Saturday, December 12, 2015

create a regular website without


My advice would be to create a regular website without using any front-end framework at all. Keep it simple, but focus on "completeness". You will find that you will get a much better feel with the most fundamental skills that any web developer should have affection with.
Here is a list of todo's, but before you start designing the site, read the book "Don't make me think" by Steve Krug.
  • Try to create a website that gracefully degrades to IE6+ and older browsers, even if this isn't your target audience in the first place. When you use 3rd party jQuery plugins, try to make them gracefully degrade as well;
  • Gracefully degrade CDN's. Some people may claim this is unnecessary, do it anyway for completeness;
  • Implement an error page, saying that you don't support IE6- and/or other older browsers;
  • Try to make your website work when scripting is disabled;
  • Use semantic HTML5 elements (respect the rules, and degrade gracefully);
  • Pay attention to respect the Document Outline, based on the correct use Header elements;
  • Pay attention to use keywords in the correct places in the scope of SEO;
  • Create an HTML and XML sitemap;
  • Create robots.txt;
  • Create a responsive design and use relative units. Also degrade gracefully;
  • Optimize for screen and print using media queries, if it is heavily content based;
  • Pay attention to Accessibility (ARIA) for Assistive Technologies;
You may think this is overkill, but as a first project, I strongly suggest to do these things. There are a few reasons:
  • Using frameworks make things happen the "easy" way. For learning purposes, it's much more interesting to know what's going on before learning the framework;
  • Despite you may find the previous list overkill for your target audience, not knowing "how to" will keep stinging that place in your mind until you did it anyway. Honestly, I found that there are at times inconsistencies that are hard to reconcile (eg. making everything work without Javascript, while gracefully degrading HTML5 semantic elements and media queries), but at least you have considered the pros/cons;
  • Creating a website is not about the programmer but the audience, and the audience doesn't care about frameworks, they just want it to work. I wouldn't put ease before accessibility;
  • SEO is the same in this field: websites don't stand on their own, and optimizing a website for search engines is a must.
Nothing prevents you from moving on to use frameworks after that, but doing this list gives you another view on web development in general. I've used Backbone and React in the past, but I feel that learning them in a first phase deflects your attention from the true purpose, which is thinking about what makes a website great. In that sense, I'd have to go with great content (the content), SEO optimization (the exposure) and UI optimization (Don't make me think). The rest (while possibly functional, and perhaps still important) comes after that.
Of course, the argument my arise: what if I want to create a webapp that allows to create visual diagrams in a canvas? In that case, I'd still go with the previous approach, and then specialise in that specific field to make it happen.

Friday, October 23, 2015

रावण ने किया था अपनी ही बहु का बलात्कार।....

रावण ने किया था अपनी ही बहु का बलात्कार।
...
वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने उसे पकड़ लिया। तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं। इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं। लेकिन रावण ने उसकी बात नहीं मानी और रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श करेगा तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।
ये पोस्ट मैं इसलिए लिख रहा हूँ कुछ लोग रावण को ही महान बताने पर तुले हुए है।
कुछ लोग तो रावण द्वारा सीता का अपहरण अपने बहन के अपमान का बदला लेना बता रहे है। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। शुपर्णरेखा ने रावण से अपना बदला लिया था, क्योंकि वो अपनी बहन को ही विधवा बना डाला था।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा। जब अपना नाक कटवा कर शुपर्णरेखा रावण के पास पहुंची तो उसे उकसाना शुरु कर दिया। लेकिन कैसे उकसाया जरा देखिए।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब लक्ष्मण नाक कान काट देते है तो वो दौड़ के राजमहल मे भरे दरबार मे आके रावण को यह कहती है की वन मे एक सुन्दर कन्या आई है उनके स्तन खूब भारवादर और सुन्दर है ( कान खुल्ले रख कर सुनना ) और उनके कामुकता का पूरा भरे दरबार मे वर्णन करती है . फिर नाक और कान की बात करती है . उनको पता था रावण कैसा कामुक आदमी था लड़की देखी नहीं की उसपे बलात्कार जरूर किया . जरा सोचो वो संस्कृति कैसी होगी जो एक बहन आपने भाई को दूसरी स्त्री का सेक्सुअल वर्णन भरे दरबार मे करती है? रावण बहन के अपमान का बैर लेने नहीं बल्कि कामुकता से उनको हरण करने गया था लेकिन नलकूबेर के श्राप के कारण सीता के साथ जबरजस्ती नहीं कर सका। सीता को वह प्रलोभन देता रह गया। आज ऐसे महान रावण की चारो और प्रशंसा सुन अचंभित हो रहा हूँ।

Wednesday, October 21, 2015

विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाये ,.... ‪#‎NagShukl‬

बुराइयां खोजने में,.... हमने सूक्ष्मदर्शी यन्त्र को भी पछाड़ा है,....
हम बुद्ध से लेकर गांधी तक में,....फटाफट बुराइयां गिना देते है,…
किसी में कहा था ,....
"बुरा - बुराई की खोज में रहता है ,....और अच्छा अच्छाई की",....
हम सीखते तो वही है ,....जिसे देखते है ,....
अरे कब तक पुतले जलाते रहोगे ?,....उन वजहों को जलाओ ,....जिनकी वजह से किसी के पुतले जलते है ,....
और याद रखो ,....
कल जलते हुए रावण के पुतले ,.... सिर्फ इतना सन्देश देते है की ,....
"धीरज रखो ,.... कर्तव्य मार्ग पर डटे रहो ,...
ध्यान रहे ,… बुराई पर अच्छाई की जीत होती है ,....
ये धैर्य देता है ,.... की चिंता मत करो ,.... अच्छाई जीतती है ,…
वार्ना ज़माना तो यही दिखाता - बताता है ,… की
जीत के लिए बुराई जरुरी है ,....
पर जीत के लिये ,… प्रयास का तरीका बदलना जरुरी है ,…
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाये ,.... ‪#‎NagShukl‬

धर्म एक ऐसा अस्त्र जो आपको कभी वर्तमान और भविष्य नही बनाने देगा

15 वीं शताब्दी में यूरोप के लोग भूखे नंगे समाज में आराजकता का माहौल, गरीबी में एक दूसरे के दुश्मन बनते पडोसी देश
उस वक़्त चर्च और संसद में टकराव चल रहा था की देश कौन चलाएगा किसका नियंत्रण होगा समाज पर और अंत में उसमे संसद की जीत हुयी
चर्च पे पाबंदी लगे धर्म को कंट्रोल किया गया और यही जीत ऐतिहासिक रही यहीं से निकला यूरोप की तरक्की का रास्ता।
उसके साहसी नाविक देश से बाहर संभावनाएं खोजने निकले और अलग अलग जगह अपने उपनिवेश बनाए
भारत अरब अमरीका अफ्रीका हर जगह व्यापार फैला के अपने अपने देश को तरक्की की राह पे ले गये।
सोचो उस वक़्त हम क्या कर रहे थे हम अपने समाज में पड़े कूपमंडूक बने अपने इतिहास पे गर्व करते रहे समाज में लुगादी पीटते रहे की समंदर पार जाने से हमारा धर्म नष्ट हो जाता है
अपने ही भाइयो को जानवर से बदतर हालात में भेजके खुद को सवर्ण कह रहे थे ऐसा इसीलिए क्युकी समाज पे कानून और सत्ता से ज्यादा धर्म का नियंत्रण था
जहाँ यूरोप अपना भविष्य बना रहा था वहीं हम अपना वर्तमान और भविष्य दोनों नष्ट कर रहे थे
उनके पास अपना कोई इतिहास नही था जिसपे वो गर्व कर सके तो उन्होंने अपना वर्तमान और भविष्य ऐसा बनाया की आगे वाले कई पीढियां गर्व करेंगी
हमारे पास गर्व करने के लिए एक लंबा इतिहास रखा है इसीलिए हम हमेशा अपने देश को वर्तमान और भविष्य से निकाल के इतिहास में धकेलते हैं और इसमें अपनी एहस भूमिका निभाने के लिए धर्म है ही
धर्म एक ऐसा अस्त्र जो आपको कभी वर्तमान और भविष्य नही बनाने देगा बल्कि आपको इतिहास की ओर ले जाएगा
अगर आज देश की तरक्की करनी है तो इस धर्म रुपी विषैले रोग को कंट्रोल करना पडेगा
जिससे ये देश इतिहास से निकल के वर्तमान और भविष्य की ओर बढ़ सके,..Bunty Tripathi

कोई राम का नाम लेता है,.....

कोई राम का नाम लेता है तो आपको अग्निपरीक्षा और शम्बूक वध के सिवा उनमे कुछ दिखता ही नही, कोई शिव का नाम लेता है तो एक नशेड़ी भगेंड़ी के सिवा आपको उनमे कुछ दिखता नही। कोई कृष्ण का नाम लेता है तो आपको एक लम्पट दिलफेंक के सिवा कुछ नही दिखता अब क्या इनमे देखने लायक वो भी देख ले
शबरी के झूठे बेर खाना या निषादराज गुह को गले लगाना या मेघनाद की लाश को अपने वस्त्र से ढंकना राम ने उस वक़्त प्रचलित हर परम्परा को चुनौती दी। उन्होंने बाकी क्या किया उससे मुझे कोई मतलब नही पर राम के नाम से मुझे इस व्यक्ति के इन कर्मो की याद आती है
शिव, पहले ऐसे आदिव्यक्ति जिन्होंने पत्नी को अर्धांग्नी का दर्ज़ा दिया, एक अच्छे नर्तक, उतने ही अच्छे वाद्य यंत्र बजाने वाले, जिस किसी को योग आसन के बारे में मालूम हो वो इस क्षेत्र में शिव के योगदान को कभी नही भुला सकता ना जाने कितने आसन शिव के द्वारा बनाये गए है एक महान योगी रहे वो जीवन भर
अंत में कृष्ण, अत्यंत जटिल परन्तु हर चीज में मुखर उस समय समाज में प्रचलित हर परंपरा को ना सिर्फ चुनौती दी बल्कि डटकर मुकाबला भी किया, गोवर्धन की पूजा हो या मथुरा को दूध देना बंद कराना हो या अपनी सगी बहन को जबरदस्ती ब्याही जाने के विरोध में उसके प्रेमी के साथ भगवा देना हो या समाज की परवाह किये बगैर बंदीगृह से छुड़ाई गयी सभी कन्यायो को अपना लेना हर जगह कृष्ण ने अपनी महत्ता का परिचय दिया और तो और एक पुरुष और महिला एक मित्र हो सकते हैं इसका साक्षात उदाहरण प्रस्तुत किया उन्होंने
मुझे राम, शिव और कृष्ण से यही सीख मिली और यही सीखने का प्रयत्न कर रहा हूँ जिस दिन मैं इन तीनो के किये गए इन महान कार्यो के बराबर कोई कार्य कर लूंगा उस दिन मैं इनकी बुराइयो की ओर भी देख लूंगा
बुराइयां खोजने में हमने तो सूक्ष्मदर्शी यन्त्र को भी पछाड़ा है हम बुद्ध से लेकर गांधी तक में बुराइयां गिना देता है लेकिन सबसे लास्ट बुराई यही है की ऐसा दूसरा बुद्ध या गांधी कोई नही बन सका
वैसे ही आज तक दूसरा राम, शिव या कृष्ण नही बन सका बाकी तो अपनी क्षमता और नजर का कमाल है।,...Bunty Tripahi

दलित कल भी मारे गए ,…आज भी ,…

दलित कल भी मारे गए ,…आज भी ,…
पर ये क्या हमारी आदत हो गयी है की हर हत्या को ,....जाति या धर्म से जोड़ के देखते है ?
सोंचता हूँ ,…की पूरे देश में कही - किसी सवर्ण को किसी दलित ने आज या कल नहीं मारा होगा,....
हत्या पहले अपराध है ,....जब तक पीछे के कारण ना पता हो ,… फैसले करना गलत ,…

Friday, October 16, 2015

आज के विचार ,....17 October

आप खाओ ना खाओ ,… हमें खाने दो ,…
.........दाल ,....Please,..
=====
कभी साक्षी - कभी साध्वी,....
कभी ओवसी - कभी आजम,....
कभी लालू - कभी भागवत,....
कभी फलाने - कभी दहिमारे,.....
बयान दे देते है ,…
अरे दाल पर भी बात करो ,.... मालिक
......और उनके चमचो ....
==============
देखो चुप - चाप ,.... अपनी अपनी - दाल के जुगाड़ में लगे रहो ,… बस ,…
हमारे राज में ,....
ललित, व्यापम,  चावल - धान, कालाधन, प्याज चीनी आदि - इत्यादि को घोटाला नहीं कहते ,…
और कहोगे कहाँ से ,....
दाल खाने की चिंता करो ,.... इंटरनेट रिचार्ज के पैसे है ?
अगर है तो ,… दाल के लिए खर्च करो ,…
दाल खाओ - और चुप रहो ,…
बुड़बक कहीं के ,.... बिहारी ,…
नोट :- बिहारी मतलब गरीब ,…
========================
काहे के अच्छे दिन ,....
अब तो साला पहले - पोस्ट लिखो फिर मैसेज करके बोलो ,....भाई लिखा है पढ़ लेना ,…
ऐसे हाल हो गये है ,…
लोगो का मन सोशल मीडिया से ऊब रहा है ,.... अब व्हाटप्प का प्रकोप भी कम हो रहा है ,…
इसमें सरकार का भी काफी सहयोग है - इंटरनेट जो - दाल की तरह महँगा हो रहा है ,…
वैसे ,.... सोशल मीडिया के प्रकोप को कम करने के लिये ,… सरकार को बधाई ,…
पर समाज का मोटापा करने के लिए यही फार्मूला अपना रही है मोदी सरकार ,… तो ,…
तो बता दें ,… दाल में वसा नहीं होती - ना मोटापा बढ़ता है ना ही शुगर की बीमारी ,…
जनाब ,…
आप खाओ ना खाओ ,… हमें खाने दो ,… ‪#‎NagShukl‬
========================================
पुष्पक ,....
कुबेर के "हवाई जहाज" का नाम है ,.... जिसकी क्षमता अपार थी ,…जितने लोग उतनी सीट ,....
प्रदुषण रहित ,…सुरक्षित ,.... तेज ,....
ऐसी सर्विस देता था - पुष्पक ,....
पुष्पक से ही ,,....रावण को मारने के बाद ,… श्री राम अपनी सेना समेत अयोध्या आये थे ,…
पता नहीं ,.... आज ये पुष्पक के बारे में क्यों बताया ,.... कोई कारन नहीं है ,.... पर दुबारा से जान लेने में हर्ज भी क्या ,…
वैसे पुष्पक ‪#‎ChaloDeshSudhare‬ भी है ,..

Good Night!!!

Tuesday, October 6, 2015

#‎क्या_बंधक_है_सभी_मुस्लिम_महिलाएँ‬

#‎क्या_बंधक_है_सभी_मुस्लिम_महिलाएँ‬
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन समिति का एक सर्वे आया है जिसकी मुख्य बातें आपसे साझा कर रहा हूँ ध्यान से अध्ययन करिएगा ---
1) 92% मुस्लिम महिलाएँ ने इस्लाम धर्म में तलाक के तरीकों को गलत बताया है
2) 91.7 % मुस्लिम महिलाएँ पति की दूसरी शादी के खिलाफ है
3) 82% मुस्लिम महिलाएँ के नाम उनके घर में महिला के नाम कोई प्रोपर्टी नहीं है
4) 80% मुस्लिम महिलाएँ मौखिक तलाक को गलत मानती है और इसका घोर विरोध भी करती है
5) 56% मुस्लिम महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार रोज होती है
6) 55.3% मुस्लिम लड़की की शादी 18 साल से पहले हो जाति है
7) 53% मुस्लिम महिलाओं में ना के बराबर शिक्षा है
8) 100% मुस्लिम महिलाएँ मुस्लिम पर्सनल लाॅ बाॅर्ड के खिलाफ है
9) 50% मुस्लिम महिलाएँ बुर्के को बोझ समझती है खुला जिंदगी चाहती है
ये सर्वे देशभर के 4710 मुस्लिम महिलाएँ के आधार पर जारी की गई है हमें भी इस संस्था के ही एक मुस्लिम महिला जो सामाजिक कार्यकर्ता भी है उसी ने हमें भेजा है
मैं अपने तमाम भारतीय दोस्तों खासकर मुस्लिम दोस्तों से पूछना चाहता हूँ आखिर कब तक ये अत्याचार महिलाओं पे आप लोग करते रखेंगे ! आज भारत इक्कीसवीं सदी के दौर में है सब आजाद है सबको अपना जीवन अपने तरीके से जीने का हक है आखिर कब तक ये बंधक जारी रहेगी ! ये सच है की स्वतंत्रता एक दायरे में ही रहना चाहिए , पर जब घर के महिलाएँ ही खुल कर अपना हक और अधिकार मांग रही है तो एक बार समीक्षा तो करना ही चाहिए !!! आखिर घर परिवार तभी आगे बढेगा जब घर की महिलाएँ शिक्षित और समझदार होगी !!!

Wednesday, June 3, 2015

तो पढ़िये ,… "गरीबदास का शून्य"

अशोक चक्रधर की इस कविता को नहीं पढ़ा तो बेईमानी होगी ,....
लम्बी है पर पढ़ना जरूर ,… हकीकत बयान करती है - और गरीबी की रेखा दिखाती है ,…
तो पढ़िये ,… "गरीबदास का शून्य"

घास काटकर नहर के पास,
कुछ उदास-उदास सा
चला जा रहा था
गरीबदास।
कि क्या हुआ अनायास...

दिखाई दिए सामने
दो मुस्टंडे,
जो अमीरों के लिए शरीफ़ थे
पर ग़रीबों के लिए गुंडे।
उनके हाथों में
तेल पिए हुए डंडे थे,
और खोपड़ियों में
हज़ारों हथकण्डे थे।
बोले-

ओ गरीबदास सुन !
अच्छा मुहूरत है
अच्छा सगुन।
हम तेरे दलिद्दर मिटाएंगे,
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर उठाएंगे।
गरीबदास डर गया बिचारा,
उसने मन में विचारा-
इन्होंने गांव की
कितनी ही लड़कियां उठा दीं।
कितने ही लोग
ज़िंदगी से उठा दिए
अब मुझे उठाने वाले हैं,
आज तो
भगवान ही रखवाले हैं।

-हां भई गरीबदास
चुप क्यों है ?
देख मामला यों है
कि हम तुझे
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर उठाएंगे,
रेखा नीचे रह जाएगी
तुझे ऊपर ले जाएंगे।

गरीबदास ने पूछा-
कित्ता ऊपर ?

-एक बित्ता ऊपर
पर घबराता क्यों है
ये तो ख़ुशी की बात है,
वरना क्या तू
और क्या तेरी औक़ात है ?
जानता है ग़रीबी की रेखा ?
-हजूर हमने तो
कभी नहीं देखा।

-हं हं, पगले,
घास पहले
नीचे रख ले।
गरीबदास !
तू आदमी मज़े का है,
देख सामने देख
वो ग़रीबी की रेखा है।

-कहां है हजूर ?

-वो कहां है हजूर ?
-वो देख,
सामने बहुत दूर।

-सामने तो
बंजर धरती है बेहिसाब,
यहां तो कोई
हेमामालिनी
या रेखा नईं है साब।
-वाह भई वाह,
सुभानल्लाह।
गरीबदास
तू बंदा शौकीन है,
और पसंद भी तेरी
बड़ी नमकीन है।
हेमामालिनी
और रेखा को
जानता है
ग़रीबी की रेखा को
नहीं जानता,
भई, मैं नहीं मानता।

-सच्ची मेरे उस्तादो !
मैं नईं जानता
आपई बता दो।
-अच्छा सामने देख
आसमान दिखता है ?

-दिखता है।

-धरती दिखती है ?

-ये दोनों जहां मिलते हैं
वो लाइन दिखती है ?
-दिखती है साब
इसे तो बहुत बार देखा है।

-बस गरीबदास
यही ग़रीबी की रेखा है।
सात जनम बीत जाएंगे
तू दौड़ता जाएगा,
दौड़ता जाएगा,
लेकिन वहां तक
कभी नहीं पहुंच पाएगा।
और जब
पहुंच ही नहीं पाएगा
तो उठ कैसे पाएगा ?
जहां है
वहीं-का-वहीं रह जाएगा।

लेकिन
तू अपना बच्चा है,
और मुहूरत भी
अच्छा है !
आधे से थोड़ा ज्यादा
कमीशन लेंगे
और तुझे
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर उठा देंगे।

ग़रीबदास !
क्षितिज का ये नज़ारा
हट सकता है
पर क्षितिज की रेखा
नहीं हट सकती,
हमारे देश में
रेखा की ग़रीबी तो
मिट सकती है,
पर ग़रीबी की रेखा
नहीं मिट सकती।
तू अभी तक
इस बात से
आंखें मींचे है,
कि रेखा तेरे ऊपर है
और तू उसके नीचे है।
हम इसका उल्टा कर देंगे
तू ज़िंदगी के
लुफ्त उठाएगा,
रेखा नीचे होगी
तू रेखा से
ऊपर आ जाएगा।

गरीब भोला तो था ही
थोड़ा और भोला बन के,
बोला सहम के-
क्या गरीबी की रेखा
हमारे जमींदार साब के
चबूतरे जित्ती ऊंची होती है ?

-हां, क्यों नहीं बेटा।
ज़मींदार का चबूतरा तो
तेरा बाप की बपौती है
अबे इतनी ऊंची नहीं होती
रेखा ग़रीबी की,
वो तो समझ
सिर्फ़ इतनी ऊंची है
जितनी ऊंची है
पैर की एड़ी तेरी बीवी की।
जितना ऊंचा है
तेरी भैंस का खूंटा,
या जितना ऊंचा होता है
खेत में ठूंठा,
जितनी ऊंची होती है
परात में पिट्ठी,
या जितनी ऊंची होती है
तसले में मिट्टी
बस इतनी ही ऊंची होती है
ग़रीबी की रेखा,
पर इतना भी
ज़रा उठ के दिखा !

कूदेगा
पर धम्म से गिर जाएगा
एक सैकिण्ड भी
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर नहीं रह पाएगा।
लेकिन हम तुझे
पूरे एक महीने के लिए
उठा देंगे,
खूंटे की
ऊंचाई पे बिठा देंगे।
बाद में कहेगा
अहा क्या सुख भोगा...।

गरीबदास बोला-
लेकिन करना क्या होगा ?
-बताते हैं
बताते हैं,
अभी असली मुद्दे पर आते हैं।
पहले बता
क्यों लाया है
ये घास ?

-हजूर,
एक भैंस है हमारे पास।
तेरी अपनी कमाई की है ?

नईं हजूर !
जोरू के भाई की है।

सीधे क्यों नहीं बोलता कि
साले की है,
मतलब ये कि
तेरे ही कसाले की है।
अच्छा,
उसका एक कान ले आ
काट के,
पैसे मिलेंगे
तो मौज करेंगे बांट के।
भैंस के कान से पैसे,
हजूर ऐसा कैसे ?

ये एक अलग कहानी है,
तुझे क्या बतानी है !
आई.आर.डी.पी. का लोन मिलता है
उससे तो भैंस को
ख़रीदा हुआ दिखाएंगे
फिर कान काट के ले जाएंगे
और भैंस को मरा बताएंगे
बीमे की रकम ले आएंगे
आधा अधिकारी खाएंगे
आधे में से
कुछ हम पचाएंगे,
बाक़ी से
तुझे
और तेरे साले को
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर उठाएंगे।

साला बोला-
जान दे दूंगा
पर कान ना देने का।

क्यों ना देने का ?

-पहले तो वो
काटने ई ना देगी
अड़ जाएगी,
दूसरी बात ये कि
कान कटने से
मेरी भैंस की
सो बिगड़ जाएगी।
अच्छा, तो...
शो के चक्कर में
कान ना देगा,
तो क्या अपनी भैंस को
ब्यूटी कम्पीटीशन में
जापान भेजेगा ?
कौन से लड़के वाले आ रहे हैं
तेरी भैंस को देखने
कि शादी नहीं हो पाएगी ?
अरे भैंस तो
तेरे घर में ही रहेगी
बाहर थोड़े ही जाएगी।

और कौन सी
कुंआरी है तेरी भैंस
कि मरा ही जा रहा है,
अबे कान मांगा है
मकान थोड़े ही मांगा है
जो घबरा रहा है।
कान कटने से
क्या दूध देना
बंद कर देगी,
या सुनना बंद कर देगी ?
अरे ओ करम के छाते !
हज़ारों साल हो गए
भैंस के आगे बीन बजाते।
आज तक तो उसने
डिस्को नहीं दिखाया,
तेरी समझ में
आया कि नहीं आया ?
अरे कोई पर थोड़े ही
काट रहे हैं
कि उड़ नहीं पाएगा परिन्दा,
सिर्फ़ कान काटेंगे
भैंस तेरी
ज्यों की त्यों ज़िंदा।

ख़ैर,
जब गरीबदास ने
साले को
कान के बारे में
कान में समझाया,
और एक मुस्टंडे ने
तेल पिया डंडा दिखाया,
तो साला मान गया,
और भैंस का
एक कान गया।

इसका हुआ अच्छा नतीजा,
ग़रीबी की रेखा से
ऊपर आ गए
साले और जीजा।
चार हज़ार में से
चार सौ पा गए,
मज़े आ गए।

एक-एक धोती का जोड़ा
दाल आटा थोड़ा-थोड़ा
एक एक गुड़ की भेली
और एक एक बनियान ले ली।

बचे-खुचे रुपयों की
ताड़ी चढ़ा गए,
और दसवें ही दिन
ग़रीबी की रेखा के
नीचे आ गए।

Thursday, March 26, 2015

YY ka दोगला व्यवहार है ,....

देखो अब मैं कुछ लिखूँगा तो तुम मुझे अरविन्द का चमचा आदि इत्यादि बोलकर UnitedAAP के नाम पर चुप कराने की बात करोगे ,....
इसलिए सब नहीं ,....सिर्फ इतना बता दें ,....
की वो जो एक तरफ UnitedAAP की रट लगाये है ,....
दूसरी तरफ नवीन जयहिंद मुक्त हरियाणा की माँग कर जी पर अड़े है ,.... वही हरियाणा में नवीन के खिलाफ हस्तांक्षर अभियान चला रहे है ,....
खैर ,…बता दें की ,…
आज YY गैंग (हाँ गैंग बोल रहा हूँ क्योंकि पार्टी बनने के बाद से आज तक YY ने पार्टी के अंदर सिर्फ और सिर्फ अपनी गैंग बनाने का ही काम किया है ),....
तो आज YY गैंग की एक गुपचुप मीटिंग हुई ,…
उस मीटिंग में 28 तारीख को ,.... जिस जगह NAC की मीटिंग होनी है उसके सामने UnitedAAP की रट लगाने वालो की भीड़ इकठ्ठा करने के लिए जी जान लगाने ,…
और नवीन को हरियाणा से ,… बाहर निकालने के पत्र पर अधिकाधिक हस्तांक्षर कराने का आदेश दिया गया ,…
28 को भीड़ लाने वाले के लिए किराये तक पर आदमी लाने की तैयारी है ,…

वैसे मेरी जानकारी के अनुसार ,…
YY की अब तक की सारी मांगो को एक एक करके माना जा चुका है ,… पर उनकी माँगे और मनसा अजीब है ,…
कहते है रिक्त स्थान भरो ,… और उनमे कौन होगा ये वो बताएँगे ,....
UnitedAAP चिल्लायेंगे पर नवीन मुक्त चाहेंगे ,....
कैसा दोगला व्यवहार है ,....
खैर ,…
मैं साक्षी हूँ ,…
YY ने पहले पदो का लालच दे - आंदोलन और अरविन्द के करीबी साथियो को ,… अपनी गैंग में शामिल किया ,…
जो लालच से शामिल नहीं हुआ ,… उनको इतनी जिल्लत दी की छोड़ने पर मजबूर हुआ ,…
जिसने जिल्लत के बाद भी नहीं छोड़ी ,.... उसे इसका उसका एजेंट बता ,.... पार्टी से निकाला ,…
मैं साल भर [पहले से कह रहा हूँ ,....
मुझे योगेन्द्र जी की नियत हमेशा से एक दिखी ,.... और वो ,… की कैसे अरविन्द का खात्मा हो ,....
और कैसे वो और उनके गुर्गे ,.... पार्टी पर कब्ज़ा करें ,....
योगेन्द्र जी ,....आपकी धूर्तता का प्रत्यक्ष साक्षी हूँ मैं ,....
और मुझे उन दिनों का दुःख है ,.... जब मैं आपको अपना ,....आदर्श मानता था ,.... ‪#‎NagShukl‬

YY volunteers की बात करते है - पर हमें आपको वालंटियर नहीं मानते - वो सिर्फ उनको वालंटियर मानते हैजिनको उन्होंने पद का वादा किया है ,…

Wednesday, February 18, 2015

AAP Govt effect

चुनाव से पहले मोदी जी ने अपने एक भाषण पर ,…
आवाम के उस 2 करोड़ के चंदे के आधार पर ,…
कुछ ऐसा बोला था ,…
"काली रात - घोर काली रात - और काली रात के काले कारनामे ,...."
क्या हुआ साहेब ,.... ??
वित्त मंत्री अरुण जेठली ने कहा था "रंगे हाँथ पकड़े गए"
निर्मल सीतारमण ने कहा था "चोर",....

आज केंद्र सरकार ने - क्लीन चिट क्यों दे दी ? उन काले कारनामो को ???
वाकई BJP मतलब - भारतीय जुमला पार्टी ,....


दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नई सरकार का इफेक्ट दिखने लगा है।
पुलिस वाले को जूस वाले से मांगनी पड़ी माफी
http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/policeman-had-to-apologize-to-juice-sellers/articleshow/46284897.cms
===========
सब्सिडी के 300 करोड़ कहाँ से आयेंगे??
Excise officials among 9 held for liquor smuggling
ये लो 2500 करोड़ का तो घपला पकड़ भी लिया अरविन्द ने। एक्साइज अफसर शराब माफिया के साथ मिलकर हर साल दिल्ली सरकार को 2500 करोड़ का चूना लगाता था।
गरीब के हिस्से का 8 साल का पानी शराब माफिया ले जाता था हर साल
http://m.timesofindia.com/city/delhi/Excise-officials-among-9-held-for-liquor-smuggling/articleshow/46268750.cms
=============

एक्शन में केजरीवाल: ठेके वालों की नौकरी नहीं जाएगी

http://abpnews.abplive.in/ind/2015/02/17/article504629.ece/arvind-kejriwal-in-action

===============

मोदी की नीतियां देश के लिए ठीक नहींः गोविंदाचार्य

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/modi-policies-are-not-good-for-the-country-govindacharya/articleshow/46253362.cms
============
 नियत का असर वो होता है की ,.... काम आँखों से चलता है - जुबान हिलाने की जरुरत नहीं ,....
इधर अरविन्द ने शपथ ली ,.... उधर RTO से दलाल गायब ,…
द्वारका से पानी की पम्पिंग शुरू, 2 पम्प चालू ,....
==================

नहीं हटेगी रेहड़ी , बंद होगी 600 करोड़ की रिश्वतखोरी

========

दिल्‍ली चुनावों पर भाजपा ने खर्च किए 400 करोड़ रुपए! और AAP का कुल चंदा था 30 करोड़ 

http://www.amarujala.com/feature/samachar/national/bjp-spend-400-crore-rupee-on-delhi-election-hindi-news-sy/

अरविन्द का सन्देश

==========

Effect : Free Water tankers, Clean Roads

 

Sunday, January 18, 2015

BJP नेता किरण बेदी के नाम एक खुला खत........

बीजेपी में शामिल होने के बाद अमित शाह के साथ किरण बेदी
देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी अब भाजपाई हो गई हैं. कैमरों के दुर्लभ फोकस का लुत्फ लेते हुए वह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बगल में बैठी हैं . दिल्ली को नंबर एक राजधानी बनाने का सपना दिखाते हुए वह राजनीतिक तौर पर कहीं ज्यादा ताकतवर लग रही हैं. उनकी बातें वैसी ही हैं जैसी किसी पार्टी के संभावित सीएम कैंडिडेट की हो सकती हैं. यह देखते हुए और इस पर सोचते हुए मुझे चार साल पुराना एक दृश्य याद आता है. रामलीला मैदान का मंच है. मंच के एक छोर पर खड़ा एक शख्स, जिसका नाम कुमार विश्वास है, माइक थामे हुए एक गीत गा रहा है- 'होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो'. दूसरे छोर से किरण बेदी एक बड़ा सा तिरंगा दोनों हाथों में थामे हुए फहराने लगती हैं. शारीरिक रूप से कमजोर और राजनीतिक तौर पर बलवान हो चुका एक बुजुर्ग, जिसका नाम अन्ना हजारे है, अनशन पर बैठा है. अरविंद केजरीवाल नाम का एक आरटीआई कार्यकर्ता भी उसके साथ है.

यह पूरा दृश्य उस सपने को आपके भीतर स्थापित करने के लिए काफी है, जो अरविंद, अन्ना, कुमार, किरण और यहां मौजूद हजारों लोग देख रहे हैं; कि कुछ तो बदलेगा. बदलेंगे ये लोग, बदलेंगे हम लोग, जो सिर पर कफन बांधकर निकले हैं.
अन्ना के आंदोलन से क्या मिला!
और अब एक ताजा दृश्य. कहानी थोड़ी फिल्मी है. केंद्र में बीजेपी की सरकार है. रालेगण सिद्धि में तनहा बैठे हुए अन्ना अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता का कत्ल होते देख रहे हैं. उनके सहयोगियों की आखिरी किस्त भी उनसे विदा ले चुकी है. आंदोलन से जुड़ी एक पूर्व महिला पत्रकार अपने पुराने सहयोगियों को 'एक्सपोज' करने पर आमादा हैं. 'देशसेवा' के जज्बे से लैस देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गई है. इसका श्रेय उन्होंने मई में मिली एक चमत्कारिक प्रेरणा को दिया है. अटकलें हैं कि 'विजय रथ' पर सवार बीजेपी उन्हें देश की राजधानी में होने वाले चुनाव का अघोषित रूप से सबसे बड़ा चेहरा बनाने वाली है. अन्ना के मंच के आगे सेल्फी लेने और आइसक्रीम खाने वाले प्रेमी जोड़ों में से कुछ नाकाम, तो कुछ कामयाब हो गए हैं. लेकिन अन्ना का आंदोलन 15 जनवरी 2015 को एक और बार, दुर्गति को प्राप्त हो गया है.
चार साल में उस सपने के चार टुकड़े हो गए हैं. कोई इसे परंपरागत राजनीति की जीत के प्रतीक के तौर पर भी देख सकता है. हालांकि अरविंद अपनी गलतियों, खामियों और पुराने साथियों के साथ अपने जीवन की संभवत: सबसे अहम लड़ाई लड़ रहा है.
पलटने की ये अदा भी क्या खूब रही!
आदरणीय किरण बेदी जी, यह फ्लैशबैक की तस्वीर इसलिए पेश की, ताकि आपको सनद रहे कि हम स्मृति-लोप, बोले तो अल्झाइमर के शिकार नहीं हैं. क्या करें, जमाना स्क्रीनशॉट का है, कुछ भूलने नहीं देता. दिक्कत इससे नहीं है कि आप बीजेपी में चली गईं. दिक्कत इससे है कि आप कांग्रेस-बीजेपी के खिलाफ लड़ते-लड़ते बीजेपी में चली गईं. यह हार मान लेने का प्रतीक है. यह इस बात का प्रतीक है कि अब तक आपने जो किया, वह गलत था और पारंपरिक रास्ता ही सही रास्ता है. बताने वाले बताते हैं कि बीते जमाने जब मजदूर यूनियनें हड़ताल करती थीं तो यूनियन के नेता को मालिक मैनेजर बना लेते थे. मजदूरों की क्या बिसात जो उस मालिक से सवाल करे जो देश पर राज कर रहा हो. पर यूनियन की पुरानी नेता से कुछ सवाल जरूर हैं हमारे.
1. याद करिए वह ट्वीट जिसमें आपने लिखा था कि कांग्रेस और बीजेपी राजनीतिक फंडिंग को आरटीआई के दायरे में नहीं लाना चाहतीं तो यह शर्म की बात है और आपका वोट इनमें से किसी पार्टी को नहीं जाएगा. आज आप उसी पार्टी में हैं. क्या वहां आप बीजेपी अध्यक्ष से पार्टी की फंडिंग का हिसाब मांगेंगी?

2. आप ही हैं जिन्होंने गुजरात दंगों के मामले में क्लीन चिट मिलने के बावजूद नरेंद्र मोदी की ओर से सफाई दिए जाने की जरूरत बताई थी. क्या अब 'सफाई' की वह जरूरत अब भी बची हुई है या स्वच्छता अभियान के झोंके में कहीं बह गई है?

3. क्या राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर आपकी जो पुरानी समझदारी थी, उससे आपका मोह भंग हो गया है? क्या इसे आपके राजनीतिक हृदय परिवर्तन के रूप में देखा जाए? अब तक बीजेपी के खिलाफ कही गई अपनी ही बातों से अब असहमत हो गई हैं?

4. क्या महिला सशक्तिकरण के अपने अभियान को आप बीजेपी में भी कायम रखेंगी? रेप और दंगों के मामलों में नामजद मंत्रियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगी? खाकी वर्दी पहनी है आपने, साक्षियों और साध्वियों की बदजुबानी को डिफेंड तो नहीं करेंगी ना?
5. आप ही थीं जिसने आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद 'अपॉलिटिकल' यानी 'गैर-राजनीतिक' बने रहने की इच्छा जताई थी. किसी दल में जाने की खबरों को आप खारिज करती रहीं. लेकिन बीजेपी के सीएम उम्मीदवार की कुर्सी खाली दिखी तो अपने सिद्धांतों से ही मुंह मोड़ लिया. आप निजी फायदे के लिए नहीं, देशसेवा के लिए बीजेपी में गई हैं, यह मानने का हमारे पास क्या कारण है? नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना एक तरह का संघर्ष है. इसमें बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है. लेकिन लगातार जीत रही एक स्थापित पार्टी में जाने के मायने दूसरे हैं. यह एक 'प्रिविलेज' है, यहां आपको अपने लिए कहीं ज्यादा मिल सकता है. ऐसे में हम आपको अवसरवादी और स्वार्थी क्यों न मानें?

6. अब शक होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप आंदोलन के समय से ही घोर राजनीतिक रही हों? कहीं ऐसा तो नहीं कि अन्ना के मंच पर बैठते और बोलते वक्त भी आपके दिल के तार बीजेपी से जुड़े हुए थे?
7. बीजेपी भी उसी राजनीतिक व्यवस्था का अंग है जिसके खिलाफ अन्ना का आंदोलन हुआ था. फिर बीजेपी में ही जाना था, तो कांग्रेस क्या बुरी थी? या उससे इस बात की तल्खी थी कि उसने तमाम योग्यताओं के बावजूद आपको कमिश्नर नहीं बनाया?

8. मुख्यमंत्री ही बनना था तो 2013 में आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव क्यों नहीं स्वीकार किया? या संभव है आपको AAP की सरकार बनने का कोई अंदेशा न रहा हो.

किरण जी, स्कूल में पढ़ते थे तो आपका नाम जीके की किताब में भी आता था. देश की पहली महिला आईपीएस. एक ईमानदार और तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी. बॉय कट बाल. बोलती थी तो लगता था कि डांट देंगी तो बड़े-बड़े शोहदे पैंट गीली कर देंगे. इस छवि के प्रति मन में एक सम्मान था आपके लिए. बहुत सारे नौजवान आपके दिए भरोसे की बदौलत इस मुश्किल रास्ते पर आए थे. जब वे बहुत आगे बढ़ चुके हैं और एक अहम लड़ाई के मुहाने पर हैं, तभी आप हाथ छुड़ाकर शॉर्टकट की ओर भाग गई हैं. इसलिए फिर दोहराता हूं, आपके बीजेपी में जाने से समस्या नहीं है, लेकिन कांग्रेस-बीजेपी के खिलाफ लड़ते-लड़ते बीजेपी में जाने से है.
आपका यह राजनीतिक अवसरवाद एक आंदोलन से पैदा हुए समूचे आशावाद को ध्वस्त करता है. अन्ना हजारे की पीठ में छुरा किसने घोंपा, ये किसी से छिपा नहीं है. आपको आपकी नई राजनीतिक पहचान और ताकत मुबारक हो. रामविलास पासवान को उनके जैसी नई संगत मुबारक हो. आपको आपके अच्छे दिन मुबारक हों. लेकिन जब टीवी पर आपका यह परिचय देखेंगे कि  'किरण बेदी, बीजेपी नेता' तो कुछ दिन तो अजीब लगेगा, मैडम.

Friday, January 9, 2015

शरद शर्मा की खरी-खरी : 'बी' टीम की राजनीति

नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की तरफ से जैसे ही संकेतभरा बयान आया कि चुनाव के बाद अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो कांग्रेस आम आदमी पार्टी को समर्थन दे सकती है, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का बयान आया कि ''आप कांग्रेस की बी टीम है'' और दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष ने भी बोला कि ''आप बीजेपी की बी टीम है।''

अचानक मेरे मन में आया कि ये 'बी टीम' वाले बयान मैंने साल 2013 के दौरान खूब सुने जब आम आदमी पार्टी नई-नई बनी थी और प्रचार शुरू ही किया था। इस पार्टी को कवर करते हुए मैंने कोशिश की यह जानने की कि क्या वाकई ये पार्टी कांग्रेस या बीजेपी की बी टीम है

पार्टी के बारे में अपनी राय बताने से पहले मैं बताना चाहूंगा कि मैं जब साल 2011 में जंतर-मंतर और रामलीला मैदान का टीम अन्ना का आंदोलन कवर कर रहा था तब मुझे इस बात का शक होता था कि इस आंदोलन के पीछे संघ या बीजेपी सपोर्ट हो सकता है। इसके कुछ कारण थे, जैसे कि आंदोलन पूरी तरह से कांग्रेस के विरुद्ध था और दूसरा बीजेपी नेताओं का टीम अन्ना के लिए समर्थन और आदर। या फिर टीम अन्ना के कुछ सदस्यों की बीजेपी नेताओं से करीबियां। हालांकि ये कारण बहुत स्वाभाविक थे और काफी नहीं थे ये साबित करने या मान लेने के लिए कि यह सब बीजेपी या संघ के समर्थन पर हो रहा है, हालांकि इस बात में कोई शक नहीं कि टीम अन्ना का आंदोलन कामयाब बनाने में संघ से जुड़े लोगों की भी भूमिका थी, लेकिन शायद एक नागरिक के तौर पर या फिर इसलिए क्योंकि सब कांग्रेस विरोधी था इसलिए।

लेकिन समय के साथ जैसे ही आंदोलन पार्टी में बदला लगने लगा कि ये बीजेपी नहीं, बल्कि कांग्रेस को फायदा पहुंचाता दिखा, क्योंकि माना ये गया कि जैसे दिल्ली में चुनाव होने की स्थिति में कांग्रेस सरकार के खिलाफ पड़ने वाला वोट बंट जाएगा और बीजेपी फिर सत्ता से बाहर और कांग्रेस फिर जैसे तैसे सरकार बना लेगी

लेकिन फिर वो हुआ, जो किसी ने सोचा ना था.....अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली की 15 साल पुरानी कद्दावर सीएम शीला दीक्षित से लड़ने नई दिल्ली में घुस गए। मैंने उस समय कहा था कि नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित को हराने का मतलब है शेर के जबड़े से शिकार निकाल लाना। मेरे मन में सवाल आया कि अगर केजरीवाल कांग्रेस की मदद करने के लिए पार्टी बनाते तो कम से कम खुद को शीला दीक्षित की सीट से उम्मीदवार घोषित ना करते, क्योंकि कोई किसी पार्टी की मदद करने में खुद को कुर्बान क्यों करेगा?

मेरे मन में वैसे यह सवाल समय-समय पर उठते रहे कि अगर 'आप' को वोट देने पर वोट बंटे और कांग्रेस फिर सरकार में आ गई तो लोग आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की बी टीम मान ही लेंगे जबकि मुझे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो A B C D टीम होने के सबूत दे।

8 दिसंबर 2013 को वह साबित हुआ, जो मेरा अनुभव आम आदमी पार्टी के बारे में था। कांग्रेस को निपटाने वाली पार्टी आम आदमी पार्टी बनी, अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को करारी शिकस्त दी और कांग्रेस के सभी बड़े मंत्री और नाम 'आप' के उम्मीदवारों से या 'आप' की वजह से चुनाव हार गए। जिस पार्टी की बी टीम होने का आरोप लगा, आम आदमी पार्टी ने उस पार्टी को निपटा दिया।

यही नहीं मेरा मानना है कि चुनाव के बिना भी देश में कांग्रेस के खिलाफ़ माहौल असल में अरविंद केजरीवाल ने तैयार किया, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। अन्ना के आंदोलन ने देश में कांग्रेस के खिलाफ़ वह माहौल बना दिया, जो बीजेपी नहीं बना पाई थी। 2004 से अन्ना के आंदोलन का चेहरा केवल अन्ना हज़ारे थे, लेकिन सारा दिमाग और रणनीति अरविंद केजरीवाल की।

लोकसभा चुनाव में दिल्ली में सभी सीटों पर बीजेपी पहले और 'आप' दूसरे नंबर पर रही और आज दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तब भी उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है। दोनों पार्टियों में रिश्ते इतने खराब हैं कि शायद कांग्रेस और बीजेपी के बीच भी कभी ऐसे रिश्ते नहीं रहे होंगे जबकि दोनो परंपरागत विरोधी हैं।

लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च 2014 में बीजेपी मुख्यालय के बाहर हुई ज़ोर-आज़माइश हो या हाल ही में दिल्ली के तुगलकाबाद में एक टीवी डिबेट के दौरान हुई हिंसा, जिसमें मारपीट के बाद आप उम्मीदवार की गाड़ी स्वाहा हो गई.....ये सारी घटनाएं बताती हैं कि दोनों पार्टियों में आपस में कितनी कटुता है

अब सोचकर देखिए कि कांग्रेस को निपटाकर बीजेपी की दुश्मन नंबर वन बनी पार्टी क्या इनमें से किसी की बी टीम हो सकती है?
या फिर ये पहले से स्थापित पार्टियों का रेगुलर या रट्टू बयान मात्र है?

या फिर यह एक व्यवस्था की समस्या है, जिसमें किसी भी नए खिलाड़ी या नए विचार या बदलाव का विरोध केवल विरोध करने के लिए होता है, जिससे जैसा निज़ाम चल रहा है, चलता रहे क्योंकि विरोध करने वाले लोग पहले से मौजूद व्यवस्था के लाभार्थी हैं?

अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाई है और अपनी राजनीति कर रहे हैं। अपनी राजनीति के चलते वह पहली ही बार में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, अपनी राजनीति के चलते ही इस्तीफ़ा देने पर वो लोकसभा चुनावों में उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए...अपनी राजनीति के चलते ही वो आज भी दिल्ली की जनता को अपने इस्तीफे के वजह समझाकर कह रहे हैं कि अबकी बार मौका दो तो 5 साल तक इस्तीफ़ा नहीं दूंगा.....अब ये तो जनता तय करेगी ना कि मौका देने लायक वो हैं या नहीं।

विरोधी पार्टियां केजरीवाल की पार्टी, उम्मीदवार, काम करने के तरीके पर ज़रूर सवाल उठाएं इसमें कोई हर्ज़ नहीं क्योंकि केजरीवाल भी यहीं करते है और राजनीति में यही तो होता है, लेकिन ये बी टीम वाला टेप इतना घिस चुका है कि आगे चल नहीं पाएगा। कुछ नया सोचिए जनाब कब तक पब्लिक और मीडिया एक ही लाइन सुनेंगे, लेकिन हां, मैं इतना ज़रूर कहता कि अगर कहीं कभी कोई ऐसा लिंक मुझे मिलेगा....तो इस पर सबसे पहले स्टोरी करूंगा।
http://khabar.ndtv.com/news/blogs/sharad-sharma-on-b-team-politices-724715