Wednesday, June 12, 2013

सौ बुराई उतना परेशान नहीं कर सकती ....जितना सुकून एक अच्छाई दे देती है


नई दिल्ली विधान सभा क्षेत्र में स्थानीय प्रभारी बनाने का काम आसान नहीं था ....सिर्फ दो कारण थे
एक दिल्ली की 45* की गर्मी ....दूसरे सरकारी कर्मचारियों की कालोनियाँ ....ऊपर से कुछ अत्यधिक सुरक्षा वाली कालोनियाँ जिनमे सुरक्षा गार्ड ...अन्दर जाने की अनुमति ही नहीं देते थे .....

एक ऐसी ही सुरक्षित कॉलोनी के गेट पर खड़ा ..गार्ड से बहस में व्यस्त था की भाई ...जाने दो अन्दर ...हमें कुछ नहीं बेचना ...हम सोसाइटी के सेक्रेटरी से बात कर लेते है ....उससे फ़ोन पर बात करा दो ....
पर गार्ड को कुछ भी समझाना बेकार था ....वो बोला की ..अन्दर जाने तो देना चाहता हूँ ....पर रोज़ी का सवाल है ...अब इसके आगे क्या बहस करता ....सो चल दिए थोड़े मायूस होकर ..की छूट गयी पूरी की पूरी कॉलोनी ....

तेज़ धुप में ...मायूस कदम ...धीरे - धीरे आगे बढे दूसरे पड़ाव की ओर .....तभी पीछे से आवाज़ आयी ....excuse me ...पलट कर देखा तो एक बहन ...तेज़ कदमों से चली आ रही थी ....
आते ही साँस ली ....और पुछा .....मैं अरविन्द जी के लिए काम ...करना चाहती हूँ ....बहुत दिनों से ढूंढ रही थी की कैसे ...

वाह ...जैसे ऊपर वाले ने ...बिन मांगे मुराद पूरी की ...
मैंने कहा ....आया तो मैं कार्यकर्ता बनाने ही था ....पर गार्ड ने अन्दर जाने ही नहीं दिया .....अब वो बोली ..क्या मैं बन सकती हूँ ...मैंने कहा ...आपसे अच्छा स्थानीय प्रभारी तो ढूंढ भी नहीं सकता ....फिर क्या था ....कॉलोनी के अन्दर भी जाने को मिला ...और बांकी लोगो से बात करने का मौका भी ....

पर ऐसा नहीं है ..की हर जगह ऐसे अच्छे ..अनुभव ही रहे ...एक दूसरी बस्ती में घुसा ....कुछ लड़के ...पेड़ की छाँव में ...खेल रहे थे ...सोंचा यहीं बात कर लूँ ....बात शुरू की ...शुरुवात में ही ...अजीब अजीब और बेबुनियाद बातो का जवाब दिया ...फिर समझ आया ..की दीवार से टकराना मुश्किल है ....सो छोड़ कर ..कॉलोनी के घरों की तरफ बढ़ा ...पर इन्हीं में से कुछ ने रोक दिया ....

मैंने भी सोंचा ..की ...अभी सही समय नहीं है बात करने का ...फिर आऊंगा घूम कर ..तो वापस चल दिया ....चलते - चलते ...उन्हीं लड़कों में से ...दो मोटर साइकिल पर आये ....और बोले की ...अरे ऐसे थोड़े काम होता है ...साहब 5 हज़ार दे दो .....खुद चल कर सबसे मिलवायेंगे ...और जितने चाहिए उतने लड़के मिलेंगे,....

मैंने बीच में ..टोंक कर कहा ...नहीं कोई नहीं ..फिर कभी मिल लूँगा ..बांकी सबसे ....पर पैसे तो नहीं दिए जा सकते ....ये सुनते ही ...एक दो प्रवचन ..और चल दी मोटर साइकिल ....

देर रात घर पहुँच कर टीवी पर खबर देखी .....दो खबरे
"अडवानी के घर पर नमो समर्थको का प्रदर्शन" ....दूसरी बीजेपी ने कहा .."इन प्रदर्शन कारियों का बीजेपी से कोई सम्बन्ध नहीं, ये बीजेपी के कार्यकरता नहीं थे" ...

अब समझ आया ....की सिर्फ पैसे से खरीदने वाले ही नहीं ....बिकने वाले भी ...दूकान लगाये बैठे है ....
जमीन पर जाओ ..तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है ...पर सौ बुराई उतना परेशान नहीं कर सकती ....जितना सुकून एक अच्छाई दे देती है .....बहन प्रियंका का ...आम आदमी पार्टी में ...स्वागत .....नागेन्द्र शुक्ल
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