Tuesday, December 18, 2012

ये है व्यवस्था ..की गाँव के लोग चाहते है कुछ ...और होता है कुछ .....इसको बदलना ही ...AAP का उद्देश्य है

दोस्तों, वास्तव में हमारे लिए सिर्फ वो चीज़ ही अच्छी होती है जो हमारे लिए जरुरी है ...जो हमें चाहिए ....और हमें क्या चाहिए यह कोई दूसरा दे ही नहीं सकता जब तक की वो हमसे पूछे ना ...की तुम्हें चाहिए क्या ....हाँ मैं जो भी सूच रहा हूँ ...हमेशा वो ही सबसे अच्छा हो यह जरुरी नहीं ...उससे भी अच्छी व्यवस्था हो सकती है ....पर वो हो सिर्फ तब सकती है ...जब देने वाले को ये पता हो की ..तुम ढूंढ क्या रहे हो ...जरुरत किस बात की है ....
अभी मैं गाँव गया था ...देखा नरेगा के अंतर्गत ...एक नया तालाब बना है गाँव में ...जो की गाँव से तकरीबन 2 KM की दूरी पर है ....और तालाब भी ऐसा की देखने में खुबसूरत ....लगा चलो कुछ तो अच्छा हो रहा है .....सोंचते सोंचते ...तालाब के पास चला गया ....और देखा की पानी है ही नहीं ....
काफी दिमाग लगाने के बाद भी मैं यह नहीं समझ पाया की ...इसमें पानी आयगा कहाँ से ...तो चल दिया ....ग्राम प्रधान से पूँछने ....
पता चला की प्रधान जी तो ठीक ...वैसे ही काम कर रहें है ...जैसे हमारे देश के PM ...कुछ पता ही नहीं ....बोले भैया जी से पूँछ लेना ....अब ये भैया कौन ...अरे वो ही जिनके नाम पर ...ये रबर stamp प्रधान जी काम कर रहें है ....अब भैया जी तो बड़े नेता ..कहाँ रहते है गाँव में ...कब समय है मिलने का ....तो बस चला आया अपने घर ....
और सोंचता रहा की ..भाई गाँव में ...गाँव के किनारे 4/5 और तालाब हैं ...चलो उनकी हालत देख लें ..शायद बेहतर हो  ...अब चूँकि ..ये पुस्तैनी तालाब है ...तो प्राकृतिक रूप से पानी आने के रस्ते भी ...पर अब क्यूंकि गाँव में सभी घर पक्के हैं ..बस कुछ मेरे जैसे छोड़ कर ...तो इन तालाबों में पानी तो था पर कम क्यूंकि मिटटी अब निकाली नहीं जाती तो ...गहराई कम हो गई है .....
तब मैंने सोंचा की भाई, नरेगा से नया तलब 2 KM दूर बनाने से तो अच्छा था इनकी मर्रम्त करा देते ....इनमे पानी आता ...और ये गाँव के पास भी है .....जब ऐसा अपने दोस्त से पूँछा ...तो पता चला, की पास वाले तालाब को सुखा ....कर कब्ज़ा करने की फिराक में है ....कुछ भैया जी ....इसलिए इनसे तो चाह कर भी मिटटी नहीं निकाल सकते ...इसी के चलते तो वो बना है ...नया तालाब,.... जैसा कुछ .....
तो दोस्तों, ये है व्यवस्था ..की गाँव के लोग चाहते है कुछ  ...और होता है कुछ .....इसको बदलना ही ...AAP का उद्देश्य है .....और आपके के सहयोग के बिना ..यह संभव नहीं ....आप अपना पूरा प्रयास करें प्लीज ....नागेन्द्र शुक्ल


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