Monday, November 12, 2012

अब अँधेरा मजूर नहीं,.....शुभ दीपावली, Happy Diwali ।।

थी एक दबी - छुपी चिंगारी हमारे मन में
पता नहीं था - क्या करना है,
क्योँ करना है इस जीवन में ।।
कोई हवा का झोंका आया
जिसने चिंगारी को एक लौ ....और लौ से दिया बनाया ।।
अब ये दिया जलेगा, साथ चाहिए तुम्हारा
की ये जलता रहे
अन्धकार से लड़ता रहे ।।
चाहे आंधी आये या तूफ़ान, इस लौ की हिफाजत करना ।
इस लौ के साथ जीना, इसी के साथ मरना ।।
इस दिवाली है, एक दिए से,.... सौ को जलाना
इस दिये की तपिश को है बढ़ाना
अब वक्त है आया ...की हर चिंगारी को हवा दो ।
इसको दिया ....फिर दिए से ....अलख जगा दो ।।
अब अँधेरा मजूर नहीं,.....
समझो हम मजबूर नहीं ....
अब दिये से दिये ...जलेंगे,...
कोई धर्म नहीं, कोई जाति नहीं,.....
कोई प्रान्त नहीं, कोई देश नहीं,......
मानवता को रोशन ...करेंगे,......
आओ दिये से दिये जलाये,......सब मिल दिवाली मनायें ।।
......नागेन्द्र शुक्ल ......शुभ दीपावली, Happy Diwali ।।

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