Tuesday, December 4, 2012

सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी,..... सच है दुनियां वालों की हम हैं .....जनता बेचारी ...






 दोस्तों, सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी, मैं सिर्फ अपनी ही नहीं, आपकी बात भी कर रहा हूँ । आज अरविन्द जी ने फिर एक खुलासा किया जो गुजरात में बीजेपी सरकार पर था - की भाई ये ऐसा क्योँ हुआ - कैसे हो गया ।।
कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगा ।  शायद मुझे भी नही लगा - क्योंकि पुराना बीजेपी का समर्थक हूँ अब काफी पुराना - (मजबूरी वाला ही सही ) प्यार था एक झटके में कैसे टूटे ?
पर थोड़ी देर सोंचा की भाई ये जो बुरा लग रहा है - वो गलत लग रहा है .....ये सही नहीं है ...क्योँ ?
सोंचने पर पता चला की अरविन्द जी जिस बात का विरोध कर रहें है - वो है भ्रस्टाचार, वो है तानाशाही, वो है गंदी राजनीती,
वो है हमारे देश के राजनेताओं का - अपने व्यापारिक और पारिवारिक हितों के लिए ....
देश की जनता - आम आदमी के साथ धोखा ........

जनता को ये सारे ताकतवर लोग मिल कर बेवकूफ बना रहें है ....हमें ठग रहें है....परेशानी की बात यह है ...की हम चाहे जिस भी राजनीतिक पार्टी के पास जाएँ ....कोई फर्क नहीं पड़ता ....
इन सारे लोगों की आदत पद गयी है हमें बेवकूफ बनाने की ....और हाँ आदत हो भी क्योँ नहीं .....
इनके पास हमारी चाभी है ...इनको पता है ....हम तो आम आदमी है .....
आम आदमी ...की तरह ही सोंच सकतें है .......इन राजनेताओं की तरह ...चालाक तो नहीं है न हम .....जो जहाँ इनका ....इनका खुद का भला हो ...वहाँ मिल कर रहो ...
जब बात .....आम आदमी की हो ....तो मिल बैठ कर सुलझा लेंगे .....जनता को नहीं पता चलना ..चाहिए ....
कहीं ऐसा न हो की जनता समझ जाये ......और हमारी वाट लग जाये ......

चाहे वो मीडिया हो, या नेता हो , या भ्रस्त अफसर हों .....या धोखेबाज़ धार्मिक नेता ....या व्यापारी ....
वो चाहे कोई भी हो .....हर व्यक्ति जिसके हाँथ में ताकत है ...और जिसका धर्म है ...हमारे देश की जनता का भला करना ...देश और देशवसियौं  के हितों में काम करना और 
जिसे जनता ने ...बड़े विश्वास के साथ ...जनता की भलाई के लिए ...ताकत दी है ...
और वो ...अगर हमारी इस ताकत का गलत इस्तेमाल कर के अपना - सिर्फ अपने ख़ास लोगों का भला कर रहा है  ..और ख़ास कर ....हमारे हक के हिस्से से कर रहा है ....
तो ये बात गलत है ......दुखद है ......हाँ हमें उसका विरोध ही करना चाहिए .....दूसरा कोई रास्ता ....इस बात को सिद्ध करता है ......की ...
सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी,.....
सच है दुनियां वालों की हम हैं .....जनता बेचारी ...
....आम आदमी ....अरे हम और आप ......और क्या .....नागेन्द्र शुक्ल






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