Tuesday, October 8, 2013

विकास तो हुआ है, पर कुछ अजीब सा हुआ है ...


विकास तो हुआ है, पर कुछ अजीब सा हुआ है ...
आज से करीब 15 साल पहले दूरदर्शन पर TV के इतिहास का सबसे सुपर हिट प्रोग्राम आता था "रामायण"
उस समय हमारे गाँव में पहली TV खरीद कर आयी थी और पूरा गाँव उसी एक TV में रामायण देखता था ...बड़ा अच्छा माहौल होता था ...
विकास हुआ ..और इतना विकास हुआ की ....
मेरे गाँव में तकरीबन 50% घरो में TV पहुँच गया ...तरह तरह के सेटेलाईट TV पहुँच गए ...70% परिवारों में,...लोगो की जेब में मोबाईल फोन पहुँच गए ...अच्छा है बहुत अच्छा है ....
मेरे जिस गाँव में पहले,.... "परवल और पनीर" तक नहीं मिलता था ...
वहाँ आज पेप्सी कुरकुरे बिन्गो टिंगो सब मिलने लगा ...यहाँ तक की विभिन्न कंपनी की बीयर और शराब मिलने लगी ...दुकानों में बीडी की जगह ....महँगी सिगरेट मिलने लगी ...

हाँ हुआ है विकास ....मानता हूँ ....पर ऐसा क्यों ....की
आज से 15 साल पहले भी ...

मेरे गाँव में एक भी स्कूल नहीं था ...और आज भी नहीं है (हाँ नेता जी के प्राइवेट स्कूल जरुर खुल गए )
मेरे गाँव में एक भी अस्पताल नहीं था ....और आज भी नहीं है ....
मेरे गाँव में एक भी पुलिस चौकी नहीं थी ....और आज भी नहीं है .....

ये कैसा विकास हुआ ?.....क्या ऐसे ही विकास को हम,..... विकास कहेंगे ?.....
दोस्त, हकीकत ये है की .....
हर उस रास्ते से जिससे ....आम जनता की जेब से पैसा निकाला जा सकता था ....उस रास्ते पर विकास हुआ ....
पर हर वो चीज़ ...जो मानव विकास के लिए जरुरी है ....वो ना थी ..और ना है ....क्यों ?....
किसकी चाल है ये ?....
ये कौन है जो चाहता है की ....मेरे गाँव में स्कूल अस्पताल हो ना हो .....पर बाँकी सब मिले और मिलता रहे ?....
क्या आप ऐसे विकास से सहमत है ?.....

हाँ समाधान ....है समाधान ....
और समाधान है ..."स्वराज"....Power to the People ...
हाँ यधि ग्राम सभा मोहल्ला सभा के पास ये अधिकार हो ..की प्राप्त सरकारी पैसे को ..जनता कैसे और किस मद में खर्च करे ...
तो मुझे पक्का विस्वास है ....की ...
मेरे गाँव के लोग ....
सबसे पहले स्कूल खुलवाते ....फिर अस्पताल ...फिर कुछ ग्रामो और लघु उद्योग ..पशु पालन ..वगैरह ....
जब इतना सब होता तब ...तब वो luxury के बारे में सोंचते ....

पर नहीं ..हमारी सरकारों ने तो ...नरेगा - मनरेगा चला कर ...जो थोडा बहुत ...टुटा फूटा ...उद्योग था ..उसे भी मार दिया ....
और बना दिया ....हमारे कुशल कामगार को ....एक मजदूर ...

आ रही है दीवाली ..मिलेंगे "लक्ष्मी - गणेश" भी ..चीन में बने .....

क्या यही विकास है ....क्या ऐसा ही विकास चाहती है हमारे देश की सरकारे और राजनीति ?....
नहीं ...नहीं हमें बदलना पड़ेगा ये ...
और उसके लिए लड़ना पड़ेगा .....और माँगना पड़ेगा अपने नेताओं से ...वो ..
वो जो जरुरी है ....सच्चे विकास के लिए .....है की नहीं ....

तो निकलो बाहर मकानों से ...जंग करो बेइमानो से ......नागेन्द्र शुक्ल
download & Read Swaraaj ==> http://iacmumbai.org/downloads.php?id=Tmc9PQ%3D%3D
 

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