Tuesday, October 8, 2013

सही में अरविंद ईमानदार हैं ?

सही में अरविंद ईमानदार हैं ?
अरविंद केजरीवाल सचमुच में ईमानदार है भाई साहब ? जित्ता बोलता है उत्ता है ? जब भी लोग टीवी के कारण मुझे पहचानकर मिलते हैं ये सवाल करते हैं । अब सोचने लगा हूँ कि वे इस तरह से आशंकित होकर क्यों पूछते हैं । इस भाव से क्यों पूछ रहे हैं कि कहीं झूठ सच बोलकर तो अरविंद खुद को ईमानदार नहीं बता रहे । इतना सवाल क्या ये लोग बेईमान नेताओं से करते हैं , उन दो दलों से करते हैं जिन पर न जाने भ्रष्टाचार के कितने आरोप लग चुके हैं और रोज़ लगते हैं । कई बार ऐसा लगता है कि इस देश में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार खुद को ईमानदार बताना है । ईमानदार को यू हीं पागल नहीं कहा जाता हमारे देश में । दरअसल राजनीति में लोगों को ऐसा नेता चाहिए जो देश का तो नहीं हो मगर अपने लोगों को लिए सबका हो । रही बात ईमानदार की तो वो किसी का नहीं होता भाई । क्या ये मानसिकता है इस सवाल के पीछे ?

एक आईएएस अफ़सर का फ़ोन आया । अरविंद के साथ मेरा हमलोग चल रहा था । उन्हें ग़ुस्सा इस बात को लेकर था कि इस आदमी को चोर बेईमान बताने में मैंने विशेष परिश्रम क्यों नहीं किया । पहला सवाल क्या ये गारंटी लो सकते हैं कि इनके सारे उम्मीदवार ईमानदार रहेंगे । मैंने कहा क्या ये सवाल आप कांग्रेस बीजेपी से कर रहे हैं ? कोई जवाब हीं । फिर कहने लगे पता है कौशांबी में कितने फ़्लैट हैं । मैंने कहा एक हैं । जैसा देखा था आज तक वैसे ही है । आप के पास सबूत है तो दीजिये कल खुद अरविंद को घेर कर पूछूँगा । जनाब चुप हो गए । फिर मैंने कहा दोनों नौकरी करते हैं । दो घर ख़रीद लिया होगा तो कौन सी बड़ी बात है । मैं भी ख़रीदने की सोच रहा हूँ । यह कहाँ लिखा है कि दूसरा घर चोरी का होता है । तो तड़ से अफ़सर साहब बोले लेकिन आपने क्यों नहीं पूछा कि पत्नी क्यों इंकम टैक्स में नौकरी करती है । मुझसे रहा नहीं गया । पूछ दिया कि उनकी पत्नी क्या करे इसका फ़ैसला आप करेंगे, अरविंद करेंगे या उनकी पत्नी । मैं अरविंद को चोर मानने के लिए तैयार हूँ बस आप अपना बता दीजिये । आप सौ प्रतिशत ईमानदार हैं न । फ़ोन कट गया । सही में कट गया । दोबारा नहीं आया ।

अब समझ आ रहा है । दरअसल भ्रष्टाचार एक सिस्टम है । इस सिस्टम का पीड़ित भी लाभार्थी है । जो रिश्वत देता है वो उससे कमाता भी है । हाँ इस सिस्टम के बाहर के गेट पर खड़ा आम आदमी ही मर रहा है बस । भीतर लेन देन करने वालों को कोई दिक्क्त नहीं है । यही लोग चाहते हैं कि बस कहीं से कोई एक बार अरविंद केजरीवाल को चोर साबित कर दे । ताकि करप्शन को लेकर उन्हें नैतिक संकट का सामना न करना पड़े । भ्रष्टाचार सीमित परंतु बड़ी संख्या में लोगों के रोज़गार का ज़रिया भी है । इसी सिस्टम से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े लोग सवाल करते हैं कि भाई साहब सचमुच अरविंद ईमानदार है । ये लोग चाहते हैं कि हे भगवान अरविंद को फ़ेल करा देना । उनकी बस यही चिंता है कि खुद की ईमानदारी और दूसरे भ्रष्ट को पकड़वाने का दावा करने वाला न जीते । ये और बात है कि हार जीत का निर्णय जनता तमाम बातों को देखकर करेगी मगर इसमें ईमानदारी पर सवाल करने वाला एक तबक़ा अलग से हैं । ............रवीश कुमार - NDTV
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