Thursday, November 20, 2014

मोदी—अडाणी पर कुछ तथ्य बनाम अच्छे दिन

मोदी—अडाणी पर कुछ तथ्य बनाम अच्छे दिन
1: पूरा देश जानता है कि गौतम अडानी ने लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए फंडिंग की थी. प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए नरेंद्र मोदी अडाणी के हेलीकॉप्टर में सवार होकर गुजरात से दिल्ली आए थे. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही अडाणी साये की तरह उनके साथ फिर रहे हैं. अडानी के कारोबार का टर्न ओवर 2002 के 76.50 करोड़ डॉलर से बढ़कर फिलहाल 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. संयोग से यह दौर नरेंद्र मोदी के सत्ता में लगातार मजबूत होते जाने का है.
प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के दौरान सरकारी उपक्रम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अडानी ग्रुप को 6000 करोड़ रुपए का लोन देना मंजूर किया है। ऑस्ट्रे लिया के वेस्टरर्न क्वीं सलैंड स्थित क्लेेरमोंट के करीब कारमाइकल में अडाणी माइनिंग प्रोजेक्टर है, जिसके लिए यह पैसा दिया गया. देश की जनता का पैसा एक ऐसे उद्योगपति को राहत देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जिसने सत्ताधारी पार्टी को चुनावों में मदद की. अडाणी के पास पहले से करीब 65 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। उधर, बैंकों की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि कंपनियों को दिया गया कर्ज वसूलना मुश्किल हो रहा है।
एसबीआई ने इस ऋण समझौते को लेकर किसी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। अडाणी और एसबीआई के बीच यह समझौता बेहद गोपनीय तरीके से किया गया, जबकि कई बड़े वैश्विक बैंकों ने पर्यावरण कारणों के मद्देनजर इस उद्यम को लेकर सवाल उठाए थे, साथ ही क्रेडिट लिमिट बढ़ाने से भी इनकार कर दिया था। एसबीआई ने अडानी को ऐसे उद्यम के लिए ऋण देने का निर्णय लिया है, जिसका भविष्य क्या होगा, किसी को नहीं मालूम.
यह भी याद करना चाहिए कि 2002 में दंगों के बाद व्यापार जगत की संस्था कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (सीआईआई) से जुड़े उद्योगपतियों ने हालात पर काबू पाने में ढिलाई बरतने के लिए मोदी की आलोचना की थी. तब अडाणी ने उद्योगपतियों को मोदी के पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सीआईआई के समांतर एक और संस्था खड़ी करने की चेतावनी भी दी थी.
नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार पर आरोप लगा था कि उन्होंने अडानी समूह को भारत के सबसे बड़े बंदरगाह मुंदड़ा के लिए बड़े पैमाने पर कौड़ियों के भाव ज़मीन दी है. बीती मई में सरकारी अधिकारियों ने बिजली बनाने के काम में आने वाले उपकरणों के आयात की क़ीमत को कथित तौर पर क़रीब एक अरब डॉलर बढ़ाकर दिखाने के लिए नोटिस जारी किया था. फरवरी, 2010 में अडानी ग्रुप के प्रंबंध निदेशक और गौतम अडानी के भाई राजेश अडानी को कथित तौर पर कस्टम ड्यूटी चोरी के मामले में गिरफ़्तार भी किया गया था.
क्या इन सब बातों को एकदम सामान्य समझा जाना चाहिए? क्या अडाणी और मोदी की यह नजदीकी अडाणी का विकास कोई सामान्य घटना है? क्या उनका विकास क्रोनी कैपिटलिज़्म का नतीजा है? यदि मोदी से फायदा खाकर अडाणी का साम्राज्य बढ़ने में कुछ गलत नहीं है तो यूपीए सरकार के दौर में भी तो सत्ता और पूंजीपतियों का ऐसा ही गंठजोड़ हुआ था, जिसके बाद लाखों करोड़ लूट सामने आई थी.
2: अडानी के पास पहले से करीब 65 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। इसके बावजूद एसबीआई ने उन्हें 6000 करोड़ रुपए का लोन देना मंजूर किया है। वह भी तब जब बैंक लगातार यह बता रहे हैं कि कंपनियों को दिया गया कर्ज वसूलना मुश्किल हो रहा है। ढेर सारी इन्फ्रास्ट्र क्चयर कंपनियां बैंकों से लोन रीस्ट्रिक्च र करवाने की अर्जियां डाल रही हैं।
ऑस्ट्रे्लिया के वेस्टचर्न क्वींंसलैंड स्थित क्ले रमोंट के करीब कारमाइकल में अडानी माइनिंग का प्रोजेक्टट है। इस प्रोजेक्ट् के लिए गौतम अडानी के अडानी समूह और एसबीआई के बीच 6000 करोड़ रुपए का लोन सैंक्श्न करने से संबंधित सहमति पत्र पर दस्तमखत हुए हैं।
अडानी इंटरप्राइजेज की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के पास 49,584 करोड़ का दीर्घकालिक (यानी जिसे लंबे समय तक चुकाया जा सकता है) कर्ज है। 15,394 करोड़ का कर्ज ऐसा है जिसे कम वक्त में ही चुकाना है। यह स्थिति 31 मार्च, 2014 की है। कंपनी ने 218 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है और इस सितंबर में खत्मर हुई तिमाही के दौरान कंपनी ने अपना टर्नओवर 3328 करोड़ रुपए बताया है। (स्रोत: दैनिक भास्कर)
पत्रकार कृष्णा कान्त की वाल से साभार
http://firstbiz.firstpost.com/corporate/pressure-cong-aap-sbi-defends-rs-6200-cr-loan-adani-109348.html

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