Tuesday, September 2, 2014

अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद

आज देश में अरविन्द केजरीवाल का नाम शायद
किसी पहचान का मोहताज नहीं है| अरविन्द केजरीवाल एक ऐसे इंसान का नाम है जिसने अपनी सुख सुविधा वाली नौकरी और आराम वाली ज़िन्दगी छोड़ कर देश के लिए कुछ करने की सोची| पर शायद इस देश के लोग हमारी भ्रष्ट व्यवस्था के इतने आदी हो चुके हैं की उन्हें अरविन्द का इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ना अच्छा नहीं लगा| ये एक कडवा सच है की हमारे देश के लोग जाने अनजाने कहीं न कहीं इस भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा है,कभी हम ट्रैफिक पुलिस को रिश्वत देते हैं ताकि हमे कहीं पहुचने में देरी न हो जाए, कभी हम बिजली के दलाल को पैसे देते हैं ताकि हमारा काम जल्दी हो जाए| अरविन्द केजरीवाल ने इन सबके खिलाफ आवाज़ उठाई गलत किया ? शायद देश के बहुत से लोगो के हिसाब से गलत किया , क्योंकि आज
भी हम में से ज्यादातर लोग अपनी सुविधा पहले देखते हैं
देश बाद में |अरविन्द केजरीवाल के बारे में कुछ लोगो( भारतीय जनता पार्टी केसमर्थको का ख़ास तौर से ) के विचार देख कर तकलीफ होती है, राजनैतिक विरोध एक बात है मगर अरविन्द जैसे व्यक्ति का सिर्फ इस वजह से विरोध करना और अपशब्द कहना क्योंकि उसने भ्रष्टाचार के हर आरोपी के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है कहाँ तक सही है? लोगो के अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता की अरविन्द केजरीवाल ने देश के लोगो की राजनीति में रूचि जगाई ,अरविन्द केजरीवाल ने दिखाया की ईमानदारी से साफ़ पैसे से चुनाव लड़ा जा सकता है, अरविन्द ने दिखाया की जब नीयत साफ़ हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं | दिल्ली में आम आदमी पार्टी के २७ विधायक मोहल्ला सभा करते हुए देखे जा सकते हैं , वोह लोगो से पूछते हैं की ४ करोड़ की विधायक निधि कहाँ खर्च होनी चाहिए | शायद इससे पहले लोगो को येभी नहीं पता था की दिल्ली में विधायक निधि ४ करोड़ है |अरविन्द में कमियां हो सकती है वो भी इंसान हैं ,वो खुद मानते हैं कि वो गलती कर सकते हैं लेकिन शायद वो एकलौते ऐसे राजनेता होंगे जो अपनी गलती स्वीकार करने की क्षमता रखते हैं और उनसे सीखने के लिए तैयार हैं| अरविन्द के बारे में सबसे
ज्यादा भारतीय मीडिया ने विरोधी रुख अपनाया क्योंकि उन्होंने मीडिया पर भी सवाल
उठा दिए | लोगो को भी लगा की अरविन्द मीडिया की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं , लेकिन CNN-IBN (Network 18) के एडिटर राजदीप सरदेसाई ने जबचैनल से इस्तीफ़ा दिया और एक बड़ा खुलासा किया की कैसे मुकेश अम्बानी ने चैनलको अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से सम्बंधित खबरों को न दिखने का फरमान जारी किया था तो ये बात साफ़ हो गयी की कैसे मीडिया पे नेता और बड़े उद्योगपति नियंत्रण करते हैं | फिर भी हमारा मीडिया जगत नहीं समझ पा रहा की आज मीडिया कितने निम्न स्तर पे पहुच गया है , सवाल सिर्फ अरविंद की खबरे दिखने का नहीं सवाल है मीडिया की निष्पक्षता का | आज मीडिया इतना बदनाम हो चुका है की शायद ही लोग ख़बरों को सच माने | इतनी आलोचनाओं और विषम परिस्थितियों के बावजूद अरविन्द संघर्ष कर रहे हैं , आम आदमी की आवाज़
बनके लड़ रहे हैं | शायद उनका सही आकलन देश आज न कर
सके लेकिन भविष्य में वो याद किये जायेंगे देश के लिए
इस योगदान के लिए |
-प्रशांत शर्मा
कोहराम के नियमित पाठक और स्तंभकार है--------"आप" जितिन

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