Thursday, November 22, 2018

जब मकान हमारे कच्चे थे,...रिश्ते सारे पक्के थे

दादी माँ बनाती थी.. रोटी !!
पहली.. गाय की ,
और आखरी.. कुत्ते की..!
हर सुबह.. नन्दी आ जाता था ,
दरवाज़े पर.. गुड़ की डली के लिए..!

कबूतर का.. चुग्गा ,
चीटियों.. का आटा..!
शनिवार, अमावस, पूर्णिमा का सीधा.. सरसों का तेल ,
गली में.. काली कुतिया के ब्याने पर.. चने गुड़ का प्रसाद..!
सब कुछ.. निकल आता था !
वो भी उस घर से..,
जिसमें.. भोग विलास के नाम पर.. एक टेबल फैन भी न था..!
आज..
सामान से.. भरे घरों में..
कुछ भी.. नहीं निकलता !
सिवाय लड़ने की.. कर्कश आवाजों के.!
....हमको आज भी याद है -
मकान चाहे.. कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे.. सच्चे थे..!!
चारपाई पर.. बैठते थे ,
दिल में प्रेम से.. रहते थे..!
सोफे और डबल बैड.. क्या आ गए ?
दूरियां हमारी.. बढा गए..!
छतों पर.. सब सोते थे !
बात बतंगड.. खूब होते थे..!
आंगन में.. वृक्ष थे ,
सांझे.. सबके सुख दुख थे..!
दरवाजा खुला रहता था ,
राही भी.. आ बैठता था...!
कौवे छत पर.. कांवते थे
मेहमान भी.. आते जाते थे...!
एक साइकिल ही.. पास था ,
फिर भी.. मेल जोल का वास था..!
रिश्ते.. सभी निभाते थे ,
रूठते थे , और मनाते थे...!
पैसा.. चाहे कम था ,
फिर भी..
माथे पे.. ना कोई गम था..!
मकान चाहे.. कच्चे थे ,
पर..रिश्ते सारे सच्चे थे..!!
अब शायद..सब कुछ पा लिया है !
पर..
लगता है कि.. बहुत कुछ गंवा दिया!!!

Saturday, November 10, 2018

भाई हाफ़िज़ हो गया है ,....

भाई हाफ़िज़ हो गया है ,....
जगह बैंगलोर ,.... नाम शाहिदा ,.... भाई का नाम जुनैद ,.. पिता रज्जाक ,....
घर के पास ,... एक दुकान में लॉन्ड्री चलाते है ,.... काम काफी रहता है,..
आज दुकान पहुँच,.. कपडे उठाने,.. तो ,...
तो कपड़ों की तह,... कुछ अलग तरह से लगी थी ,.. पूँछा
किसने करे ,.... बोली भाई ने ,... पापा गाँव गये है ,..
वो थोड़ा ,.. सहमी हुई सी,... बोली -
अगर ठीक नहीं बने तो दुबारा कर देती हूँ ,... हमने कहा ,..
कपडे ही तो है ,... क्या फर्क पड़ता है ,.. छोड़ो !!
खैर - करे किसने थे ?? वो बोली ,.. भाई ने ,...
पूँछा ,.. अच्छा वो स्कूल जाता है ,... बोली नहीं ,... वो तो हाफ़िज़ हो गया है ,....
हमने कहा ,... हाफ़िज़????,.. अरे कितनी क्लास में ,...
उसने कहा,.. वो हाफ़िज़ हो गया है ,...
(हमने मतलब निकाला - शायद सारी कक्षा पास कर के - पारंगत हो गया है ,... पता नहीं,..सही की गलत )
खैर हमने आगे पूँछा ,... तुम स्कूल जाती हो ,...
वो बोली हाँ ,... हमने कहा तुम कौन सी क्लास में ??
वो बोली नहीं उर्दू स्कूल में ,... हमने कहा उर्दू स्कूल - मतलब मदरसा ??
वो बोली - नहीं उर्दू स्कूल ,...
हमने कहा ,.. अच्छा तुम्हारी कौन सी क्लास ,...
जवाब फिर वही ,.. उर्दू स्कूल ,...
हमने कहा ,... अच्छा पहाड़े आते हैं ??,... वो थोड़े अचरज सी हंसी ,...
हमने कहा ,.. पहाड़े मतलब ,... table ,.. बोली नहीं ,.. बस थोड़ा मुस्काती रही ,...
आगे हमने पूँछा ,... अच्छा पैसे कितने देने है बोली ,... 4 कम 100 ,..
हमने मन में ,.. पहाड़े तो इसको ,... जिंदगी ने सीखा दिए है ,..
स्कूल तो बस धोखा दे रहा है ,....
सोचते हुए ,... कपडे ले ,.. घर आ गए ,... और ,...
तुरंत आप सभी को बता दिया ,..
वैसे ,.. हाफ़िज़ का मतलब जो हमने समझा ,.. सही की गलत ??
और एक बात ,.. अच्छे अच्छे ,.. इंटरनेशनल स्कूल के,... इस उम्र के बच्चे ,... ना बता पायेंगे ,...
एक कपडे के 8 रूपये ,... कुल १२ कपडे तो पैसे कित्ते ??,...
सच है ,... जिंदगी ,... सबसे बड़ी गुरु है !! और स्कूल चाहे ये हों या वो हो ,... बस धोखा ही दे रहे है !! #NagShukl