Monday, January 28, 2013

Faltu Questions For BJP to ask to faltu people only

Set 1:- 
जवाब बताओ और सो जाओ :-
1) कांग्रेस और बीजेपी , हिन्दू-मुस्लिम की राजनीतिक पिच तैयार करके आम आदमी का कैसे भला करने वाली है ?
2) मोदी ने 30,000 करोड़ की गैस 7 दिन पुरानी 64 डॉलर की कंपनी को क्यूँ दी ?
3) ये सवाल सोनिया गाँधी ने क्यों नहीं पूछा जब वो मोदी पर हमला करती रही ?
4) अम्बानी पर बीजेपी-कांग्रेस की चुप्पी का क्या कारण है ?

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Set :2 


जिनको था हमने चुन कर भेजा, वो 'जहरीले" सांप निकले,
हमारे देश के नेता तो 'कंस" और "रावण" के भी बाप निकले । बीजेपी भी कॉंग्रेस की तरह एक भ्रष्ट और देश को लूटने वाली पार्टी है अगर

"BJP ईमानदार है तो लोकपाल बनाने के लिए संसद में हो हल्ला क्यो नही करती???
BJP ईमानदार है तो कालेधन पर कारवाई के लिए संसद में हो हल्ला क्यो नही करती???
BJP देशभक्त है तो अफजल को फांसी देने केलिए संसद में हो हल्ला क्यो नही करती???
BJP देशभक्त है तो बंगलादेशियो को भगाने के लिए संसद में हो हल्ला क्यो नही करती???
दोस्तों दिल से कहूँ तो अगर भाजपा राष्ट्रवादी पार्टी होती तो इस देश में सत्ता के दलालों का जीना हराम कर देती और भारतीय राजनीती में कोई अन्य पार्टी आ ही नहीं सकती पर भाजपा के नेता ऐसे है ''देश जाये पर कुर्सी ना जाये''
सच्ची बात तो ये है की ये चोर भी कॉंग्रेस के भाई है इन्हे भी देश और देश की जनता से कोई सरोकार नही, ये तो बस किसी तरह सत्ता पा कर देश को लूटना चाहते है....
एक शेर सुनो .... इटालियन डायन हमें चुप करा देती है तेरी फेकी हुई रोटियाँ ..............वर्ना हम भोक भोक कर तेरी सरकार गिरा देते.....


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Set 3:-


mare pas bahut sawal hai inke answer do fir ek lambi list or bhejunga
(1) yadi BJP ek imandar party hoti to is desh mai corrupt congressiyo ka jeena haram kar deti jaise arvind ne 1 sal mai kiya
(2) sanjay bhai joshi RSS mai 35 sal tak the or modi or vo barabar the gujrat mai bhi, sanjay bhai joshi ko CD kand mai fasaya gaya uske bad unhe court ne baizzat riha kar diya or innocent karar diya..fir modi ne unhe party se kyu nikal diya..kyuki kaha jata hai sanjay joshi RSS mai bahut kaddavar nets the..or ground level pe bahut populer bhi
(3)BJP or Modi ne un logo ko ticket kyu diye chunavo mai jin par hatya or rape jaise sangeen aarop the 9 yadi aap kahe to mai unlogo ki list or charges jo court mai hai de sakta hu )
(4)Vikas ne nam pe gujrat mai jo paisa pani ki tarah bahaya gaya hai usse 10 salo mai gujrat ka loan 42000 caror se badhkar 150000 caror ho gaya hai..iske liye modi ne kya jimmedari li hai, loan lake vikas karna konsi samaghdari hai
(5)Naroda patiya jise supreme court ne 28 sal ki jail sunayi 2002 k riots k liye kyu 2007 tak gukrat govt mai bani rahi
(6) kyu gujrat mai adani ko 1 rs acre k hisab se 14000 acre land 30 salo k liye lease par de di gayi
1.ab bjp agar kuch halla kare to kejri bolega ki ye dekho inhe desh ki koi chinta nahi hai sansad ka samay barbaad kar rahe hai..vese bjp apna kaam sahi se kar rahi hai..aur ha hinduo ke sath hai har samay..abhi hindu or bahgva ko aatank se jodhne pe kejri chup hai..lekin bjp nahi
2.modi ne sanjay ko nahi nikala or na hi usko neecha dikhaya kabhi tabhi to jeet ke baad uske pair chuke aashirvaad liya..or popular hai..ahahahha tabhi uski party ek bhi seat nahi nikal payi ya 2 hi seat nikali hai..
3.or ha chages hone se kya hota hai kal ko koi ladki kah sakti hai ki mene uska rape kiya lo ji lag gya charge ..ab yani me rapist?? or ha rajneeti vo hi karta hai jiske pass takat hoti hai..
3.modi ki samjhdari nahi hai..vese iska loan ka koi proof..aur briten aur maerica ke sath sath anil ambani bhi modi ka fan hai..aur ratan tata bhi..or vikas dekhna hai to gujraat jao..fir dekhna..
5.ha to riot ko to me vese bhi galat nahi manta hu..or vo aaj bhi rahni chahiye thi lekin sab bhagvan ki marji..me to chaheta hu modi ji hamare area ke parshad hi8 ban jaye..hum log hamari jindagi se pareshan hai mullo9 ke kara,
6.or vikass ka formula hai ye ki industries ko lao apni taraf..ab tm kahoge ki sez or expoprt karne valo ko tax aur duties ka refund karna bhi galat hai..or vo log kitne hi logo ko rojgaar denge..pta bhi hai lakho ko..ye lease ka baki paisa de dega itne logo ko rojgaar dena..or modi nahi dete to koi or deta...

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Know More About BJP:- 
Scam collection :

Answers to faltu BJP Questions....set 2

साधारण रूप से हम फालतू के सवाल जवाब से बचना चाहतें है ....क्यूंकि हमारे पास ऐसा बहुत कुछ है जो हम जनता से .....बता सकतें है ....परन्तु बांकी कुछ लोग ऐसे हैं जिनके पास यह बताने के लिए कुछ है नहीं की वो क्या है ....क्या करना चाहते है ...जनता को सिर्फ बेकार के सवालों में ही भ्रमित करतें रहते है .....ऐसे लोगों के लिए ...उनके फालतू सवालों के जवाब दिए गए है .....जब भी कोई ये सब बेकार के सवाल पूंछता  है ....बस इस का लिंक दे कर उसके जवाब भी दिए जा सकतें है ...बिना समय बर्बाद किये ...धन्यवाद।
प्रशांत भुषण : कशमीर पाकिस्तान को देने का बयान देने का आरोप....

कब दिया ये बयान ?
कहाँ दिया ?
क्या बयान दिया ?
जब ये सवाल दुबारा पुछा जाए तो उत्तर की कोई उम्मीद करना बेकार हो जाता है....
प्रशांत ने बनारस कि एक छोटि सी प्रेस कॉन्फ्रेन्स में ये बयान दिया, वो बात किसी दुसरे विष्य पर कर रहे थे, एक पत्रकार ने विषयान्तर करते हुए कशमीर पर सवाल दागा की वहाँ की समस्याओं और आतंकवाद/पाकिस्तान सम्बंधित समस्याओं के हल पर आप का क्या विचार है,,

प्रशांत ने दो वाक्यों में इसका जबाब दिया : " वहाँ plebiscite/जनमतसंग्रह करवाया जा सकता है, जीससे यह दुनिया को पता चल सके की कशमीरी लोग क्या चाहते हैं, भारत या पाकिस्तान ?, लेकिन यह काम ठीक ढंग से हो, इससे कशमीर समस्या का हल निकाला जा सकता है"

कोई भी इस बात से सहमत/असहमत हो सकता है, लेकिन यह कह कर कोई अपराध तो प्रशांत ने नहिं किया न !

क्योकि भारत सरकार बहुत पहले हि UN Convention में कशमीर मे plebiscite के पक्ष में एक बार हामी/दस्तखत कर चुकी है, कुछ नया तो कहा नहिं था.....

ये हल्ला कब और क्यों हुआ ?

plebiscite/जनमत संग्रह तमाम देशों में होते है वो अच्छे हमारे यहाँ बवाल ? प्रशात हि केवल भारतीय इतिहास में एक गैर राजनीतिक व्यक्ति था, जीसे एक बयान के लिए पिटाई खानी पडि.....
जबकि भारत के सबसे बडे दुशमन सईद और 4 अन्य आतंकवादीयों को हमारे बडे राजनेता काँधार बाइज्जत आतंकवादीयों को सौंप कर आए (जबकी हाईजैक हवाई जहाज, पहले पाइलट की सुझबूझ से अमृतसर उतारा गया तो हमारा कमांडो दस्ता व स्पेसल फोर्स आतंकवादीयो पर कार्यवाही के लिए 100% तैयार थी वहिं आंतकवादियों को दबोच कर यात्रियो को छुडाने के लिए लेकिन हमारे नेता आदतन ढिले ढाले थे उन्हे तुरन्त समझ नहिं आया क्या करें इसलिए तैयार कमाण्डोज को आदेश तक न दे पाए कार्यवाही का, तब वो जहाज दुबई, पाकिस्तान और अंततः अफगानीस्तान उतारा गया )
कौन है यह देशद्रोही प्रशांत भुषण जरा इसकी जानकारी इस प्रमाणिक स्रोत से और बढाएं, पढें जरूर.....
http://en.m.wikipedia.org/wiki/Prashant_Bhushan


प्रशन- अरविन्द घोटाले लेकर कोर्ट क्यों नहीं जाते ????????????????????? 
उत्तर- आप क्यों नहीं कर देते कोर्ट में केस...क्या सारा काम अरविन्द ही करेंगे..इन्होने पोल खोल कर दी है...या तो आप इन सबूतों के साथ इन भ्रष्ट नेताओं पर केस कीजिये ..या आपको लगता है की अरविन्द के सबूत गलत हैं तो फिर अरविन्द को ही अदालत में खींच लीजिये...आपको किसने रोका है ?? आ जाइए मैदान में....करिए हम लोगों का नेत्रित्व....सड़क पर आ कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम चलैएँ....हम आपके साथ होंगे..आप कहीं से भी पैसा ले लें....एक बार घर- बार छोड़ कर आयें तो सही...है हिम्मत ???????? पर कृपया कुछ कीजिये तो सही मेरे भाई....

प्रशन- " आप " और अरविन्द देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं...हम उनको किसी भी हाल में वोट नहीं देंगे ?????????  
उत्तर- अगर आप अपने मौजूदा हालत और देश की स्तिथि से संतुस्ट हैं तो फिर आपसे बहस करना बेमानी है....खुश रहिये और आपना ख्याल रखिये...जब आपको कोई समस्या ही नहीं तो फिर कहे को अपना वक़त ख़राब कर रहे भाई हम पागलों के साथ...आराम से गरम गर्म चाय पियें.....खुश रहिये...परमात्मा आपको तरक्की दे..चलो भाई क्यों फालतू बहस कर रहे हो...आप खुश हैं ना आज के हालत में फिर काहे परेशान हो रहे हैं? हमें अपना काम करते रहने दें....हमें नहीं लगता की हमारा और हमारे बच्चों का भविष्य आज के मौजूदा हुक्मरानो के हाथ में सुरक्षित है...बात ख़त्म...आप अपना भविष्य देखिये और हम अपना... 

प्रशन- अरविन्द अम्बानी के खिलाफ बोलता है पर नविन जिंदल के खिलाफ नहीं क्योंकि उसने जिंदल से पैसा लिया है ??????????? 
उत्तर--------------------------अपनी जानकारी पूरी रखिये...सीता राम जिंदल फाउंडेशन एक बिलकुल अलग ग्रुप है ओर नविन्द जिंदल बिलकुल अलग..बस कुछ भी बोल दिया वाली बात है आपकी..चलो आप ही पैसा लेकर सही देशभक्ति का कोई काम तो करिए सड़क पर आकर...मैं दूंगा आपको पैसा.... 

प्रशन- अरविन्द वन्दे मातरम नहीं बोलता...वो दलाल है कांग्रेस का..देश द्रोही है ???????????????????????????????????????? 
उत्तर- जवाब तो आपसे ये देश मांग रहा है श्रीमान....ये देश की भूखी जनता पूछ रही है आप लोगों से की कहाँ है हमारी रोटी ? मत करो समर्थन....किसने कहा है.....जिस का पेट भरा हो और जिसे दूसरों की भूख नहीं दिखती वही अरविन्द के खिलाफ चिल्ला रहा है.....किया क्या है आपने आज तक इस समाज के लिए ? कभी किसी भ्रष्टाचारी या गुंडे के खिलाफ आवाज़ उठाई ? कभी किसी की मदद की ? कभी किसी का दर्द बांटा ? कभी सड़कों पर उतरे हो सन्ज के किसी भी मुद्दे के लिए ? क्या कभी अपने परिवार के अलावा कुछ सोचा है किसी के लिए.....बस बातें करवा लो जितनी मर्ज़ी...सवाल पूछने हैं आपको अरविन्द से ? हैं ना....अरे सवाल तो हमें करना है आप लोगों से की इतने साल की आपकी राजीनीति के बावजूद आप इस देश को कहाँ घसीट कर ले आये हो ..क्या बना दिया है तुम लोगों ने इस मुल्क को ? नौ साल से बीजेपी सत्ता के बाहर बैठी है....अभी अभी उत्तराखंड और हिमाचल में पिट चुकी है..कर्णाटक में बुरा हाल हाल है...बस गुजरात गुजरात चिल्लाते रहिये जनाब.....आप लोगों ने क्या कर लिया अब तक इस भारत के लिए सिवाय फर्जी दिल और आत्मा से "भारत माता की जय" कहने के अलावा...अरे कभी देखें हैं इतने तिरंगे जितने जंतर-मंतर पर होते थे अरविन्द औरअन्ना जी की रैलियों में.....जितनी शिद्दत से वहां "भारत माता की जय" कहा जाता हैना तो लहू उफान मार कर नसों से बाहर निकलने को मचलता है....बात करते हैं देश के भले की... 

प्रशन- पहले अरविन्द मेरे इन सवालों का जवाब दें ????????????????????????????????????? 
उत्तर- पहले आप खुद को इस काबिल तो बना लें की आप सवाल पूछ सकें...घर पर बैठ कर बड़े आराम से टाइप करना बड़ा आसान है... और मैं तो यहाँ तक कहता हूँ की आपने अपनी पसंदीदा पार्टी के लिए भी कभी कुछ किया हो तो मुझे हैरानी होगी...आप जैसे लोग सिर्फ और सिर्फ दोष निकाल सकते हैं...अगर दम है तो अपनी नौकरी और घर छोड़ कर इस भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को आगे बढाइये..सबसे पहले मैं आपका अनुसरण करूँगा...ले कर आइये अपना नजरिया और देश का विज़न...बताइए कैसा भरत देंगे आप मेरे बच्चे को ? 

प्रशन- अरविन्द विदेशी पैसों से खेल रहे हैं और भाड़े के टट्टू हैं ???????
उत्तर- अच्छा जी....कौन से विदेशी भाड़े के टट्टू ? खुद कह्भी आपने अपनी जिन्दगी में कुछ किया है ? कभी किसी के प्रेरणा स्त्रोत बने हैं ? कभी किसी को आशा की एक किरण भी उम्मीद के तौर पर दी है ? विदेशी तो राज कर रहे आज की तारीख में इस देश पर ? कभी उनके खिलाफ आवाज़ भी उठाई है ? कह देना कितना आसन हॉट अहि राम जी पर कर के दिखाना कितना मुश्किल....आप जैसे लोग अपनों को ही जब विदेशी टट्टू कह रहे हैं तो फिर मदर टेरेसा के बारे में आपका क्या ख्याल है ? भगिनी निवेदिता के बारे में आप क्या कहेंगे ? 

प्रशन- अरविन्द को नविन जिंदल से पैसा मिला था ????????????????/ 
उत्तर- तो आप क्यों बात नहीं करते जिंदल की ....बीजेपी क्यों नहीं बात करती जिंदल की..बीजेपी तो प्रमुख विपक्षी दल है ना आज की तारीख में.. अरविन्द की पार्टी ने तो विरोध किया है जिंदल का पर क्या आपने कभी भी विरोध किया है जिंदल का हरयाणा मैं....हमने उसके घर के बाहर धरना दिया था..क्या अरविन्द ने समर्थन किया है जिंदल का ? अच्छा बड़ा सबूत है आपके पास.... अरे अकल्मन्द भाई, अरविन्द को जो पैसा मिला था वो सीताराम जिंदल फाउंडेशन का था जिसका इस नविन जिंदल से कोई लेना देना नहीं है..... गलती आपकी नहीं है भाई...ये हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य ही है की हम सरनेम के पागल दीवाने हैं...एक परिवार ने खुद को गाँधी क्या. कहना शुरू किया आधा हिन्दुस्तान उन्हें महात्मा गाँधी का वंशज मानता है....ये तो वही वाली बात हुई जो की हमारे हरियाणा में एक कहावत के तौर पर बड़ी प्रचलित है- " जितने काले, मेरे बाप के साले "....मतलब एक बच्चे के मामा का रंग थोडा काला था..तो वो हर काले रंग के इंसान को "मामा-मामा" कहता था..उस बात पर किसी ने मजाक में कहा था - "जितने काले, मेरे बाप के साले"....ठीक वही बात आप कर रहे है...ट्रस्ट किसी जिंदल का और आप रट लगा रहे हो किसी और जिंदल की.... 

प्रशन- जो बीजेपी के लोग कहते हैं की अरविन्द ने कुछ ख़ास लोगों जैस जिंदल के खिलाफ मुद्दे नहीं उठाए ??????????/
उत्तर- फिर....बीजेपी या किसी और पार्टी ने आज तक वाड्रा की अकूत संपत्ति का मुद्दा क्यों नहीं उठाया.... क्या अरविन्द ने ठेका ले रखा है आपके और हमारे लिए लड़ने का ? आपने क्यों नहीं मुद्दा उठाया रोबर्ट वाड्रा का ? डर लगता है ना....बोलो....दिल काँप जाता है ना की अगर कुछ भी बोला वाड्रा के खिलाफ तो शायद पुलिस , इनकम टैक्स, बिजली, सेल्स टैक्स, जल विभाग वगैरह तंग करेंगे...है हिम्मत तो आप भी भ्रष्टाचारियों की पोल खोलिए तो हम भी आपके साथ खड़े होंगे. 

प्रशन- जो लोग बिलकुल अड़ियल टट्टू हैं और जो सिर्फ फालतू की बहस करते हैं और टाइम पास करते हैं- उनके लिए कुछ Sentence-----------------------------------
तो आप खुश रहिये अपनी पार्टी की छाँव में.और मानते रहिये खुशियाँ मौजूदा देश के हालत की....अगर आप को लगता है की बीजेपी/ कांग्रेस/ मुलायुम/माँयावती आपके बच्चों के भविष्य के लिए बहुत बेहतर हैं तो आप अपने रस्ते जा सकते हैं...भगवान् आपको सदा खुश रखे.............................खुश रहो भाई...देखो कहीं सुख और सम्पन्नता की मौजूदा बरसात में आप सूखे ना रह जायें.... हमारा क्या है. हम लोग तो यूँ ही पागल हैं जो मौजूदा "शानदार, जन-प्रिय, लोकहितकारी, पाक-साफ़, दयालु, न्यायप्रिय, हरदिल अजीज " सरकार और व्यवस्था को यूँ ही कोसते रहते हैं..आप जरुर उस बरसात का आनंद लें..धन्यवाद्.... 

Thanks, Dr. Rajesh Garg.

पैसा हमारा ....और फंड इनका ....

दोस्तों, अपनी गली मोहल्ले और शर में अपने भी आते जाते ऐसे कई सारे बोर्ड देखे होंगे ....जिनमे लिखा होगा की ये काम कौन करवा रहा है ....अजीब बात है ..पैसा हमारा ....और फंड इनका ....बहुत बार देखा है की इस हैण्ड पंप का निर्माण फला ने संसद निधि से करवाया ....इस सड़क पर गेट इसने अपने फंड से करवाया ...जैसे कोई अहसान किया हो .....अरे भाई यही तो काम है तुम्हारा ...और किसलिए भेजतें है ..वोट देकर ....
हाँ एक बात जब पैसा हमारा है ..तो उसका हिसाब माँगने का भी पूरा अधिकार है हमको ...और अब RTI के माध्यम से रास्ता भी आसान .....अगर आपको यह जानकारी चाहिए की किस संसद या विधयक को कितना पैसा किस काम के लिए मिला ....और उसने कैसे खर्च किया ....तो उसके लिए हम RTI डाल सकतें है ....अधिक जानकारी के लिए देखें http://www.righttoinformation.org/faq.html लिंक पर।
अगर हम ऐसा करने लगे तो फिर क्या जरुरत होगी .....किसी अरविन्द को अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर ......सबसे लड़ने की ..और अगर थोडा ध्यान रख्खे ..तो सो सकतें है ...हम आप भी चैन से ....बस नकेल ही तो कसनी  है ...भ्रष्टाचारियों पर ....और क्या उद्देश्य है ...और सच में तो रास्ता भी यही है ...इसको मिटने का की जनता सवाल करे ....जनता हिसाब ले ..और जरुरत पड़ने पर दंड भी ......फिर सरकार चाहे किसी की बने जीतेंगे आप ....(AAP ) ...नागेन्द्र शुक्ल
How to File RTI read @ http://www.righttoinformation.org/faq.html
Hindi :- http://rtihindi.blogspot.in/p/blog-page_6089.html

http://www.facebook.com/photo.php?fbid=526289960727473&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

Answers to faltu BJP Questions....

खुजलीवाल बहुत निकम्मा आदमी है, देश द्रोहि है.... न जाने क्या क्या.... यहि सब कहते हैं... आलोचक....
आलोचना अच्छि बात है, लेकिन तथ्य बिना आलोचना....?? यहि हो रहा है, तथ्य बिना आलोचना.... (किसी ने कहा कौवा कान लेकर भागा..... भागो....पकडो... मार डालो....)
कुछ कहना चाहता हूँ मन करे तो "पुरा" पढिएगा, नहिं तो गाली देकर भी निकल सकते हैं.....

मैं कुछ लिख रहा हूँ, निवेदन है फुरसत से पढिएगा... निवेदन करूंगा की पढते समय जल्दिबाजी न करें...
पहले आप इसे पढें... ज्यादा समझ आएगा... और क्योकि आप लोगों का नियंत्रण अच्छा है तो आप लोग इसे नियंत्रित भी कर पाएं...
1. सवाल पुछने की दो स्थितियाँ होती हैं :
(a). कुछ जानने कि मंशा ।
(b). आरोप या कटाक्ष की मंशा ।
-पहली परिस्थिति में बातों का आदान प्रदान स्वाभाविक ढंग से हो जाता है,
-लेकिन दुसरी परिस्थिति में पहले से हि विचार बने होते हैं बातों की होड लगती है, अपनी अपनी जानकारीयों की प्रतिस्पर्धा होने लगती है... नतीजा निकलना नामुमकिन हो जाता है, एसी परिस्थिति में आरोप प्रत्यारोपों को प्रमाणिक तथ्यों के आधार पर लगाया जाए तो नतीजे की गुंजाइस बन सकती है....
मैं केजरीवाल या प्रशांत भुषण या अन्ना को धोखा दे देने वाली चर्चाओं मे पहले नहिं पडता था... लेकिन अब लगता है गलत करता था... चर्चा तो करनी पडेगी...
***चर्चा न करने का कारण केवल एक था, जो लोग बात करते हैं, अधिकांश सुनी सुनाई बात करते है, प्रमाणिकता से कोसों दुर रहते हैं, कोई भी जानकारी जुटाने की मेहनत नहिं करते, बस जानकारी को on off switch की तरह समझते है, दबाई और जानकारी आ गई.....
सहमत असमत होना लक्ष्य नहिं होना चाहिए, लक्ष्य तो होना चाहिए जानकारीयों तक पहुंचने का जो यहा अधिकाशं फेसबूकिये नहि करते बस लगे हुए हैं.... पहला काम तो यह हो की जानकायों तक पहुंचा जाए, फिर मत बनाया जाए...
हम करते ठीक उल्टा हैं, पहले मत बना लेते हैं फिर जानकारीयों का उसके आधार पर मानवीकरण करते हैं.....

2. मैं AAP का फिलहाल समर्थक हूँ, आप लोग BJP/मोदि के, कुछ लोग काँग्रेस के... सब अपनी अपनी जगह ठीक हैं, कोई भी अपना मत न बदले, केवल इमांदारी से प्रमाणिक जानकारीयों तक पहुंचे और अपने सहमत वालों में साझा करे,
तब एक निर्णय निकलेगा की अधिकांश लोग एक विषय पर लगभग एक सी जानकारी रखेगें...
लाभ : कोई हमे बेवकुफ नहिं बना पाएगा.....


3. प्रशांत भुषण : कशमीर पाकिस्तान को देने का बयान देने का आरोप....
कब दिया ये बयान ?
कहाँ दिया ?
क्या बयान दिया ?
जब ये सवाल दुबारा पुछा जाए तो उत्तर की कोई उम्मीद करना बेकार हो जाता है....
प्रशांत ने बनारस कि एक छोटि सी प्रेस कॉन्फ्रेन्स में ये बयान दिया, वो बात किसी दुसरे विष्य पर कर रहे थे, एक पत्रकार ने विषयान्तर करते हुए कशमीर पर सवाल दागा की वहाँ की समस्याओं और आतंकवाद/पाकिस्तान सम्बंधित समस्याओं के हल पर आप का क्या विचार है,,
प्रशांत ने दो वाक्यों में इसका जबाब दिया : " वहाँ plebiscite/जनमतसंग्रह करवाया जा सकता है, जीससे यह दुनिया को पता चल सके की कशमीरी लोग क्या चाहते हैं, भारत या पाकिस्तान ?, लेकिन यह काम ठीक ढंग से हो, इससे कशमीर समस्या का हल निकाला जा सकता है"
कोई भी इस बात से सहमत/असहमत हो सकता है, लेकिन यह कह कर कोई अपराध तो प्रशांत ने नहिं किया न !
क्योकि भारत सरकार बहुत पहले हि UN Convention में कशमीर मे plebiscite के पक्ष में एक बार हामी/दस्तखत कर चुकी है, कुछ नया तो कहा नहिं था.....
ये हल्ला कब और क्यों हुआ ?
plebiscite/जनमत संग्रह तमाम देशों में होते है वो अच्छे हमारे यहाँ बवाल ? प्रशात हि केवल भारतीय इतिहास में एक गैर राजनीतिक व्यक्ति था, जीसे एक बयान के लिए पिटाई खानी पडि.....
जबकि भारत के सबसे बडे दुशमन सईद और 4 अन्य आतंकवादीयों को हमारे बडे राजनेता काँधार बाइज्जत आतंकवादीयों को सौंप कर आए (जबकी हाईजैक हवाई जहाज, पहले पाइलट की सुझबूझ से अमृतसर उतारा गया तो हमारा कमांडो दस्ता व स्पेसल फोर्स आतंकवादीयो पर कार्यवाही के लिए 100% तैयार थी वहिं आंतकवादियों को दबोच कर यात्रियो को छुडाने के लिए लेकिन हमारे नेता आदतन ढिले ढाले थे उन्हे तुरन्त समझ नहिं आया क्या करें इसलिए तैयार कमाण्डोज को आदेश तक न दे पाए कार्यवाही का, तब वो जहाज दुबई, पाकिस्तान और अंततः अफगानीस्तान उतारा गया )
कौन है यह देशद्रोही प्रशांत भुषण जरा इसकी जानकारी इस प्रमाणिक स्रोत से और बढाएं, पढें जरूर.....
http://en.m.wikipedia.org/wiki/Prashant_Bhushan

4. केजरीवाल भी राष्ट्रद्रोहि है उसने हि भारतमाँ की तस्वीर मंच से हटवाई 100% सत्य है ।
लेकिन क्यों, भगवान और देश मे आस्था रखने वाले इंसान ने ऐसा क्यों किया क्या वाकई वो सत्ता का भूखा है ?
जरा कुछ दशक पिछे चलीए... आपलोगों ने 1975 मे जय प्रकाश नारायण के आंदोलन के बारे में तो सुना हि होगा, अन्ना व जे.पी का आन्दोलन एक हि था, जे.पी ने भी भ्रष्टाचार के खीलाफ आवाज उठाई व आन्दोलन किया, उन्होने भी कहा था सत्ता में जनता की सीधे भागीदारी हो... गैर राजनीतिक आंदोलन शुरू हुआ था वो... लेकिन संघ के कई नेता सक्रिय हो चुके थे जिनहे अपार प्रसिद्ध मिली.... इंदिरा ने जे.पी से डर कर इमरजेंसी लगाई, जनता ने जे.पी की बात समझ कर काँग्रेस को आजाद भारत में पहली बार उखाड फैंका,,, लेकिन हुआ क्या ? जनता पार्टि आई और दो साल बाद चली गई, कुछ भी नहिं बदला जनता पार्टि नें (BJP, JD, JDU,,, वहिं से निकले हैं )....
ये जानकारी अन्ना आंदोलन को चलाने वालों को भी थी, संघ फिर से जनआंदोलन/गैर राजनीतिक आंदोलन का राजनीतिक लाभ BJP के लिए लेने के चक्कर में था,,
जो आंदोलन के कोर मेम्बर जानते थे और उन्होने उनसे छुटकारा पाने के लिए ये कठोर निर्णय लिया....आज सभी राजनीतिक दल केवल स्वयम् के लाभ की राजनीति करते हैं.. जनआंदोलन का केवल लाभ उठाते हैं....

5. लोकपाल की भ्रुण हत्या करने के लिए सभी दल जिम्मेदार हैं, याद करीए शरद यादव NDA का संयोजक घटक दल को जो जन्तर मंतर पर लोकपाल की वकालत कर रहा था और संसद मे टाँग तोड रहा था ।
सुषमा स्वराज जो मजबूत लोकपाल की गुगली डाली, लेकिन CBI को सरकार के नियत्रण से हटा कर लोकपाल में लानेका amendment नहिं दिया, जबकी BJP ने लोकपाल पर100 amendment दिए... बिना CBI के लोकपाल बेकार है, किसी भी भ्रष्टाचारी को जेल नहिं हो पाएगी, क्योंकि जाँच नहिं हो पाएगी.....
केजरीवाल व साथी और हम जनता भी ये देख रहि थी, जो लोग जनआंदोलन का लाभ उठा कर सत्ता में आना चाहते हैं वो जनता की बात नहिं करते.. क्या फायदा है ऐसे दल का.....

6. कहते हैं केजरीवाल क्यों बुखारी के तलवे चाटने गया था....???
सहि बात है लेकिन व केवल बुखारी के तलवे चाटने नहिं गया था, August आंदोलन के बाद जन समर्थन बढाने के लिए उसने सभी जगह हर धर्म के गुरूओं के, अय्योध्या के, बंगाल के संतों के भी तलवे चाटे थे, लोगों को वो नहिं दिखा.......
केजरीवाल व टीम ने तो शुरूआत में काँग्रेस के तलवे चाटे, फिर बिजेपी के भी तलवे चाटे, लेफ्ट के, सभी दलों के तलवे चाटे, लेकिन दलों को उस वक्त ये जानकारी न थी की ये लोग इतना जनता में लोकप्रिय हो जाएंगे... जब हो गए... तो विरोध , विरोध करना अच्छी बात है लेकिन विरोध का कोई ठोस आधार भी होना चाहिए ....

7. केजरीवाल ने विदेशी धन लिया...
नितीन गडकरी पर कुछ बात आई जाँच मे गडबडियां ... income tax के छापे.... रामदेव को तमाम तरह से लपेट लिए सरकार ने....
अन्ना पर हमला किया बेइज्जत हुए किरण बेदि पर हमला किया बेइज्त हुए,
केजरीवाल पर हुआ बेइज्जत हुए, सिसोधिया पर हुआ, कुमार विश्वास पर हुआ....
शांति भुषण पर हुआ किसको छोडा इन्होने.... लेकिन कोई दाग कहिं नहिं मिला इसलिए फंसा न पाए.....
8. अरे ये AAP वाले क्या कह रहे हैं.... "जनलोकपाल" मजबूत कानून ! स्वतंत्र CBI के साथ.... दिलवाओ न !
आप सभी मिल कर मोदि से, BJP से, Congress से, SP, BSP,TC, JDU से.... (कृपया ये मत कहिएगा की केवल एक लोकपाल से क्या बदल जाएगा.... "बिमारी भगाने के लिए दवा खाई जाती है, एक गोली बिमारी खत्म नहिं करती लेकिन उस एक गोली को खाए बिना बिमारी भगाना असंभव है ... लोकपाल तो पहली सीढि है....)
भगा दो AAP को, मैं आम आदमी, आप आम आदमी/औरत की जीत तो दोनो तरफ है....
क्या इससे बढिया जनता के लिए राजनीतिक परिस्थिति बन सकती है कभी......
मुस्लिम तुस्टिकरण की राजनीति भी समझिए, ये खेल तमाम दल खेल रहे है, AAP का आधिकारिक पक्ष communal violence bill के खीलाफ है, शाजीया इल्मी के ट्विट को आधिकारिक न समझें..

9. ***आप वोट करते है अपने लिए, अपनी समस्याओं का हल करने के लिए,, याद करके बताइए क्या कभी भी कहिं भी आप या आप के घर वाले वोट करते समय "कशमीर की समस्या " को ध्यान में रख कर वोट करते हैं या कभी भी किया था....???
अपनी बातों को विचारों को मत को सहि दिशा देना जरूरी है.... विरोध करना जरूरी है.... जानकारीयों तक पहुँचना जरूरी है.....
हमे अपनी रोटि खुद कमानी है न केजरीवाल देगा, न मोदि देगा न कोई और ....
*** कई जगह काँग्रेस का जिक्र नहिं किया क्योकिं आज देश मे काँग्रेस एक राजनीतिक कलकं है, उसकी चर्चा करना बेकार है....


Now read about Arvind ji @ http://caravanmagazine.in/reportage/insurgent

Aam Admi Zindabad(आम आदमी जिंदाबाद)

Sunday, January 27, 2013

क्या अंतर है इन दोनों की सोंच और तौर-तरीके में .....कोई ख़ास फर्क मुझे नज़र नहीं आता

दोस्तों, क्या अंतर है इन दोनों की सोंच और तौर-तरीके में .....कोई ख़ास फर्क मुझे नज़र नहीं आता।।
एक है जनाब सलमान खुर्शीद जी, जिन्होंने सत्ता के मद में होने की वजह से अपनी प्रेस कांस्फेरेंस में rules the game सेट किये और अपने समर्थकों के बीच जाकर ....खुले आम धमकी दी
दूसरे है पूर्व अध्यक्ष उस पार्टी के जिसे कभी जाना जाता था उसके चाल, चलन चरित्र और चेहरे के लिए .....इन्होने पद से छुट्टी पाते ही अपने समर्थकों के बीच जा कर धमकी दे दी .....सरकारी कर्मचारियों को ....खैर ये सरकार ने क्यों किया ...क्या वजह थी ...ये राजनीती से प्रेरित था  ...वगैरह वगैरह ...कई तर्क हो सकतें है .....पर जो धमकी इन्होने दी वो किसी राजनीती से प्रेरित नहीं बल्कि ....देश में बने भ्रष्टाचार विरोधी माहौल ...को अपने पक्ष में आंकने ..और अपनी सत्ता आने के ....सिर्फ एक ख्वाब ने ही ...कर दिया मदांध कर दिया ...निकल गयी मन की बात ....

पर इन दोनों की बातों से अब ये साफ़ हो चुका है ...की सत्ता में आने के बाद ...ये नेता चाहे जी भी पार्टी के हों .....मार देते है लोकतंत्र को ....और घोषित कर देतें है ...अपने आपको 5 साल का राजा ....फिर ना ही कोई जांच ...ना ही कोई चाल, चलन और चरित्र ....और रह जाता है सिर्फ ....सत्ता का मद और छूट जाती है ...जनता कहीं पीछे ....इनके और इनके करीबी के स्वार्थ के पीछे ......

इससे तो साफ़ होता है ...की सरकार किसी भी पार्टी की हो ......जनता के हालात नहीं सुधरने वाले ....अगर कुछ फर्क पड़ेगा तो सिर्फ सत्ताधरी पार्टी के नेताओं और उनके चमचो और गुर्गों ....के जीवन पर ....जनता तो वहीँ रहेगी ठगी के ठगी .....
अब ऐसी हालत में जनता क्या करें ....किस पर भरोषा करे .....ये सिद्ध होता है की सरकार किसी की भी हो .....जनता की कोई नहि सोंचता ....

अब अगर मैं यहाँ कहूँगा की आम आदमी पार्टी के आने से ये ठीक हो जायेगा - तो यह बात भी गलत होगी ....क्यूंकि ये ऐसे नहीं होगा ....और कोई नहीं कर पायेगा ....आम आदमी पार्टी भी नहीं .....अरविन्द जी भी नहीं .....इस बात को अरविन्द जी बहुत अच्छी तरह समझतें है ...और इसीलिए

उन्होंने शुरू से ही कहा है .....की सिर्फ सरकार को बदलना ....कोई इलाज़ नहीं है .....इस राजनीतिक सोंच को .....इस व्यव्यस्था को ही बदलना पड़ेगा ..और परिवर्तन दोनों और जरुरी होंगे राजनीती में ..और सरकारी तंत्र में ....तभी कुछ ऐसा हो सकता है ...की लोकतंत्र की स्थापना हो .....
और इसीलिए अरविन्द जी का कहना है की जब तक जनलोकपाल नहीं आएगा, सिटिज़न चार्टर नहीं लागु होगा, सीबीआई स्वतंत्र नहीं होगी ...राईट तो रिजेक्ट, राईट तो रिकॉल ...और भी बहुत कुछ नहीं होगा ....कोई फर्क नहीं पड़ेगा ...

इसी वजह से अरविन्द जी और साथियों ने आम आदमी पार्टी के संविधान में ही पूरी पारदर्शिता और सम्पूर्ण लोकतंत्र .....की व्यवस्था की है ...आम आदमी पार्टी में हर स्तर पर लोकपाल होगा चाहे वो जिला हो या फिर राज्य ....एक ही परिवार के दो सदस्य executive counsil में नहीं हो सकते ...उमीदवार चयन जनता के हाथ में होगा ...और observer कमिटी के लोग या उनके करीबी  चुनाव नहीं लड़ सकते ....और भी समझे http://www.aamaadmiparty.org/ पर और http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525675877455548&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

बात तो एक दम सही है ...की सरकार किसी भी पार्टी की हो .....पर नेता सबके फलते फूलते है .....चमचे सबके निरंकुश और ताकतवर होतें है .....और जनता वही फटे हाल ...बेहाल ....

हाँ और मेरा मानना यह है ....की ये काम सिर्फ ......आम आदमी पार्टी के संविधान और काम करने के तरीके से नहीं हो सकता ......अगर आपको और हमको ...देश की जनता को ...युवा को ....आम आदमी को कुछ बदलाव चाहिए तो ...स्वयं रजनीति में आना पड़ेगा ...और पूरी कोशिश से लड़ना पड़ेगा की .....सूरत बदल सके ....हाँ ये जरुरी नहीं की आप सिर्फ आम आदमी पार्टी से जुड़ें ....अगर आपको लगता है ...की आप किसी और पार्टी के साथ रह कर भी .....जन हित के लिए कुछ कर सकतें है ...तो जरुर करें .....पर करें जरुर ....जब तक अच्छे, सच्चे और ....आम आदमी ..राजनीती से इन तानाशाहों और भ्रष्ट लोगों को बाहर नहीं करेंगे ....कुछ बदल नहीं सकता ....इसे बदलना तो पड़ेगा ..नहीं तो आप स्वयं सोंचिये ...कहाँ ले जा रहें है ...हम अपने देश को ....देश की जनता के भविष्य को .....नागेन्द्र शुक्ल
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525822444107558&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

‘दो कप कॉफी। एक मेरे लिए और एक उस दीवार के लिए।

इटली के वेनिस शहर में स्थित एक कॉफी शॉप का दृश्य है। एक व्यक्ति कॉफी शॉप में आता है और वेटर को आवाज देता है। वेटर के आने पर वह ऑर्डर प्लेस करता है- ‘दो कप कॉफी। एक मेरे लिए और एक उस दीवार के लिए।’ जाहिर है, इस तरह का ऑर्डर सुनकर आपका भी ध्यान उस ओर आकर्षित होगा। खैर, वेटर एक कप कॉफी ले आता है। लेकिन उसे दो कप का भुगतान किया जाता है। उस ग्राहक के बाहर निकलते ही वेटर दीवार पर नोटिस बोर्ड टाइप का एक कागज चिपकाता है, जिस पर लिखा होता है- ‘एक कप कॉफी’।

पांच मिनट बाद दो और व्यक्ति कॉफी शॉप में आते हैं और तीन कप कॉफी का ऑर्डर देते हैं। दो कप कॉफी उनके लिए और एक कप दीवार के लिए। उनके समक्ष दो कप कॉफी पेश की जाती है, लेकिन वे तीन कप कॉफी का भुगतान कर वहां से चले जाते हैं। इस बार भी वेटर वही करता है। वह दीवार पर ‘एक कप कॉफी’ का एक और कागज चस्पां करता है।

इटली के खूबसूरत शहर वेनिस में आप इस तरह का नजारा अक्सर देख सकते हैं। वेनिस नहरों द्वारा विभाजित मगर सेतुओं के जरिये आपस में जुड़े ११८ छोटे टापुओं के एक समूह पर बसा खूबसूरत शहर है। वर्ष २०१० में इसकी कुल आबादी तकरीबन २७२,००० आंकी गई और इसकी आतिथ्य संस्कृति का कोई जवाब नहीं है।

बहरहाल, उस कॉफी शॉप में बैठकर ऐसा लगा मानो यह वहां की आम संस्कृति है। हालांकि वहां पहली बार आने वाले शख्स को यह बहुत अनूठा और हैरतनाक लग सकता है। मैं वहां कुछ देर और बैठा रहा। कुछ समय बाद एक और शख्स वहां आया। वह आदमी अपनी वेश-भूषा के हिसाब से कतई उस कॉफी शॉप के स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं लग रहा था। उसके पहनावे व हाव-भाव से गरीबी साफ झलक रही थी। वहां आकर वह एक टेबल पर जाकर बैठ गया और दीवार की ओर इशारा करते हुए वेटर से बोला- ‘दीवार से एक कप कॉफी’। वेटर ने पूरे अदब के साथ उसे कॉफी पेश की। उसने अपनी कॉफी पी और बगैर कोई भुगतान किए वहां से चला गया।

इसके बाद वेटर ने दीवार से कागज का एक टुकड़ा निकाला और डस्टबिन में फेंक दिया। अब तक आपको पूरा मामला समझ में आ गया होगा। इस शहर के रहवासियों द्वारा जरूरतमंदों के प्रति दर्शाए जाने वाले इस सम्मान को देख मैं अभिभूत हो गया। कॉफी किसी भी सोसायटी के लिए जरूरी नहीं होती और न ही यह हम में से किसी के लिए जिंदगी की जरूरत है। लेकिन इन कड़कड़ाती सर्दियों में गरमागरम कॉफी से गरीबों के शरीर में थोड़ी देर के लिए जरूर गर्माहट आ सकती है। गौरतलब बात यह है कि जब कोई किसी तरह के अनुग्रह का लुत्फ लेता है, तो संभवत: हमें उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जो उस विशेष अनुग्रह की उतनी ही कद्र करते हैं, जितनी कि हम करते हैं, लेकिन वे इसे वहन नहीं कर सकते।

जरा उस वेटर के किरदार पर गौर फरमाएं, जो देने वालों और लेने वालों के बीच इस आदान-प्रदान की प्रक्रिया में अपने चेहरे पर एक जैसी मुस्कान के साथ पूरी उदारता के साथ अपनी भूमिका निभाता है। इसके बाद उस जरूरतमंद शख्स पर गौर करें। वह अपने आत्मसम्मान से तनिक भी समझौता किए बगैर उस कॉफी शॉप में आता है। उसे मुफ्त एक प्याला कॉफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। बिना यह पूछे या जाने बगैर कि कौन-सा शख्स उसे यह एक कप कॉफी पिला रहा है, वह सिर्फ दीवार की ओर देखता है और अपने लिए ऑर्डर प्लेस करता है। इसके बाद वह अपनी कॉफी पीता है और चला जाता है। अब जरा उस दीवार की भूमिका पर गौर फरमाएं। यह उस शहर के रहवासियों की उदारता और सेवाभाव को प्रतिबिंबित करती है।
Thanks, Abhilash Panicker

अगर कोई काम करने के पहले या बाद यह ना सोंचा जाय, की क्रेडिट किसको जाना चाहिए ...या मिला तो आप निर्विवाद रूप से ...अपनी क्षमता से कहीं अधिक और उपयोगी कार्य कर सकते
देश कभी गलत लोगों की वजह से बरबाद नहीं होता । बल्कि अच्छे लोगों की निष्क्रियता से होता है
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525328847490251&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater


what we can do #1

दोस्तों, सिर्फ 350 रुपये में 1000 पर्चे छप जातें है ...जिनको आप आसानी से अपने जानने वाली दुकानों में रखवा सकतें है ...अपने ऑफिस के सामने चाय पान की दूकान में ....घर के आस पास किराने की दुकान में .....सब्जी के ठेले वालों के पास ....ऑटो रिक्शा और पैडल रिक्शे वाले के पास .....मेट्रो में जितनी देर आप ट्रेवल कर रहें है .....मैं जनता हूँ एक दोस्त को जिनका नाम प्रदीप है ....और वो फेसबुक पर नहीं है ...हमेशा रखतें है अपने बैग में कुछ पर्चे और .....चिपकाने का सामान ...अभी कल ही देखा उनको ....की बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार करते करते ...उन्होंने उस बस स्टैंड में 3/4 पर्चे चिपका दिया और 1बांकी 10/12 खड़े लोग पढ़ने के बाद अरविन्द जी और AAP के बारे में बात करने लगे ....फर्क तो पड़ेगा ....
कुछ दिन पहले एक बस में देखा था ...की एक गूंगा बहरा और पैर से लाचार चढ़ा और .....उसने पूरी बस में अपने बारे में पर्चे बांटे ....और कुछ लोगों ने उसे पैसे भी दिए और ...फिर वो बस से उतर गया अगले स्टॉप पर ......तो ऐसा कुछ भी करना वाकई आसान और असरदार है ....
35 पैसे का एक परचा ....आप 1000 छपवा और बंटवा सकते हो सिर्फ एक फिल्म न देख कर ....और एक किसी दिन जब पिज़्ज़ा खाने मन हो ...और न खा कर .....ये वाकई आसान और किफायती है .....
कुछ और भी सुझाएँ ....."We Want Arvind Kejriwal as Indian PM"
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=525418920814577&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

Saturday, January 26, 2013

दुगना लगान .....चुका रहे है हम

दुगना लगान .....चुका रहे है हम एक प्रत्यक्ष कर (TAX) जो सरकार को दे रहे है ...और दूसरा परोक्ष,........... टैक्स तो हम, साल में एक बार सरकार को दे देतें है ....और दूसरा वो,....जो वसूला जाता है हमसे और आप से रोज रोज़ किस्तों में।
अब आज की बात है  सड़क के किनारे टोकरी में उबले चने बेंचने वाले से ....एक पत्ते का दाम पूंछा,...  बोला 25 रुपये .....थोडा डर गया की अभी तक तो बड़े -बड़े माल ...की दुकानों से खाने में डर लगता था ...सड़क किनारे बाल्टी में भी ये भाव ....पूंछा भाई इतना महँगा क्योँ भाई ....तुम्हारी तो कोई दूकान भी नहीं ...बिजली का खर्च न टीवी/ पंखे का ...फिर भी इतना क्यों .....गुरु तुमने तो बहुत कमा लिया होगा .....
वो बोला साहब ...बस किसी तरह नमक रोटी का जुगाड़ होता है .....मैंने कहा भाई ..margin तो काफी है अगर दिन में 50 पत्ते भी बेंच लिए तो बहुत हो गया .....
बोला साहब ..बेचता तो हूँ ....पर दिन भर में ....जो फ्री वाले पत्ते जाते है ...उनसे लगत बढ़ जाती है ......और मुनाफा कम .....नगद गया सो अलग ....
इतना बोलते - बोलते ....दूसरी तरफ इशारा किया ....देखा तो हमारे सुरक्षा कर्मी खड़े थे ....हम्म ....

वो बोला साहब और भी हैं ...दूसरी तरफ ....पार्किंग वाले लडके खड़े थे ....अब चौका ..इनको भी ...बोला ये सब एक नेता जी के आदमीं है ....इनका मूड अगर खराब कर दें तो ......नगर पालिका ...की गाडी आ जाती है ....रेहड़ी उठाने .....
ये दूसरा लगान हम रोज़ चुका रहें है ...पर क्यों ?.....सिर्फ इसलिए क्यूंकि हम सोंच लेतें है ..की कुछ नहीं हो सकता इस देश का .......इस आदत को बदलना पड़ेगा .......कुछ प्रयास तो करना पड़ेगा ......

सही गलत आप जानो, पर ऐसा लगता है की कुछ सरकारी पदों के (भ्रष्ट ) कर्मियों को ...अगर सरकार तनख्वाह ...देना भी बंद करते ....और नौकरी बनी रहे .....तो भी ये इसकी बजाय कोई दूसरा काम करना पसंद नहीं करेंगे ......
अब ये क्या करें मजबूरी तो इनकी भी है ....महंगाई इनके लिए भी ........नेताओं के साथ साथ ..इन भ्रष्ट अफसरों और नौकरों भी का पेट पालना .....आम आदमी का ही दाइत्व तो है .........अब इसके दो ही समाधान है .....या तो चुकाते रहो दुगना लगान .....या फिर जागो .....और पूछो ....थोडा लड़ो ....क्या पता आपके प्रयास से ...सूरत बदल जाये ......नागेन्द्र शुक्ल

Wednesday, January 23, 2013

Gadkari Out....Rajnaath In....Credit किसको

काफी पहले एक शुभ चिन्तक ने मुझसे कहा था ......की अगर "आप कोई काम करने से पहले या बाद यह मत सोंचो की क्रेडिट किसको गया ...या किसको जाना चाहिए था" तो आप निर्विवाद रूप से ...अपनी क्षमता से कहीं अधिक और उपयोगी कार्य कर सकते हो।
अब गडकरी जी की छुट्टी के बाद ...अब देख रहा हूँ की इसके क्रेडिट को लेकर होड़ लगी है अलग अलग मत है
1. अरविन्द जी, के पोल खोल का नतीजा है
2. आडवाणी जी, उन्होने बता दिया भाजपा भी कभी कभी संघ से अलग हटकर अपनी चला लेती है, ये तो गडकरी जी के विरोधियों ....के प्रयासो  का नतीजा है
4. कांग्रेस के सरकारी तंत्र का दबाव है
और भी बहुत कुछ ....
सबका अपना अलग अलग मत, सबका अलग अलग स्वार्थ ...मेरा भी है ...इसमें कोई शक नहीं ...अब आपके लिए सही क्या है आप ही जानो ...पर मुझे लगता है की

अरविन्द जी की पोल खोल के बाद और यह expose करने के बाद की ये बीजेपी और कांग्रेस चोर-चोर मौसेरे भाई की तरह है ....और ये सिद्ध हो गया ....तो अब ऐसे में इस भ्रष्टाचार विरोधी माहोल में ...बीजेपी अपने आप को कांग्रेस के सामने असहज पाती थी गडकरी जी के साथ ...तो मजबूरी थी
और आतंरिक कलह गुटबाजी तो है ही ....

मेरा मानना तो स्पष्ट रूप से है की ...ये अरविन्द जी के प्रयासों का और जनता को जागृत करने का ही दबाव है ...जिसकी वजह से इनको मजबूर होना पड़ा ...
अब कोई कह सकता है की ....अगर ये पोल खोल का नतीजा है तो रॉबर्ट जी और सलमान जी ....पर क्यों नहीं हुआ ?
क्यूंकि ....बीजेपी में शायद अभी थोड़ी शर्म बांकी है ....और कांग्रेस से पूरी तरह जा चुकी है .....और भी जा क्योँ चुकी है ...स्वयं बीजेपी के, चाल चलन से ....की जब भी बात होगी तो ..मुद्दे को छोड ...चालू कर देंगे
मेरी साडी ....तेरी साडी से सफ़ेद है .....

पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी .....निष्कलंक AAP के मैदान में आने से ......मेरी साडी ...तेरी साडी ...तो अब चलेगा नहीं .....क्या करें मजबूरी है ....रही बात राबर्ट जी की ...तो आपको जल्द ही कोई अच्छी न्यूज़ मिलेगी ....और सलमान जी ...से तो उनके अपने शहर के लोग ही निपट लेंगे ..
मुझे यह भी लगता है ...की सीधे  कोर्ट ना जाने का फैसला भी सही था ...नहीं तो ये सारे नेता एक रटी रटाई लाइन बोलतें है ......मामला कोर्ट में है .......और जब तक फैसला नहीं ...तब तक हम इमानदार है ....और किसी का कोई दबाव नहीं ....अब जनता का दबाव ....और सत्ता का लालच ..इनको मजबूर करेगा ....और कर रहा है ....हाँ हमारा प्रयास जारी रहना चाहिए ....

ये मजबूरी इसलिए नहीं की एक और राजनीतिक पार्टी चुनाव मैदान में आ गयी है (AAP) ......वरन इसलिए की ...AAP राजनीती कर नहीं रही .....बल्कि
जनता को जागृत कर रही है .....और राजनीतिक मूल्यों को स्थापित कर रही है ....और इसी जागृत जनता के दबाव ने मजबूर किया
गडकरी जी की छुट्टी के लिए ....और .....जयपुर के चिंतन के लिए ....
अब चिंतन से क्या निकला ..क्या असर ....सभी के सामने आएगा ......धीरे धीरे ....
बीजेपी ने  ...उठा लिया पहला कदम और बना दिया राजनाथ जी को .....बीजेपी का नाथ ....अब उम्मीद करतें है की अपने पिछले कार्यकाल से सबक लेते हुए ...वो इस बार ...परिवारवाद ....को पीछे रखते हुए ...पिछली बार की तरह  अपने पुत्र, पंकज सिंह को स्थापित करने  की बजाय अपनी इस पार्टी को भ्रस्ताचार को दूर करने की ....और जनता के हित में काम करने की कोशिश करेंगे ........बजाय सिर्फ सत्ता स्वार्थ को ...साधने के ....

कांग्रेस के दो मजबूत दोस्त तो पहले ही थे...पहला मीडिया, दूसरा सीबीआई,....और अब राजनाथ जी से आशा करता हूँ ....की कोशिश करेंगे की ....किसी भी भ्रस्ताचार के ...और जन विरोधी काम के लिए ...तीसरे सहयोगी नहीं बनेगे ....

अन्यथा ..हम और आप ..तो रुकने वाले नहीं .....लगातार और बार बार सबक सिखाते रहेंगे ....हम कौन? अरे आप ..... आम आदमी ...नागेन्द्र शुक्ल

Monday, January 21, 2013

Understand the process register yourself for Voting



How to register yourself for Voting if you are different state
If you don’t Vote you have no right to Criticize your rulers
It is simple to register for voting in different states too, This is globalization era and we work in different states and many times it is not possible to go to your place for voting purpose and we simply give an excuse our self for not voting..But does this excuse finish our duty also towards our nation...
Register yourself for voting in the state where you are residing right now and be a proud citizen
Understand the process
3 forms
Form 6 / Form 7/ Form 8
Form 6 is for registering yourself for voting
form number 7 is for removing your name from voting ward
Form number 8 is for a new address for updating the ward info ( make sure filling form 7 and submit forst before form 8 )
These forms need to be submitted in ERO
For Bangalore people
http://bangalorevoterid.org/process.html
For Delhi people
http://ceodelhi.gov.in/Content/Forms.aspx
For Mumbai
http://www.mid-day.com/news/2009/may/080509-Mumbai-Guide-How-To-do-guide-vote.htm
ERO offices address you can find from internet for your area
for example in Bangalore you can submit your form in these places
http://bangalorevoterid.org/pdf/BMP-RV-E-AUG03-P-401.pdf.pdf
Please ask us question if you have we will solve every problem whatever you want, please do google as well you will see your area website with all information
Simple Faqs
1.: What proof do I need to show to get enrolled after attaining age of 18?
Ans : One of the following proofs should be provided while enrolling:
a: High School Certificate / SSLC Mark Sheet.
b: Birth Certificate.
c: Passport.
d: Driving License
e. bank passbook
2. Please give me details of my Polling Station and Assembly Constituency. Who do I contact to get these details?
Ans : This can be obtained by contacting the helpdesk of “Macro InfoTech Pvt Ltd” @ 080 – 2335 7807 / 2314 8429. You can also check it from the “bangalorevoterid.org” website also.
 

अगर कुछ बदलना है तो वोट देना आपका नैतिक कर्तव्य है यधि आपका वोट अभी तक नहीं है या फिर आप वोट नहीं देते तो इस बिगड़ी व्यवस्था के जिम्मेवार आप भी है अतः आपको नैतिक अधिकार नहीं रह जाता इस भ्रष्ट व्यवस्था की सिर्फ बुराई करने का ।
वैसे रहना तो हम हमेशा अपने ही शर और गाँव में चाहते है ...पर रह नहीं पाते क्योँ ?...आपको पता है क्यूंकि विकास सिमित क्षेत्र और लोग के लिए है
अच्छी बात यह की हम ऑनलाइन अपने वोटिंग कार्ड को बनवा सकतें है ...कहीं से भी
उसके लिए 3 फॉर्म है
फॉर्म 6 :- अपने आपको को वोट के लिए नामांकित करने के लिए
फॉर्म 7 :- अपना नाम एक जगह से वोटिंग लिस्ट से हटवाने के लिए
फॉर्म 8 :- अपना नया पता दर्ज करने के लिए



Sunday, January 20, 2013

ख़त्म तेरा विश्राम हुआ ... शुरू तेरा ही ....काम हुआ ...

जो दे दिलासा,...तपते सूरज को
जो दे ताकत,....डरते मन को,
हिम्मत भरी तुलिका से ....कर दे रोशन
कण - कण ....हर जीवन ...
ना जाती धर्म का भेद करे ...
ना धन बल की ...चाहत हो ....
हर जीवन गुजरे ...सम्मान भरा ...
हो आग धधकती .....परिश्रम की ...
महक उठे ....तेरे श्रम की ....
जो भ्रष्ट हैं ...देखो भाग रहे ... ...
क्योँ की .... तुम अब जाग रहे ....
अधिकारों के संग - संग ...

अपने कर्तव्यों को पहचान रहे ...
ख़त्म तेरा
विश्राम हुआ ...
शुरू तेरा ही ....काम हुआ ...
डर मत ....बस उज्जवल हो जा,...
नीलगगन सा निश्छल हो जा,...
चमक दमक ...किरणों का नव जाल बना लें,
कण-कण को ...इस नव-सूरज का एहसास करा दें।
......नागेन्द्र शुक्ल
2 फरवरी को ...जनता के सामने होगी पोल खोल
कोई बस मीडिया नियंत्रित करके हमें रोक नहीं सकता 


.इन बंद पड़ी कंपनियों की जमीन क्योँ नहीं?.....जो वैसे भी बेकार है ....

दोस्तों, आज छुट्टी के दिन सोंचा, की शहर से बाहर निकल कर थोड़ी दूर गाँव में जाकर पता करतें हैं जमीनी हकीकत अब ज्यादा दूर तो नहीं गया पर करीब 80 KM दूर (High Way पर) एक गाँव में ...जहाँ के किसानों की जमीन acquire की जा रही है ....Industrial development के नाम पर ....
वहां लोगों से बात की ...की और जानने की कोशिश की कितना जानते ही AAP को और अरविन्द जी को ....अच्छी बात यह की कुछ पढ़े लिखे लोग जानते भी थे और ज्यादा जानने के इचछुक भी ....पर उनका सवाल था की क्या हुआ क्या ....आज कल TV पर कुछ बताते ही नहीं ....अब TV वाले कुछ क्यों नहीं बताते ये आपको तो पता ही होगा ....अगर नहीं तो आज ही अरविन्द जी ने अपने live webcast पर इसका कारन भी बताया ....इसको छोड़ते है ..मुद्दे की बात यह की ...

वापस आते समय ...high के दोनों तरफ बनी बड़ी बड़ी companies को जरा ध्यान से देखा ....तो पाया की तकरीबन 60% फैक्ट्री तो बंद पड़ी है .....जिनके पास में हजारों एकड़ जमीन पर कब्ज़ा है .....
सोंचता रहा, की ...भाई जब हजारों एकड़ जमीन ...इन बंद पड़ी फैक्ट्री के कब्जे में हैं तो ......सरकार खेती योग्य ...नई जमीन को अधिग्रहित क्योँ कर रही है .....इन बंद पड़ी कंपनियों की जमीन क्योँ नहीं?.....जो वैसे भी बेकार है ....

घर लौट कर ...एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी से पूंछा ....की ऐसा क्यों नहीं करते ये ....
उनका जवाब साफ़ था ...की ...जब इन बंद पड़ी कंपनियों को जमीन दी गयी थी ...तब भी सबको पता था ...की वहाँ पर ना ही इनको कभी कोई फैक्ट्री खोलनी है ...और अगर मजबूरी में कुछ कमरे बनाये भी तो .....बस जल्द ही घटा दिखा कर बंद कर देंगे .....और फिर अगले अधिग्रहण में एक नई जमीन ...नई कंपनी ....जिसका हाल फिर वही होगा ....
वो बोले ...अगर पता करोगे ...की ये कंपनियां वास्तव में ....है किसकी ....और जब जमीन मिली थी तो किस के पास ...देने की ताकत थी ....
सब कुछ स्वयं साफ़ हो जायेगा .....
वो बोले ...वास्तव में तो इन कंपनियों को ....कुछ उत्पाद करना ही नहीं होता ...इनको तो बस रिआयती दरों पर सरकारी और किसानों की जमीन हथियानी होती है और कुछ नहीं .....वास्तव में ये सब सिर्फ ....real estate का business करतें है ...और कुछ नहीं .....
थोडा अजीब है ...की शहर में और आसपास हजारों एकड़ ..में ..फैलीं है ...बंद और मरी पड़ी कम्पनी ......उनकी जमीन को reclaim करके ...नयी यूनिट को देने की जगह किसान की खेती योग्य ...जमीन ही चाहिए .....industrial development के लिए ....क्यों ?

और एक बात ..जिन गावों की जमीन ....अधिग्रहित की जाती है ....industrial development के लिए ......कुछ ऐसा कुचक्र है ...की वो हँसता खेलता गाँव,...... अचानक से एक मलिन बस्ती में तब्दील हो जाते है ....ना आने जाने के लिए सही रास्ते .....गंदे और ठहरे पानी की बदबू ....कूड़े के ढेर ...और भी बहुत कुछ ....क्यों ?.....जवाब शायद ...सभी को पता है ...नागेन्द्र शुक्ल

Saturday, January 19, 2013

प्रशांत भूषन, मयंक गाँधी और अंजलि दमानिया के खिलाफ आन्तरिक लोकपाल जाँच करेगा

कई दिनों से कुछ दोस्त अपने इस कमेंट को पोस्ट कर कर के ....कुछ पूँछ रहे थे ....चूँकि सवाल जायज है इसलिए उत्तर देना अति आवश्यक
आप सभी को अगर ध्यान हो तो करीब 1 या 1.5 महीने पाहिले times now चेंनल में एक प्रोग्राम मैं ....अरविन्द जी ने साफ़ कहा था की ..भाई हमारा एक internal लोकपाल है जो की इनकी जाँच करेगा परन्तु ..पारदर्शिता के कारण यह जरुरी है की ....कोई व्यक्ति जो हमसे सीधे सम्बंधित न हो ...वो लोकपाल के पास शिकयत करें ....
अब आज इतना समय बीतने के बाद ...लोग ये तो पूँछ रहें है ..की क्या हुआ इसका ....पर मैं पूंछता हूँ की जिसने भी आरोप लगाये थे ...क्या उन्होंने लोकपाल के पास शिकायत की  - अभी तक तो कोई नहीं
अब आप कहेंगे की ..भाई आरोप तो मीडिया में लगाये जा चुके है ...हाँ बात सही है पर ..बिना सही पैरवी के ..यधि लोकपाल जाँच करेंगे ..तो यह एक पक्षीय होगा ......सही नहीं होगा
यह ठीक वैसे ही होगा की .....की जैसे रॉबर्ट बादरा जी को .....और गडकरी जी को मिल गयी क्लीन चिट ...
अतः .वो लोग जो ये प्रश्न कर रहें है ..उनसे अनुरोध है ...की कृपया लोकपाल से मिल कर शिकायत करे ....और जो भी साक्ष्य हो ..प्रस्तुत करें ....
यधि वो यह नहीं कर सकते तो ....शायद प्रश्न पूँछना व्यर्थ और नकारत्मक होगा
इस लिंक पर जा कर आपको जानकारी मिलेगी की किस्से और कैसे ..शिकायत करनी है ....http://aamaadmiparty.org/Internal_Lokpal.aspx
.......कृपया यथार्थ को उजागर करने में मदद करें ...नागेन्द्र शुक्ल
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=521577821198687&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater


Friday, January 18, 2013

किसी भी जीत हार से ...बड़ा है ....हमारा यह उद्देश्य

दोस्तों, 2 Octobar को जब अरविन्द जी, राजनीतिक पार्टी के गठन का आगाज किया था ...तब ही उन्होंने स्पष्ट कहा था .....
की जैसे - जैसे हमारे Agenda को लोग ....अपनी राजनीतिक पार्टी में ढाल लेंगे ....जनता को उसका हक किस्तों में मिलता जायेगा
हमारा उद्देश्य सिर्फ ..जागृत समाज और एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था खड़ी करना है .....जिसमें
आते वख्त फक्र का अहसास करें ....एक समाज सेवा का भाव हो ....कुछ ऐसा करना है की ...राजनीती सिर्फ गुंडे और गंदे या धनलोलुप लोगों के लिए ना रहे ....
हमारे लिए ..किसी भी जीत हार से ...बड़ा है ....हमारा यह उद्देश्य।
अगर सभी राजनीतिक पार्टी ....राजनीती को ..समाज सेवा के भाव से करे ...और अपने को राजा घोषित करने के बजाय
जनता के साथ मिलकर ....जनता के लिए काम करें ....
तो किसी और राजनीतिक दल की कोई जरुरत नहीं ....
आवश्यकता सिर्फ इसको साफ़ करने की है .....इस बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने की है ....
युवा और जनता में वो जोश भरने की है ...की वो अपने आपको  ...राजनीती से प्रथक रखने की जगह ...उसमे सकारात्मक भाव से ...एक सेवा भाव के साथ ....सक्रीय भूमिका निभा सके
मुख्य परेशानी तो सिर्फ इतनी है की आज सभी राजनीतिक पार्टी में ......जो जमीनी और अच्छे कार्य करता है ....वो हाशिये पर है ....और इस राजनीतिक कुचक्र के चलते वो कभी सामने आ भी नहीं पाते
और दोहरा नुक्सान होता है
अच्छे लोग ...अपने आप को राजनीती से ..प्रथक कर लेतें है .....और धन बल बाहु बल ...के जरिये ...वो लोग जिनको समाज में कहीं गम होना चाहिए ..वो जनता के एक धड़े की अगुवाई करतें है ....
वास्तव में तो .....जनता की चाहत और इच्छा के ..ऊपर इन नेताओं का स्वार्थ हावी हो जाता है ....
इसीलिए मेरा मानना है ..की अगर आपको लगता है ...कुछ गलत है जिसको सही करना है ....तो अपनी हिम्मत जुटाएं ..और आगे बढे .....और इस काम के लिए ये आवश्यक नहीं है ....की आप सिर्फ AAP जुड़ें ....
आप ...इस राजनीतिक सुधार में ...अपना सहयोग ....अपनी आस्था और विस्वास के साथ कहीं भी करे .....पर करें जरुर ....यही AAP का अंतिम उद्देश्य है ....और आपका सहयोग ...आकांक्षी है ....नागेन्द्र शुक्ल