Thursday, June 13, 2013

सरदार पटेल का ख़त संघ प्रमुख गोलवरकर के नाम

सरदार पटेल का ख़त संघ प्रमुख गोलवरकर के नाम
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भारत के पहले कांग्रेसी गृह मंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल के प्रति संघी भाई बड़ा प्रेम और आदर दर्शाते है (?) .. आर एस एस के बारे में सरदार पटेल के विचार जानने के लिए तत्कालीन सरसंघसंचालक गुरू गोलवलकर को 19.9.1948 को लिखे गए उनके पत्र को पढ़िए .............
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भाई श्री गोलवलकर
आपका ११ अगस्त का पत्र मिला. जवाहरलाल ने भी आपका उसी तारीख का पत्र मुझको भेज दिया है.

आर एस एस के विषय में मेरे जो विचार हैं उनको आप भली-भाँति जानते हैं. उन विचारों को मैंने दिसंबर के महीने में जयपुर में, व् जनवरी के महीने में लखनऊ में प्रकट किये हैं. जनता ने उन विचारों को सराहा था. मुझे आशा थी कि आप लोग भी उनको स्वीकृत करेंगे. किन्तु उनका कोई ख़ास प्रभाव आर एस एस वालों पर या उसके कार्यक्रम में कोई अंतर नहीं हुआ. आर एस एस ने हिन्दू समाज की सेवा की थी इसमें तो कोई संदेह नहीं हो सकता. ऐसे इलाकों में जहाँ उनका संगठन और सहायता की आवश्यकता थी आर एस एस के नौजवानों ने औरतों और बच्चों की रक्षा की व् उनके लिए काफी काम किया. किसी भी समझदार आदमी को इस पर कोई शिकायत का मौक़ा नहीं हो सकता. हाँ, मौक़ा तब आया जब बदले की आग में जलते हुए उन्होंने मुसलामानों पर अत्याचार शुरू किये. हिन्दुओं का संगठन करना, उनकी सहायता करनी एक प्रश्न है पर उनकी मुसीबतों का बदला, निहत्थे और लाचार, बच्चों व आदमियों से लेना दूसरा प्रश्न है.उनके अतिरिक्त यह भी था कि उन्होंने कांग्रेस का विरोध करके और वह भी इस कठोरता से कि न अस्तित्व का ख्याल, न सभ्यता व शिष्टता का ध्यान रखा, जनता में एक प्रकार की बेचैनी पैदा कर दी. इनकी सारी स्पीचेज़ साम्प्रदायिक विष से भरी थीं. हिन्दुओं में जोश पैदा करना व उनकी रक्षा के प्रबंध के लिए यह आवश्यक न था कि वह ज़हर फैले. उस ज़हर का फल अंत में यही हुआ कि गांधीजी की अमूल्य जान की कुर्बानी देश को सहनी पड़ी और सरकार तथा जनता की सहानूभूति ज़रा भी आर एस एस के साथ न रही , बल्कि उनके खिलाफ हो गयी. उनकी मृत्यु पर आर एस एस वालों ने जो हर्ष प्रकट किया तथा मिठाइयाँ बाँटी उससे यह विरोध और भी बढ़ गया और सरकार को इस हालत में आर एस एस के खिलाफ कार्यवाही करना ज़रूरी ही था.तब से अब छः महीने से ज्यादा हो गए. हम लोगों को आशा थी कि इतने वक़्त के बाद सोच-विचार करके आर एस एस वाले सीधे रस्ते पर आ जायेंगे. परन्तु मेरे पास जो रिपोर्ट्स आती है उनसे यही विदित होता है कि पुरानी कार्यवाहियों को नई जान देने का प्रयत्न किया जा रहा है. मैं आपसे एक और बात कहूँगा कि मेरी जयपुर व लखनऊ की स्पीचेज पर ध्यान दीजिये और जो रास्ता मैंने आर एस एस के लिए बताया था उसको स्वीकार कर लीजिये. मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसी रास्ते पर चलाकर हम एक होकर देश की भलाई कर सकते हैं. यह तो आपको स्वयं ज्ञात है कि एक नाजुक घडी में हम लोग गुजर रहे हैं. देश के हर व्यक्ति, छोटे से छोटा व बड़े से बड़ा का यह कर्तव्य है कि देश की सेवा के लिए जिस किसी प्रकार भी हो सके अपनी देन पूरी करे. इस नाजुक समय पर पार्टीबंदी का अर्थात पूरे मतभेदों का अवसर नहीं है. मेरा पूर्ण विश्वास है कि आर एस एस वाले अपने देशप्रेम को कांग्रेस से मिलकर ही निभा सकते हैं, अलग होकर या विरोध करके नहीं. मुझे इस बात की ख़ुशी है कि आपको छोड़ दिया गया. आशा है आप मेरे विचारों पर ध्यान देकर उचित निश्चय पर अवश्य पहुंचेंगे. आप पर जो रुकावटें लगाईं गयीं हैं उनके विषय में सी पी सरकार से पूछताछ कर रहा हूँ. उनका उत्तर आने पर फिर आपको सूचित करूंगा.आपका वल्लभ भाई पटेल वन्दे मातरम(देसराज गोयल की किताब 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' से साभार, पेज नंबर १२०-१२१)

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