Sunday, June 30, 2013

आम आदमी का गुण गाता आम आदमी

हाँ, सद्कर्म हमेशा करता आम आदमी!
फल की चिंता करता रहता आम आदमी.
पाप कर्म करने से डरता आम आदमी
अनजाने में पाप से डरता आम आदमी
धर्म कर्म में लिप्त ही रहता आम आदमी
ईश्वर में भी आस्था रखता आम आदमी
मोक्ष की चिंता करता रहता आम आदमी
तीर्थाटन करने को जाता आम आदमी!
देवभूमि में जाकर मरता आम आदमी
प्राकृत आपदा में भी मरता आम आदमी
जलधारा मे कौन है बहता आम आदमी!
धर्म आधारित दंगा करता आम आदमी
सबसे ज्यादा कौन है मरता आम आदमी
महंगाई के मार से मरता आम आदमी
टैक्स हमेशा समय से भरता आम आदमी
कानून का नित पालन करता आम आदमी
कानून के डंडे से डरता आम आदमी
सजा हमेशा ही है पाता आम आदमी
छोटा धंधा नौकरी करता आम आदमी!
हर हालत में मदद है करता आम आदमी
वोट बूथ पर जाकर देता आम आदमी
नेता का भी बना चहेता आम आदमी
नेता का शिकार भी बनता आम आदमी
जात धर्म में जाकर बंटता आम आदमी
आत्म हत्या ज्यादा करता आम आदमी!
रोज दिखावा कौन है करता आम आदमी
और कर्ज में भी है फंसता आम आदमी
किसी किसी को ख़ास बनाता आम आदमी
और जुल्म की मार है सहता आम आदमी
बीच सड़क पर कौन है मरता आम आदमी
मुआवजे के लिए भी मरता आम आदमी
दफ्तर के बाबू से भिड़ता आम आदमी
बच्चे ज्यादा पैदा करता आम आदमी
सदा शिकायत करता रहता आम आदमी
इज्जत की चिंता भी करता आम आदमी
ईश्वर को भी खूब मानता आम आदमी
उनसे दया की आशा रखता आम आदमी
रक्षा मेरी करो ये कहता आम आदमी
रोज रोज बंद कौन है करता आम आदमी
बंद की पीड़ा कौन है सहता आम आदमी
नेताओं की ढाल है बनता आम आदमी
शिकार आतंकी का बनता आम आदमी
आतंकी भी कौन है बनता आम आदमी
सेना पुलिस में भरती होता आम आदमी
कभी जुल्म तब वो ही करता आम आदमी
आदेश पालन वो ही करता आम आदमी
उसका डंडा कौन है सहता आम आदमी
सीमा की रक्षा है करता आम आदमी
विपदा से भी रक्षा करता आम आदमी
और ना बदले में कुछ लेता आम आदमी
सदा अभाव के बीच ही रहता आम आदमी!
नई नई जिज्ञाषा रखता आम आदमी!
अन्दर रोता बाहर हँसता आम आदमी!
अपनों की चिंता में मरता आम आदमी!
हर कोई की बातें सुनता आम आदमी!
रोज नई कविताएँ लिखता आम आदमी!
कविता लिखकर खुद ही पढ़ता आम आदमी!
आम आदमी का गुण गाता आम आदमी
अब जग जाओ ये भी कहता आम आदमी
...........KL Singh

Wednesday, June 26, 2013

किसने मनाया शब् - ए - बरात 

शबे-बरात को दरअसल,... शब् क़द्र भी कहते है,...मतलब ...."वह शब् जिसकी हमें सबसे ज्यादा कद्र करनी चाहियें",...
शबे-बरात की पाक रात को जहां खुदाई रहमत की रात माना जाता है, इस दिन इंसान की पूरे वर्ष की कारगुजारियों के लिहाज से हिसाब-किताब किया जाता हैं।
पिछले वर्ष के कारनामों से अगली साल की रोजी-रोटी तय होती हैं।
यहां यह गौर करने की बात है कि,...शबे-बरात साफ़ कहता है की ...."आप जैसा करते है वैसा ही भरते है",....

वो कहते है ना .. "मालिक के घर देर है मगर अंधेर नही" क्योंकि प्रत्येक वर्ष,..."आपको आपके किये का सिला मिल जाता है।"
उस मालिक को सब पता है की ..किसके हक में क्या, कब और कैसे देना है बेशक वह अच्छी तरह जानता है,....और करता है ...पर देता ..देता सिर्फ आपके कर्म के अनुसार है .....

शबे-बरात की अहमियत यह भी है कि यह रमजान आने का ऐलान है। अब हमें रमजान की तैयारियों में लग जाना चाहिए। हम सबको मिलकर तालीम पर तवज्जो देनी चाहिए। इसके बिना न दीन दुरुस्त हो सकता है न दुनिया। इबादत करने से इंसान की भीतरी व बाहरी यानी दिल की व जिस्म की सफाई होती है। जिसका दिल पाक होगा वह किसी को नुकसान पहुंचाने की बात भी नहीं सोच सकता। मुसलमान का ईमान मजबूत होगा तो अमल भी पुख्ता होगा। मजहबे-इस्लाम पर चलेंगे तो अल्लाह के नेक बंदे व बेहतरीन इंसान बनेंगे।

कुछ ऐसा त्यौहार है ...शबे-बरात,....पर दुःख ...कुछ लोग ....धर्म या त्यौहार को बिना समझे ही ...धार्मिक दिखने की होड़ में क्या नहीं कर जाते ....

सोमवार की रात को ....दिल्ली की सड़को पर ...जो हुआ,....वो शर्मनाक है ...पर ....
दिल्ली में जो हुआ ...जिसने भी किया ... समझे ...और सोंचे की वो ..जिन्होंने उत्पात किया ....उन्होंने नुक्सान किया किसका ? ...
जिसने किया ...वो मुसलमान नहीं हो सकते ...ये सिर्फ भटके हुए लोग थे .....जो ईश्वर को समझना नहीं चाहते .....या किसी ने गलत समझा दिया ...और शायद ऐसे ही भटके हुए को ...काफिर कहा जाता है ....

काफिरों का कोई धर्म नहीं होता ....ना हिन्दू ...ना मुसलमान ....
पर इन बिगड़े हुए लड़को ने वो किया,.. जैसे इन्हें संस्कार मिले ....पर ऐसे संस्कार  ...मिले कैसे? ...दिए किसने?.....
और वो जिसका काम था व्यवथा को बनाना ....मतलब पुलिस ...वो इतनी लाचार क्यों हुई ?....किसने बनाया इसे इतना लाचार?....

सारा दोष ...बिगड़ी व्यवस्था ...और सच को ना समझने ..झूठ में जीने की आदत ...और अपने फायदे के लिए ...जनता का ..धर्म का उपयोग करने की व्यवस्था का ही तो है ......इसे ही तो बदलना है .....नागेन्द्र शुक्ल #DelhiDeservesBest #AAP #Delhi
News Links:-
http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/26-jun-2013-edition-Gurgaon-page_3-21418-6669-244.html
http://navbharattimes.indiatimes.com/other-news-mumbai/Sbe-procession-celebrating-the-simplicity-and-beauty/articleshow/20768353.cms

Thursday, June 20, 2013

क्यों आग नहीं लगती दिल में,.... क्या खून हो गया पानी है ?

कोने में बैठा लोकतन्त्र, लज्जित नयनों से देख रहा !
आजादी के बाद भी, देखो बस गुलाम तेरी कहानी है
लाचार हुए हो क्यों इतने ? क्योंकर इतनी बेशर्मी है ?क्यों आग नहीं लगती दिल में, क्या खून हो गया पानी है ?

अब करना और भरोसा इन (भ्रष्ट नेता) पर,..... बहुत बड़ी नादानी है,
बेंच रहा है तार तार,...... माँ का आँचल खींच रहा,
चुपके से खूनी हाथ बढ़ा, .....गर्दन हम सब की भींच रहा !
चाहे जितना तुम समझाओ, करता अपनी मनमानी है,
क्यों आग नहीं लगती दिल में, क्या खून हो गया पानी है ?

चुटकी भर शर्म तुम्हें होती,.... तो क्यों सारा भारत रोता !
अब तो लगता है कभी-कभी,.... यह तुम सब की शैतानी है,
क्यों आग नहीं लगती दिल में,... क्या खून हो गया पानी है ?

पलभर में फिजाँ बदल देंगे, ....हम ऐसे हिन्दुस्तानी हैं,
क्यों आग नहीं लगती दिल में,.... क्या खून हो गया पानी है ?

विचित्र किन्तु सत्य ?

Carttons Againest Curroptions
मोबाइल से जुडी कई ऐसी बातें जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती लेकिन मुसीबत के बक्त यह मददगार साबित होती है ।
इमरजेंसी नंबर -दुनिया भर में मोबाइल का इमरजेंसी नंबर 112 है । अगर आप मोबाइल की कवरेज एरिया से बाहर हैं तो 112 नंबर द्वारा आप उस क्षेत्र के नेटवर्क को सर्च कर लें . ख़ास बात यह हैकि यह नंबर तब भी काम करता है जब आपका कीपैड लौक हो !
जान अभी बाकी है-मोबाइल जब बैटरी लो दिखाए और उस दौरान जरूरी कॉल करनी हो , ऐसे में आप *3370# डायल करें , आपका मोबाइल फिर से चालू हो जायेगा और आपका सेलफोन बैटरी में 50 प्रतिशत का इजाफा दिखायेगा ! मोबाइल का यह रिजर्व दोबारा चार्ज हो जायेगा जब आप अगली बार मोबाइल को हमेशा की तरह चार्ज करेंगे !
मोबाइल चोरी होने पर-मोबाइल फोन चोरी होने की स्थिति में सबसे पहले जरूरत होती है , फोन को निष्क्रिय करने की ताकि चोर उसका दुरुपयोग न कर सके । अपनेफोन के सीरियल नंबर को चेक करने के लिए *#06# दबाएँ . इसे दबाते हीं आपकी स्क्रीन पर 15 डिजिट का कोड नंबर आयेगा . इसे नोट कर लें और किसी सुरक्षित स्थान पर रखें . जब आपका फोन खो जाए उस दौरान अपने सर्विस प्रोवाइडर को ये कोड देंगे तो वह आपके हैण्ड सेट को ब्लोक कर देगा !
कार की चाभी खोने पर -अगर आपकी कार की रिमोट केलेस इंट्री है और गलती से आपकी चाभी कार में बंद रह गयी है और दूसरी चाभी घर पर है तो आपका मोबाइल काम आ सकता है ! घर में किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन पर कॉल करें ! घर में बैठे व्यक्ति से कहें कि वह अपने मोबाइल को होल्ड रखकर कार की चाभी के पास ले जाएँ और चाभी के अनलॉक बटन को दबाये साथ ही आप अपने मोबाइल फोन को कार के दरवाजे केपास रखें , दरवाजा खुल जायेगा ! है न विचित्र किन्तु सत्य ?

Tuesday, June 18, 2013

FIVE MAJOR REASONS WHY I SUPPORT AAM AADMI PARTY (AAP)

|:::FIVE MAJOR REASONS WHY I SUPPORT AAM AADMI PARTY (AAP):::|
|| Reason-1: Fully Transparent Party Funds ||
Our funding resources are open to all unlike that of other political parties. One can view our donations on our official website www.aamaadmiparty.org

|| Reason-2: Fully Transparent Selection Procedure ||
A. Candidate selection procedure of AAP is fully fair & square.
B. Any honest person associated to welfare drives of deprived ones can contest election from any area where his/her candidature can be endorsed by at least 100 local people.
C. Candidature of a person who has been prosecuted by the court for any crime, corruption or something else will be rejected by the the party.
D. Candidature of a person can be challenged by any citizen of India.
E. Candidature of a person who gives the false information during his/her nomination will be cancelled in case if the truth comes out at any later stage.
F. Party will upload its list of candidates on party's official website & the people will be asked to challenge these candidatures. Candidature of a candidate will be cancelled if any allegation is found true against any candidate among them.
G. There is no compulsion to be an AAP volunteer to become an AAP poll candidate, Only good ground work is needed.

|| Reason-3: AAP Is A Corruption Crusade Rather Than Just A Party ||
A. We at AAP have been fighting to ask the government to bring a strong JanLokPal Bill & will do the same till the bill is not brought.
B. We at AAP have been exposing the syndicate of all corrupt parties all the way looting the money & all kind of resources of the country.
C. We at AAP have been proving the nexus of corrupt officials, corrupt parties & corrupt private companies.
D. We at AAP have been asked to the crores of people to take pledge against corruption.
E. Thousands of AAP volunteers are day-night working to expose Scams so that people of India could know them.

|| Reason-4: AAP Is A Movement For Mission Swaraj ||
The major thrust are the following..
A. Decentralization Of Power: Common People should be given powers to play their crucial role via strengthening GramSabhas & Local Bodies.
B. Anti Corruption Law i.e. JanLokPalC|
C. Right To Recall The Political Representatives like MLAs, MPs etc.
D. Right To Reject The Elected Representatives & Officers.
E. Right To Hear: Public & Private Authorities will have to hear one & all citizens.
F. Right To Education: Education For All.
G. Various Reforms: Political Reforms, Police Reforms, Judicial Reforms & Educational Reforms.

|| Reason-5: Future Of India Will Be Decided By You, Me & Common Citizen ||
A. We believe that every individual has right to play his/her active part to shape the future of India rather than few people with political & Administrative powers.
B. If every individual is encouraged to be accountable to his/her duties, we as citizens could see India touching the sky in all major socio-economic & scientific segments.

मोदी के अंधभक्ती मे आकर बेटे ने ज्योतिष बाप की धुनाई की,पिता सदमे मे!

दोस्तों, आपका सबसे बड़ा हथियार ही अगर पलट जाए या गलत दिशा में चला जाए ....तो जीत संभव नहीं ....
जिसने युद्ध के लिए ...ऐसे गुलाम मानसिकता के सिपाही तैयार किये हों ....वो सेना पति कभी जीत नहीं सकता ....

वैसे आज सोंचा था की ...नमो भक्तो को दुःख नहीं दूँगा ....उनकी कोई बात नहीं करूँगा ....वो तो पहले ही ...कराह रहे है ....
अपने ही दादा जी और चाचा जी से ...लड़ जो रहे है ......पर क्या करूँ ...ये भक्त ऐसे है ....की आज भी स्टील का गिलास लिए फिरते है .....क्या पता दिहाड़ी सिर्फ तब मिलती हो जब ....स्टील का गिलास पेस्ट हो ....

मैं ऐसा सब क्यों बोल रहा हूँ ....पढ़ लीजिये ..क्यों ...

मोदी के अंधभक्ती मे आकर बेटे ने ज्योतिष बाप की धुनाई की,पिता सदमे मे!
गुजरात,जामनगर के निवासी "प्रकाश पँडित" जो पेशे से ज्योतिष का काम कर अपने परीवार का भरन-पोषण करते है, यही ज्योतिष विद्या उनके अपने ही पुत्र "विकास पँडित" से उनकी धुनाई का कारण बन गयी! ज्योतिष प्रकाश पँडित जी ये सब होने से गहरे सदमे मे चले गये है, अभी तक वो किसी से बात करने के हालत मे नही है!इस बारे मे जब हमने ज्योतिष प्रकाश पँडित जी के पत्नी से पुछा तो उन्होने भी कुछ भी बताने से परहेज किया! अपने ही पुत्र विकास पँडित के द्वारा पती के पिटाई किये जाने से विकास पँडित की माता जी भी सदमे है! इस घटना के बारे मे विस्तार से बताते हुये प्रकाश पँडित के बडे भाई अखिलेश पँडित ने कहा की,उनका भतीजा विकास पँडित कुछ सालो से राजनीती मे ज्यादा रुची ले रहा था और मोदी को पी.एम बनते देखना चाहता था!दुसरे शब्दो मे कहा जाये तो वो मोदी के कट्टर समर्थको मे से एक था! विकास पँडित ने मोदी को पी.एम बनाने के लिये Facebook पर "Modi Our Next P.M" नाम से कई पेज भी बना रखा था जिसका संचालन वो हर रोज करता था मोदी के समर्थन मे पोस्ट कर के! एक दिन पुत्र विकास पँडित ने अपने पिता प्रकाश पँडित से इस विषय मे जानना चाहा की उनकी ज्योतिष विद्या क्या कहता है मोदी के भविष्य के बारे मे,फिर पिता प्रकाश पँडित ने जब पुत्र विकास पँडित को अपनी ज्योतिष विद्या से देश की राजनिती के बारे मे विषलेश्ण कर बताया वो ही बात ज्योतिष प्रकाश पँडित जी के अपने ही पुत्र से पिटाई का कारण बन गई!क्युकी प्रकाश पँडित जी ने जो अपने पुत्र को परिणाम बताया था उसमे दुर दुर तक मोदी के पी.एम बनने के अभी कोई आसार नही दिखता!अपने पिता के इसी बात से बोखला कर पुत्र ने अपने ही पिता को गन्दी गन्दी गालीयां देना शुरु कर दिया और उनकी धुनाई कर के इस देश के मोदी भक्तो के सामने एक ऐसा उदाहरण दिया है की मोदी के लिये हम अपने बाप की भी धुनाई करने मे पीछे नही हटेगे अगर वो बोले कि "बेटा मोदी कभी पी.एम नही बन सकता" तो! हद है मोदी के अंधभक्ती की!

http://www.facebook.com/photo.php?fbid=153861721463944&set=gm.157233707797134&type=1&theater

Monday, June 17, 2013

Posts From GK Khanna Jee.

Posts From GK Khanna Jee.
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" जिम्मेवार हम खुद है "

एक बार एक सेठ शहर से अपने गांव पैदल ही आ रहा था कि रास्ते में डाकू आ गए| डाकू ने सेठ को लट्ठ जमा दिए। सेठ ने डर के मारे अपनी जेब में जो धन था वह डाकू को दे दिया, फिर भी डाकुओं ने सेठ की कमीज उतरवा ली|
तभी डाकुओं ने देखा की बनियान में भी एक जेब हे सो सेठ की बनियान भी उतरवा ली|
सेठ ने कुछ धन अपनी धोती की अंटी में भी रखा था सो डाकू सरदार ने सेठ की धोती भी खुलवा ली|
अब सेठ जी सिर्फ कच्छे में थे|
डाकू सरदार ने सेठ का कच्छा गौर से देखा तो उसे लगा कि सेठ ने कच्छे में भी कुछ छुपा रखा है| सो डाकू सरदार ने सेठ से पुछा- “कच्छे में भी धन छुपा रखा है क्या?"
सेठ : जी धन नहीं है! इसमें मैंने एक पिस्टल छुपा रखी है|
डाकू सरदार : पिस्टल किस लिए? तू क्या करेगा पिस्टल का? तेरे किस काम की पिस्टल?
सेठ : जी! समय आने पर मौके पर काम लूँगा!
डाकू सरदार : ओ पागल, इस से बढ़िया मौका कबआयेगा? तेरी धोती, तेरा कुर्ता, तेरी बनयान तक लुट गया| तू कच्छे में नंगा खड़ा है, तेरा सारा धन लुट गया! फिर भी इस पिस्टल को इस्तेमाल करने का तुझे मौका नजर नहीं आया? लगता है तू भी भारत के वोटर की तरह ही पागल है|
सेठ को कुछ समझ नहीं आया, तो उसने डाकू से निवेदन किया – "हे डाकू महाराज! कम से कम मुझे ये तो बता दीजिये कि मुझमें व भारतीय वोटर में आपको ऐसी कौन सी समानता नजर आई जो आपने मुझे भारतीय वोटर के समान पागल कह दिया|"
डाकू कहने लगा : देख सेठ तू पिस्टल पास होते हुए भी पूरा लुट गया| धन के साथ तेरे सारे कपड़े तक हमने उतार लिये| फिर भी तूने अपना धन और कपड़े बचाने को पिस्टल का उपयोग नहीं किया. यह ठीक उसी तरह है जैसे भारतीय वोटर पूरे पांच साल तक नेताओं से लुटता पिटता हुआ डायलोग मारता रहता है कि अगले चुनाव में अपने वोट से इन नेताओं को सबक सिखाऊंगा|
अब देख भारतीय जनता को नेताओं ने इतना लूटा कि अब उसके पास कुछ नहीं बचा है जबकि उसके पास "वोट" जैसा हथियार है जिसके इस्तेमाल से वह नेताओं द्वारा लुटे जाने से आसानी से बच सकता है| पर वह भी तेरी तरह ही सोचता रहता है कि इस चुनाव में नहीं, अगले चुनावों में इस नेता को देखूंगा! और इसी तरह देखने का इंतजार करते करते नेताओं के हाथों लुटता पिटता रहता है, ठीक वैसे ही जैसे तुम पिस्तौल होने के बावजूद हमसे लुट गए|

अब देखो, इतने घोटालों के बाद भी सत्ता और विपक्ष दोनों मस्त हैं। सत्ता वाले तो मस्त हें ही, विपक्ष अगली बार सत्ता के सपने देखने में मस्त हे। सब भाई - भाई हैं। और बेचारा लुटा पिटा आम आदमी कोने में खडा हाथ बांधे रो रहा हे। धरम-जाति, 'पैसे से सत्ता, सत्ता से पैसा' की राजनीति में बंटा हुआ आम आदमी अपने वोट (पिस्टल) का सही इस्तेमाल नहीं करता और फिर कभी एक या दूसरा भाई इसे बुधू बना कर सत्ता में आ जाता है। मतदान के दिन का 'एक दिन का राजा' पांच साल के लिए भुला दिया जाता हे। इसलिए आम आदमी खुद जिम्मेवार है।

आओ, हम सब मिलकर, अपने वोट का सही इस्तेमाल करें, ये भ्रष्ट वयवस्था बदले और एक नैतिक ईमानदार वयवस्था बनाये जिसमे सब बराबर, शिक्षित, और अंतिम आम आदमी तक सुखी हो।

जय हिन्द !
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" S O L D I E R - H O M E C O M I N G "

A story is told about a soldier who was finally coming
home after having fought in Vietnam. He called his
parents from San Francisco.

“Mom and Dad, I’m coming home, but I’ve a favour to
ask. I have a friend I’d like to bring home with me.”

“Sure,” they replied, “we’d love to meet him.”

“There’s something you should know the son continued,
“he was hurt pretty badly in the fighting. He stepped on
a land mine and lost an arm and a leg. He has nowhere
else to go, and I want him to come live with us.”

“I’m sorry to hear that, son. Maybe we can help him
find somewhere to live.”

“No, Mom and Dad, I want him to live with us.”

“Son,” said the father, “you don’t know what
you’re asking. Someone with such a handicap
would be a terrible burden on us. We have our
own lives to live, and we can’t let something like
this interfere with our lives. I think you should
just come home and forget about this guy. He’ll
find a way to live on his own.”

At that point, the son hung up the phone.
The parents heard nothing more from him. A few
days later, however, they received a call from the
San Francisco police. Their son had died after
falling from a building, they were told. The police
believed it was suicide. The grief-stricken parents
flew to San Francisco and were taken to the city
morgue to identify the body of their son. They
recognized him, but to their horror they also
discovered something they didn't know, their son
had only one arm and one leg.

The parents in this story are like many of us. We find
it easy to love those who are good-looking or fun to
have around, but we don’t like people who inconvenience
us or make us feel uncomfortable. We would rather stay
away from people who aren't as healthy, beautiful, or
smart as we are. Thankfully, there’s someone who won’t
treat us that way. Someone who loves us with an
unconditional love that welcomes us into the forever
family, regardless of how messed up we are.

Be kind to one and all.

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एक अंग्रेज ट्रेन से सफ़र कर रहा था ..
सामने गजोधर भैय्या बैठे थे ----
अंग्रेज ने गजोधर से पूछा यहाँ कौन से
स्टेट्स घूमने वाले नहीं हैं ?
गजोधर : महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, हरयाणा, यूपी
-
अंग्रेज : 'क्यों ... क्या ये पांच स्टेट्स भारत में नहीं हैं क्या ?'
गजोधर : 'नहीं ... ये खुद में महाभारत हैं ..'
अंग्रेज : 'ओह ~~~ इन स्टेट्स में जाना डेंजरस है'
-
[कुछ देर पश्चात]
अंग्रेज : 'मैं कैसे जान सकता हूँ कि कौन सा व्यक्ति कौन से राज्य का है ?'
गजोधर : 'बैठा रह शान्ति से ... अभी दस घंटे के सफ़र में सबसे मिलवा दूंगा'
-
[कुछ ही देर बाद हरियाणा का एक चौधरी मूंछों पे ताव देता हुआ बैठ गया]
गजोधर : 'भाई ये हरियाणा है ...'
अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ ?'
गजोधर "चुपचाप बैठा रह और मूंछों पर ताव देता रह.. ये खुद बात करेगा तेरे से'
अंग्रेज ने अपनी सफाचट मूछों पर ताव दिया चौधरी उठा और अंग्रेज के दो कंटाप जड़े -
'बिन खेती के ही हल चला रिया है तू ?'
-
थोड़ी देर बाद एक मराठी आ के बैठ गया ...
गजोधर : 'भाई ये महाराष्ट्र है ...'
अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ ?'
गजोधर : 'इससे बोल कि बाम्बे बहुत बढ़िया ..'
अंग्रेज ने मराठी से यही बोल दिया
मराठी उठा और थप्पड़ लगाया - "साले बाम्बे नहीं मुम्बई ... समझा क्या"
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[थोड़ी देर बाद एक गुजराती सामने आकर बैठ गया]
गजोधर : 'भाई ये गुजरात है ...'
अंग्रेज गाल सहलाते हुए : 'इससे कैसे बात करूँ ?'
गजोधर : 'इससे बोल सोनिया गांधी जिंदाबाद ...'
अंग्रेज ने गुजराती से यही कह दिया
गुजराती ने कसकर घूंसा मारा -"नमो भारत युवा भारत"....नरेन्द ्र मोदी जिंदाबाद,
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[थोड़ी देर बाद एक सरदार जी आकर बैठ गए]
गजोधर : 'देख भाई ये पंजाब है ...'
अंग्रेज ने कराहते हुए पूछा - 'इससे कैसे बात करूँ ..'
गजधर : 'बात न कर बस पूछ ले कि 12 बज गए क्या ?'
अंग्रेज ने ठीक यही किया ...
अंग्रेज : 'ओ सरदार जी 12 बज गए क्या ?
सरदार जी ने आव देखा न ताव अंग्रेज को उठा के नीचे पटक दिया
सरदार : साले खोतया नू ... तेरे को मैं मनमोहन सिंह लगता हूँ जो चुप रहूँगा'
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पहले से परेशान अंग्रेज बिलबिला गया ...
खीझ के गजोधर से बोला : 'सारे स्टेट्स से मिलवा दिया अब यूं पी भी मिलवा दो'
गजोधर बोला - "तेरे को पिटवा कौन रहा है ... ??

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" Words of Kindness "

Two men, both seriously ill, occupied the same hospital room.

One man was allowed to sit up in his bed for an hour each afternoon to help drain the fluid from his lungs.

His bed was next to the room's only window.

The other man had to spend all his time flat on his back.

The men talked for hours on end.

They spoke of their wives and families, their homes, their jobs, their involvement in the
military service, where they had been on vacation..

Every afternoon, when the man in the bed by the window could sit up, he would pass the time by describing to his roommate all the things he could see outside the window.

The man in the other bed began to live for those one hour periods where his world would be broadened and enlivened by all the activity and colour of the world outside.

The window overlooked a park with a lovely lake.Ducks and swans played on the water while children sailed their model boats. Young lovers walked arm in arm amidst flowers of every colour and a fine view of the city skyline could be seen in the distance.

As the man by the window described all this in exquisite details, the man on the other side of the room would close his eyes and imagine this picturesque scene.

One warm afternoon, the man by the window described a parade passing by.

Although the other man could not hear the band - he could see it in his mind's eye as the gentleman by the window portrayed it with descriptive words.

Days, weeks and months passed. One morning, the day nurse arrived to bring water for their baths only to find the lifeless body of the man by the window, who had died
peacefully in his sleep.

She was saddened and called the hospital attendants to take the body away.

As soon as it seemed appropriate, the other man asked if he could be moved next to the window. The nurse was happy to make the switch, and after making sure he was comfortable, she left him alone.

Slowly, painfully, he propped himself up on one elbow to take his first look at the real world outside. He strained to slowly turn to look out the window besides the bed.

It faced a blank wall.

The man asked the nurse what could have compelled his deceased roommate who had
described such wonderful things outside this window.

The nurse responded that the man was blind and could not even see the wall.

She said, 'Perhaps he just wanted to encourage you.'

Epilogue:
There is tremendous happiness in making others happy, despite our own situations.
Shared grief is half the sorrow, but happiness when shared, is doubled. If you want to feel rich, just count all the things you have that money can't buy. 'Today is a gift, that is why it is called The Present .

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Missing Wife:

Man: I lost my wife.

Inspector: What is her height?
Man: I never noticed.

Inspector: Slim or healthy?
Man: Not slim, can be healthy

Inspector: Colour of the eyes?
Man: Never noticed

Inspector: Colour of hair?
Man: Changes according to season.

Inspector: What was she wearing?
Man: Saree/suit. I don't remember exactly.
.
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.
.
Inspector: Was somebody with her???
Man: Yes, my Labrador dog, Romeo, tied with a golden chain, height 30 inches, healthy, brown eyes, blackish brown hair, his left foot thumb nail is slightly broken, wearing a golden belt studded with blue balls, he likes non-veg. food, we eat together, we jog together... And the man started crying....

Inspector: Let's search for the dog first!!!
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Refresh the school days.
Dabangg Beta...
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Father To His Son : " How Was The
Paper..???
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Son :" Bas Pehla Sawal Chhut
Gaya...
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Father:" Achchha, Aur Baaki ?? .
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Son : " 3rd Mujhe Aata Nahi Tha,
4th Question Karna Bhool Gaya,
5th Mujhe Nazar Nahi Aaya And..
6th Paper Ki Pichhli Taraf Tha
Maine Dekha Nahi..
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Father Gusse Me Bola : " Aur 2nd Question..???
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.
.
.
.
Son :" Bas Sirf Wahi Galat Hua..
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कौरव और पांडव बीच बड़ा ही घमासान युद्ध चल रहा था कि तभी दुर्योधन की नज़र पांडवों के पीछे खड़े आदमी पर पड़ी।

दुर्योधन: चल यार युधिष्टिर बाय यार हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ।

युधिष्ठिर: क्या हुआ?

दुर्योधन: नहीं यार बस बाय, ले यार तू अपना हस्तिनापुर भी वापस ले ले, और द्रौपदी भाभी से हम खुद जाकर सॉरी कह देंगे, हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ, तू खुश रह।

युधिष्ठिर: अबे रुक तो सही?

दुर्योधन: नहीं यार भाई बस माफ़ कर तू हमें और जाने दे।

युधिष्ठिर: यार दुर्योधन भाई नहीं है तू मेरा बता तो सही हुआ क्या?

दुर्योधन: कुछ नहीं यार भाई बात ही खत्म, ना कोई चिंता ना कोई फ़िक्र मज़े ही मज़े।

युधिष्ठिर: नहीं पहले बता प्लीज़, तुझे मेरी कसम क्या हुआ बता ना?

दुर्योधन: बस रहने दे यार, साला ज़रा सी बात थी और तूने रजनीकांत को बुला लिया।
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Dimag ka Dahi wala JoKe
.
.
.
santa Nepali Se - Tum American Ho?
..
..
..
Nepali- Nahi Me Nepal Ka Hu..
.
.
santa- Nahi Tum Amrican Ho
.
.
Nepali- Nahi Bhai Main Nepal Ka Hu..
.
.
santa- Nahi Tum Amrican Ho
.
.
Nepali (Gusse Me)- Ha Me American hu...
.
.
santa- Lagte To Nepali Ho
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एक मॉडर्न लड़की और सिविल इंजीनियर लड़का डेट पर गए...

लड़के ने कैंडिल लाइट डिनर की तैयारी कर
रखी थी,

और

सोच रखा था कि अगर सबकुछ ठीक
रहा तो उसे प्रपोज कर देगा...

डेट पर मिलने के थोड़ी देर बाद...
.
लड़की ने शर्माते हुए पूछा- ये प्यार क्या होता है....???
.
लड़के ने सोचा इंप्रेशन जमाने का यही मौका है...
.
उसने जवाब दिया- प्यार
का रिश्ता दो इंसानों में वही होता है
जो सीमेंट और रेत के बीच पानी का होता है,
फर्ज करो...
.
लड़का = सीमेंट
लड़की = रेत
प्यार = पानी
.
अब अगर सीमेंट और रेत को आपस में
मिला दिया जाए तो वो स्ट्रांग नहीं होंगे
लेकिनअगर इसमें पानी मिक्स कर दिया जाए
तो कोई इनको जुदा नहीं कर सकता...

लड़के का यह जवाब सुन लड़की हंसते हुए
बोली...

"कमीने तू शक्ल से ही मजदूर लगता है...
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भुंडू :-- बनिए ……!
सुंडू :-- वो कैसे ?
भुंडू :-- हर जगह लिखा होता है, देश के अच्छे नागरिक " बनिए " ! देशभक्त "बनिए" !
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Killer joke ......................
संता (जूस वाले से) " जल्दी से एक गिलास जूस दो. लड़ाई होने वाली है "
जूस वाला " ये लो जी एक गिलास जूस "
संता " जल्दी से एक गिलास जूस और दो. लड़ाई होने वाली है "
जूस वाला " ये लो जी एक गिलास जूस और लो "
संता " जल्दी से एक गिलास जूस और दो लड़ाई होने वाली है "
जूस वाला " ये लो जी एक गिलास जूस और लो "
संता " जल्दी से एक गिलास जूस और दो लड़ाई होने वाली है "
जूस वाला " ये लो जी एक गिलास जूस और लो, पर एक बात तो बताओ "
संता " क्या ??? "
जूस वाला " ये लड़ाई कब होगी ?? "
संता " जब तू जूस के पैसे मांगेगा "!!
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Questn paper of a 5th class-

Write n essay about ur MOTHER in 200 words.

Given time half an hour.

A boy finished the paper in first minute itself.

He just wrote one sentence, but he got full marks.

That one sentence was-

"Any combination of 26 alphabets can never explain my MOTHER"!!!
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A Russian visiting India went for
an eye check up.
.
.
.
The doctor shows the letter on the
board "CZWXNQSTACZ"

Doctor - "Can you read this...?"
.
.
Russian - "Read...?....I even know this guy...! "
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बैंक के एक ग्राहक ने क्लर्क से पूछा – “अगर मैं आज चेक जमा करता हूँ तो कितने दिन में क्लीयर होगा ?”
क्लर्क – “तीन दिन तो लगेंगे … ”
ग्राहक – “इतना टाइम क्यों लगेगा … जिस बैंक का चेक है वो तो सामने ही है ?”
क्लर्क – “procedure तो follow करना पड़ता है न सर … सोचिये यदि आप श्मशान के गेट के बाहर ही मर जाते हैं तो पहले आपकी लाश को घर ले के जायेंगे या वहीं जला देंगे ?”
.
ग्राहक को चक्कर आ गया ….. !
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पति एक घरेलू प्राणी है , यह सभी घरों में अनिवार्य रूप से पाया जाता है।

इस घरेलू प्राणी को पालने का पूरा अधिकार पत्नी नामक ओहदे से सम्मानित महिला को प्राप्त होता है।

1. इसकी दो आंखे होती है जिससे यह मूक रहकर मात्र देखता है।

2. इसके दो कान होते है जिससे पत्नी कि डांट फटकार सुनता है।

3. इसका एक मुख होता है जिसके खुलने पर पूर्णतः पाबंदी होती है।

4. इसकी इकलौती कटी नाक में अदृश्य नकेल होती है।

5. यह काफी कुछ मनुष्य से मिलता जुलता प्राणी होता है।

6. वैसे पति होने से पूर्व यह मनुष्य कि श्रेणी में होता है।

पति के प्रकार
जोरू का गुलाम: यह प्रजाति हमारे देश में बहुतायत रूप से पायी जाती है। इस प्रजाति के पति टिकाऊ, मेहनती, सीधे व वफादार होते है। यह उम्दा नस्ल के होते है। डांट, मार, गालियाँ इन पर प्रभावहीन होती है। पालने के लिए यह पति सबसे अच्छे होते है।

जोरू का बादशाह: यह प्रजाति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है इसलिए सरकार जल्द ही इनके संरक्षण के लिए "बादशाह पति संरक्षण " नामक अभियान चलने जा रही है।
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Hubby ke B'day par Wife ne pucha-Kya Gift du?

Hubby; Tum mujhe Pyar karo, Izzat karo aur mera Kehna mano yahi kafi hai...

Wife:- (kuchh der soch ke) ....nahi main to gift hi dungi.........
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एक चूहा शराब के ग्लास में गिर गया...

वहाँ से एक बिल्ली गुज़र रही थी तो चूहे ने बिल्ली से कहा कि मुझे यहाँ से निकालो फिर चाहे मुझे खा लेना...

बिल्ली ने लात मारी और ग्लास गिरा दिया.

चूहा निकल कर भागा ओर बिल में घुस गया

बिल्ली ना कहा : झूठे, धोखेबाज, तुम तो कह रहे थे कि मुझे निकालो, बेशक मुझे फिर खा लेना...

चूहा मुस्कुराया ओर बोला : जानी नाराज़ मत होना, उस वक़्त मैं शराब के नशे में था..!!
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" Old Granny's Hands "

'Today I'm giving you some unusual homework,' the teacher said. 'Tomorrow's you must get up early and write down everything that your granny's hands do during the day. Then draw a picture of them.'

On Saturday morning, Nicky asked her granny to put her hands on a sheet of paper so she could draw round them. Granny's hands were old and wrinkled. Nicky looked at her own slim, pink fingers and thought to herself:

'There's nothing beautiful about granny's hands. Why didn't our teacher ask us to draw an artist's hands, or even our own?'

Granny spent the whole weekend cooking, washing and ironing. Nicky's hands got tired of drawing everything granny did. Her chores were boring, and Nicky said to her:

'Gran, sing me a song or play the piano. Remember how you played it on granddad's birthday?'

'I don't have time, dear. I still have to clean your shoes and help you get ready for school,' granny smiled.

The weekend had been ruined. However, on Monday, the teacher said to the girl:

'Well done, Nicky. You wrote more than anyone else. Read us what your granny did at the weekend.'

Nicky started to read loudly and clearly:

'My granny prepared breakfast, ironed my dress and plaited some blue hair ribbons. Then she made me a mug of hot chocolate and some pancakes. She washed the dishes and put new covers on text books.'

A few children sniggered, and someone shouted out:

'What class is your granny in?'

'Does she still wear ribbons in her hair?' said someone else.

Nicky went red, but she carried on:

'Granny made the bed and carefully laid out my dolls on the bedspread. I like all my dolls to sit on the bed during the day.'

'Your granny plays with dolls!' the children laughed.

'Be quiet everyone,' the teacher said. 'Please go on, Nicky.'

'Granny sharpened my colouring pencils because we have drawing class today.'

The children started to laugh again, and the teacher said:

'Good, Nicky. Your granny must be very busy if she does all your chores as well as her own.'

Nicky went home feeling upset, and as she walked into the house she announced:

'Granny, it's not fair. You do everything for me. Starting from today, I'm going to do all my chores myself.'

Granny said nothing, and simply sighed sadly. Nicky put down her school bag and decided to sew on the button which had come off her coat. She pricked her finger and got the thread all tangled in the needle, but she didn't managed to sew on the button. Feeling upset, Nicky tried to cook dinner for herself, but she burnt her fish fingers and then broke her favourite plate as she tried to wash it up afterwards.

For the first time in her life, Nicky went to bed without doing her homework. She was so tired, she couldn't even begin to write. Before she fell asleep, Nicky looked at granny's hands and said:

'Granny, your hands are so old, but they do everything quickly and well. They must know some sort of secret...'

'Of course they do, dear, but they can't tell you. Let's swap hands and you can find out what the secret is,' granny replied.

'What do you mean, granny?! That's impossible,' Nicky said, grinning. And she secretly thought that she wouldn't like to swap her delicate pink hands for her granny's dark, wrinkled ones.

Nicky tossed and turned all night, and woke up an hour earlier than usual. Instead of lounging around in bed, she jumped up and discovered with horror that she had granny's wrinkled hands. The girl was about to burst into tears, but then she realized she had no time to cry. She had to wash, prepare breakfast for everyone, clean daddy's coat, finish her homework and then do a million more things.

Before Nicky even had time to think about what she had to do, her hands quickly began to complete one task after another.

But when her hands tried to put an unfinished sock and knitting needles into her school bag so that they could finish it at break time, Nicky resisted.

'Break time is for relaxing!'

'We don't like sitting doing nothing!' the hands replied.

'You need to relax sometimes,' Nicky said.

'Time to get up, dear,' said Granny's kind voice, and Nicky woke with a start.

A delicious breakfast was waiting for her on the table and her exercise book was packed up in her bag with her homework completed. Nicky went red, then she took hold of granny's hands and squeezed them tight.

'Granny, you have the best hands in the whole wide world. I want mine to be just the same. From now on I'm going to help you in everything you do.
Moral:
RESPECT YOUR PARENTS/ELDERS and let our beloved children learns how to appreciate the effort, experience the difficulty and learns the ability to work n understand family value.

G.K. Khanna 1968E
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Ek aur killer joke.......
तीसरी क्लास का बच्चा मैडम से -:
मैं आपको कैसा लगता हूँ ....??
.
मैडम -: सो स्वीट.
.
बच्चा -: तो फिर मैं अपने मम्मी पापा को
को आपके घर कब भेजू ......??
.
मैडम -: वह क्यू ??
.
बच्चा -: क्योकि वो हमारी बात आगे चलाये ...
.
मैडम -: ये क्या बकवास हैं..
.
बच्चा -:
.
.
.
टयूसन पढने के लिए..., मैडम आप भी ना क़सम से
टीवी देख देख कर खराब हो गयी हैं ..!!

नरेगा - मनरेगा ...दुनिया की सबसे बड़ी योजनायें

नरेगा - मनरेगा ...दुनिया की सबसे बड़ी योजनायें ...जो अगर सही ढंग से implement की जाती तो देश की तस्वीर अब तक बदल गयी होती,......
पर हकीकत में ....इस योजना ने हमारे ...कामगारों को नाकारा बनाया ....छोटे मोटे गृह उधोयोगों को बर्बाद किया ...
मनरेगा के अंतर्गत ...नेता - नेता के चमचे - और चमचो के चम्मचो ...पर अनाप - सनाप धन बृष्टि हुई ....पर जमीन में कुछ नहीं हुआ ....बजाय फायदे के सिर्फ नुक्सान और ऐसे नुकसान जिनकी भरपाई होना बहुत मुश्किल होगा ...

वैसे होंगे तो बहुत सारे ...पर हाल के जो दो,.. खुद देखे वो ये है ...अभी गाँव में ...बारिस से पहले मुझे अपने ....कच्चे (मिटटी) के घर की ...मरम्मत करवानी थी ...जो की किसी भी कच्चे घर के लिए ...बारिस से पहले की एक जरुरी प्रक्रिया है ....जिसके अंतर्गत ...छतो में मिटटी डालना ....पानी निकलने के रास्ते साफ़ करना ...
कच्ची दीवारों पर ....तालाब की नयी मिटटी लगवाना ...मुंडेरों पर मिटटी लगा कर ....घास - फूस की छापरिया - छप्पर ..बनवाना और डलवाना ....

पिछले 2/3 साल से ...हर वर्ष बारिस के पहले ...लाख कोशिश करने के बाद भी ....मैं ये सब काम नहीं करवा पा रहा हूँ ...क्यों ?...
क्योंकि ये नरेगा है ....जिसके चलते ...पैसे देने ...और वास्तव में ज्यादा पैसे देने के बाद भी कोई ...मजदूर इस काम को करना ही नहीं चाहता ....

वैसे इन सारे ....काम को ..बस सिर्फ एक मजदूर कर भी नहीं सकता ...उसके लिए एक ख़ास अनुभव की जरुरत होती है ...
आज अगर ...पूरे गाँव में ढूँढूं तो भी कोई छप्पर छाने वाला मिलता ही नहीं ....क्योंकि किसी को अब छाना ही नहीं आता ....
ख़तम हो चुकी है ...वो कला ....

जब मैं छोटा था ...तब हमारे गाँव में एक हुआ करते थे ...मोती ..एक दम माहिर छप्पर छाने वाले ....चाहे जितनी बारिस हो मजाल है की एक बूँद भी पानी नीचे आ जाए ....
पर अब कोई नहीं जो छा सके ...
इतनी अच्छी कला ....जिसे निखारने की जरुरत थी ...पर मर गयी ...

दूसरी, गाँव में एक छोटी पार्टी थी ....सोंचा मिटटी के बर्तनों में ही खाना खिलाएंगे ....पर ये क्या ..कुम्हार का चाक तो अब घूमता ही नहीं .....और अलाव की जगह ...एक छोटी सी दूकान में ...मिल रहे है प्लास्टिक के बर्तन .....कितनी भी मिन्नतें करने के बाद ...ये भी बोलने के बाद की ज्यादा पैसे दे देंगे ...वो तैयार नहीं ..मिटटी के बर्तन बनाने को ....और कुम्हार का बच्चा ..उसे तो अब बस दूकान में ....प्लास्टिक के बर्तन बेचने आते है ...मिटटी के बर्तन को तो सम्हाल कर रखना भी भूल चूका है ...

और ये कुम्हार भी ...अब बस नरेगा ...मनरेगा में ...फावड़े और कुदाल रख कर ...बैठना ही पसंद करता है ...कुछ और नहीं ...

एक और ...अरहर की लकड़ी या बांस की फर्ची से डलिया बनाने वाला भी कोई नहीं ....बचा ..बस खरीद लो ..चीन से बनी प्लास्टिक की डलिया ...और यूँ ही ख़त्म करते रहो ...देश के कामगार ...देश की कला ...

वैसे ..इस नरेगा,...ने पूरे देश में ..बनाया क्या क्या है ...मुझे तो बस हर जगह ....आदर्श तालाब ही दिखे ....
और इतने आदर्श की ....आज थोड़ी बारिस के बाद जब ....हर सड़क ..हर मार्किट एक तालाब सी दिख रही है ....
बस ये आदर्श तालाब ही हैं जो सूखे होंगे ....कम से कम जलमग्न तो नहीं ....

तालाब बने ....पर कहाँ ?...गाँव से दूर इतने दूर की किसी काम के नहीं ...और अजीब है ..की तालाब में पानी आने का रास्ता तो है ही नहीं .....

कितना मुश्किल है ...किसी काम को ढंग से करवाना ....बस जागना ही तो है ....जगाना ही तो है ...करने वाले और करवाने वाले से ...सवाल ही तो करना है और क्या करना है ......

वैसे गाँव में ...बचे सिर्फ एक दो कच्चे घरो में ....पता नहीं ...मेरा घर ..अगली बारिस देख पायेगा या नहीं ....
वैसे होते बड़े काम के है ..ये कच्चे घर ...कितनी भी गर्मी हो ...AC की जरुरत नहीं पड़ती .....इसलिए तो पूरे मोहल्ले के लोग .....दोपहर ...अपनी खाट ले ...दालान में ही आराम करते है ....अपने पक्के घरों में नहीं ...
देखो ...इन आराम करने वालों की किस्मत कब तक साथ देती है .....अब अगर गिरा एक शताब्दी पुराना घर ...तो बनेगा तो पक्का ही ...अगर बना तो ....नहीं तो बच्चे क्रिकेट तो खेल ही लेंगे ....नागेन्द्र शुक्ल







Saturday, June 15, 2013

दोनों खतों के लिए .... तहे दिल से ...शुक्रिया .

जिंदगी में मुझको, बस दो ही ख़त मिले ....
एक जिनमे था,...असीम प्यार भरा ...
दूसरे जिनमे थे,.... बस शिकवा गिला ...
इस सोंच में,... गुजरते रहे दिन ...
कौन सा ख़त भला ....
कौन सा ख़त बुरा ....
कभी फूल (खुश) के ....
कभी भूल के .....
बस यूँ ही जीवन चलता रहा ....

बस सोंचता था ...क्यों कर ..किसलिए ...
प्रकृति ने हमको गढ़ा ....
हर मोड़ पे ...हर जोड़ पे ...
बस ढाल पर ...बढ़ता रहा ...

था समझ से परे ....आखिर ये पैगाम, हमको क्यों मिला ..
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो!
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो।

एक नूर (अन्ना) की,....एक बूँद को ,...बस स्वाद के लिए पिया ..
मुश्किल था समझना ....अब तक आखिर,...क्यों जिया ...

उस टिमटिमाते ...दिये को जिसने ....
अरविन्द (सूरज) सा चमका दिया
तब समझ आया की ....आखिर ....
ये पैगाम ..किसी को क्यों मिला ....

कुछ तो उपयुक्त करो तन को,...
नर हो न निराश करो मन को,....
सँभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला!

कुछ यूँ ...तुम्हारे पयाम आते रहे,...
जिन्दगी की दिशा ...बताते रहे ...
दोनों खतों के लिए ....
तहे दिल
से ...शुक्रिया .....धन्यवाद
........नागेन्द्र शुक्ल

आपने हमको भी आखिर ....कागज़ रंगना सिखा ही दिया ..
.शुक्रिया ....शुक्रिया ....शुक्रिया ...

Thursday, June 13, 2013

ये कोई नेता है ..नहीं,.. ये नेता है ही नहीं ...हैं तो ये एक आम आदमी ही है ...


ये कोई नेता है ..नहीं,.. ये नेता है ही नहीं ...हैं तो ये एक आम आदमी ही है ....
अपने क्षेत्र के एक अदने से पार्षद से भी ..मिलने की,.. ना ही हिम्मत हुई ...और ना ही इच्छा ...
पर एक बार मजबूरी में ...किसी काम से मिलने की कोशिश की ...तो इतने प्रयास करने पड़े ..इनसे बात करो ...उनसे बात करो ...आज टाइम नहीं ...आज शहर में नहीं है ...अरे आज तो दिल्ली गए ...ऐसा लगा था ...की पूरे देश को ...एक हमारे ही क्षेत्र का ..पार्षद चला रहा हो ....

वैसे तो ....आज तक किसी नेता से मिलने की कोई इच्छा हुई ही नहीं थी ...और भगवान् का शुक्र है ..की कभी मिलने जरुरत भी नहीं पड़ी ....किसी नेता से मिलने की इच्छा तो कल भी नहीं थी ...

पर यूँ ही ...ख़याल आया की ....दिन भर फेसबुक पर पढ़ते है ...की आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी ...
राजनीति कर नहीं रही उसे बदल रही है ...फेसबुक पर ही पढ़ा की ...ये अजीब पार्टी है ....जिसके खाते में जनता के दिए हुए ..सिर्फ २ करोड़ रुपये ...उसका भी पाई पाई का हिसाब,..देते है ...अजीब है ...

अरे चुनाव लड़ने के लिए अगर ...चुनाव आयोग की limit के अन्दर ही खर्च करो तो ...15 - 20 ..करोड़ रुपये चाहिए ...और ये अजीब है ...सिर्फ २ करोड़ में ..ही चले हैं लड़ने चुनाव ...

अरे दूसरी पार्टीयों ..को देखो ...करोडो रुपये तो,... सिर्फ टिकट बेंच कर कमा लेती है ...

पर ये पार्टी ..कहती है ...टिकट देने वाले हम कौन,.. टिकट तो जनता देगी ....नेता वो जिसे जनता टिकट दे ...जिसे जनता नेता माने ..

अजीब लोग है ...इस पार्टी के ...कहते है ....की
किसी को पार्टी का टिकट देने से पहले उसका interview लिया जायेगा ,...नोट नहीं ....
उसकी नियत और पुराने काम देखे जायेंगे ....उसकी जाति या धर्म नहीं ..
फिर जनता की राय ...अब जनता जिसे चाहे ...लड़ा ले चुनाव में ...

जब इनके हाँथ में कुछ है ही नहीं ...ना पैसा ..ना टिकट ...तो नेता कैसे ?...ये नेता नहीं हो सकते ...
सब जनता के द्वारा ...जनता के लिए ,....बस यही है ...मूल मंत्र ..इस पार्टी का ...

अगर ऐसा हो रहा है ...तो वाकई ये बदल रही है ..राजनीति को ...और ये वाकई ..बदल देगी ..इस भ्रष्ट ..व्यवस्था को ..

कल यूं ही ख़याल आया ..की पढ़ा और सुना तो बहुत इनके बारे में ...
क्यों ना चल कर खुद देख लिया जाए ...इनकी कथनी ...और करनी ...

तो क्या बस ...बैठ लिए ..ट्रेन के जनरल डिब्बे में ....की जा कर मिलता हूँ ..आज इनसे ..देखता हूँ ...की क्या और कैसे ...
यही सब सोंचते - सोंचते ...गुजर गए ..6 घंटे ...बज गए सुबह के 9 ...और हम खड़े थे ...पुरानी दिल्ली स्टेशन पर ....

पहली बार ..जीवन में होंगे ...दर्शन दिल्ली के ...
अब तक तो बड़े शहर के नाम पर ...लुधियाना ही देखा था ...

बाहर निकला ...पूंछा ..भाई कौशाम्बी जाना है ..कैसे जाऊ ...पता चला मेट्रो की ब्लू लाइन पकड़ लो .....तो क्या बैठ गए मेट्रो में ...
जैसे ही ...ट्रेन बदलने के लिए ..खड़े हुए ...एक स्टेशन पर ....सामने से गुजरती ...ट्रेन में ....खिड़की से देखा ...कई सारे डिब्बो में ...बैठे थे टोपी वाले ....हम भी चढ़ लिए एक डिब्बे में ..जिसमे थे 3/4 टोपी वाले ....

चढते ही ..उनसे पूंछा ...कौशाम्बी ऑफिस जा रहे हो क्या ?....उनका जवाब तो नहीं आया ...बदले में एक सवाल आया ..
क्या आप भी ..जा रहे हो ..टिकट के लिए इंटरव्यू देने ....

मैंने कहा नहीं ...फिर वो बोले ...आज इन - इन विधान सभाओं के लोगो का इंटरव्यू है ,....और भी बहुत लोग आ रहे है ...पीछे मेट्रो से ...और कई तो आगे डिब्बे में है ...

चलो ये तो पक्का हो गया ..इंटरव्यू तो कडाई से हो रहे है ...
एक साहब ..लगे थे ..अपना प्रोफाइल पढ़ने में .....कुछ ऐसे ही इंतहान देने जाते थे हम ...डरते हुए ..पढ़ते हुए ...

खैर कौशाम्बी स्टेशन से बाहर निकल कर पूंछा ...ऑफिस कहाँ है ...पता चला ..उस बंद सड़क का,... आखिरी मकान ही है ......
जहाँ से लिखने की ...कोशिश हो रही ...देश की नयी तकदीर ..नयी व्यवस्था ....जहां से पड़ी रही ...आपके राज की नीव ...स्वराज की नीव ....

दोपहर के 12 बजे ..सर पर सीधे धुप ..पर मैं खुश ....क्योंकि अभी से दिखने लगी थी सच्चाई ...

पहुंचा ..पार्टी ऑफिस के सामने ...एक डंडे वाला हवालदार भी नहीं ....
कोई किराये का दरबान भी नहीं ...
ना शीशे के दरवाजे ...
ऐसा कुछ नहीं की अन्दर घुसने से पहले ...एक बार भी सोंचे ...मेरे जैसा आम आदमी ...घुस गया धड़ाके से ....देखा बैठे है ...

पचासों लोग ....ठीक वही ..हाव - भाव लिए ..जैसे मेरे होते थे ...इंतहान से पहले ...किसी ने पूंछा कौन सी विधान सभा ..मैंने कहा कोई नहीं ...मैं इंटरव्यू के लिए ..नहीं आया ...
उसका सवाल ....तो फिर ..कोई परेशानी है? ...
मेरा जवाब नहीं ...उसका सवाल ..फिर क्यों ?..
मैंने कहा बस ऐसे ही ....वो बोल अच्छा ...अचानक मेरे मुंह से निकला .....

अरविन्द जी से मिल सकता हूँ क्या ?.....
जवाब आया हाँ क्यों नहीं ....ऊपर वाले फ्लोर पर चले जाओ ...
पहुंचा 1st फ्लोर पर ....लम्बी सी लाइन ...एक रजिस्टर में ..लिखना था नाम ....वो बोले ...भीड़ ज्यादा है ...समय लगेगा ....

मैंने सोंचा ...क्या समय लगेगा ....रेल के टिकट से तो छोटी ही लाइन है ....इतने की तो आदत है ...
आते रहे ..हज़र्रो सवाल ..उधेड़ - बुन ...ये पूछुंगा ...वो बोलूँगा ....सोंचते सोंचते ...नंबर आ गया ....

अब क्या था ...वो बैठे थे ...बगल की कुसी पर ....और हम ...अपने सुन्न दिमाग के साथ ...बैठे ...
अरविन्द जी की आवाज आयी ..जी बताइए ....

इस आवाज़ से ही ..होश आया ..और बरबस ..मुंह से निकला ....आप वाकई आम आदमी हो .....मेरे जैसे ही तो हो .....

"अरविन्द जी ....वन्दे मातरम् " .....बस इतना ही कहना था ...की मैं आपके साथ हूँ .....हमेशा ....इतना कह कर हाँथ मिलाया ...

और ख़ुशी से ....इतराते हुए ...चल दिए वापस ...अपने गाँव की ऒर....रात 8 बजे से पहले ...गाँव के पास के रेलवे स्टेशन पर जाना है ....नहीं तो गाँव के लिए बस नहीं मिलेगी ....

पर कसम से ...मेरा दिल्ली ..आना सफल हो गया ....और आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी ...
मेरे इंतहान में पास .....
और अरविन्द जी ...अरविन्द जी को तो ...सौ में सौ .....

वो नेता नहीं ...वो कभी नेता हो,.... ही नहीं सकते ....वो सिर्फ जनता का दिल है ....दिमाग है ...और आवाज़ है ....वो आवाम है ....आम आदमी है ...देश की तकदीर ..सा दिखा मुझे .....

वाह आज मजा आ गया .....(ऐसा बया मेरे एक दोस्त ने ..किया जिसे सौभाग्य मिला ..अपने गाँव से चल कर ...भारत ..भाग्य विधाता ....आम आदमी ...अरविन्द से मिलने का ).......नागेन्द्र शुक्ल
 
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बकरे कैद हैं

एक बार एक कसाई के पास उसका एक दोस्त उससे मिलने गया. वहा उसने देखा कि एक बड़े से पिंजरे नुमा घर में ढेर सारे बकरे कैद हैं और आपस में बड़े ही मस्ती के साथ खेल रहे हैं, और उसी पिंजरे से वह् कसाई एक एक करके बकरे को बाहर निकाल कर उसे काट रहा है, और उसका मांस बेच रहा है. उस कसाई के दोस्त को यह नजारा बड़ा ही हैरान करने वाला लगा कि सारे बकरे पिंजरे कि जाली के माध्यम से अपने साथी बकरे को एक एक करके कसाई के द्वारा कटते देख् रहे हैं फिर भी वे खुश लग रहे हैं, और एक दुसरे के साथ खेलने में मशगूल हैं. दोस्त ने कसाई से पूछा कि भाई ऐसा क्यों है , तो कसाई ने बताया कि, मैंने हर बकरे को अकेले में उसके कान में कह दिया है कि , भाई मैं सारे बकरे को हलाल करूँगा लेकिन तुम्हे छोड़ दूँगा.तुम्हे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाउंगा , इस लिए तुम बिलकुल चिंता मुक्त हो कर खेलो और खुश रहो. और इसी वजह से ये सारे के सारे खुश हैं, किसी भी प्रकार का भय और विद्रोह कि भावना इनके मन में नही है.
कुछ इसी प्रकार की गलतफहमी हम आम आदमियों को हो गई है. हममें से ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि इस व्यवस्था पर मेरी पकड़ है, पहुँच है, इस लिए बाकी लोगों को परेशानी होगी मुझे नहीं. इस व्यवस्था के जो फयदा उठने वाला शक्तिशाली वर्ग है, जिसमे सरकार, समाज के बड़े बड़े पैसे वाले, और हर धर्म और जाती के बड़े बड़े सामंत हैं वे हमें इसी प्रकार के गलतफहमी में डाल रखे हैं. और हम इनके साज़िश में आ कर बेपरवाह हैं. और एक एक करके हम आम आदमी अपने साथियों को इस व्यवस्था के द्वारा हलाल होते देख् रहे हैं फिर भी खुश हो कर अपनी दुनिया में मस्त हैं.
crtsy:- bunty tripathi ji


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सरदार पटेल का ख़त संघ प्रमुख गोलवरकर के नाम

सरदार पटेल का ख़त संघ प्रमुख गोलवरकर के नाम
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भारत के पहले कांग्रेसी गृह मंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल के प्रति संघी भाई बड़ा प्रेम और आदर दर्शाते है (?) .. आर एस एस के बारे में सरदार पटेल के विचार जानने के लिए तत्कालीन सरसंघसंचालक गुरू गोलवलकर को 19.9.1948 को लिखे गए उनके पत्र को पढ़िए .............
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भाई श्री गोलवलकर
आपका ११ अगस्त का पत्र मिला. जवाहरलाल ने भी आपका उसी तारीख का पत्र मुझको भेज दिया है.

आर एस एस के विषय में मेरे जो विचार हैं उनको आप भली-भाँति जानते हैं. उन विचारों को मैंने दिसंबर के महीने में जयपुर में, व् जनवरी के महीने में लखनऊ में प्रकट किये हैं. जनता ने उन विचारों को सराहा था. मुझे आशा थी कि आप लोग भी उनको स्वीकृत करेंगे. किन्तु उनका कोई ख़ास प्रभाव आर एस एस वालों पर या उसके कार्यक्रम में कोई अंतर नहीं हुआ. आर एस एस ने हिन्दू समाज की सेवा की थी इसमें तो कोई संदेह नहीं हो सकता. ऐसे इलाकों में जहाँ उनका संगठन और सहायता की आवश्यकता थी आर एस एस के नौजवानों ने औरतों और बच्चों की रक्षा की व् उनके लिए काफी काम किया. किसी भी समझदार आदमी को इस पर कोई शिकायत का मौक़ा नहीं हो सकता. हाँ, मौक़ा तब आया जब बदले की आग में जलते हुए उन्होंने मुसलामानों पर अत्याचार शुरू किये. हिन्दुओं का संगठन करना, उनकी सहायता करनी एक प्रश्न है पर उनकी मुसीबतों का बदला, निहत्थे और लाचार, बच्चों व आदमियों से लेना दूसरा प्रश्न है.उनके अतिरिक्त यह भी था कि उन्होंने कांग्रेस का विरोध करके और वह भी इस कठोरता से कि न अस्तित्व का ख्याल, न सभ्यता व शिष्टता का ध्यान रखा, जनता में एक प्रकार की बेचैनी पैदा कर दी. इनकी सारी स्पीचेज़ साम्प्रदायिक विष से भरी थीं. हिन्दुओं में जोश पैदा करना व उनकी रक्षा के प्रबंध के लिए यह आवश्यक न था कि वह ज़हर फैले. उस ज़हर का फल अंत में यही हुआ कि गांधीजी की अमूल्य जान की कुर्बानी देश को सहनी पड़ी और सरकार तथा जनता की सहानूभूति ज़रा भी आर एस एस के साथ न रही , बल्कि उनके खिलाफ हो गयी. उनकी मृत्यु पर आर एस एस वालों ने जो हर्ष प्रकट किया तथा मिठाइयाँ बाँटी उससे यह विरोध और भी बढ़ गया और सरकार को इस हालत में आर एस एस के खिलाफ कार्यवाही करना ज़रूरी ही था.तब से अब छः महीने से ज्यादा हो गए. हम लोगों को आशा थी कि इतने वक़्त के बाद सोच-विचार करके आर एस एस वाले सीधे रस्ते पर आ जायेंगे. परन्तु मेरे पास जो रिपोर्ट्स आती है उनसे यही विदित होता है कि पुरानी कार्यवाहियों को नई जान देने का प्रयत्न किया जा रहा है. मैं आपसे एक और बात कहूँगा कि मेरी जयपुर व लखनऊ की स्पीचेज पर ध्यान दीजिये और जो रास्ता मैंने आर एस एस के लिए बताया था उसको स्वीकार कर लीजिये. मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसी रास्ते पर चलाकर हम एक होकर देश की भलाई कर सकते हैं. यह तो आपको स्वयं ज्ञात है कि एक नाजुक घडी में हम लोग गुजर रहे हैं. देश के हर व्यक्ति, छोटे से छोटा व बड़े से बड़ा का यह कर्तव्य है कि देश की सेवा के लिए जिस किसी प्रकार भी हो सके अपनी देन पूरी करे. इस नाजुक समय पर पार्टीबंदी का अर्थात पूरे मतभेदों का अवसर नहीं है. मेरा पूर्ण विश्वास है कि आर एस एस वाले अपने देशप्रेम को कांग्रेस से मिलकर ही निभा सकते हैं, अलग होकर या विरोध करके नहीं. मुझे इस बात की ख़ुशी है कि आपको छोड़ दिया गया. आशा है आप मेरे विचारों पर ध्यान देकर उचित निश्चय पर अवश्य पहुंचेंगे. आप पर जो रुकावटें लगाईं गयीं हैं उनके विषय में सी पी सरकार से पूछताछ कर रहा हूँ. उनका उत्तर आने पर फिर आपको सूचित करूंगा.आपका वल्लभ भाई पटेल वन्दे मातरम(देसराज गोयल की किताब 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' से साभार, पेज नंबर १२०-१२१)

Wednesday, June 12, 2013

सौ बुराई उतना परेशान नहीं कर सकती ....जितना सुकून एक अच्छाई दे देती है


नई दिल्ली विधान सभा क्षेत्र में स्थानीय प्रभारी बनाने का काम आसान नहीं था ....सिर्फ दो कारण थे
एक दिल्ली की 45* की गर्मी ....दूसरे सरकारी कर्मचारियों की कालोनियाँ ....ऊपर से कुछ अत्यधिक सुरक्षा वाली कालोनियाँ जिनमे सुरक्षा गार्ड ...अन्दर जाने की अनुमति ही नहीं देते थे .....

एक ऐसी ही सुरक्षित कॉलोनी के गेट पर खड़ा ..गार्ड से बहस में व्यस्त था की भाई ...जाने दो अन्दर ...हमें कुछ नहीं बेचना ...हम सोसाइटी के सेक्रेटरी से बात कर लेते है ....उससे फ़ोन पर बात करा दो ....
पर गार्ड को कुछ भी समझाना बेकार था ....वो बोला की ..अन्दर जाने तो देना चाहता हूँ ....पर रोज़ी का सवाल है ...अब इसके आगे क्या बहस करता ....सो चल दिए थोड़े मायूस होकर ..की छूट गयी पूरी की पूरी कॉलोनी ....

तेज़ धुप में ...मायूस कदम ...धीरे - धीरे आगे बढे दूसरे पड़ाव की ओर .....तभी पीछे से आवाज़ आयी ....excuse me ...पलट कर देखा तो एक बहन ...तेज़ कदमों से चली आ रही थी ....
आते ही साँस ली ....और पुछा .....मैं अरविन्द जी के लिए काम ...करना चाहती हूँ ....बहुत दिनों से ढूंढ रही थी की कैसे ...

वाह ...जैसे ऊपर वाले ने ...बिन मांगे मुराद पूरी की ...
मैंने कहा ....आया तो मैं कार्यकर्ता बनाने ही था ....पर गार्ड ने अन्दर जाने ही नहीं दिया .....अब वो बोली ..क्या मैं बन सकती हूँ ...मैंने कहा ...आपसे अच्छा स्थानीय प्रभारी तो ढूंढ भी नहीं सकता ....फिर क्या था ....कॉलोनी के अन्दर भी जाने को मिला ...और बांकी लोगो से बात करने का मौका भी ....

पर ऐसा नहीं है ..की हर जगह ऐसे अच्छे ..अनुभव ही रहे ...एक दूसरी बस्ती में घुसा ....कुछ लड़के ...पेड़ की छाँव में ...खेल रहे थे ...सोंचा यहीं बात कर लूँ ....बात शुरू की ...शुरुवात में ही ...अजीब अजीब और बेबुनियाद बातो का जवाब दिया ...फिर समझ आया ..की दीवार से टकराना मुश्किल है ....सो छोड़ कर ..कॉलोनी के घरों की तरफ बढ़ा ...पर इन्हीं में से कुछ ने रोक दिया ....

मैंने भी सोंचा ..की ...अभी सही समय नहीं है बात करने का ...फिर आऊंगा घूम कर ..तो वापस चल दिया ....चलते - चलते ...उन्हीं लड़कों में से ...दो मोटर साइकिल पर आये ....और बोले की ...अरे ऐसे थोड़े काम होता है ...साहब 5 हज़ार दे दो .....खुद चल कर सबसे मिलवायेंगे ...और जितने चाहिए उतने लड़के मिलेंगे,....

मैंने बीच में ..टोंक कर कहा ...नहीं कोई नहीं ..फिर कभी मिल लूँगा ..बांकी सबसे ....पर पैसे तो नहीं दिए जा सकते ....ये सुनते ही ...एक दो प्रवचन ..और चल दी मोटर साइकिल ....

देर रात घर पहुँच कर टीवी पर खबर देखी .....दो खबरे
"अडवानी के घर पर नमो समर्थको का प्रदर्शन" ....दूसरी बीजेपी ने कहा .."इन प्रदर्शन कारियों का बीजेपी से कोई सम्बन्ध नहीं, ये बीजेपी के कार्यकरता नहीं थे" ...

अब समझ आया ....की सिर्फ पैसे से खरीदने वाले ही नहीं ....बिकने वाले भी ...दूकान लगाये बैठे है ....
जमीन पर जाओ ..तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है ...पर सौ बुराई उतना परेशान नहीं कर सकती ....जितना सुकून एक अच्छाई दे देती है .....बहन प्रियंका का ...आम आदमी पार्टी में ...स्वागत .....नागेन्द्र शुक्ल
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जब तू आज का आज़ाद .... तो वो आज का बिस्मिल ...


अभी शनिवार की ही तो बात है ...मेट्रो में आते हुए एक volunteer के पास फोन आया ...बात करने के बाद ...खचाखच भरे डिब्बे में ..जोर से बोला ...."भाई बिस्मिल का सन्देश आया है ....की अगले स्टेशन पर उतरना है"....

डिब्बे में ...कई लोग चौके ....एक नए volunteer ने पूंछा ..ये बिस्मिल कौन ....
सुधीर ने जवाब दिया ...
अरे दोस्त जब तू आज का आज़ाद ....
तो वो आज का बिस्मिल ....

जो स्वतंत्रता की लडाई शुरू की थी ...बिस्मिल - आज़ाद ने .....
वही तो चल रही है ...आज भी ...कहाँ पूरा कहाँ हुआ ...वो सपना ....जिसमे हो देश में हक़ अपना ....
कभी साथ ..चल कर देखो ...क्या जज्बा ....क्या जोश होता है ...इन बिस्मिल और आज़ाद में ....

सोचने की बात ये ....की ये बिस्मिल है कौन?....
बिस्मिल है एक जज्बा ...एक ताकत ...एक आदर्श ..लड़ने का ...भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ ....
जंग अभी ...जारी है ....और बिस्मिल - आज़ाद ...जरुरी है ....

देखो ..इस बार देर मत लगाना .....क्यूँकी ...उस बिस्मिल ने ही कहा था ....

"मिट गया जब मिटने वाला फिर,.. सलाम आया तो क्या !
दिल की बर्वादी के बाद,.. उनका पयाम आया तो क्या !"

और अपने प्यारे देश के लिए .....बिस्मिल ने ही कहा था .....
वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल',.... सुख में तुझे न भूले
वह शक्ति दे कि दुख में,..... कायर न यह हृदय हो

तो बिस्मिल कौन ?....बिस्मिल सिर्फ एक नाम नहीं ...एक व्यक्ति नहीं ...बिस्मिल सिर्फ वो ...
जो सुख में देश के लिए ...कृतज्ञ हो ....और जब देश की हालत ठीक ना हो तो वो ....कभी कायर ना हो ....

तो निकलो बाहर ...मकानों से ...जंग करो बेईमानो से ....नागेन्द्र शुक्ल
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वाकई जादुई टोपी है

दोस्त, ये आम आदमी का विस्वास ही तो है ....आम आदमी की टोपी पर ...की,..
जब भी आप टोपी पहनकर घर से बाहर निकलो ...तो आप चलते फिरते ...समस्या समाधान केंद्र बन जाते है .....और ये ध्यान रहे की जब भी टोपी सर पर है ...तो आप सड़क पर अरविन्द जी को ...आम आदमी पार्टी को प्रस्तुत (represent) कर रहे है ...खुद अपने आपको नहीं ....

अब रविवार को सोंचा की ...गुरूद्वारे (बांगला साहिब) हो आयें तो आदत के अनुसार ..टोपी पहनी और चल दिए ...उसी दिन पहले एक अंकल जी मिले और ...दूर से आवाज़ देकर रोका ...तो रुके ..पास आकर उन्होंने सौ का ...एक नोट निकाला ...और बोले बेटा ये मेरी तरफ से .....तुम लोग अच्छा काम कर रहे हो ...

हमने कहा ...अंकल sorry हम अभी नहीं ले सकते ...हमारे पास एंट्री के लिए कुछ नहीं है ...बोले कोई नहीं रख लो ...काफी मेहनत करनी पड़ी समझाने में ....वो बोले अभी मेट्रो में भी ..देने की कोशिश की थी किसी ....टोपी वाले को उसने भी मना कर दिया ...अब कैसे दूँ ...पास में कोई ऑफिस भी पता नहीं ....

खैर सुन कर ख़ुशी हुई ...सब को भरोषा है ...टोपी पर ...और सबको सम्मान है टोपी का ....वाकई जादुई टोपी है ...

अब मेट्रो स्टेशन के पास, सड़क पर ...एक अजनबी दोस्त ने रोक कर पूंछा ....की पीछे वाली ट्रेन के देरी कि वजह से ...अगर आगे वाली ट्रेन छूट जाए तो फिर टिकट के पैसे तो वापस होने चाहिए ....

बात सही लगी पर ...मुझे इसके बारे में पता नहीं था ...पर उसे निराश करना भी ठीक नहीं लगा ...तो उसके टिकट देखे ...टिकट देखने पर पता चला की ...टिकट तो तत्काल का था ...फिर मेरी समझ से उसका रिफंड नहीं होता,...नियम के हिसाब से ...फिर भी पक्का करने के लिए ....दिए गए helpline नंबर पर फ़ोन कर के पक्का किया ..उसने बोला कुछ नहीं हो सकता ...

वो दोस्त ..थोडा मायूस स्वर में बोला ....फिर मेरे तो 4 हज़ार गए ....फिर मुझे लगा वाकई ये तो बिना गलती दंड है ....क्यों भुगतना पड़ रहा है ....
तो उससे बोल स्टेशन पर जाकर ...स्टेशन मास्टर से बात कर लेना ...वो बोला बात करेंगे ...मुझे तो थोडा डर लगता है ....
तब इस दोस्त को ...एक टोपी ...जी हाँ आपकी टोपी ...गिफ्ट की ...और बोला पहन लो .....अब दर नहीं लगेगा ....

चलते चलते ..उसे ये भी बोला की ...
टोपी जादुई है ...जब अच्छा काम ...सच्ची बात होगी ..तो बिलकुल डर नहीं लगेगा ...और
जब बुरा काम ..झूंठी बात होगी ...तो बहुत डर लगेगा ...ये ध्यान रखना ....
टोपी पहनो और सच के लिए ..अब मत डरना ......नागेन्द्र शुक्ल

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True worship, people first.


" सच्चा ईमानदार राजनैतिक दल "

शिव और पार्वती कैलाश जा रहे थे. मार्ग में गंगा स्नान की भीड़ को देखकर पार्वती बोली - भगवन् ! देखिये , लोग कितने धर्मनिष्ठ और श्रद्धालु हैं. शंकर हँसे और बोले - पार्वती ! सच्ची श्रद्धा तो विरले में ही होती है. इनमे से सभी श्रद्धालु नहीं हैं. स्नानार्थियों की परीक्षा के लिए दोनों नीचे उतर आये. पार्वती एक ब्राह्मणी का वेश बनाकर खड़ी हो गयी और शंकर ने दीन- अपाहिज के समान रूप बना लिया. जो भी वहां से जाता, पार्वती जी उससे कहती - मेरे अपाहिज पति को गंगा तक पहुंचा दो. सहायता की बात तो दूर, सभी वहां से बिदककर निकल जाते. कितने ऐसे भी थे जो पार्वती पर कुदृष्टि डालते और अपाहिज पति को छोड़ने के लिए कहते. शिवजी पार्वती की और देखते और मुस्कुराते। अंत में एक वृद्ध किसान आया. उसने कहा - मांजी ! आप आगे-आगे चलिए, मैं इन्हें पहुंचा देता हूँ.

शिवजी प्रगट हुए और बोले - श्रद्धा यह है. जो लोक सेवा की प्रेरणा न दे वह श्रद्धा नहीं है.

इसलिए अब 'आम आदमी' को पहचानना है कौन दल स्वार्थी है और वाकपटुता, भेदभाव, छल, कपट और पर्लोभन से अपना उल्लू सीधा करना चाहता है यानि अपने लिए निरंकुश सत्ता सुख और आम आदमी के लिए दुःख ही दुःख।

जैसा पछले 65 सालों में हुआ है। और कौन दल है जो निस्वार्थ देशभक्ति से ओतप्रोत, आम आदमी को उसके हक दिलाना चाहता है, एक सच्ची ईमानदार व्यवस्था देना चाहता है जिससे अंतिम आम आदमी तक सुखी हो, सब बराबर, शिक्षित, स्वस्थ और कार्यरत हों। जो दल लोकसेवा की प्रेरणा दे वो ही सच्चा दल है।.....GK Khanna.
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कैसा लगेगा अगर आप, अपने चने दूसरे की जेब से निकाल कर खाओ ?...


वैसे कैसा लगेगा अगर आप, अपने चने दूसरे की जेब से निकाल कर खाओ ?...
बात JJ Camp नयी दिल्ली की है इस इलाके में लोगों से बात करते वक्त ...अचानक एक जनाब प्रकट हुए ...जिन्होंने आते ही आव देखा ना ताव ...बस पूँछ लिया ....की ऐसे थोड़े ही ना जीतेंगे चुनाव ...ये बताओ आप लोग दे क्या रहे हो .......शीला जी ...मोबाइल देंगी,.. साथ में 2 सौ रुपये का टॉक टाइम ....

उन्ही जनाब ने कहा ...अभी UP में नेता जी ने लैपटॉप बाँटे ....और जीते ....
आस - पास खडे लोगों ने कहा ..हाँ ये तो सही है ...आप बताओ की दे क्या रहे हो ....

अब समझाना जरुरी था ...मैंने कहा ...आपने अखबार में दो खबरें पढ़ी होंगी ....
1. नेता जी ने लैपटॉप बांटे
2. UP में बिजली के दाम 45% बढे .....हाँ की नहीं ?....
आपने खबरे दोनों पढ़ी .....एक से खुश हुए ...और दूसरी से थोडा दुखी ?.....पर सच्चाई आपको समझ नहीं आई क्यों ?.....
क्योंकि ,..दोनों खबरों को जो कर नहीं देखा ...

अब मान लो कोई एक गाँव या कॉलोनी है ...जिसमे 1 हज़ार घर है ...उस कॉलोनी में ज्यादा से ज्यादा ..कितने बच्चो को लैपटॉप मिला होगा ....ज्यादा से ज्यादा 10 % घरों में ....मतलब 10 0 घर ...और अगर एक लैपटॉप की कीमत थोक में मान लें 14000 तो
कुल दिए गए लैपटॉप पर खर्च = 14000 X 100 = 14,00,000
अब अगर औसत बिजली का बिल 500 रुपये मान लिया जाये तो,....पूरे गाँव या कॉलोनी का ...
एक महीने का ....आज (बिना बढ़ा) का बिल = 500 X 1000 = 5,00,000 रुपये प्रति माह ..

अब अगर यही बिल 45% बढ़ जाए तो पूरे गाँव या कॉलोनी का ..बढ़ा हुआ बिजली का बिल होगा,
चलिए मान लेते है 40% ..तो 40% of 5,00,000 = 2,00,000

मतलब पूरा गाँव या कॉलोनी अब ...हर महीने 2 लाख रुपये अधिक देगी ...
मतलब ..सिर्फ 7 महीने में ...14 लाख रुपये ....सरकार को वापस ...
बांकी अब अगर ..अगले 5 साल तक भी ..बिजली का बिल ना बढाया जाए तो ..सरकार को ...ये गाँव/कॉलोनी 5 साल में देगी ..
53 (60-7) X 2 lakh = 106 lakh. मतलब 1 करोड़ 6 लाख रुपये ....

तो साफ़ है ..पूरे गाँव को दिए सिर्फ 14 लाख ....और लिए 120 लाख ...
अब ये भी सोंचो ...की दिया गया लैपटॉप ..तो 5 साल चलेगा नहीं ......पर अगर अगले वर्षो में ...बिजली के दाम ..10 % भी बढे तो ....वो बढ़ोतरी इस 45% के ऊपर होगी .....

अब सब कुछ ..आप लोगों के सामने ...साफ़ है ....मर्जी आपकी ....

चाहे शीला जी ...से मोबाइल ले लो ..2 सौ रुपये के टॉक टाइम के साथ ...या फिर
अरविन्द जी से .... एक सच्ची और पारदर्शी व्यवस्था ले लो .....
जिसमे सब कुछ साफ़ होगा ..की कुछ बढ़ रहा है तो क्यों ?,....
कुछ बँट रहा है तो ....कहाँ से ....

जैसे ही ...ये बात समझ आयी ...इन भाई साहब के आलावा ...सभी ने कहा ...नहीं भाई नहीं ...इस बार कुछ नहीं लेंगे ....सिर्फ वोट देंगे ...वो अपने लिए ....एक सच्ची व्यवस्था के लिए ......

JJ कैंप के कुछ लोगो को तो ...समझ आया ....आपकी ?....
वैसे JJ कैंप ...के बाँकी लोगो को ...ये समझाने की जिम्मेवारी ....बहन जूली ने ली है ....आपका स्थानीय प्रभारी बन कर .....नागेन्द्र शुक्ल
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Tuesday, June 11, 2013

बीजेपी के दस यक्ष प्रश्न ------- यह सुरेश सोनी कौन है ?

बीजेपी के दस यक्ष प्रश्न

१)यह सुरेश सोनी कौन है ?

२)क्या राजनाथ सिंह के साथ मिलकर सोनी बीजेपी का बैंड बजा रहे है ?

३)क्या एक दलाल कांग्रेसी मंत्री के घनिष्ठ मित्र अरुण जेटली देश के बड़े बड़े पत्रकारों को मोदी, अडवाणी,सुषमा और गडकरी के खिलाफ झूठी ख़बरें प्लांट कर वाते है ? ये शिकायत क्या अडवाणी तक पहुंचाई गयी ?

४)क्या सुरेश सोनी जो RSS के सह सर कार्यवाह है उनकी अपने ही वरिष्ठ यानी सर कार्यवाह भैयू
जी जोशी से नही बनती है ? क्या भैयू जी अडवाणी के निकट है ?

५) क्या सुरेश सोनी एक साज़िश के तहत मोदी और उनके गुरु अडवाणी को लड़ाना चाहते है ?

६) क्या मोदी और अडवाणी को लडाकर सुरेश सोनी आने वाले दौर में राजनाथ के लिए रास्ता आसान करना चाहते है? क्या राजनाथ को अंतिम समय पी एम् बनवाकर सोनी देश पर राज करना चाहते है ?

७)क्या अरुण जेटली राज्य सभा में विपक्ष के नेता बन ने के बाद पी एम् का सपना देखने लगे और इस क्रम में उन्होंने मीडिया में अडवाणी को old man in hurry कहकर बदनाम करने वाली ख़बरें प्लांट कराईं ?

८) क्या अडवाणी ने मोदी को राष्ट्रिय चुनाव समिति के अद्यक्ष के साथ राज्य में स्टेट कमिटी के संयोजक के तौर पर गडकरी के नाम का प्रस्ताव दिया था? क्या ये दोनों प्रस्ताव उन्होंने काफी पहले राजनाथ सिंह को दिये थे ?

९) क्या राजनाथ ने गडकरी के प्रस्ताव को खारिज करके अडवाणी को नाराज़ किया और बाद में ख़बरें प्लांट कर वाई कि अडवाणी मोदी को अध्यक्ष पद की कुर्सी पर देखना नही चाहते ?

१०) क्या सुषमा और बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने राजनाथ को गोवा में सलाह दी थी की दिल्ली चलकर मोदी के नाम का एलान खुद अडवाणी से कराएं ? अडवाणी राजी थे पर सुरेश सोनी और राजनाथ नहीं माने ? और यहीं से झगड़ा बड गया ?

मित्रों इन दस सवालों में छुपी है बीजेपी की सबसे बड़ी घमासान . इन सवालों के उत्तर खोजिये ..नहीं मिलते तो मै जवाब दूंगा.

Sabhar Deepak Sharma Ajtak

Friday, June 7, 2013

डर के आगे जीत है ....पर डरना भी जरुरी है ...

भय ...जी हाँ डर ...एक अजीब से चीज़ है ...जो दवा भी है ...और मर्ज भी,..

घर में जब कोई छोटा बच्चा होता है ..तो हम उसे डराने के लिए क्या - क्या नहीं करते, बेटा सो जाओ नहीं तो,.. ये आ जायेगा ..वो आ जाएगा ...
बेटा इसको मत छुओ नहीं तो करंट लगेगा ...हाथ कटेगा ...और भी बहुत कुछ ...हम डराते रहते है बच्चे को .....क्यों?
ताकि इस डर की वजह से वो ..सो जाए ...या बदमासी कम करे ...

पर यही बच्चा ...जब बड़ा हो जाता है ..और कहे की मैं उस कमरे में नहीं जाऊँगा ..वहाँ भूत है ...तो बस हम लग जाते है बताने की ....बेटा डरते नहीं ...भूत ऊत कुछ नहीं होता ...जाकर देखो ..कुछ नहीं होगा ..

तो हमने ही ना ..कभी इस डर को ...दवा बनाया था ...और बाद में वही डर ..मर्ज बनकर उभरा ...

भय जीवन की एक सहज प्रवत्ति है ....अनुशासन, व्यवस्था, नियमादी के पालन के लिए ...भय उपयोगी है ...जीवन की सुरक्षा, बचाव और सावधानी के लिए भी भय उपयोगी है ....

परन्तु भय की उपयोगिता ...सिर्फ एक सीमा तक है ...जब तक वो डर सहनीय है ..उपयोगी है ...पर उस सीमा के पार का भय ....
सीमा के पार का भय ...बहुत ही घातक है ....इस सीमा के पार भय की वजह से ही ...कुछ नया नहीं हो पाता ...खोज नहीं हो पाती ..

तो डरो ..जरुर डरो ..पर उसकी सीमा का निर्धारण भी करो ...जब डर इस सीमा को पार कर जाता है ...मर्ज बन जाता है

लगातार डरे, सहमे ....भयभीत रहने से ...मूढ़ता, जड़ता, अज्ञान जन्म लेता है ...
हमेशा किसी आतंक से,.. घिरे रहने से ....आपका मनोबल टूटता है ...और इस कारण अधीरता, व्याकुलता और अस्थिर ...मनोदशा ...जन्म लेती है ...

ऐसी मनोदशा ..ऐसा भय ..दवा नहीं ...मर्ज बन जाता है ...

भयभीत स्थिति में ...आप रस्सी को सांप ...और झांडी को भूत ...समझ लेते है ..

वास्तव में ...जितना घातक आपके लिए ...आपका दुश्मन नहीं है ...उससे ज्यादा घातक ..उस दुश्मन का भय होता है ...यही भय आपको उठने नहीं देता ...आपको लड़ने नहीं देता ...अपने दुश्मन से ...

और दुश्मन की ..जीत तब तक सुनिश्चित है ..जब तक आप भयभीत है ...इसलिए अगर किसी से लड़ना है ...जीतना है ...तो पहले उसके भय को जरुर त्यागो ..

ऐसा मैं इसलिए बता रहा हूँ ...की मैं दिल्ली के इलाके में ..एक परिचित से मिला ...उनसे बात करके पता चला ..की उनके पड़ोस में ही ...निगम पार्षद रहते है ...तो उनका कहना था ...की वो वोट तो आपको (AAP) को ही देंगे ...अरविन्द जी से पूरी तरह सहमत है ....पर टोपी नहीं पहन सकते ..और मुझे भी मना किया ..टोपी पहन कर घर से निकलने के लिए ....अजीब है ऐसा डर ...कैसे लड़ेंगे ...दुश्मन से ...इस डर के साथ ...त्यागना पड़ेगा इस भय को ...जल्द से जल्द ....

और देखो जैसा कहा था ...की दुश्मन की जीत ..सिर्फ अपना भय बना कर रखने में है ....देखो ये सारे राजनीतिक दल ...सारे चाहे कोई भी हो ....सिर्फ डराता है ...सिर्फ डराता है आम आदमी को ....कभी अपने गुंडे बदमासो से ...कभी अपनी पहुँच से ....कभी अपने कमीनेपन से ....कभी अपने पैसे से ...तरह तरह से ....बस डराता ही रहता है ...

यहाँ तक तो ठीक ...पर अब इनका भय ...उस सीमा को पार कर चुका है ...जिसमे इनसे डरा जाये ....

हद हो चुकी है ...इनके प्रायोजित भय की ....अब तो ये आम आदमी ...को किसी भूत गुंडे से नहीं ......आम आदमी से ही डराने लगे है ....तुमको बताते है ...की तुमको डर ...उस जाति,...उस धर्म ..उस भाषा,...उस विचार ...उस व्यवस्था ..पता नहीं किस किस चीज़ से है

और बस आप डरे की नहीं ....इनका काम बना ....तो अब समझ आता है ..
की कोई क्यों डरा रहा है की ...आपको किससे खतरा है ...
वास्तव में ..तो जो डरा रहा ...आपको सिर्फ उससे ही खतरा है ...

आपको सबसे बड़ा खतरा ...सिर्फ आपके डर से है ...भय से है ..किसी और से नहीं ....

डराते तो आपको ..हम भी ..इस भ्रष्ट व्यवस्था से ..इस भ्रष्टाचार से ...पर मेरी समझ से ये ....वाही डर है ...जिससे अनुशासन आता है ....नियमादी का पालन होता है ..ये वही डर है ...जिससे बच्चा सो जाता है ...और सुरक्षित रहता है ...

वैसे भी विज्ञापन में बताते है ...की डर के आगे जीत है ....पर डरना भी जरुरी है .....
तो डरो,.. जरुर डरो ...पर किस डर से,.. डरना है ..किस डर,.. से नहीं डरना ..ये एक बार जरुर सोंचो ...और जब समझ आये तो ...त्यागो डर को ...और

निकलो बाहर मकानों से ....जंग करो बेईमानो से ......नागेन्द्र शुक्ल
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“आप” के कुछ कार्यकर्ता कुछ ऐसा कर जाते हैं कि उसे देखकर, सुनकर, सोचकर यकीन ही नही होता

दोस्तों,

दिल्ली में आने वाले महीनों में होने वाले चुनावी महाभारत की बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है...हर एक पार्टी अपने-अपने तरीके से जनता-जनार्दन तक अपनी बात पहुँचाने के लिए जमीन-आसमान एक करने को बेताब है..इस बार “आम आदमी पार्टी” (आप) के चुनावी दंगल में दम ठोंकने की वजह से मुकाबला बड़ा ही रोचक हो गया है...”आप” के आने से सारे राजनितिक पंडितों के पारम्परिक कयास और समीकरण उथल-पुथल हो गए हैं..

“आप” का मकसद सिर्फ चुनाव लड़ना और जितना नही बल्कि इस पूरे तंत्र और व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करना है चाहे वो वंशवाद की विषैली बैल को ख़त्म करना हो या लाल बत्ती के नशे को उतारना हो या छोटे से छोटे चंदे को पारदर्शी तरीके से वेबसाइट पर डालना या अपराधियों को टिकट न देने का फैसला हो !! आम लोगों से पूछकर ही उम्मीदवार का चयन हो या लोगों से पूछकर ही उनकी विधानसभा क्षेत्र का अलग से चुनावी घोषणा-पत्र हो, "आप" की हर चीज़ बाकि पार्टियों से बिलकुल अलग और अदभुत है...

और इसी बदलाव के क्रम में “आप” के कुछ कार्यकर्ता कुछ ऐसा कर जाते हैं कि उसे देखकर, सुनकर, सोचकर यकीन ही नही होता कि कोई अच्छा खासा, खाते पीते घर का व्यक्ति ऐसा क्यों करेगा ? दीवाना न कहूँ तो क्या कहूँ इन्हें....?????? क्योंकि दीवाने ही ये सब कर सकते हैं कोई और नहीं.......

ये क्या जादू कर दिया है अरविन्द, मनीष, संजय, कुमार, गोपाल राय और “आप” की सम्पूर्ण परिवर्तन की मुहीम ने इन पर कि ये दीवाने कार्यकर्ता बिने किसी के कहे, बस अपनी ही धून में दिल्ली के मोहल्लों में घर-घर जाकर लोगों से रद्दी और कबाड़ का सामान मांग रहें हैं ताकि इस कबाड़ को बेचकर जो पैसे इकठ्ठा हों वो पैसे “आम आदमी पार्टी” को दान कर सकें !! और उससे भी एक कदम आगे जाकर उस दान की रसीद कटवाकर उस मोहल्ले/ सोसाइटी के स्थानीय अध्यक्ष / सभासद को भेंट करते हैं ये कहकर कि आपके मोहल्ले के लोगों के दान के लिए शुक्रिया !! वाह भाई वाह ....क्या बात है ......

इन लोगों को देखकर लगता है कि जैसे एक जूनून है जो इनके सिर पर सवार है....पता नहीं वो कौन सी ताक़त या शाक्तियाँ हैं कि ये लोग दीवानों की तरह दर- दर भटक रहे हैं.....इससे बड़ा सबूत और क्या होगा जूनून और समर्पण का कि किसी मकसद को हासिल करने के लिए कोई घर-घर जाकर रद्दी इकठ्ठा करे ??

दिल्ली के लोग हैरान-परेशान हैं कि ऐसा तो आजतक नहीं हुआ...अब तक तो लोगों ने बाकि पार्टियों के कार्यकर्तायों को बड़ी-बड़ी ए.सी. गाड़ियों में शोर मचाते हुए प्रचार करते देखा था पर इस बार ये कौन लोग हैं जो चुपचाप, बिना किसी आडम्बर और शोर-शराबे के अपनी पार्टी की लिए दरवाजे-दर-दरवाज़े घूम रहे हैं ??????

दोस्तों, आप सोच रहे होंगे कि ऐसा करने से क्या फायदा होगा ? महज कुछ चंद रूपए इकठ्ठा हो जायेंगे बस? जी नहीं....सिर्फ ये मकसद तो नहीं हो सकता इन दीवानों का...इनका असल मकसद तो आम लोगों तक “आप” का सन्देश पहुँचाना है...जब “आप” की टोपी लगाये ये दीवाने घर-घर कबाड़ लेने जाते हैं तो सामने वाला शख्श एकदम से हैरान हो जाता है....वो सोचता है कि ये कैसे लोग हैं जो इस तरह से पार्टी के लिए काम करते हैं ? आज जब हर जगह अहंकार, दंभ, घमण्ड, गरूर और अभिमान का काला धुआं समाज के लगभग हर इंसान को अपने आगोश में ले चूका है और लोग अपने को ऊँचा दिखाने और अपनी हैसियत को बढ़ा-चढ़ा कर बताने में झूठ, फरेब और मक्कारी का सहारा लेने तक से बाज नहीं आते, तब ये कौन सी दुनिया के लोग हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए घर-घर रद्दी इकट्ठी करते घूम रहे है ???????????????

इस मुहीम से ये दीवाने कार्यकर्ता इन लोगों से उनकी सबसे कीमती चीज़ पाने में कामयाब हो जाते हैं और वो सबसे कीमती चीज़ हैं उनका “वक़्त” !! जी हाँ दोस्तों, कबाड़ देते और लेते हुए कुछ वक़्त तो लगता है ना ????? बस, इसी वक़्त में ये दीवाने “आप” का सन्देश कहे-बिनकहे सामने वाले घर के सदस्यों को अपने सिर पर लगी जग-प्रसिद्ध “आप” की “टोपी” के जरिये दे देते हैं.....अगर घर के लोगों के “आप” से सम्बंधित कुछ संशय भरे सवाल भी हैं तो फिर लगे हाथ ये कार्यकर्ता जवाब देकर उनके भ्रम/ संशय को भी दूर कर देते हैं...

कुछ जगह तो लोगों ने इनसे कहा भी कि अरविन्द केजरीवाल को तो हमने कभी प्रत्यक्ष देखा नहीं पर आप लोगों के जूनून, हौसले, बेबाकी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता को देखकर ये लगता है कि जिस व्यक्ति के समर्थक इतने जुझारू और समर्पित हों उनका नेता कितना बड़ा, अच्छा, ईमानदार और सच्चा इंसान होगा !!!!

और अंत में बस इतना ही कहना चाहूँगा कि ऐसे सैनिक अगर किसी सेनापति को मिल जायें तो फिर आधी जंग तो उसने लड़ाई लड़ने से पहले ही जीत ली समझो......बाकि फिर ऊपर वाली की मर्ज़ी.....

ये वो दीवाने है जो जिन्दगी में ज्यादा जोड़-तोड़ नहीं जानते और वतन के लिए अपना योगदान बिना हिसाब-किताब लगाये दे डालते हैं...शायद इन्ही जैसे वतन और समाज के सिरफिरों के लिए ही किसी महान फनकार की कलम से निकला होगा कि-

“ना कर शुमार कि हर शय गिनी नहीं जाती,
ये जिन्दगी है, हिसाबों से जी नहीं जाती”

देश आपका !! वोट आपका !! फैसला आपका !!

डॉ राजेश गर्ग.
garg50@rediffmail.com

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Thursday, June 6, 2013

All In One – Answers To Critics @Aam Aadmi Party

All In One – Answers To Critics @Aam Aadmi Party

1. Kejriwal On Afzal Guru.

http://aapkajawab.in/2013/05/arvind-kejriwal-on-afzal-guru.html

2. Prashant Bhushan On Himachal Land Issue.

http://aapkajawab.in/2013/05/prashant-bhushan-clarification-on-himachal-land-issue.html

3. Prashant Bhushan On Kashmir Issue

http://aapkajawab.in/2013/05/prashant-bhushan-on-kashmir-issue-assault-on-him-afspa-rule.html

http://aapkajawab.in/2013/05/prashant-bhushan-on-kashmir-issue-how-he-was-misquoted-by-others-and-whats-his-view-on-this-issue.html

4. Arvind Kejriwal On Kashmir Issue

http://aapkajawab.in/2013/05/arvind-kejriwal-on-kashmir-issue.html

5. Arvind Kejriwal On Hyderabad Blasts.

https://www.facebook.com/AAPkaArvind/posts/381644395266397

https://www.facebook.com/AAPkaArvind/posts/377225969041573

6. Aam Aadmi Party statement on Naxalite attack on Congress MP

http://www.aamaadmiparty.org/work121/MyOffice/News_Embedding_Tag.aspx?A=JAGQeJaqvlOXGhMulVvwCr%2FV9zrwoh1KCbPtuW6nPGc%3D

https://www.facebook.com/AamAadmiParty/posts/367767656656334

7. AAP Statement on Owaisi

http://aapkajawab.in/2013/05/aap-statement-on-owaisi.html

https://www.facebook.com/AamAadmiParty/posts/463898700339471

8. AAP on act of Pakistani Soldiers cutting the head of Jawan.

http://aamaadmiparty.org/News_Embedding_Tag.aspx?A=iGTXPn5FTfVHWOrSadGO+RkjdS7WbjbL

http://navbharattimes.indiatimes.com/aap-statement-on-pakistan-audacity/articleshow/17957152.cms

http://www.hindimedia.in/2/index.php/patrika/duniyabharki/khabren/3514-government-pakistan-audacity-to-take-seriously.html

9. Foreign funding

http://aapkajawab.in/2013/05/iac-was-foreign-funded.html

10. Arvind Kejriwal and AAP is all about India not any religion

https://www.facebook.com/media/set/?set=a.590906087608433.1073741827.100000671425617&type=1

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=368952749871158&set=a.300369023396198.53817.290805814352519&type=1&theater

https://www.facebook.com/media/set/?set=a.168002806698037.1073741866.107647042733614&type=1

11. Aam Aadmi Party is against Vande Mataram ?

http://aapkajawab.in/2013/05/aam-aadmi-party-is-against-vande-mataram-is-that-a-question-please-see-this-video.html

http://www.youtube.com/watch?feature=endscreen&v=7e9Y2S9l4to&NR=1

Arvind Kejriwal on Afzal Guru !!!
aapkajawab.in
Arvind Kejriwal talks about Afzal Guru hanging. 1. 2. 3.