Monday, September 30, 2013

लल्लन और "ग्राम-माता" की कथा-पार्ट -2:-

लल्लन और "ग्राम-माता" की कथा-पार्ट -2:-

लल्लन का स्कूल में बड़ा रुआब था..भले ही पांचवी कक्षा में पढता था लल्लन पर ठसन ऐसी कि मानो अमरीका की सत्ता ओबामा इन्ही के हाथ सौंपकर वान-प्रस्थ आश्रम में प्रवेश लेने जा रहे हों..और भाई हो भी क्यों ना...आख़िरकार स्कूल की मौजूदा इमारत उन्ही के किसी पुरखे ने किसी बीते जमाने में गाँव को दान की थी या दिलवाने का श्रेय लिया था...तब से लेकर आजतक लल्लन के परिवार के लोग ही इस स्कूल के ट्रस्टी यानि माई-बाप बनते आये हैं...

लल्लन भले ही पांचवी कक्षा का छात्र था पर सभी लोग उसका बड़ा सम्मान करते थे...हालाँकि कक्षा के लिहाज से लल्लन की उम्र उसकी चुगली कर देती थी पर क्या करें अब जरा पढाई के मामले में लल्लन का हाथ थोडा तंग था तो क्या लल्लन की जान ही ले लें- खैर, लल्लन के रुआब का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर वो दौड़ में सबसे पीछे भी रहता तो भी पुरूस्कार ग्रहण समारोह में ट्राफी उसे ही मिलती थी..

लल्लन को कुछ बातों का बड़ा फक्र था – जैसे स्कूल का खडंजा उनके दादा जी ने लगवाया, स्कूल का पानी का नलका उनके नानाजी की देन थी, ऑफिस में टेलीफोन उनके पिता जी की कृपादृष्टि का परिणाम था, शौचालय इस रिश्तेदार के बनवाया तो पुस्तकालय फलां-फलां रिश्तेदार ने----- गाहे-बगाहे उसकी बातों में इनका जिक्र आ ही जाता..

स्कूल में कई सालों से काम कर रहे लगभग सभी मास्साब भी लल्लन के मुरीद थे और कक्षा में लल्लन के आते ही अपनी कुर्सी छोड़ कर लल्लन को उस कुर्सी पर बैठने की जिद करते.... अब जब मास्साब ही ऐसे करेंगे तो स्कूल के बाकि लड़कों की क्या बिसात...लल्लन के सीनियर छात्र हमेशा ही महत्वपूर्ण विषयों और प्रश्नों पर लल्लन की राय लेते और उससे ही “पाठ” समझने की होड़ इन लड़के-लड़किओं में लगी रहती...कोई लल्लन को पानी का गिलास देता, तो कोई उसकी कुर्सी साफ़ करता तो कोई उसका बस्ता उठाता...

उधर स्कूल के प्रधानाचार्य श्रीमान “रुलदू” भी लल्लन की तारीफ़ करते नहीं थकते थे और कई बार सार्वजानिक तौर पर वो कह भी चुके थे कि उन्हें “लल्लन” के नेतृत्व में स्कूल में रहने में कोई दिक्कत नहीं है बल्कि वो लल्लन के नीचे काम करके खुद को गौरान्वित ही महसूस करेंगे..उनकी इच्छा है कि लल्लन को अब स्कूल के “प्रधानाचार्य” के पद पर शोभायमान हो ही जाना चाहिए..उनकी इन बातों का सभी अध्यापकों और विद्यार्थिओं ताली बजा-बजा कर समर्थन करते....

लल्लन दिन भर स्कूल में गुब्बारे फूलाता, साइकल चलाता, लंगड़ी-टांग और कंचे खेलता, बच्चों को सताता और घूमता रहता..

पर इसी दौरान एक मुद्दा गाँव में गरमाने लगा कि पिछले कई सालों से स्कूल के बच्चे लगातार अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे थे और स्कूल का वार्षिक नतीजा लगातार नीचे गिरता जा रहा था...लड़के पढाई कम और लडाई-झगडा, चोरी-चकारी, छेड़खानी और तोड़-फोड़ में संलिप्त रहने लगे थे..पूरे इलाके में स्कूल की साख दिन-ब -दिन गिरती जा रही थी.. लोगों में इन बिगडैल लड़कों पर नकेल कसने की मांग धीरे-धीरे बलवती होती जा रही थी....इन बिगडैल बच्चों को अयोग्य करार कर स्कूल से निकाल देने की मांग उठी...

पर ऐसा करने से तो पूरे के पूरे स्कूल के ही खाली हो जाने का अंदेसा था- किस-किस को निकालते.....तो इससे निबटने के लिए एक दिन स्कूल के ट्रस्टी परिवार और स्कूल प्रशासन ने मिल कर जन-भावनाओं के विपरीत जाकर ये फैसला किया कि एक नया अध्यादेश “ राज्य शिक्षा बोर्ड” को भेजा जाए जिसमे कि अपील की जाए कि अनुशासनहीन विद्यार्थिओं को स्कूल से बेदखल नहीं किया जाएगा और ना ही फ़ैल होने वाले छात्र और छात्राओं को अगली कक्षा में प्रवेश देने से रोका जायेगा...इस प्रस्ताव से सारे मास्टर और छात्र-छात्राएं बहुत खुश थी....

स्कूल प्रशासन के इस कदम का चारों और विरोध होना शुरू हो गया..स्कूल के एक मास्साब मीडिया में इस कदम को न्यायोचित बताते हुए अपना पसीना पोंछ ही रहे थे कि एकदम से लल्लन वहां पहुँच गया और माइक अपने हाथ में लेकर कहा कि ये अध्यादेश एक बकवास से ज्यादा कुछ नहीं हैं और उसने वो कागज का पुर्जा टुकड़े-टुकड़े करके हवा के हवाले कर दिया....

अवाक !! सन्नाटा !! ख़ामोशी !! किमकर्त्व्यविमूढ़ता !! चारों तरफ सिर्फ सुगबुगाहट और सरसराहट....

तभी मास्साब ने उठ कर पैंतरा बदलते हुए कहा कि बिलकुल- हम भी इस अध्यादेश के बिलकुल खिलाफ हैं और इसका पुरजोर विरोध करते हैं ..तभी बाकि मास्टर भी वहां आ गए....

-दलाली में बदनाम और कान में फुसफुसाने में माहिर एक चाटुकार मास्साब ने कहा कि लल्लन जो कहे वही स्कूल का भी विचार है...लल्लन हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं और उनकी वाणी ही स्कूल की वाणी है..

-गाँव भर में अपाहिज लोगों की बैसाखियों को इधर-उधर रख कर उन्हें तंग करने वाले एक सीनियर लड़के ने कहा कि लल्लन ने नैतिकता को नया आयाम देते हुए स्कूल ट्रस्ट को अनैतिक कार्य करने से बचा लिया..स्कूल को एक भावी अपराध करने से बचा लिया...

- कोयले से दांत घिसने वाले एक और पुराने छात्र ने कहा कि लल्लन ने हजारों गाँव वालों की भावनाओं को परिलक्षित किया है..

- कुत्ते पालने के शौक़ीन और फ़ालतू के विवादित बयानों में घिरे रहने वाले “दद्दू” मास्साब ने कहा कि इस विषय पर स्कूल प्रशासन ही जवाब देगा..

-गणित के “जीरो लास” की थ्योरी देने वाले और इस अध्यादेश के मास्टर-माइंड तथा कुछ ज्यादा ही अक्लमंद मास्साब कन्नी काटते हुए चुपचाप वहां से नौ-दो ग्यारह हो गए..

हर तरह अफवाहों और चर्चाओं का बाजार गरम था....लोग इसे लल्लन का “मास्टर-स्ट्रोक” बता रहे थे तो कुछ इसे पानी की गहराई मापने का शाही परिवार का एक और पैंतरा...

इस पूरे प्रकरण में मौजूदा प्रधानाचार्य “रुलदू” हक्का-बक्का हैं और जल्द ही स्कूल ट्रस्ट से इस बारे में बात करने की बात करने का ऐलान उन्होंने कर दिया है..उनका कहना है कि उन्हें खुद के "अपमान" से इतनी दिक्कत नहीं है जितनी कि "सार्वजानिक रूप से हुए अपमान" से है...

उधर लल्लन की अम्मा ने आज मिड-डे- मिल में सभी बच्चों के लिए खीर और सिवइयां बनाने का हुक्म जारी कर दिया है..

सुना है कि आज लल्लन ने श्रीमान “रुलदू” को एक पत्र लिखा है...

डॉ राजेश गर्ग.
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=633299663359835&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater

No comments:

Post a Comment