Friday, November 30, 2012

ऐसा नहीं है की मीडिया को TRP सबसे ज्यादा प्यारी है

ऐसा नहीं है की मीडिया को TRP सबसे ज्यादा प्यारी है दोस्तों, 4 दिन गुजर गए आप का आगाज़ हुए। कुछ अचानक से ऐसा हुआ की पूरा का मीडिया, पूरी तरह से सो गया हो जैसे
उसको कुछ पता ही न हो, न कोई न्यूज़ न ही discussion न कोई कवरेज यह कोई आश्चर्य जनक बात तो नहीं पर दुखद जरुर है,
आज मन में प्रश्न उठा की क्योँ है ऐसा?
क्या सरकार यानि कांग्रेस का दबाव है या BJP का या फिर किसी का नहीं और मीडिया इसको इतना महत्वपूर्ण नहीं समझती
मीडिया के रवैये के मैं बड़ा बदलाव उस दिन के बाद से है जब से अरविन्द जी ने Reliance के विरुद्ध बोला उससे पहले तो कुछ थोडा बहुत था भी
तो ये साफ़ है की ये कुछ बिज़नस मैन ही देश की हर चीज़ चला रहें है चाहे वो सरकार हो या मीडिया,.....और
अंतिम कड़ी हम,... आम आदमी तो मजबूर है की ये मीडिया/सरकार,...नेता, गुंडा वगैरा जैसे चलायें हमें चलना पड़ता है
पर ताज्जुब इस बात का है की ये हम ही हैं आम आदमी ही जो ....सरकार बनाते है, मीडिया को TRP देते ....और
हम ही है ..जो इन पून्जिपतियौ के उपभोक्ता है और इनको पूंजीपति बनाते है
ये हम ही हैं, जिसकी जेब मैं दुनिया की सबसे से ताकतवर कंपनियों की नज़र है ....
अर्थात ....सब कुछ के केंद्र हम है ...वोट भी हमारा, नोट भी हमारे ..TRP भी हमीं से ....और ये सब मिलकर हामी को बेवकूफ बना रहें है
.....क्या बात है ...क्या हालत है ....
 लकिन आज सोंच रहा हूँ की ऐसा हो क्योँ रहा है तो बस 2/3 छोटे - छोटे कारन ही है ...जिनको दूर करना आसन है ...और हम कर सकतें है ..
1. क्यूंकि हम  बैंक हैं ...वोट बैंक है ....इन्शान नहीं
2. हमारी याददास्त काफी कमजोर है ....और आसानी से बेवकूफ बन जाते हैं
3. हम जाती, धर्म, भाषा ...प्रान्त और भी बहुत कुछ में बंटे है
क्या यह सब कारण ...वाकई important .....हमारे लिए कितना मुश्किल है इनको दूर करना ?
कुछ वषों पहले एक बच्चा प्रिंस बोर वेल मं गिर गया था तो उसे बचने के लिए पूरे मीडिया ने ...सेना से भी ज्यादा मेहनत की थी ....
तब लगा था की वाकई मीडिया देश को सुधर सकती है .....पर यहाँ भी धोका ...इनके लिए भी देश, देश वाशियो ..और तो और TRP से भी बढ़ कर है .....पैसा ...
नेता को तो चुनाव मैं हरा सकतें है ...पर इस मीडिया का क्या करें .....कुछ बताइए क्या कर सकतें है ?
...नागेन्द्र शुक्ल

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