Thursday, June 13, 2013

ये कोई नेता है ..नहीं,.. ये नेता है ही नहीं ...हैं तो ये एक आम आदमी ही है ...


ये कोई नेता है ..नहीं,.. ये नेता है ही नहीं ...हैं तो ये एक आम आदमी ही है ....
अपने क्षेत्र के एक अदने से पार्षद से भी ..मिलने की,.. ना ही हिम्मत हुई ...और ना ही इच्छा ...
पर एक बार मजबूरी में ...किसी काम से मिलने की कोशिश की ...तो इतने प्रयास करने पड़े ..इनसे बात करो ...उनसे बात करो ...आज टाइम नहीं ...आज शहर में नहीं है ...अरे आज तो दिल्ली गए ...ऐसा लगा था ...की पूरे देश को ...एक हमारे ही क्षेत्र का ..पार्षद चला रहा हो ....

वैसे तो ....आज तक किसी नेता से मिलने की कोई इच्छा हुई ही नहीं थी ...और भगवान् का शुक्र है ..की कभी मिलने जरुरत भी नहीं पड़ी ....किसी नेता से मिलने की इच्छा तो कल भी नहीं थी ...

पर यूँ ही ...ख़याल आया की ....दिन भर फेसबुक पर पढ़ते है ...की आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी ...
राजनीति कर नहीं रही उसे बदल रही है ...फेसबुक पर ही पढ़ा की ...ये अजीब पार्टी है ....जिसके खाते में जनता के दिए हुए ..सिर्फ २ करोड़ रुपये ...उसका भी पाई पाई का हिसाब,..देते है ...अजीब है ...

अरे चुनाव लड़ने के लिए अगर ...चुनाव आयोग की limit के अन्दर ही खर्च करो तो ...15 - 20 ..करोड़ रुपये चाहिए ...और ये अजीब है ...सिर्फ २ करोड़ में ..ही चले हैं लड़ने चुनाव ...

अरे दूसरी पार्टीयों ..को देखो ...करोडो रुपये तो,... सिर्फ टिकट बेंच कर कमा लेती है ...

पर ये पार्टी ..कहती है ...टिकट देने वाले हम कौन,.. टिकट तो जनता देगी ....नेता वो जिसे जनता टिकट दे ...जिसे जनता नेता माने ..

अजीब लोग है ...इस पार्टी के ...कहते है ....की
किसी को पार्टी का टिकट देने से पहले उसका interview लिया जायेगा ,...नोट नहीं ....
उसकी नियत और पुराने काम देखे जायेंगे ....उसकी जाति या धर्म नहीं ..
फिर जनता की राय ...अब जनता जिसे चाहे ...लड़ा ले चुनाव में ...

जब इनके हाँथ में कुछ है ही नहीं ...ना पैसा ..ना टिकट ...तो नेता कैसे ?...ये नेता नहीं हो सकते ...
सब जनता के द्वारा ...जनता के लिए ,....बस यही है ...मूल मंत्र ..इस पार्टी का ...

अगर ऐसा हो रहा है ...तो वाकई ये बदल रही है ..राजनीति को ...और ये वाकई ..बदल देगी ..इस भ्रष्ट ..व्यवस्था को ..

कल यूं ही ख़याल आया ..की पढ़ा और सुना तो बहुत इनके बारे में ...
क्यों ना चल कर खुद देख लिया जाए ...इनकी कथनी ...और करनी ...

तो क्या बस ...बैठ लिए ..ट्रेन के जनरल डिब्बे में ....की जा कर मिलता हूँ ..आज इनसे ..देखता हूँ ...की क्या और कैसे ...
यही सब सोंचते - सोंचते ...गुजर गए ..6 घंटे ...बज गए सुबह के 9 ...और हम खड़े थे ...पुरानी दिल्ली स्टेशन पर ....

पहली बार ..जीवन में होंगे ...दर्शन दिल्ली के ...
अब तक तो बड़े शहर के नाम पर ...लुधियाना ही देखा था ...

बाहर निकला ...पूंछा ..भाई कौशाम्बी जाना है ..कैसे जाऊ ...पता चला मेट्रो की ब्लू लाइन पकड़ लो .....तो क्या बैठ गए मेट्रो में ...
जैसे ही ...ट्रेन बदलने के लिए ..खड़े हुए ...एक स्टेशन पर ....सामने से गुजरती ...ट्रेन में ....खिड़की से देखा ...कई सारे डिब्बो में ...बैठे थे टोपी वाले ....हम भी चढ़ लिए एक डिब्बे में ..जिसमे थे 3/4 टोपी वाले ....

चढते ही ..उनसे पूंछा ...कौशाम्बी ऑफिस जा रहे हो क्या ?....उनका जवाब तो नहीं आया ...बदले में एक सवाल आया ..
क्या आप भी ..जा रहे हो ..टिकट के लिए इंटरव्यू देने ....

मैंने कहा नहीं ...फिर वो बोले ...आज इन - इन विधान सभाओं के लोगो का इंटरव्यू है ,....और भी बहुत लोग आ रहे है ...पीछे मेट्रो से ...और कई तो आगे डिब्बे में है ...

चलो ये तो पक्का हो गया ..इंटरव्यू तो कडाई से हो रहे है ...
एक साहब ..लगे थे ..अपना प्रोफाइल पढ़ने में .....कुछ ऐसे ही इंतहान देने जाते थे हम ...डरते हुए ..पढ़ते हुए ...

खैर कौशाम्बी स्टेशन से बाहर निकल कर पूंछा ...ऑफिस कहाँ है ...पता चला ..उस बंद सड़क का,... आखिरी मकान ही है ......
जहाँ से लिखने की ...कोशिश हो रही ...देश की नयी तकदीर ..नयी व्यवस्था ....जहां से पड़ी रही ...आपके राज की नीव ...स्वराज की नीव ....

दोपहर के 12 बजे ..सर पर सीधे धुप ..पर मैं खुश ....क्योंकि अभी से दिखने लगी थी सच्चाई ...

पहुंचा ..पार्टी ऑफिस के सामने ...एक डंडे वाला हवालदार भी नहीं ....
कोई किराये का दरबान भी नहीं ...
ना शीशे के दरवाजे ...
ऐसा कुछ नहीं की अन्दर घुसने से पहले ...एक बार भी सोंचे ...मेरे जैसा आम आदमी ...घुस गया धड़ाके से ....देखा बैठे है ...

पचासों लोग ....ठीक वही ..हाव - भाव लिए ..जैसे मेरे होते थे ...इंतहान से पहले ...किसी ने पूंछा कौन सी विधान सभा ..मैंने कहा कोई नहीं ...मैं इंटरव्यू के लिए ..नहीं आया ...
उसका सवाल ....तो फिर ..कोई परेशानी है? ...
मेरा जवाब नहीं ...उसका सवाल ..फिर क्यों ?..
मैंने कहा बस ऐसे ही ....वो बोल अच्छा ...अचानक मेरे मुंह से निकला .....

अरविन्द जी से मिल सकता हूँ क्या ?.....
जवाब आया हाँ क्यों नहीं ....ऊपर वाले फ्लोर पर चले जाओ ...
पहुंचा 1st फ्लोर पर ....लम्बी सी लाइन ...एक रजिस्टर में ..लिखना था नाम ....वो बोले ...भीड़ ज्यादा है ...समय लगेगा ....

मैंने सोंचा ...क्या समय लगेगा ....रेल के टिकट से तो छोटी ही लाइन है ....इतने की तो आदत है ...
आते रहे ..हज़र्रो सवाल ..उधेड़ - बुन ...ये पूछुंगा ...वो बोलूँगा ....सोंचते सोंचते ...नंबर आ गया ....

अब क्या था ...वो बैठे थे ...बगल की कुसी पर ....और हम ...अपने सुन्न दिमाग के साथ ...बैठे ...
अरविन्द जी की आवाज आयी ..जी बताइए ....

इस आवाज़ से ही ..होश आया ..और बरबस ..मुंह से निकला ....आप वाकई आम आदमी हो .....मेरे जैसे ही तो हो .....

"अरविन्द जी ....वन्दे मातरम् " .....बस इतना ही कहना था ...की मैं आपके साथ हूँ .....हमेशा ....इतना कह कर हाँथ मिलाया ...

और ख़ुशी से ....इतराते हुए ...चल दिए वापस ...अपने गाँव की ऒर....रात 8 बजे से पहले ...गाँव के पास के रेलवे स्टेशन पर जाना है ....नहीं तो गाँव के लिए बस नहीं मिलेगी ....

पर कसम से ...मेरा दिल्ली ..आना सफल हो गया ....और आपकी पार्टी ...आम आदमी पार्टी ...
मेरे इंतहान में पास .....
और अरविन्द जी ...अरविन्द जी को तो ...सौ में सौ .....

वो नेता नहीं ...वो कभी नेता हो,.... ही नहीं सकते ....वो सिर्फ जनता का दिल है ....दिमाग है ...और आवाज़ है ....वो आवाम है ....आम आदमी है ...देश की तकदीर ..सा दिखा मुझे .....

वाह आज मजा आ गया .....(ऐसा बया मेरे एक दोस्त ने ..किया जिसे सौभाग्य मिला ..अपने गाँव से चल कर ...भारत ..भाग्य विधाता ....आम आदमी ...अरविन्द से मिलने का ).......नागेन्द्र शुक्ल
 
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=578154218874380&set=pb.454826997873770.-2207520000.1371186655.&type=3&theater
 

No comments:

Post a Comment