऑटो चलाता था और एक दिन दिल्ली में प्रचार ,
दिल्ली चुनाव के बाद वो और उसका जूनून खो गया ,....

Tuesday, September 2, 2014

अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद

आज देश में अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद
किसी पहचान का मोहताज नहीं है| अरविन्द केजरीवाल एक ऐसे इंसान का नाम है जिसने अपनी सुख सुविधा वाली नौकरी और आराम वाली ज़िन्दगी छोड़ कर देश के लिए कुछ करने की सोची| पर शायद इस देश के लोग हमारी भ्रष्ट व्यवस्था के इतने आदी हो चुके हैं की उन्हें अरविन्द का इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ना अच्छा नहीं लगा| ये एक कडवा सच है की हमारे देश के लोग जाने अनजाने कहीं न कहीं इस भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा है,कभी हम ट्रैफिक पुलिस को रिश्वत देते हैं ताकि हमे कहीं पहुचने में देरी न हो जाए, कभी हम बिजली के दलाल को पैसे देते हैं ताकि हमारा काम जल्दी हो जाए| अरविन्द केजरीवाल ने इन सबके खिलाफ आवाज़ उठाई गलत किया ? शायद देश के बहुत से लोगो के हिसाब से गलत किया , क्योंकि आज
भी हम में से ज्यादातर लोग अपनी सुविधा पहले देखते हैं
देश बाद में |अरविन्द केजरीवाल के बारे में कुछ लोगो( भारतीय जनता पार्टी केसमर्थको का ख़ास तौर से ) के विचार देख कर तकलीफ होती है, राजनैतिक विरोध एक बात है मगर अरविन्द जैसे व्यक्ति का सिर्फ इस वजह से विरोध करना और अपशब्द कहना क्योंकि उसने भ्रष्टाचार के हर आरोपी के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है कहाँ तक सही है? लोगो के अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता की अरविन्द केजरीवाल ने देश के लोगो की राजनीति में रूचि जगाई ,अरविन्द केजरीवाल ने दिखाया की ईमानदारी से साफ़ पैसे से चुनाव लड़ा जा सकता है, अरविन्द ने दिखाया की जब नीयत साफ़ हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं | दिल्ली में आम आदमी पार्टी के २७ विधायक मोहल्ला सभा करते हुए देखे जा सकते हैं , वोह लोगो से पूछते हैं की ४ करोड़ की विधायक निधि कहाँ खर्च होनी चाहिए | शायद इससे पहले लोगो को येभी नहीं पता था की दिल्ली में विधायक निधि ४ करोड़ है |अरविन्द में कमियां हो सकती है वो भी इंसान हैं ,वो खुद मानते हैं कि वो गलती कर सकते हैं लेकिन शायद वो एकलौते ऐसे राजनेता होंगे जो अपनी गलती स्वीकार करने की क्षमता रखते हैं और उनसे सीखने के लिए तैयार हैं| अरविन्द के बारे में सबसे
ज्यादा भारतीय मीडिया ने विरोधी रुख अपनाया क्योंकि उन्होंने मीडिया पर भी सवाल
उठा दिए | लोगो को भी लगा की अरविन्द मीडिया की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं , लेकिन CNN-IBN (Network 18) के एडिटर राजदीप सरदेसाई ने जबचैनल से इस्तीफ़ा दिया और एक बड़ा खुलासा किया की कैसे मुकेश अम्बानी ने चैनलको अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से सम्बंधित खबरों को न दिखने का फरमान जारी किया था तो ये बात साफ़ हो गयी की कैसे मीडिया पे नेता और बड़े उद्योगपति नियंत्रण करते हैं | फिर भी हमारा मीडिया जगत नहीं समझ पा रहा की आज मीडिया कितने निम्न स्तर पे पहुच गया है , सवाल सिर्फ अरविंद की खबरे दिखने का नहीं सवाल है मीडिया की निष्पक्षता का | आज मीडिया इतना बदनाम हो चुका है की शायद ही लोग ख़बरों को सच माने | इतनी आलोचनाओं और विषम परिस्थितियों के बावजूद अरविन्द संघर्ष कर रहे हैं , आम आदमी की आवाज़
बनके लड़ रहे हैं | शायद उनका सही आकलन देश आज न कर
सके लेकिन भविष्य में वो याद किये जायेंगे देश के लिए
इस योगदान के लिए |
-प्रशांत शर्मा
कोहराम के नियमित पाठक और स्तंभकार है--------"आप" जितिन

Wednesday, August 27, 2014

भारतीय मुसलमानो सच्चाई समझो

 भारतीय मुसलमानो सच्चाई समझो
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ISIS द्वारा क्रूरता की जो तस्वीरें और वीडियो आ रहे है वो न केवल इराक और सीरिया बल्कि भारत के लिए भी खतरे की घंटी है और इस पर भारतीय मुसलमानों का मौन भारत को तबाही के गर्त में ले जा सकता है , भारतीय मुसलमानो को इस बात को गहराई से समझना पड़ेगा की उनकी जड़े हिंदुस्तान में है अरब,इराक या सीरिया में नहीं और इराक में चल रहे क़त्लेआम को उन्हें एक हिंदुस्तानी के नज़रिये से देखना होगा मुसलमान होने की भावुकता से नहीं।
कुछ अतिउत्साहित मूर्खो ने इसे इस्लामिक धर्मयुद्ध के रूप में देखा और योद्धा बनने चले गए इराक और वहाँ का मंज़र देखकर हिंदुस्तान वापस आने के लिए अम्मी को याद कर कर के रोने लगे उस नरक में जाने के बाद समझ में आया "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" कुछ के अनुभव से बाकी लोग समझ ले तो समझदारी है।
वहां सुन्नी शिया लड़ मर रहे है तो भारतीय सुन्नी शिया उससे खुद को न जोड़े क्यूंकि उनका हमारा इबादत का तरीका एक हो सकता है पर सांस्कृतिक रूप से उनकी हमारी कोई समानता नहीं, वो क्रूर कबीलाई लोग है जिन्हे परपीड़ा में सुख मिलता है पर हम सनातनी सुसंस्कृत लोग है जिनका किसी की रंचमात्र पीड़ा को देखकर भी ह्रदय पिघल जाता है और इराक के घटनाक्रम का दूसरा पहलु यह भी है कि यह अमेरिका के "तेल के खेल" का एक हिस्सा है ,फिर भी यहाँ के मुसलमान यदि इराक की क्रूरता से खुद को मुसलमान के रूप में जोड़ते है तो इससे हमारे मुल्क़ का माहौल खराब होगा यहाँ दंगे फसाद होंगे, जिन्हे ये इस्लामी धर्मयुद्ध लग रहा है वो कृपया भारत में वातावरण न बिगड़े सीधा इराक जाये और दोबारा बिलकुल वापस न आयें,
भारतीय मुसलमानो से अपील है की ISIS का खुलकर विरोध करे आपका मौन उन्हें भारत में अपनी ज़मीन तैयार करने प्रोत्साहित करेगा जो हर भारतीय के लिए खतरा है, हम अपने पाक वतन हिंदुस्तान में ये ख़ूनी खेल कदापि नहीं होने देंगे,

अपनी एकता और श्रम से बनाएंगे भारत को पुनः विश्वगुरु .
वन्दे मातरम -.....Faiz

Wednesday, August 13, 2014

Status Updates on AVAM and YY

(जरूर पढ़े)
जो हमें जानते है ,....जिसने अन्ना आंदोलन में मोमबत्ती उठाई है ,…
वो जरूर पढ़े ,.... और बाद में अपनी समझ भी लिखे ,…

जब किताबे लिखने का दौर चल ही रहा है ,....
तो हमने सोंचा ,.... हम भी लिख दे ,.... अपने अनुभव ,…अपनी समझ ,…

पूरा का पूरा अन्ना आंदोलन फैब्रिकेटेड था ,… उसमे बस एक ही किरदार ,....कठपुतली नहीं था ,… जिसे हम पाकिस्तानी एजेंट कहते है ,....
अन्ना आंदोलन ,… का उद्देश्य सिर्फ आंदोलन करना था ,… भ्रस्टाचार से उपचार की मांग नहीं ,....
ये इस पाकिस्तानी एजेंट को लगा ,.... की बिना भरष्टाचार नियंत्रण के ,....
देश के दिन नहीं बहुरेंगे ,....

खैर,…अब ये भी समझ आता है की ,.... IBN7 ने पहली बार वाला तो,… लगातार दिखाया ,....
पर दूसरी बार वाला ,.... जितना दिखाया ,…
वो सब सिर्फ आशुतोष और राजदीप की जिद ने दिखाया ,…।

दोस्त,… ये लड़ाई किसी मोदी और अरविन्द की नहीं ,....
ये लड़ाई है अम्बानी के चुँगल से ,… जनता को बचाने की ,...

धोखा दिया गया ,....सिर्फ अरविन्द ही ईमानदार था ,....
शायद इसलिये अरविन्द का साथ देने ,…
योगेन्द्र यादव आये (कांग्रेस की तरफ से रंगे सियार बनके ) और अरविन्द को सहारा दिया ,…
कई मसलो को कांग्रेस की मदद से सुलझाने ,…सरकार की गणित ,.... सब इनका ही ज्ञान होगा ,....
लोकसभा में ४०० से ज्यादा सीटो पर लड़ना ,.... शायद योगेन्द्र जी का एक असफल प्रयास रहा कांग्रेस को बचाने का ,…
जो आपका विरोध करे वो RSS एजेंट ,.... इसकी उपज भी योगेन्द्र जी ,....
मगर अरविन्द जी हर कदम पर लड़ते रहे ,....
बहुत बड़ी जिम्मेवारी है ,.... अरविन्द के कांधो पर ,…
जिम्मेवारी है ,.... उन सब सच्चे लोगो की भावनाओ और सपनो का ,… जिसके लिए उन्होंने 3 साल लगा दिए ,....
कोई जो सच्चा सिपाही था ,.... उस आंदोलन का वो खफा है अरविन्द से ,…जैसे कुमार और बहुत ,....
पर अरविन्द का विरोधी नहीं ,....
अरविन्द जी हम समझते है ,....
बहुत कठिन चुनौतियाँ है आपके सामने ,…
पर मुझे पता है ,…आप मुश्किल काम,.... आसानी से करते है ,....

बहुत सारी उम्मीदों के साथ ,.... हम साथ है ,…।
जीतने के लिए शायद नहीं ,.... पर लड़ते रहने के लिए ,.... हम साथ है ,…।

कहानी और भी है ,.... ये सार है ,....
अरविन्द आपका ,…पहला उद्देश्य पता होगा आपको ,…
इस उम्मीद में ,.... हम साथ है ,

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मुझे लगता है ,… किताब लिखने की गंगा में कुमार भाई ,.... आप भी थोड़ा समय निकालो ,…
अरविन्द की स्वराज ने ,…आधार दिया ,....
तुम्हारी किताब ,.... दिशा तय करेगी ,....

आंदोलन की ,.... आंदोलन मरते नहीं ,.... बस चलते रहते है ,.... #NagShukl

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#Delhi वाली #AAP.... क्या अंतर्राष्ट्रीय AAP की आज की मोमबत्ती यात्रा में भाग लेगी ? हम जंतर मंतर आयेंगे पर आज नहीं कल 3 बजे,.....

योगेन्द्र जी,.... अच्छा बोलना ,…अच्छा है ,…
पर अच्छा करना ,… जरुरी ,…
अब समय आ गया है ,.... जब इनसे सीधे बात करनी पड़ेगी ,… Arvind Kejriwal
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एक वो आम आदमी पार्टी है ,.... जो दिल्ली से बाहर,… ना निकलना चाहती थी ,.... और ना निकलना चाहती है ,....
जिसे चिंता है देश में ,.... एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करने की ,… जो भविष्य के लिए ,… और सशक्त भारत के लिए जरुरी है ,....

एक और आम आदमी पार्टी है ,....जो ना सिर्फ राष्ट्रीय है बल्कि ,… अब अंतर्राष्ट्रीय भी बनने के प्रयास में है ,…
तभी शायद इस दूसरी वाली ,.... आम आदमी पार्टी को ,… गाज़ा की बहुत चिंता है ,… मोमबत्ती यात्रा,… ये वो ,....

पहली आम आदमी पार्टी में ,… हम है,… जिसके नेता अरविन्द है ,....
दूसरी में कौन कौन है वो जाने ,… जिसके नेता,.... योगेन्द्र जी है ,....

योगेन्द्र जी,.... अच्छा बोलना ,…अच्छा है ,…
पर अच्छा करना ,… जरुरी ,…
अब समय आ गया है ,.... जब इनसे सीधे बात करनी पड़ेगी ,…

क्योकि इस देश में राजनीति ,.... अब उस मुकाम पर आ चुकी है ,…
जहाँ congress से टूटे हुए ,.... वापस कांग्रेस में मिलने को बेताब है ,....
सिलसिला शुरू हो गया है बिहार से ,…।

और दूसरी आप के नेता का इतिहास सबको पता है ,....

अरविन्द,.... आपके इस आंदोलन को जितना नुकसान इन्होने पहुँचाया है ,… किसी और ने नहीं ,…
अरविन्द जी ,....
कल नाग पंचमी थी ,.... दूध पिला चुके ,.... अब 3 के बाद रुक्सत करने की सोंचो ,....
वैसे 3 की शाम ,… ये कहीं व्यस्त हो,.... तो अच्छा है ,....

रही बात गाज़ा पर मेरी राय तो ,.... सच में मुझे खुद नहीं पता थी ,....
पर Shailendra Mishra भाई ने बता दिया की मेरी राय क्या है ,....

फ़िलिस्तीन के समर्थन में ..... और....... इज़रायल के खिलाफ ........ किसी भी प्रदर्शन में ..... मैं व्यक्तिगत रूप से शामिल नही होता ...... इसका मतलब ये क़तई नही है .... कि ...... मैं फ़िलिस्तीन का विरोधी और इज़रायल का समर्थक हूँ ........ मैं तो ' जैसे को तैसा ' में विश्वास करता हूँ ....... फ़िलिस्तीन हमेशा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का विरोध ..........और ........पाकिस्तान का समर्थन करता है ......मोदी सरकार द्वारा फ़िलिस्तीन के पक्ष में वोट करने के बाद भी ........कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान में फ़िलिस्तीन के राजदूत ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए .........भारत को आक्रांता तक बोल डाला ....... ऐसे हालात मे फ़िलिस्तीन का समर्थन करना मेरे जैसे खुद्दार भारतीय के लिए संभव नही है ...... जिस दिन फ़िलिस्तीन पाकिस्तान के बजाय भारत का समर्थन करेगा , उसी दिन मेरा भी हाथ फ़िलिस्तीन के पक्ष में उठेगा ........तबतक के लिए फ़िलिस्तीन की मैं परवाह नही करता ,.....
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हरियाणा, #INLD का ऐलान ,....
जीते तो बाँटेंगे ,.... स्कूटी लड़कियों को ,…
अब हरियाणा के लोगो को ये सोंचना पड़ेगा ,…
सरकार बनाने से पहले ,.... की ,…

बेटियों के लिए स्कूटी जरुरी ,… या ,… बेटो के लिए बिहार की बहुवे ?....
खैर ,…
उप्र वालो के ,.... लैपटॉप लेने का नतीजा ,… भी शायद हरियाणा वाले देख रहे होंगे ,। #NagShukla
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दो साल पहले 3 अगस्त को ,.... जंतर मंतर में ही टीम अन्ना ने अनसन तोडा था ,.... टीम टूटी थी ,… और पार्टी संकल्पना रखी गयी थी ,…
सिर्फ, 2 साल में ही साफ़ हो चुंका है ,… की टीम के टूटे हुए एक हिस्से की क्षमता और मंशा क्या थी ,....
इन्हीं 2 सालो में ,…
ये भी साफ़ हो चुका है ,....
जो साथी साथ थे ,.... वो क्यों साथ थे ,.... और जो साथ देने आये थे ,… वो क्यों आये थे ,…

सिर्फ 2 साल में ,…
तस्वीरें साफ़ हो चुकी है ,…

समय 2 साल गुजरा ,… अनुभव 20 साल का मिला ,…
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#Swaraj का शायद इतना जबर्दश्त दुरुपयोग किया ,… योगेन्द्र जी ने की ,…
स्वराज से अरविन्द को भी डर लगने लगा ,…

वो कहते है #AVAM Anti #AAP है ,.... तो क्या मान ले ?....
क्यों मान ले ?…
जब तक ये बताया ना जाये की ,… Anti #AAP कैसे ?
पर हाँ जो स्वराज दिखाया गया ,.... उस स्वराज से अरविन्द का डर भी लाज़मी है ,....

वैसे volunteers का recognition और वोटिंग ,....जरुरी है ,
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#Ambani #Adani नेपाल को बिजली बेंचना चाहते है ,....
मोदी जी नेपाल से बिजली खरीदना ,....

समझे ,.... विकास विकास विकास ,....

नेपाल को 10 हज़ार करोड़ दिये ,.... अच्छा किया ,… सहमत ,…
पर नेपाल से कहो,.... कोसी का कुछ करे ,....
हर साल ,…
इससे ज्यादा की सम्पत्ति ,… बिहार का दुःख ,… कोसी ले जाती है ,… #NagShukl
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योगेन्द्र यादव एक धूर्त है ,… जिसका उद्देश्य AAP को ख़त्म करना ,… या इसे Congress जैसा बना कर उसके करीब लाना है ,…
सभी volunteers को सलाह ,… ख़ास कर AVAM को ,.... मैं भी AVAM का समर्थक हूँ पर ,....

एक समय में एक चीज़ सोंचो ,....
मेरी priorities ऐसी है
1. योगेन्द्र यादव से बचाव
2. कुमार को वापस से एक्टिव कराना
3. volunteers कोआर्डिनेशन कुमार के साथ
4. AVAM demands ,...
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https://www.facebook.com/photo.php?fbid=514330465367923&set=a.184213281712978.46122.100003729218235&type=1&theater
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ये हाल तो तब है जब योगेन्द्र अरविन्द और कुमार तीनो हारे है ,....
अगर सिर्फ योगेन्द्र जीते होते ,… उन चार के साथ ,....
तो संसद में AAP का नेता होता कौन ?....
और AAP में राजनीतिक रूप से सबसे बड़ा नेता होता कौन ?....

कहीं यही कारण तो नहीं था ,.... अगर नहीं,.... तो रायबरेली खाली थी,… खाली रही ,… किसी बड़े नेता के लिए ,....

बस confusion है ,.... ये चाँदनी चौक में ,… चुनाव लड़ने के लिए आशीष तलवार उत्सुक थे या नहीं ? #NagShukl
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पिछले 2/3 साल में अरविन्द से इतने लोग मिले जुड़े साथ चले,.... टूटे छूटे ,…
जो लोग अरविन्द को आंदोलन के समय से जानते है ,.... उनको पता होगा की ,…
अरविन्द अनजान लोगो पर भी बड़ी आसानी से भरोषा कर लेते है ,....
अरविन्द लोग क्या बोल रहे है ,.... इस पर ध्यान केंद्रित करते थे (शायद है) ,…
क्यों बोल रहा है इस पर नहीं ,....

पर पार्टी बनने और ख़ास कर दिल्ली चुनाव के बाद से ,....
जिस तरह से ,…कुछ लोगो ने बरगलाया धोखा दिया ,....
शायद, अब अरविन्द के लिए मुश्किल होगा किसी पर विस्वाश करना ,....

#AVAM की मांगे सही है ,.... पर समय गलत ,....
और कुछ माँगने से पहले ,.... उसके काबिल बनना जरुरी है ,....
तभी फायदा है ,… उसके मिलने का ,… नहीं तो बेकार ,....

मुझे लगता है की AVAM के लोगो को ,.... दिक्कत सिर्फ CP ऑफिस में बैठने वाले ,....
मै (Ego) से भरे लोगो से थी ,…। जैसे की अंकित लाल , दिलिप पांडे इत्यादि ,…

और अरविन्द की शायद गलती की ,...AVAM को समझने,.... सम्हालने का काम,… इन्ही के हवाले कर दिया ,…।
और इस बात का फायदा ,....
वो व्यक्ति उठा रहा है ,....
जो इस समय खुद को volunteers का हितैषी साबित करने के प्रयास में है ,…।
और उसी ने AVAM को मोड़ के अरविन्द के खिलाफ खड़ा करने का काम किया ,....

AVAM को एक बार विचार करना चाहिए ,.... की वो वास्तविकता में नाराज और परेशान अंकित दिलिप जैसे लोगो से है ,....
इनसे लड़ने के लिए ही वो,.... स्वराज की मांग लिए बैठे है ,....

अरविन्द जी AVAM का मुद्दा ख़त्म करना आसान है ,…
AVAM के मुख्य लोगो और अंकित एंड कंपनी को आमने सामने बैठा कर बात करे ,…।

और AVAM को समझना चाहिए ,.... की उसे दर्द ,.... दाँत में है ,.... सर में नहीं ,....
आजकल कुछ स्वार्थी डॉक्टर ,.... दांत के दर्द को ,.... सर का दर्द बता,… अपना उल्लू सीधा करते है ,.... #NagShukl
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योगेन्द्र यादव एक ज्ञानी व्यक्ति है ,....
समाज को समझते है ,....देश की समस्याओ को समझते है ,....
उनसे लड़ने का प्रयास करते है ,....

सवाल बस इतना ,....
पहले वाले अन्ना आंदोलन ,.... उनको पता क्यों नहीं चला ?…
कहाँ व्यस्त थे वो उस समय ?…।
शायद कुछ NGO रजिस्टर करवाने थे ,....#NagShukl
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Sorry,.... बस यूँ ही याद आया ,....
दिल्ली चुनाव के दौरान कुछ लोगो को शब्द ,....
"अन्ना वाला लोकपाल" कहने में ऐतराज था ,....

सही था ,.... अन्ना जी किरण जी ,....
लोकपाल नहीं चापलूसपाल - जोकपाल,… तैयार कर सकते थे बस ,.... #NagShukl
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AVAM की दो माँगे Right to Recall और स्वराज ,....
बिलकुल सही है और इन्ही के लिए ये लड़ाई है ,....

पर अगर किसी भी tool को गलत नियत से use किया जाए तो वो हथियार बन जाता है ,…।

ये योगेन्द्र का खेल है ,....
पहले Right to Recall से अरविन्द को हटाएगा ,....
फिर स्वराज से खुद काबिज हो जाएगा ,…।

कैसे ?,.... जैसे 400 सीटो में चुनाव लड़ाया ,…
जैसे 1 करोड़ volunteer बनवाये ,....
जैसे हरियाणा Gurgaon के 113 वालंटियर चाहते है चुनाव में हिस्सा लिया जाए ,....

AVAM का गुस्सा CP ऑफिस में बैठे कुछ लोगो से है जैसे अंकित दिलीप ,…।
इनके ego ने AVAM के गुस्से में आग लगाई ,....
और योगेन्द्र ने बताया की आग में पेट्रोल कैसे डाले ,....
और आग की दिशा अरविन्द की तरफ मोड़ दी ,....

अंकित तुमको समझ नहीं आ रहा ,.... किस्से क्या और कैसे बात करे ,....
झुकने वाले फल देते है ,.... तने वाले किसी ना किसी आँधी में टूट जाते है ,....
ये बात दोनों के लिए है ,.... Ankit Lalऔर #AVAM ,.
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#AVAM को समझना ये चाहिए की वो है कौन कौन ,.... जो कह रहा है पार्टी के अंदर लोकतंत्र की कमी है ,....
एक AVAM दूसरी साजिया तीसरे योगेन्द्र ,....

तो क्या पिछले 2 / 3 दिन से जो मैं कह रहा हूँ वो गलत है ?
और इन दोनों नेताओ की कर्मठता देखो ,…
एक को चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली चाहिए ,…
दूसरे को गुडगाँव ,…

बाँकी इनकी राय थी की बड़े नेता ,.... बड़े नेता के खिलाफ लड़े ,…
कुमार अमेठी से ,…अरविन्द बनारस से ,.... नवीन रोहतक से ,....
वाह जी वाह ,.... पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,…। #NagShukl
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योगेन्द्र जी का कहना है ,.... और अंकित जी का मानना ,....
"जब पुराने पत्ते टूटते है तब नए पत्ते आते है ",…
पर शायद इन दोनों को ,....
पत्तो और जड़ो में अंतर नहीं पता ,....#NagShukl
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कल ही कहा था की अब योगेन्द्र के बारे में कुछ नहीं कहेंगे ,…
आज पता चला शाजिया Congress में जाने की तैयारी में ,....
कल बताया था ,....
तीन जिनको #AAP में लोकतंत्र नहीं दिखता है
1. शाजिया 2. योगेन्द्र 3. AVAM

अब योगेन्द्र भी आएंगे इनके पीछे पीछे..अरविन्द को volunteers के बीच बदनाम करने के बाद, #AVAM को साथ ले, सुधरो समझो,..#NagShukl
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=515731955227774&set=a.184213281712978.46122.100003729218235&type=1&theater
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शाजिया को #Congress में internal democracy मिलेगी
योगेन्द्र को अब Congress में Ideology दिखाई देगी ,....
और AVAM के कुछ ख़ास को Congress में पद (Twitter /Social media) का काम ,…
और #AVAM के बाँकी लोगो को ,.... कपिल शर्मा की खोज "ठुल्लु",.... #NagShukl
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मैं गारंटी देता हूँ ,… #AVAM की किसी भी open मीटिंग में #AAP के 10 volunteer होंगे और #Congress के 100 paid चमचे ,....
और योगेन्द्र दिखाएंगे ,.... सैकड़ो AAP volunteers नाराज़ है ,.... अरविन्द से ,....
मोडस ओपेरंडी ,…।
ऐसे ही 1 करोड़ वालंटियर बने थे 400 सीट पर लड़ने के लिए ,....
और ऐसे ही हरियाणा के 95% वालंटियर चाहते है की आप हरियाणा में चुनाव लड़े ,....

हम्म ,…सब सब सारे देश भक्त घुस गए अपने अपने कुनबे में ,…अरविन्द को अकेला छोड़ ,....
अरविन्द कोई नहीं ,.... फिर गले में माइक टाँगेंगे ,…और चल पड़ेंगे ,....#NagShukl
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आज एक और बात ,....
गुडगाँव के सांसद राव इंद्रजीत ,....जिनकी इच्छा हरियाणा के CM बनने की थी ,....
उसने कांग्रेस छोड़ अपना अलग इन्साफ मंच बनाया था ,....
राव इंद्रजीत,… AAP में जुड़ना चाहता था ,....
पर हरियाणा के CM का सपना लिए योगेन्द्र ने उसे AAP के पास फटकने नहीं दिया ,....

और कहीं अशोक खेमका ,… हरियाणा में आप का चेहरा ना बन जाए ,…
इसलिए खेमका की इच्छा के बाद भी ,....वो आप में नहीं आ पाये ,....

खैर राव इंद्रजीत, आ जाते तो,… क्या होता ,…… हाल तो यही होना था तब भी ,....#NagShukl
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Arvind Kejriwal अब #AAP को समझना पड़ेगा ,....
राजनीति ,....देशभक्ति से नहीं ,....
राजनीति ,...राजनीति से होती है ,…
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वो (YY) पहले शिकारी बनाता है ,…
उस शिकारी से शिकार करवाता है ,…
फिर इस शिकारी के लिए ,…
दूसरा शिकारी तैयार करता है ,....
 
 
 
 
 
 
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किसी के पास योगेन्द्र यादव की ,....आम आदमी पार्टी की टोपी वाली पिक्चर हो शेयर करो ,....
मैंने देखा तो है पहने हुए ,....
पर वो टोपी पहनता कम है ,.... पहनाता ज्यादा ,....

ढूंढो ,.... शायद मिल जाये ,....
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hmm,....the Game has began now #AAPBreaksUp,.....
Exactly on expected timing,....
Friends,..16th to 20th August,...full and final!!!!!
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अरविन्द छोड़ो इस पार्टी को ,.... मरने दो सालो को ,…
ठेका ले रखा है क्या ,....साला ऐश करो ,....
बेवजह परेशान हो ,…और परेशान कर रहे हो ,....
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#AVAM की कहानी,...#AAPBreaksUp, ये सब ,....
सिर्फ प्रतिबिम्भ पर गोली दागी जा रही है ,…

सीधे मुद्दे पर आओ ,…
किसी मंच पर ,… योगेन्द्र यादव को बुलाओ ,… और कुमार को ,…
गर कुमार व्यस्त हो तो ,… गुडगाँव की पुरानी टीम से किसी को बुला लो ,....
सब साफ़ होगा ,.... #NagShukl
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Anyone watching TimesNow. can make out easily who is behind #AVAM,...who misguided Shanti Bhushan,....Who was interested to context in haryana,....Who want to be projected as CM,...Who created Fake data of 1 Cr. Volunteers in india During "Main Bhi aam aadmi",....Who is falsely saying 95% volunteers in haryana wanted elections to be contested,....Where is the number of volunteers shown in Haryana,...can anyone bring them in a view.....

Its all YY and Shazia,....
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मेरी समझ से #AAP के 18 20 विधायको के समर्थन से #BJP दिल्ली में जल्द ही सरकार बना लेगी ,.... इन विधायको के लीडर होंगे राजेश गर्ग और मदन लाल ,.... इनमे से ज्यादातर विधायक वो है जो ,… YY को समर्थन करते है ,… पारम्परिक राजनीति में विस्वास रखते है ,....

उधर 16 अगस्त से ,.... AVAM जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन नौटंकी करेगी ,....
जिसका समर्थन करने योगेन्द्र आएंगे ,… और भीड़ के लिए cSAT का समर्थन ये जनाब पहले ही कर चुके है ,… बाँकी भीड़ के लिए #Congress के कार्यकर्ता और वेतनभोगी है ही ,....

एक तरफ जंतर मंतर से ,.... ये सब अरविन्द को गलत बताएँगे ,…
दूसरी तरफ #BJP सरकार बनाएगी ,.... और अहसान जनता पर थोपा जायेगा ,…
की जिस अरविन्द को तुमने कमान दी थी वो ,… तो भगोड़ा था ,… भाग गया था ,.... और अब वो अरविन्द क्या चुनाव लड़ेगा ,। जब उसके सारे volunteer उसके खिलाफ है #AVAM के रूप में ,....

और चुनाव खर्च बचाने ,… दिल्ली की जनता को ,… सरकार देने का नेक काम ,....
बीजेपी और aap के ये देशभक्त विधायक मिलकर रहे है ,....
बस खेल खत्म ,.... यही इनका गेम प्लान है ,....

तारिख 16 अगस्त से 20 अगस्त ,… काफी कुछ हो सकता है ,…

खैर जो जितना कर सकता था ,.... उसने उतना किया ,....
2 साल ही सही ,… पर देश जागा तो ,....

बाँकी भविष्य किस और ले जाए ,.... कौन जाने ,.... #NagShukl
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अरविन्द मैं तो कहता हूँ ,....
दे दो इस्तीफा #AAP से ,....
सौप दो इसे उनको ,… जिनको चाहत है इसका ठेकेदार बनने की ,…
सौप दो इसे उनको ,… जिनको चाहत है नेता बनने की,…

आपका क्या ,.... हम आप राजनीति करने नहीं बदलने आये थे ,....
कोशिश जारी रहेगी ,.... लड़ाई जारी रहेगी ,…
वैसे भी ,…
बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं.,.... रुके तो सड़ाँध आने लगती है ,.... #NagShukl
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अरविन्द को पिछले दो दिनों से ,.... 102 बुखार है अस्पताल में भर्ती है ,....
और कुछ देशभक्त है उनको ,.... अरविन्द से छुटकारा चाहिए ,....

ये वही अरविन्द है ,.... जो बड़े लोगो की मीटिंग में जाता है ,....
और लौटते समय कहता है ,.... इस बोतल में पानी भर के दे दो ,....
रास्ते में प्यास लगेगी ,…
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