Thursday, June 20, 2013

क्यों आग नहीं लगती दिल में,.... क्या खून हो गया पानी है ?

कोने में बैठा लोकतन्त्र, लज्जित नयनों से देख रहा !
आजादी के बाद भी, देखो बस गुलाम तेरी कहानी है
लाचार हुए हो क्यों इतने ? क्योंकर इतनी बेशर्मी है ?क्यों आग नहीं लगती दिल में, क्या खून हो गया पानी है ?

अब करना और भरोसा इन (भ्रष्ट नेता) पर,..... बहुत बड़ी नादानी है,
बेंच रहा है तार तार,...... माँ का आँचल खींच रहा,
चुपके से खूनी हाथ बढ़ा, .....गर्दन हम सब की भींच रहा !
चाहे जितना तुम समझाओ, करता अपनी मनमानी है,
क्यों आग नहीं लगती दिल में, क्या खून हो गया पानी है ?

चुटकी भर शर्म तुम्हें होती,.... तो क्यों सारा भारत रोता !
अब तो लगता है कभी-कभी,.... यह तुम सब की शैतानी है,
क्यों आग नहीं लगती दिल में,... क्या खून हो गया पानी है ?

पलभर में फिजाँ बदल देंगे, ....हम ऐसे हिन्दुस्तानी हैं,
क्यों आग नहीं लगती दिल में,.... क्या खून हो गया पानी है ?

1 comment:

  1. घर में पंखे अगर आवाज़ करना बंद कर दे ...तो गर्मी लगने लगती है ...क्यों?..क्योंकि हमारी आदतें अजीब हो गयी है ...या कर दी गई है ...की हम जो महसूस करने की चीज़ है ....उसे भी देखना और सुनना चाहते है ....अरे महसूस करने में क्या परेशानी है ...

    शायद यही कारण है की ....आसमान में उड़ते हेलीकाफ्टर ...खाने के पैकेट नहीं ....पार्टी के पर्चे गिराते है ..और इसी काम के लिए ...नेता जी ...राहत का सामान उतरवा ...खुद हेलीकाफ्टर पर सवार हो जाते है ....

    विकास जो महसूस होना चाहिए था ...इसीलिए मजबूर हो सिर्फ दिखाते ...और सुनाते है ,......नागेन्द्र

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