Monday, June 3, 2013

होगी बारिस ....इस बार ..फ्री के वोटों की ..... पर सूखा पड़ेगा ...वहाँ ... जो लेकर घूमेंगे ...गड्डी नोटों की

दिल्ली में पानी की किल्लत ......कुछ लोग,..
सिर्फ आँख से पानी बहाते है ...
वोट की खातिर ..टैंकर से पहुंचाते है ...
सालो - साल में .....
उन्हें राजधानी ..लन्दन सी दिखने लगी ....और वो,..
जिन्हें दिल्ली ...दिखानी थी,... जनता को ...
उनकी आखें,.. ड़बडबायी रही ...था इंतज़ार ,...
की सूखेंगे,... ये आँशु ....इस बार ...

पर क्या करें ...लगता है पड़ेगी मौसम की ...मार .....
बदलेगा मौसम ...किसी भाव ना ..बिकेगा वोट ..
ईमानदारी और सच्चाई ..के आगे ..टिकता रहा होगा नोट ..
पर इस बार ....अनमोल होगा वोट ...तो कैसे टिकेगा नोट ...

होगी बारिस ....इस बार ..फ्री के वोटों की .....
पर सूखा पड़ेगा ...वहाँ ...
जो लेकर घूमेंगे ...गड्डी नोटों की ....... नागेन्द्र शुक्ल

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