Wednesday, November 12, 2014

अकबरुद्दीन ओवैसी जिसका नाम

अकबरुद्दीन ओवैसी जिसका नाम
हैदराबाद से बाहर की राजनीती में
कभी किसी ने नही सुना वो 2012-13
में अचानक एक बड़ा विवादस्पद चेहरा बन
जाता है ।
सार्वजनिक मारपीट, खून खराबा और
धार्मिक उन्माद से भरे बयानों के चलते
एक के बाद एक ओवैसी नकारात्मक रूप से
ही सही सबकी ज़ुबान पर
चढ़ता चला गया ।
मुझे कहीं न कहीं लगता था ये शायद
कांग्रेस द्वारा मुस्लिम वोटरों पर
अपनी पकड़ मज़बूत बनाने का एक
हथकंडा है । लेकिन जैसे ही ओवैसी ने
नरेंद्र मोदी पर ज़ुबानी हमले शुरू किए मैं
समझ गया था ये हठकंडा कांग्रेस
का नहीं बल्कि खुद भाजपा, संघ और
मोदी के शातिर दिमाग की उपज है ।
देश की राजनीती में
ओवैसी का अचानक प्रकट
होना मुस्लिम
वोटों का नहीं बल्कि हिन्दू वोटों के
ध्रुवीकरण का मास्टर प्लान था ।
कुछ दिन पहले यह बात मैंने अपनी फेसबुक
वॉल पर लिखी भी थी और तब मेरे कुछ
मोदीभक्त मित्रों को ये बात
बड़ी नागवार गुज़री थी ।
महाराष्ट्र में MIM का भाजपा से
नाजायज़ रिश्ता सामने आ ही गया ।
आज मेरी बात बिलकुल सही साबित हुई

-भावेश जयंत वालवेकर

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