Monday, December 31, 2012

करना होगा ...मंगलमय ...कल आयेगा ..जो वर्ष नया

ख़त्म हुआ ये वर्ष,.... आज जो ....
इसने नव चेतन का संचार किया ....
अर्जुन ने छोड़ा साथ .....पार्थ का ...
लोकतंत्र का संहार हुआ ...
रावण सारे,... खुल कर नाचे ....
आम आदमी ....लाचार हुआ ...
कितने ही ...आँशु निकले ....कितने बार मुँह साफ़ हुआ ...
हर बार बताया दोष आपका ....
नेता, नंगा ......बीच - बाज़ार हुआ ....
हुआ जो, अनाचार ....दामिनी के संग ....
सिर्फ बेटी - बहन नहीं .....जनता, मानवता का भी बलात्कार हुआ ...
कल निकलेगा ...एक रवि नया .....है लाल,... लहू से रंगा हुआ .....
कैसे होगा मंगलमय,...रातों रात .... ये वर्ष नया .....
जगना होगा,....दोस्त मेरे ....
लड़ना होगा,.... दोस्त मेरे ....
फिर आएगी .....नई सुबह ....
करना होगा ...मंगलमय ...कल आयेगा ..जो वर्ष नया
......नागेन्द्र शुक्ल

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे|

कब तक आस लगाओगी तुम,
बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो
दुशासन दरबारों से|

स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे|

कल तक केवल अँधा राजा,
अब गूंगा बहरा भी है
होठ सी दिए हैं जनता के,
कानों पर पहरा भी है|

तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे|

-पुष्यमित्र उपाध्याय

Sunday, December 30, 2012

चुनाव में तय है, उनकी जीत और जनता की हार.



जरा गौर से पढे , सत्ता धारी गिरोह का गुलाम लोकतंत्र :

कहते है,लोकतंत्र में असली ताकत जनता में निहित होती है, उसके वोट से ही सत्ता बनती और बिगड़ती है
लेकिन आज लोकतंत्र का जो स्वरुप हमारे सामने है, समय के साथ उसमे जो बदलाव और जटिलताये आई है, उसे देख कर लगता नहीं, कि जनता की भूमिका इस मौजूदा लोकतंत्र में निर्णायक है. हमारे यहाँ बहु- दलीय शासन प्रणाली है,भाषा,धर्म,जाति, जैसे क्षेत्रीय भावनाओ से संचालित क्षेत्रीय राजनितिक दल है, बहुत कम राजनितिक दल ही है,जिनकी अखिल भारतीय पहचान अब शेष है.
बहुमत प्राप्त दल ही सरकार गठित करते है
निर्वाचन प्रक्रिया में राजनितिक दल किस तरह अपने उम्मीदवारो का चयन करते है,राजनितिक दलों के टिकिट बाटने का मानदंड क्या होता है, जग जाहिर है.धन बल और बाहु बल का चुनावो में कैसे पूरी निर्लज्जता के साथ कैसा प्रदर्शन होता है. सब जानते है. भ्रष्टाचार,तस्करी,करचोरी,अवैध उत्खनन, से अर्जित काले धन का बेशुमार प्रयोग चुनावो में किया जाता है.
उम्मीदवार का भ्रष्ट होना अपराधिक पृष्ठभूमि से होना जैसे एक अतिरिक्त योग्यता बन जाती है.
बिना राजनितिक दल के टिकिट के, एक सच्चरित्र,सज्जन और समाजसेवी व्यक्ति का चुनाव में भाग लेना और जीतना लगभग असंभव है.
जीत हर कीमत पर जीत, जीत की सम्भावना ही टिकिट देने का एकमात्र आधार है
हर राजनितिक दल अधिक से अधिक सीटे जीतना चाहता है, और ऐसे में दल बदलू या दागी, या अपराधिक छबि के लोगो को भी वे टिकिट देने से परहेज नहीं करते, क्योकि सदन में संख्या बल ही तो तय करता है, की सरकार किसकी बनेगी.अगर दुर्भाग्य से किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले तो गठ बंधन सरकार बनाई जाती है
विधायको और सांसदों कि खरीद फरोख्त होती है, इसके आगे की कहानी हम सब जानते है कि कैसे गठ बंधन धर्म का निर्वाह किया जाता है, और देश या प्रदेश की हितो की बलि चढ़ाई जाती है.
अब इस तथा कथित चुनाव में, जनता के पास क्या विकल्प बचता है ?.
नांग-नाथ और सांप-नाथ में जनता किसे चुने. जिन्हें वह वोट देता है, उन उम्मीदवारों का जनता से कोई सरोकार नहीं होता,उनकी सारी निष्ठां और प्रति बध्दता पार्टी और पार्टी आला कमान के प्रति होती है.
मतदान के बाद जैसे जनता की शक्ति विसर्जित हो जाती है,
झंडे का रंग चाहे बदल जाये. सरकारे नहीं बदलती,अभी ताजा उदहारण हम यू.प़ी. के दलो सपा/बसपा का राष्ट्रीय महत्व के मुद्दो पर दोमुहापन और ब्लेकमेलिग का देख सकते है,

क्या यह सच नहीं,कि राजनितिक दलो के घेरे में आज लोकतंत्र कैद होकर रह गया है. आप चाहे तो इन्हें सत्ता-धारी गिरोह भी कह सकते है.
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को लेकर,सभी राजीतिक दल एक मत थे.की भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना चाहिए,संसद के बाहर सभी भ्रष्टाचार के विरोध में खड़े थे. कैसे वे संसद की सर्वोच्चता का दावा भी कर रहे थे, और संसद के भीतर किस तरह वे अपने दल गत मतभेद भुलाकर,जन लोक पाल के विरोध में लामबंद भी थे.क्या भ्रष्टाचार के नियंत्रण के मसले पर तब वे जन-मत की अवहेलना कर नहीं कर रहे थे.

राजनिति समाज सेवा का क्षेत्र है,फिर ऐसे क्या कारण है, की आज कोई भी सद-चरित्र,सज्जन और समाज सेवी व्यक्ति राजनिति में नहीं आना चाहता, क्या कारण है कि,जनता राज नेताओ को सम्मान की दृष्टि से नहीं अपितु घृणा की दृष्टि से देखती है.
और क्या यह सच नहीं की राजनिति आज समाज सेवा का क्षेत्र नहीं, वरन दीर्घ कालिक पूंजी निवेश का सुरक्षित क्षेत्र बन गया है.
क्या कारण है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में आम आदमी की कोई सार्थक भूमिका नहीं है, और जिस प्रणाली में उम्मीदवारों की सुचिता का, उसकी योग्यता का,नैतिक मूल्यों में उसकी आस्था का,समाज के प्रति उनके समर्पण और योगदान का कोई मूल्य न हो, साम, दाम, दंड, भेद, जैसे भी हो, जीत ही जहाँ एकमात्र लक्ष्य हो, सत्ता के बहुमत का अर्थ जहाँ समाज के संसाधनों की ली लूट के रूप में परिभाषित किया जाये.विकाश के नाम पर विनाश की इबारत लिखी जाये.और अपने दलीय स्वार्थ के लिए सामाजिक समरसता और एकता को छिन्न भिन्न कर दिया जाये,क्या उस व्यवस्था से जनता का मोह भंग नहीं होगा.ऐसे लोक तंत्र में क्या फ़र्क पड़ता है,
मुहर कही भी लगाओ.
चुनाव में तय है, उनकी जीत और जनता की हार.

योगेश गर्ग

कुछ दर्द ऐसे होते है ......जिनका निकलना ठीक नहीं होता ...

कब से सुनाने में लगें है .....काफी सारे ज्ञानी ...बताने में लगें है ...की यह सामाजिक गड़बड़ है .....और समाज को सुधरने की जरुरत है ....इसमे कोई दो राय नहीं,... बात सही है ....
पर सिर्फ इन तर्कों के सहारे ....राजनीतिक अकर्मन्यता को छिपाया नहीं जा सकता .....समाज ....समाज होता क्या है ...कौन बनाता है इस समाज को .....कौन है जो इस समाज का ...दिशा देता है ....
सुना था की वो नेता .......और साहित्य होता है ....जो देता है ...दिशा ....समाज को ....
यह भी सुना था की "जैसा राजा ...वैसी प्रजा"......क्या गलत है?... यह सब ....

अब आज का साहित्य तो फ़िल्में है ....और मीडिया ...और इन दोनों के ऊपर ...नेता हावी ....और नेता के ऊपर ..व्यापारी....व्यवसायी .....और व्यवसायी वो ....जो सिर्फ अपने ....फायदे के लिए ..काम करता है .....
कब जन कल्याण की सोंचता है .....कैसे सुधरेगा ...समाज ...
बिना राजनीतिक ...इच्छाशक्ति के ......बस देख रहा हूँ ...होते लीपा पोती ....की बस टल जाये ....किसी तरह निकल जाये ...गुस्सा इस जनता का ....
कुछ दर्द ऐसे होते है ......जिनका निकलना ठीक नहीं होता ......जिनको पलना ही कल्याणकारी होता है .....

वैसे सोंचने की बात यह है की ...कल रात को दिल्ली में ....फिर एक बस में ...छेड़छाड़ की घटना हुई ....हाँ फर्क इतना पड़ा की ...पुलिस ने आरोपी कंडक्टर को गिरफ्तार किया .....बाद में छोड़ भी दिया .....
ये परिणति ...नहीं हो सकती .....जनता के गुस्से की ......बहन दामिनी की ...शहादत की .......नागेन्द्र शुक्ल
वैसे दुखद ..यह है ..की दामिनी क अंतिम संस्कार भी कर दिया चोरी छुपे .......अरे ...यही सरकार ...यही व्यवस्था ......देती है मौका ....श्रधांजलि देना का .....एक नेता को ....बनती है स्मारक .....उनकी नहीं ....उनके contribution की याद में ......मुझे नहीं लगता ...की मैंने अपने अभी तक के जीवन में देखा है ...इससे बड़ा किसी का बलिदान ..समाज के लिए ....हमारे लिए ....और बेहद असरदार ....जाग गएँ हैं .....हम और तुम ...

शासक कहलाने का, रत्ती भर भी अधिकार नहीं



लो ख़त्म हुई आपाधापी, लो बंद हुई मारामारी
लो जीत गई सत्ता फिर से, लो हार गई फिर लाचारी
कल सात समंदर पार कहीं इक आह उठी थी दर्द भरी
तब से जनता है ख़फ़ा-ख़फ़ा, तब से सत्ता है डरी-डरी
सोचो अंतिम पल में उसका कैसा व्यवहार रहा होगा
...
नयनों में पीर रही होगी, लब पर धिक्कार रहा होगा
जब सुबह हुई तो ये दीखा, बस ग़ैरत के परखच्चे हैं
इक ओर अकड़ता शासन है, इक ओर बिलखते बच्चे है
जनता के आँसू मांग रहे, पीड़ा को कम होने तो दो
तुम और नहीं कुछ दे सकते, हमको मिलकर रोने तो दो
सड़कों की नाकाबंदी करके, ढोंग रचाते फिरते हो
अभिमन्यु की हत्या करके, अब शोक जताते फिरते हो
जो शासक अपनी जनता की रक्षा को है तैयार नहीं
उसको शासक कहलाने का, रत्ती भर भी अधिकार नहीं


Thursday, December 27, 2012

इस परिवर्तन ....को स्थायी बनाना....It’s your duty.

दोस्तों, सुना है की बहन दामिनी की हालत बेहद नाज़ुक है .....मेरी ईश्वर से प्रार्थना है ...और आप भी ...अपनी दुआ में उनका ख्याल रखना....की उन्हें जल्द ही .....स्वस्थ और सुरक्षित ....हमारे बीच भेजें।
मैं नहीं मानता की ...बड़ा परिवर्तन धीरे - धीरे होता है ....
.मेरा मानना है ...की परिवर्तन तो बस सिर्फ एक पल (event) में होता है ....हाँ उस परिवर्तन को रूप लेने में, स्थायी होने में ... समय लगता है .....और मुझे लग रहा है ....
जो समझने की जरुरत वर्षों से थी ...की लडकियों को दोष देना ...उन्हें रोकना ...उनके कपडे ...घर में रखना,....वगैरह - वगैरह जिस परिवर्तन की वर्षों से जरुरत थी .....
दोस्तों ...ये समझने की बात है ....की सड़क पर - बस में ...और हर तरफ ....आपकी ही ...मम्मी, बहन और पत्नी ...जा रही है ...
जो व्यस्त है ..तुम्हारा ही जीवन बनाने में ....
उनका सम्मान ...उनकी मदद ....उनकी हिफाज़त ....के लिए कोई सरकार क्यूँ? .....आप क्यों नहीं .....

इस बहुप्रतीक्षित परिवर्तन ...के लिए ...हमारी प्रकृति ने ...बहन दामिनी ...को चुना .....अब इस परिवर्तन ....को स्थायी बनाना ....आपका काम है ...हमारा काम है ....नागेन्द्र शुक्ल

लग जाती है ..पूरी कायनात ...उसको मिलाने में

दोस्तों, बड़ी उहापोह की स्थिति है .....हमारे बार - बार यह कहने और करके दिखाने के बाद भी ये कांग्रेस और BJP को लगातार confusion बना हुआ है ....दोनों कहतें है की भाई AAP ..उनके नहीं दूसरे के एजेंट है ....इनको समझ ही नहीं आता ...या फिर ये कहे की सब जानते - बूझते हुए भी ये आम आदमी को ...देश की जनता को बरगलाने में लगे है ......
जिस दिन कांग्रेस के किलास बोलो - उस दिन बीजेपी वाले खुश, जब बीजेपी के खिलाफ बोलो तो कांग्रेस वाले खुश - भाई जब इनको खुस होने के बर्बर मौके मिल रहे है तो फिर दुखी क्योँ ?

ये दुखी इसलिए है की .....वास्तव में तो यह दोनों एक ही है ....इनका काम सिर्फ राज करना और ...जनता को बेवकूफ बनाना है .....
AAP तो सिर्फ जनता की बात करता है ...जनता के मुददे की बात करता है .....ये इन दोनों को और बांकी भी भ्रष्ट पार्टियों को बर्दास्त ही नहीं होता ......
की अरे ये राजनीती के तो सारे नियम कानून ही बदल रहा है ....
नेता की बात नही करता ...वोट की बात नहीं करता, वोट बैंक की बात नहीं करता, खाने खिलाने की बात नहीं करता ....जाति की बात नही करता ...धर्म की बात नहीं करता ....और तो और
किसी व्यापारी ....उधोगपति के पास भी नहीं जाता ...मीडिया से भी बायकॉट करवा ...के देख लिया .....
किससे और कैसे ....दबाव बनायें .....क्या करें ....फूले हैं ..इनके हाँथ पाँव ...

दिल्ली में ...षण्यंत्र भी करके के देख लिए ....पर हाय रि किस्मत ...यह दाँव भी उल्टा पड़ गया
इतना सब करने के बाद भी यह तो बढ़ते ही जा रहे है ....अभी तक तो इनको थोडा आराम था - चैन था ....ज्यादातर काम फेसबुक पर हो रहा था ...और मुददे सिर्फ दिल्ली से दिल्ली तक सीमित थे .....
पर अब AAP - के "मिशन बुनियाद" से तो जमीन पर भी संगठन ...तैयार हो रहा है ....और जोरदार हो रहा है ....
अब तो गाँव - कस्बों में भी दिख रहे है - टोपी वाले ......
बढ़ रही है इनकी बेचैनी ....और बढ़ रहे है हम आगे ......

अब इन सभी का एक मत से सिर्फ एक काम है ....लाम बंदी ...जनता के खिलाफ ....और आप के खिलाफ .....शायद यह इनका आखिरी अस्त्र है ....
याद आता है ....SRK की फिल्म का डायलॉग ..."अगर किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो ....तो लग जाती है ..पूरी कायनात ...उसको मिलाने में"......
लग जाती है प्रकृति भी ...रास्ता सुझाने में ........दिख रहा है ...की झूठ नहीं है ...
जुड़ रहें है ...आप ....बढ़ रहा है ...AAP ...जीत रहें है ...आप ...जनता का दिल ...चुनाव बाद की बात है .....नागेन्द्र शुक्ल

पैर - उंगली या दो साल मेहनत?

मेरा दोस्त जिसके पैर की एक उंगली में एक दाना है ....जिसमे थोडा और लगातार दर्द रहता है .....चला गया एक एलोपैथी MBBS के पास दिखाने .....देखने सुनने के बाद MBBS ने बताया ....की भाई पैर काटना पड़ेगा .....वो निकला और
चला होम्योपैथी के चिकित्षक के पास ..पूंछा उन्होंने बताया की भाई ऊँगली कटवा के और मीठी दवा से भी काम चल सकता है, पूरी तरह से कभी ठीक नहीं होगा  .....फिर बाद में देखेंगे ....
अब परेशान दोस्त निकला रोड पर ......एक आयुर्वेद के जानकार का बोर्ड दिखा ..ये गए मिलने ....उन्होंने बताया की
भाई दो साल थोड़ी मेहनत ..थोडा नियम संयम ....थोड़ी कड़वी दवा ....तो ठीक हो जायेगा ....और पक्का ठीक जायगा।।

अब वो चला आया मेरे पास पूंछने ...किसके पास जाएँ ?...
मैंने कहा भाई अगर तुम अभी भी BJP के ही समर्थक हो तो ..उँगली कटवा लो .....और मीठी गोली खा लो ...और दर्द सहते रहो थोडा - थोडा ......
हाँ अगर AAP को support करते तो ....पूरा इलाज़ कवने की सोंचो ...अब पिछले 10 साल से झेल रहे हो .....2 साल मेहनत करके ....थोड़ी मुश्किल ही सही ....कडुवी दवा खा लो .....
क्या पता काम कर जाये ......इलाज़ पक्का हो जाये ...और ना हो तो 2/3 साल के बाद चाहे पैर कटवाना .....या उँगली .....ऑप्शन तो रहेंगे ही ....न होम्योपैथी कही जा रही है और ना एलोपैथी।

वो बोला पर भरोषा कैसे करें ? भरोषा .....कोई डिग्री नहीं .....कोई review नहीं

मैंने कहा ....एक बेहतरीन डॉक्टर भी ...कभी न कभी ...अपना पहला operation करता है ...तब भी वो नया होता है ...और बेहतरीन होता है  ...
उस वक्त उसकी ..नियत, उसकी मेहनत ...उसकी इमानदारी ....उसका समर्पण ही उसके साथ होता है ....और वहीँ से वो बेहतरीन होने की शुरुवात करता है ....
तो बस उसकी नियत चेक कर लेना ....और अपनी मेहनत के साथ ...उसको भी बताते रहना ...असर के बारे में ....ताकि वो दवा ...बदल सके ....मर्ज के साथ ......और मेहनत ....
वो तो तुमको ही करनी पड़ेगी .....उसका कोई इलाज़ नहीं मेरे पास ....नागेन्द्र शुक्ल

जी हाँ मेरा उद्देश्य यह बताना ही है ..की AAP को support करो ...अगर आपको अभी भी लगता है की .....बीजेपी कांग्रेस से थोड़ी बेहतर है ....और AAP नई और inexperience .....
और एक बात AAP आपकी पार्टी है ....जहां आप ही मालिक हो ....आप ही नेता हो ....जो भी करना है वो आपको ही करना है ....मुझे नहीं....किसी और को भी नहीं ....आप का काम करने का तरीका ही ऐसा है ....कैसे जुड़ के देखो ....ना समझ आये छोड़ देना ...क्या चला जायेगा ...एक बार सोंच के देखो ....नागेन्द्र शुक्ल

Wednesday, December 26, 2012

मेरे बाद, तुम खुद ...करना प्रयास ....

जुर्म का हम अम्बार लगाये बैठे हैँ
कागज़ पर कानून बनाये बैठे हैँ

बड़े बड़े जो मुजरिम हैँ इस मुल्क़ के वो
संसद मेँ दरबार लगाये बैठे हैँ

हमने तो बस अपना हक़ माँगा साहब
आप हैँ के हथियार उठाये बैठे हैँ

कौन बचाये लाज यहाँ माँ-बहनोँ की
गुन्डे जब सरकार बनाये बैठे हैँ

ख़ुद पर बीतेगी क्या तब चिल्लायेँगे
अब भी मुँह पर टेप लगाये बैठे हैँ

क़ुर्बानी का मौसम है ये जान के भी
लानत है हम जान बचाये बैठे हैँ

प्यार भरा देँगे समाज हम तोहफ़े मेँ
बच्चे ये उम्मीद लगाये बैठे हैँ
Israil khan

किस से करें..कोई आस
जलमग्न है ....हम तुम
....फिर भी बुझती नहीं प्यास ...
है नाव boat स्टीमर ...सब उपलब्ध ....
पर कौन सुनेगा ....निरीह तेरे शब्द ...

क्या झूंठी है कल की ....आस
हो रहा ...प्रलय का ...आभास
क्या कर कैसे - आस .....बचाऊँ,...
कैसे
तुम्हें सान्ध्य-तारा दिखलाऊँ!
कोई नहीं आस - पास ...
मेरे बाद, तुम खुद ...करना प्रयास ....नागेन्द्र शुक्ल

योगेन्द्र और पॉलीन तुमको सलाम .....

भानुमति ने कुनबा जोड़ा .....ईट कहीं की ......कहीं का रोड़ा,....जी हाँ यह दिल्ली पुलिस के लिए ही है ....पर मैं यह सोंच रहा हूँ की .....वाकई ये लोग, राजनीती में किस हद तक गिर चुके है ....कितनी चालाकी और धूर्तता से करते है ....
देखने की बात यह है ......इसी पुलिस का प्रयोग करके ....एक और आन्दोलन का दमन करवाया .... फिर मामले को पुलिस और पब्लिक के बीच ....का मामला बना ...चले गए ..सब के सब ....अज्ञातवास में ....चलो इनको छोड़ो ...
मुददे की बात यह है ....की अगर ....योगेन्द्र भाई 
....बेझिझक ....बिना किसी डर के खुद सामने, नहीं आते ...तो इन बेचारे 8 निर्दोष लोगों क क्या होता .....

बात सच ही है .....की असली परेशानी ....गंदे लोगों से नहीं होती .....बल्कि अच्छे और सच्चे लोग ....के निष्क्रिय होने से होती है .......
आज योगेन्द्र भाई
और बहन पॉलीन.....की वजह से ....इन 8 लोगों के घरवालों को ......शमिन्दा नहीं होना पड़ेगा .....उनके, अपने लोगों के बीच में .....
आज शहीद उधम सिंह जी के जन्म दिन पर .......उनके साथ - साथ ...योगेन्द्र और
पॉलीन तुमको भी सलाम .....
और एक बात ....हमारे जागने ...सच बोलने ....भ्रस्टाचार से लड़ने ..गलत को गलत और सही को सही कहने .....से ही होगा परिवर्तन ....और बस वही है, जो चाहिए इस देश को .....नागेन्द्र शुक्ल

एक बात और ....पेश है एक और चास्म दीद ....जिसने देखा ही ..कुछ AAP के लोग टोपी उल्टी लगा कर मार रहे थे ......अंत में ....इस तरह की हिम्मत से ही .....सच मरता है ....नागेन्द्र शुक्ल





रायता फ़ैल चुका है,.....भांडा फुट चूका है ....

रायता फ़ैल चुका है,.....भांडा फुट चूका है .....खोदा पहाड़ और निकला चूहा तो कई बार देखा सुना ....पर पहली बार देख रहा हूँ ...
खोदा पहाड़ ...और निकला ज्वालामुखी .....अब कौन सम्हालेगा इस लावे को ....कहाँ से आएगा कोई विषधर ....
हमारे कुछ ज्ञानी साथी ...बार - बार पूँछते रहते थे ...की आप आरोप लगाते हो .....मुकदमा क्योँ नहीं करते ...कोर्ट क्योँ नहीं जाते ....
तो भाइयों ...देख लो ...रायता फ़ैल चुका ....सब कुछ आपके सामने है ....
इस देश की जनता पिछली 16/17 तारिख को किस लिए निकली थी ......हम कहाँ से चले थे ...कई मोड़ से गुजरे ....और अंत में ...अब किस मोड़ पर खड़े है .....
यह  अंदेशा तो था की .....इसका climax कुछ ऐसा ही होने वाला है ...पर इस तरह से फूटेगा भांडा .....ताज्जुब है .....
कौन सच्चा ...कौन झूठा ...इसका फैसला ...कैसे होगा ...कौन करेगा ..या यूं ...कहें की अब किसके फैसले पर .....जनता विस्वास करगी ....या कर सकती है ....ये तो आप ही जानो
क्यूंकि ....मेरा मन नहीं ...अब कोई तर्क सुनाने का .....कोई बहस करने का  बिलकुल नहीं है .....कोई कुछ भी बोले ....अब हम नहीं सुनने वाले ....
हाँ कुछ लोग, जो अभी गायब हैं ...और बैठे ..इंतजार में ...कर रहे है wait & watch.....फिर हमेशा की तरह की ऊंट किस करवट लेटेगा .....देख कर ...बाटेंगे अपना ज्ञान .....सेकेंगे अपनी राजनीतिक रोटियाँ .....रोयेंगे संसद में ...करेंगे मांग इस्तीफे की ....वगैरह वगैरह ....उन्हें यह बता दूं ....अब हम जाग रहें है ....और समझ रहे है .....की कोई क्योँ,.. कभी अच्छा दिखता है ...और कभी बुरा .....सब समय का चक्र है .....ठीक इनमें से कोई नहीं ....जी हाँ मैं सारी राजनीतिक पार्टियों ....और उनके ज्ञानियों ..की बात कर रहा हूँ ....नागेन्द्र शुक्ल 


Tuesday, December 25, 2012

बस कहानियों ..के जरिये ही ..बन रहे है कानून ..चल रहा है ..हमारा लोकतंत्र .

वैसे एक बात तो पता चल गई की हमारे देश के best story writer .....हमारे देश की पुलिस है .....और best screen play नेता तैयार कर सकतें है .....जब पुलिस को ..शासन का साथ मिले तो कहानी ...थोड़ी और मसालेदार हो जाती है ..... Thrilling हो जाती है
बस गड़बड़ ....इनके निर्देशन में हैं .....अब क्या करें ...वो इनकी मजबूरी है ....character ज्यादा होते है ...सबको dialog बताये नहीं जा सकते ....अब डेंगू के मछछर ....और सड़क पर चलते mango man  ...को कोई कैसे बताये ..... दिक्कत एक और ....कई कैमरे ...ऐसे होते है ...जो इनके camera man के control में नहीं है ....कुछ भी शूट कर लेतें है .....
....पर फिर भी कोई बात नहीं .....इन सारी कमियौं ...को छुपाने के लिए ...है ना,... सरकारी दबाव तंत्र ......और भी अगर कोई ...न माने की यही फिल्म ....super hit  है .....उसके लिए ....भी है .....CBI/पुलिस  .....मानोगे कैसे नहीं .....
नहीं मानोगे तो क्या ?.........फिर नई कहानी ...लिख दी जाएगी ....
ये शासन ...प्रशासन ..... कुछ कहानियां ...ऐसी भी लिखते है .....जिनमे ...ना कैमरे की जरुरत होती है ..और ना ही किरदारों की .....NO visual ...सिर्फ स्टोरी ....वो भी इनकी आँखों देखी .....
बस कहानियों ..के जरिये ही ....बन रहे है कानून .....चल रहा है ....हमारा लोकतंत्र ......नागेन्द्र शुक्ल
और एक बात शायद मैंने ही मिस किया होगा .....सचिन को retirement के बाद एक बार भी नहीं देखा TV पर ....मेरी गलती होगी ...पर सचिन ...आप अगर one day matches में भी ...50 century पूरी कर लेते तो मुझे अच्छा लगता .....49....कुछ missing सा लगता है ..नागेन्द्र शुक्ल


कोई नही है ...जो सुनता अब 'अटल' ललकार .....

आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को जन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएं
तुम अटल रहे मानवता पर ....
तुम अटल रहे अपने पथ पर ...
तुमने इनको ...राज धर्म सिखाया ....
पर इनको कुछ भी समझ न आया ....
सांझ ढली जो 'अटल' आपकी ...
भूल गए सब ...सीख आपकी ...
भूल गए ये ....'अटल' ललकार,....

देश धर्म रहा न प्यार ....
देखो ..कैसे मिल कर करते .....
ये उनके ...वो इनके ...काम चार ....

वर्षो ..मे था जो फूल खिलाया .....
उसको इन्होने ..हथियार बनाया ....
लालच में ..आकर अब ये  ...
कीचड़ में .....कमल नहीं ......
कमल ....में कीचड़ रहे डाल .......

ठीक हुआ जो सांझ ..ढली आपकी ...
पक्ष - विपक्ष को दिया है मार .....
कोई नही है ...जो सुनता अब 'अटल' ललकार .....
...नागेन्द्र शुक्ल



Monday, December 24, 2012

Merry Christmas

मैं सांता क्लॉज़ ...आज हूँ ...आया ...
महंगाई है बहुत ..इसलिए gift नहीं लाया ...
बस मिलने चला आया ....
बताओ क्या हाल है ...
मैं क्या सन्देश ले कर जाऊं ....
कैसे इनको आस बंधा
ऊं .....
जाने कैसा तंत्र यहाँ पर ...
जाति -धर्म है मन्त्र यहाँ पर ....
मैंने तो इंसान बनाया ...
तुमने मुझे मंदिर, मस्जिद और चर्च में सजाया,..
जीने का साधन नहीं ....
लड़ने का हथियार बनाया ....

सिस्टम हमारा Leak है ...
PM हमारा weak है ...
पक्ष - विपक्ष है मिले हुए ...
दिखते है हम लुटे हुए ...
जीवन हमारा भीख है ....
देश हमारा sick है ...
बाकी सब ठीक है

कल को अगर माओवादी ...प्रदर्शन करेंगें ..तो क्या हम उनसे भी बात करेंगे....सुशील कुमार शिदे

हमारे गृह मंत्री का अजीबो गरीब बयान ....."कल को अगर माओवादी ...प्रदर्शन करेंगें ..तो क्या हम उनसे भी बात करेंगे ".....गृह मंत्री का प्रदर्शकारियों से मिलने से इनकार ...
श्रीमान सुशील कुमार शिदे जी .....मेरी समझ से इससे बड़ा भड़काऊ बयान ...पिछले एक सप्ताह में नहीं सुना ....आज जब हमारे देश की जनता को ...युवा को ..एक विस्वास चाहिए ....उन सभी लोगों से ...जिन्हें इन्होने ही ताकत दी है ....और आपका ऐसा जवाब ....शर्मनाक है ....घटिया है ....
हमें जरुरत है ...एक ठोस कदम की ....आपके ज्ञान की नहीं ....

हम देख चुके है ....संसद में अपका रोना धोना .....देख चुके है आपकी की सिसकियाँ ....और सुन चुके है ...की आप भी बेटियों के पिता है .....
अब इस तरह के बयान के बाद .....मैं ..मजबूर हूँ ..यह कहने के लिए ...की तुम सब ...ढोंगी हो ....धूर्त हो ....हम नउम्मीद है ..तुम सब से .....

जनता के द्वारा ...जनता के आन्दोलन ...शांतिप्रिय / अहिन्षक आन्दोलन ...को षडयंत्र करके ......हिंसक बनाना ....हिंसक करार देना .....दिखता है ....तुम्हारे संवेदनशीलता को .....वो बर्बर और अचानक ...पुलिस के द्वारा की गई ...पिटाई ....दुःख देती है ....
मान नहीं लग रहा किसी और काम मे ....महसूस कर रहा हूँ ...बेबस और घिरा हुआ ......
लोकपाल में जनता को धोखा .... फिर बाबा रामदेव के दिल्ली के अनशन में पिटाई और रात में सोते हुए लोगों पर ..फिर ....एक बार दिल्ली में लोकपाल को लेकर हुए आन्दोलन में आपकी ..संवेदनहीनता ......
और मजबूर करना आम आदमी को ....सीधे राजनीती में आने के लिए .....

आपके के मंत्री ...ये भ्रष्ट नेता ....खुद ही Set करते है rules of the game हाँ कुछ ऐसा ही बोल था आपके गैर कानून मंत्री सलमान खुर्सीद ने ....
ये सब शर्मनाक है ......कब था हमारे पास time ...अपने परिवार को पालने के लिए ही समय कम पड़ रहा है,....दो रोटी के इंतजाम मे ही गुजर जातें है 24 घंटे  ...और ऊपर से ...एक और जिम्मेवारी ....एक और लडाई .....

तुम बहुत चालाक हो ...आन्दोलन को मानोगे नहीं ...तुम्हें पता है ...की तुमने महंगाई और system को इस जगह पहुंचा दिया है की .....आम आदमी के पास टाइम ही नहीं बचा .....
यूवा ...को पढ़ना है ....समाज के लिए लड़ना है ....और भी बहुत कुछ ...और ...तुम मजबूर कर रहे हो ......हमें ....की हम सामने आये ....और लड़ें ....उस खेल में ....जिसके सारे rule तुम बनाते हो ....खेलते भी तुम हो .....और रेफरी भी तुम ही हो .....

पर अब बर्दास्त के बहार है .....अब में नहीं सोंच सकता कोई और रास्ता ......कूदना ही पड़ेगा ....और तुमसे लड़ना ही पड़ेगा .....हाँ एक चेतावनी जरुर देना चाहूँगा ...की तुम हमें ...सिर्फ परेशान कर सकते हो ....हरा नहीं सकते ....
बस हमको यह सोंचना है ....की हम खेलना चाहते है ....की नहीं .....

समझ नहीं आता रास्ता क्या है इसके सिवाय ....पता नहीं ....वो जो पक्षधर हैं ...अनसन के अभी भी ...जिनको लगता है ...की राजनीती कोई सही रास्ता नहीं है ...कहाँ है ....में बात करना चाहता हूँ ....पूँछना चाहता हूँ ...की बताओ ये होगा कैसे .....
क्या करें हम ....नागेन्द्र शुक्ल






Sunday, December 23, 2012

आज क्या बताऊँ ...पता नहीं ...कौन सी धारा ..लग जाये ..

आज क्या बताऊँ ...पता नहीं ...कौन सी धारा ..लग जाये ...कहीं भावनाएं भड़काने का दोषी न बना दिया जाए ....इसलिए जो सच हमने देखा पूरा बताना भी ....थोडा मुश्किल है ....अब हम तो भीड़ के ...सिर्फ एक कोने में थे ....इसीलिए पूरा नहीं पता ...पर जो देखा वो यह की ....पता ही नहीं चला की क्योँ ..शुरू हो गई  ....मार पीट ..लाठी चार्ज .....जब पता चला तो ..बगल में एक बहन ...अपने दो छोटे बच्चों के साथ ...बैरिकेट ...को किसी तरह पार कर इस ओर बाहर आने के प्रयास में ...और थोड़ी दूर खड़ा लड़का ....शायद टूटी हुई ...ऊँगली और हाथ से बहते खून के साथ ...बस चिल्ला रहा है ....किसी तरह बहन ने बैरिकेट पार किया ...और टूट गई हिम्मत ...भागे,...एक पूरी भीड़ के साथ  ....जिधर रास्ता दिखा ...दो तीन चौराहे के बाद ...एक PCR खड़ी देख .....ठिठक गए कदम ..की इधर से भी डंडा चलेगा क्या ....पर थोडा ध्यान से देखा ..तो सिर्फ एक PCR 5 पुलिस वाले .....पीछे सैकड़ों की भीड़ ...सामने देखा ....तो पुलिस वाले ..खुद डर से काँप रहे थे ...कही भीड़ ...इन पर गुस्सा न निकाले ....पर ये भीड़ तो ...भारतीय नवजवानों की थी ....(जो चाह रहा है ......वो equipments जिनसे वो बदल सके भारत की तस्वीर ....पर कोई है ...जो नहीं पूरे देता ...इनके सपने ....तोड़ रहा है इनको .....शायद अपने फायदे के लिए ....).....इन कांपते हुए पुलिस वालों को छोड़ कर .....बस भागे ....किसी तरह निकल पो बस ....अब पूरा सच ...कौन बतायेगा ...कैसे बताएगा ..बताया जायगा भी नहीं .....कुछ पता नहीं .....पर हमने जो देखा ..कुछ ऐसा था .....और जो समझा वो यह ...की हमारे देश में .....हम कुछ नहीं चाह सकते ....कुछ नहीं मांग सकते ....आंदोलनों को ...जब कोई छल - प्रपंच से कुचले .....तो मेरी समझ से ...मर चूका ...लोकतंत्र ..बस चल रहा है संघर्ष ...हमारे - आपके और ..सिफ और सिर्फ ....ताकतवर लोगों से ....(एक दोस्त से सुने - आज के, उसके experience पर आधारित )..नागेन्द्र शुक्ल

Thursday, December 20, 2012

गुजरात और हिमाचल में जनता ने चुन लिया ....जिसे बेहतर समझा ..

गुजरात और हिमाचल में जनता ने चुन लिया ....जिसे बेहतर समझा ..जनता करती भी क्या है ...सिर्फ वोट देने के आलावा .....जनता के लिए ..तो वोट देना ही लोकतंत्र है .....और एक साधारण सोच है ...की आपने जिसको वोट दिया और वो जीता तो हमें लगता है की हम जीते ....हम खुश होते है ....होना लाजमी भी है ।।
पर लोकतंत्र में ...जीत नेता की और नेता के साथ जनता की होनी चहिये ....ऐसा नहीं होना चाहिए ....की जीत के बाद ..नेता अपनी मन मर्जी का ....और जनता अपने हाल में .....कई बार तो कुछ नेताओं को यह भी कहते सुना  ..की इस शहर से ..इस क्षेत्र से, इस जाति, धर्म से ....मेरी पार्टी को वोट नहीं मिला ...तो इसका विकास ..इस क्षेत्र के लोग उसी से करवाएं ...जिन्हें वोट दिया .....
और बस ..इस तरह के ...वक्तव्य के तुरंत बाद ....महसूस होता है ....की चुनाव में तो सिर्फ नेता ही जीता था ...जनता तो हारी थी ।।
अच्छी बात यह है की पिछले 2 वर्षों के प्रयास के बाद ....अब जनता में एक विस्वास जगा है ....एक हिम्मत आयी है गलत को गलत ...और सही को सही कहने की .....हिम्मत आई है ...ताकतवर नेता से ...अपने सवाल प़ूछने की ....जवाब मांगने की ....जीते कोई भी ....कोई फर्क नहीं पड़ता ....
अगर ..जनता जाग रही है ....गुंडों और भ्रष्टाचार से लड़ रही है .....और नेता उसमे सहयोग करे ....और इस जीत को ....सत्ता की जीत के बजाय ...जनता की जीत बना दे ....तो लोकतंत्र की जीत होगी .....नेता की जीत होगी ....जनता की जीत होगी ...
इस आशा और उम्मीद के साथ ...की जनता ...नेता की जीत को ....नेता की, जीत के बजाय ...जनता की जीत ...बनाने के लिए प्रयासरत रहेगी ...और नेता, सत्ता ..इसमें जनता का सहयोग करेगा ।। और एक सच्चा स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित होगा ।।
दोनों जगह की जनता और चुने हुए नेता .....को शुभ कामनाएं .....और
वो पक्ष जो हार गया  ....जिनको विपक्ष कहतें है ..उनसे आशा की ....वो सत्ता के समक्ष जब जनता की बात में, खड़ी होगी ....और सत्ता का भी, जनता की भलाई में सहयोग करेगी ।। विरोध सच्चा होगा ....जनता के लिए होगा ....अपने हिस्से या चार काम के लिए नहीं ...

अब नए लोकतंत्र का आगाज हो चुका है ...जिसमे जनता की भागीदारी सुनिश्चित है .....और अपने इस हक़ के लिए जनता को सजग रहना पड़ेगा .....तो सत्ता में कोई भी हो ....विपक्ष में जनता नही होगी ...और यही AAP का प्रयास है ....और आम आदमी का विस्वास है

कल पूरा देश, दिल्ली की घटना के लिए ..आक्रोशित था  ....सड़क पर था  ..और यह बात किसी की भी हार और जीत से बड़ी है,....हमें और मीडिया को ....इस मुद्दे को बिना उसकी परिणति तक पहुंचाए हुए ठन्डे बसते में नही डालना चाहिए,....क्योँकी इस तरह की घटना ...एक प्रशन चिनह है ....हमारे विकास की बात पर ...समाज वाद की बात पर ।। आशा है की जीत के जश्न और हार गम में ...ये कही खोएगा नहीं ....नागेन्द्र शुक्ल

Wednesday, December 19, 2012

शहर में कोई भाई ...कोई बाप नहीं रहता

अभी पता चला, मेरा एक दोस्त अमरीका में बेटी का बाप बना
सोचा दूं मुबारक वाद, पर ना जाने क्योँ खुद को लिया थाम
समझ नहीं आता किस मुंह से ..करूँ इस परी का स्वागत
कैसे कराऊँ वस्तु स्थिति से अवगत
बेटी तुम जो आई हो, बेशक ....जीवन में खुशियाँ लाई हो
आज ये चिंता खाए जाती ....कैसे दूँगा, वाजिब आज़ादी
दोस्त मेरे, अमरीका में ही रहना .....
यहाँ ना जिन्दा बची, है खाखी ........गन्दी हो चुकी है खादी (नेता)
...कैसे दूँगा, वाजिब आज़ादी .....
घर के अन्दर तो ठीक चलो ......
बेटी जब पंख फैलाती है..... तो माँ-बाप के फ़िक्र का पार नहीं रहता ।
ऐसा लगता है शहर में कोई भाई ...कोई बाप नहीं रहता ।।......नागेन्द्र शुक्ल

Tuesday, December 18, 2012

ये है व्यवस्था ..की गाँव के लोग चाहते है कुछ ...और होता है कुछ .....इसको बदलना ही ...AAP का उद्देश्य है

दोस्तों, वास्तव में हमारे लिए सिर्फ वो चीज़ ही अच्छी होती है जो हमारे लिए जरुरी है ...जो हमें चाहिए ....और हमें क्या चाहिए यह कोई दूसरा दे ही नहीं सकता जब तक की वो हमसे पूछे ना ...की तुम्हें चाहिए क्या ....हाँ मैं जो भी सूच रहा हूँ ...हमेशा वो ही सबसे अच्छा हो यह जरुरी नहीं ...उससे भी अच्छी व्यवस्था हो सकती है ....पर वो हो सिर्फ तब सकती है ...जब देने वाले को ये पता हो की ..तुम ढूंढ क्या रहे हो ...जरुरत किस बात की है ....
अभी मैं गाँव गया था ...देखा नरेगा के अंतर्गत ...एक नया तालाब बना है गाँव में ...जो की गाँव से तकरीबन 2 KM की दूरी पर है ....और तालाब भी ऐसा की देखने में खुबसूरत ....लगा चलो कुछ तो अच्छा हो रहा है .....सोंचते सोंचते ...तालाब के पास चला गया ....और देखा की पानी है ही नहीं ....
काफी दिमाग लगाने के बाद भी मैं यह नहीं समझ पाया की ...इसमें पानी आयगा कहाँ से ...तो चल दिया ....ग्राम प्रधान से पूँछने ....
पता चला की प्रधान जी तो ठीक ...वैसे ही काम कर रहें है ...जैसे हमारे देश के PM ...कुछ पता ही नहीं ....बोले भैया जी से पूँछ लेना ....अब ये भैया कौन ...अरे वो ही जिनके नाम पर ...ये रबर stamp प्रधान जी काम कर रहें है ....अब भैया जी तो बड़े नेता ..कहाँ रहते है गाँव में ...कब समय है मिलने का ....तो बस चला आया अपने घर ....
और सोंचता रहा की ..भाई गाँव में ...गाँव के किनारे 4/5 और तालाब हैं ...चलो उनकी हालत देख लें ..शायद बेहतर हो  ...अब चूँकि ..ये पुस्तैनी तालाब है ...तो प्राकृतिक रूप से पानी आने के रस्ते भी ...पर अब क्यूंकि गाँव में सभी घर पक्के हैं ..बस कुछ मेरे जैसे छोड़ कर ...तो इन तालाबों में पानी तो था पर कम क्यूंकि मिटटी अब निकाली नहीं जाती तो ...गहराई कम हो गई है .....
तब मैंने सोंचा की भाई, नरेगा से नया तलब 2 KM दूर बनाने से तो अच्छा था इनकी मर्रम्त करा देते ....इनमे पानी आता ...और ये गाँव के पास भी है .....जब ऐसा अपने दोस्त से पूँछा ...तो पता चला, की पास वाले तालाब को सुखा ....कर कब्ज़ा करने की फिराक में है ....कुछ भैया जी ....इसलिए इनसे तो चाह कर भी मिटटी नहीं निकाल सकते ...इसी के चलते तो वो बना है ...नया तालाब,.... जैसा कुछ .....
तो दोस्तों, ये है व्यवस्था ..की गाँव के लोग चाहते है कुछ  ...और होता है कुछ .....इसको बदलना ही ...AAP का उद्देश्य है .....और आपके के सहयोग के बिना ..यह संभव नहीं ....आप अपना पूरा प्रयास करें प्लीज ....नागेन्द्र शुक्ल


Monday, December 17, 2012

take an informed decision....think twice before you decide



Friends, I am not asking to Support and work with AAP....Its your right...Its your decision ...but what AAP requests to you is....take an informed decision....think twice before you decide ....Nagendra Shukla 

आरक्षण दो, परन्तु आर्थिक आधार पर, शहर / गाँव /पिछड़े गाँव ...वातावरण के आधार पर,.....

आपने वो एक कहानी तो सुनी ही होगी "बन्दर बाँट" जिसमे दो बिल्लियाँ लड़ रही होती हैं एक रोटी के लिए और एक बन्दर उनका फैसला करने का भ्रम दे कर ....पूरी रोटी खा जाता है ...और अंत में बिल्लियों को कुछ नहीं मिलता ...याद है ना ...
मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ की ....मेरे होश सम्हालने से पहले ....समाज के कुछ वर्ग के साथ ...बहुत बुरा होता था ....उन्हें ...मौके नहीं देना ...असमानता का व्यवहार करना ..बिलकुल गलत था ...
और आज मैं यह महसूस भी करता हूँ ...की वो सामाजिक बेडी काफी हद तक कट चुकी है ....और जहाँ अभी नहीं कटी है ...वहां कट जानी चाहिए ....

मैं सच बोलता हूँ की मैंने आज तक किसी गरीब दलित को ...अपनी आँख से ...आरक्षण के सहारे आगे जाते नहीं देखा ...परन्तु ...मध्यम वर्गीय ..या कम गरीब को ...कई बार अपने से काबिल से आगे के पायदान मैं खड़े पाया .....
मैं हमेशा ये सोंच लेता था की अगर ....थोड़ी और मेहनत कर लें तो .....और बेहतर हो जायेगा ....
पर अब जब पता चल रहा है की ...मेहनत का और ......promotion का सम्बन्ध कम ही होगा ...तो शायद मेरे जैसे काफी लोग दुखी होंगे ...

आरक्षण दो, परन्तु आर्थिक आधार पर, शहर / गाँव /पिछड़े गाँव ...वातावरण के आधार पर,..... ना की ...जाती या धर्म के आधार पर .....
हाँ जो लोग पिछड़े हैं ....जिनके पास सुविधाओं की, व्यवस्थाओं की कमी है ....उन्हें बराबरी की प्रतिस्पधा के लिए जरुरी ...औजार दो, थोड़ी edge भी दो ....न की एक बैशाखी ....ऐसा करना उनमें से काबिल लोगों के स्वाभिमान को भी मंजूर नहीं होगा ।।

यही तो परेशानी है ...हमारी राजनीती की ...सरकार की .....की इलाज़ बीमारी का नहीं .....उसके लक्षण का करतें है ....जिससे बीमारी कभी ठीक नहीं हो सकती ...
यह राजनीतिक इच्छा शक्ति की ...और ....तंत्र की कमी है की आज 65 साल के बाद भी ...हम सभी को ...इतनी भी सुविधाएँ नहीं दे पाए की ...वो अपनी मर्जी से पढ़ सके ..और आगे बढ़ सके .....शर्म आती ये देख कर ...की इस व्यवस्था ..ने हमारे सारे ...सरकारी संस्थानों ..ही ऐसी हालत कर दी है ...की काबिलियत निखरने के बजाय मर ही जाये .....और धड़ल्ले से चल रहें है इनके private लूटू संस्थान ...जिसमे सिर्फ पैसे वाला जा सकता है ...कोई गरीब नहीं चाहे किसी भी जाती का हो ...या धर्म का ....
अपनी कमी को छुपाने और ...वोट bank बनाने के चक्कर में लगें हैं दिमाग लगाने, की pramotion में resevation दे की न दें ....ये सब सिर्फ नाटक है ....दोनों ही सूरत में आम आदमी को सिर्फ बेवकूफ बना रहें है ....

और वैसे भी ...एक वर्ग को आगे लाने ...के लिए दूसरे को पीछे धकेलना ....तो कैसे होगी ...सामाजिक समानता ...जो हम सभी चाहतें है .....और आरक्षण के माध्यम से यही करना चाहतें है ....
ये तो एक बन्दर बाँट होगा ....जिसमे बिल्ली हमेशा भूखी रहेगी ...और बन्दर रोटी खायेगा ।।
...अपने उन भाइयों (जो अभी मुझे मनुवादी कहने वाले है) से एक निवेदन ..एक बार सोंच कर देखो आज से 3/4 पीढ़ी के बाद जब ...general category की हालत अच्छी नहीं रहेगी ...तब क्या इस बात की भरपाई हो जाएगी जैसा ...आज से 2/3 पीढ़ी पहले आपके साथ में हुआ ....या अभी भी हो रहा है ....मुझे नहीं लगता ..की आप अपने पीछे ऐसा इतिहास छोड़ना चाहेंगे ...जो आपको खुद पसंद नहीं है ...

एक बात है जो बहुत दिन से बताना चाहता था ...और वो यह की गाँव में ...मेरे साथ में एक लड़का था सोनू मिश्र ......मैं सच बोलता हूँ की कक्षा 12 तक वो मेरे साथ था मैंने ....कभी मैथ'स और साइंस में उससे अपनी तुलना करने की भी हिम्मत नहीं जुटाई ....और मेरा परिवार गरीब नहीं था की मैं पढ़ाई न कर सकूँ ..और ईश्वर की दया से जो और जीतनी भी काबिलियत थी ...कर पाया ...आज मैं किसी आरक्षण या धन की कमी को ...दोष नहीं दे सकता ....इसके लिए सिर्फ अपने पापा को क्रेडिट देता हूँ ....किसी सरकार को नहीं ...किसी व्यवस्था को नहीं ....

और सच बात तो यह है ...की जब भी मैं सोनू से मिलता हूँ आँख चुराता हूँ ...मुझे पता है की वो कहीं ज्यादा बेहतर था ...और आज पता नहीं आरक्षण का दोष कितना ...पर एक बात तो पक्की है ...
की गाँव में बीएससी (science ) न होने ....और जेब में कम पैसे और बड़े परिवार ...और यह भी बोलूँगा की पढ़ाई के प्रति जागरूकता ने .....क्यूंकि परिवार ने सिर्फ एक को ज्यादा पढ़ाने से बेहतर समझा सबको जितना पढ़ा सको ...पढाया जाय सोनू के घर में उसकी 5 बहने भी 12वीं पास है ...

दुःख होता है ...होली में गाँव अगर गया ...तो रंग फीके लगते हैं ....एक काबिलियत को मरा हुआ देख कर ....और ऐसा सिर्फ जनरल category के साथ नहीं ...सभी गरीबों के साथ हुआ है ....बिना जाती और धर्म के भेद भाव के ....
और यह भी साफ़ कर दूं की यह सिर्फ मेरी सोंच ही है ....और उम्मीद करता हूँ की AAP की भी कुछ मिलती जुलती होगी .....नागेन्द्र शुक्ल

ना जाने कैसे दान,.... बंटा ..... दानी हुआ ....अमीर बड़ा .....

ये लो ...कैश for food
ये लो ...Mobile, Tablet
ये लो ...सयकिल, induction cooker
ये लो ...बेरोजगारी भत्ता
ये लो ...आरक्षण ...चलो प्रमोशन और धर्म में भी लो
ये लो ...फ्लैट, TV
ये लो ....वो भी लो ....चुनावी वादे .....
ये भी माफ़ ...वो भी माफ़ .....
बढ़ी महंगाई बेहिसाब .....हो गया जनता का पैसा साफ़
पिछले 65 सालों में....
ना जाने कैसे दान,.... बंटा .....
दानी हुआ ....अमीर बड़ा .....
लेने वाले का ......दाम घटा ....
सच ही .....था जो फ़कीर से सुना ....
तू एक रुपया देगा .....
वो हज़ार ...तुझे देगा ....
फ़कीर की बात है सही ..पर दानी के लिये ....
ये लोग जो बाँटे .....वादे चुनावी ....उनका हर काम है सिर्फ उनके लिये ....
ना हमारे लिये ....ना तुम्हारे लिये ।।
.AAP, आपको कुछ नहीं दे सकता और देगा भी नहीं ....
सिवाय भ्रस्ताचार मुक्त, व्यवस्था के ....स्वराज के ...और सच्चे लोकतंत्र के ।।
सिवाय एक आत्म संतुष्टि के ....सिवाय इस गर्व के ...की हाँ मैं कुछ कर रहा हूँ इस देश के लिए ...देशवासियों के लिए
....नागेन्द्र शुक्ल

Sunday, December 16, 2012

आपका "मिशन बुनियाद" देश के 10 राज्यौं के 300 जिलों में ....

दोस्तों, ख़त्म हुआ आपका इंतज़ार ....की कब और कैसे काम शुरू करे ...कैसे सदस्य बने AAP के ...क्योकी प्रारंभ हो चूका है आपका "मिशन बुनियाद" देश के 10 राज्यौं के 300 जिलों में ....
पर दोस्तों, में एक बात याद दिलाना चाहता हूँ की अरविन्द जी हमेशा कहते है की "We need quality, Not quantity" ....For AAP Politics is Social work, not power game.....तो दोस्तों आप अपने आस पास ये ध्यान रख्खें की गलत और लालची लोग दूर रहें ....ये ही हमारी जिम्मेवारि है क्यूंकि बस एक मछली ...काफी है पूरे तालाब को गन्दा करने के लिए ....तो सतर्क रहें ...और दूर रख्खे .....ऐसे लोंगों को जो प्रदूषित कर सकतें हैं आप (AAP ) को ....आपने सुना ही होगा ....A Chain is as strong as its weakest link .....So be conscious, be active

यधि किसी को पद और प्रतिष्ठा की लालसा है तो उसके लिए AAP नहीं है ....सिर्फ इस वजह से की आप AAP के सदस्य हो .....AAP, आपको कुछ नहीं दे सकता और देगा भी नहीं ....सिवाय एक आत्म संतुष्टि के ....सिवाय इस गर्व के ...की हाँ मैं कुछ कर रहा हूँ इस देश के लिए ...देशवासियों के लिए ....वैसे तो हम आम आदमी हैं और हमें इससे अधिक चाहिए भी क्या ...और इससे ऊपर हो भी क्या सकता है ....
यह आत्मसम्मान ..आत्मसंतुष्टि ...और देश हित में काम करने की इच्छा ही ...वह चीज़ है ....जो AAP, आप से चाहता है ...और आप को दे सकता है .....
दोस्त, जब आप, AAP को join करते हो ....तो आपके ऊपर एक जिम्मेवारी .....अपने आप ही आ जाती है ....जिसका निर्वहन बड़े जतन से करना पड़ेगा .....तैयार हैं ना आप ....नागेन्द्र शुक्ल
अपने आस पास के ...संपर्क सूत्र पता करने के लिए देखें http://aamaadmiparty.org/Media%20Files/Schedule%20for%20Operation%20Buniyaad.pdf
या फिर http://aamaadmiparty.org/MissionBuniyaad.aspx
यहाँ से आपको आपके शहर ...का संपर्क सूत्र मिल जायेगा

Friday, December 14, 2012

यह मेरी ही गलती है जो इनको अभी तक नहीं पता की क्या चल रहा है देश में .....

दोस्तों, आज घर के पास की साप्ताहिक मंडी से सब्जी खरीदने गया ....तो जिस दूकान से खरीद रहा था पूंछा की भाई अरविन्द केजरीवाल जी का नाम सुना है ....AAP का नाम सुना है कभी ...उसका जवाब था नहीं .....फिर 2/3 और दुकानदार से पूंछा ...कुछ ने दिमाग में जोर डाला कुछ बताने की कोशिश भी की ....पर हर बार ....disappointment हुवा .....और फिर समझ आया यह मेरी ही गलती है जो इनको अभी तक नहीं पता की क्या चल रहा है देश में ......अब जब गलती स्वीकार कर ली ...तो सुधारना भी जरुरी है ....और सुधरने के लिए ...बोल दिया की अभी रात में मार्किट बंद होने के टाइम पर आऊँगा ...और आप सभी को थोड़ी जानकारी दूंगा ....कुछ हल्का फुल्का बताया भी ....और बोल की आप लोग जितने लोग मिल सकना, मिलना थोड़ी देर बात करेंगे .......अब कल है शनिवार मेरी तो छुट्टी है manage हो जायगा .....हाँ आपको इसलिए बता रहा हूँ की कहीं ऐसी ही गलती आप से भी तो नहीं हो रही .....दोस्त जब भी मौका मिले ....बस प्रयास जारी रहे ....नहीं नहीं facebook पर नहीं ....आपके आस पास की दुनिया में .....देखो काम तो करना पड़ेगा .....और आप तो आम आदमी हो ....काम करना भी आता है .....बस शुरू करने देर है ......नागेन्द्र शुक्ल