Monday, November 5, 2012

हम समाज बदलेंगे .......हम व्यवस्था बदलेंगे .......अरविन्द जी हम आयेंगे ....जरुर आयेंगे .....

दोस्तों, हमें पता है महंगाई बहुत है और हमारे पास पैसे कम ...पर कोई बात नहीं ....हम आम आदमी हैं ...कम पैसे में काम चलाने की आदत है हमारी .....जब कोई जरुरी खर्च आता है तो हम अपनी एक रोटी से .....आधी बचा कर काम चला लेतें है .......और अगर सच बोलने की हिम्मत करें तो ..सच ये है की वो लोग जो 7000 की एक थाली खाते हैं ....वो हमारी ही बचाई हुई आधी रोटी है ।।
हम आधी रोटी अभी भी बचायेंगे .....पर अब इनको नहीं देंगे ....अब हम अपने आप को मजबूत करेंगे ....अब हमने खुद ही कमान सम्हाली है ....
अब हम ही ....काम करेंगे और हम ही राज करेंगे ....ये काम करने वाले अलग ...और राज करने वाले अलग ..ये अब नहीं चलने देंगे ....अब नहीं चलने देंगे।।

26 तारीख को अरविन्द जी के आवाहन पर हम सब आयेंगे ...जरुर आयेंगे .....और आने जाने का खर्च .....अपनी आधी रोटी से उठाएंगे ......
हम्मे से जिसके पास होगा ......अपने साथ दूसरों के लिए खाना भी लायेंगे ......अगर गाड़ी है तो अपने साथ बिठा कर लायेंगे .....और बिठा कर ले जायेंगे ......
अब हम ...हमारी ही सहायता करेंगे .....
हम समाज बदलेंगे .......हम व्यवस्था बदलेंगे .......अरविन्द जी हम आयेंगे ....जरुर आयेंगे .....

दिन अगर सोमवार है तो क्या ......हम छुट्टी ले कर आयेंगे .....
मेरे कुछ दोस्त तो काफी समझ दार है .......26 तारिख को आने का किराया ....तो कल ही कमा लिया था ...दिल्ली और पटना की रैली से .....
जो नहीं कम पाए ......वो कुछ न कुछ कर इतने तो बचा ही लेंगे ......

मेरे बहुत सारे दोस्तों को चिंता हुई ...की 26 नवम्बर को तो Monday है ...अर्थात Working Day ...तो काफी मुश्किल हो जाएगी ....क्योँ नहीं 25 नवम्बर को प्लान किया ?
तो इसका जवाब मैं अपनी समझ के अनुसार देना चाहूँगा ...और वो यह है की ...इसके दो मुख्या कारण हो सकतें है ....
1. 26 नवम्बर को हमारा constitution day (संविधान दिवस ) है (जो की अरविन्द जी ने बतया था )
2. ये Monday है ...अर्थात Working Day ..तो जो भी आएगा जितने भी आयेंगे .....वो सभी IAC के पक्के समर्थक होंगे .....वैसे भी हमारे विरोधी ....लगातार बार बार यह बोलते आयें है की .....अरविन्द जी का कोई ख़ास आधार नहीं है .....इनके पास तो लोग बस छुट्टी के दिन पिकनिक मानाने चले आते है .....तो इस बार जब हम अपना - अपना काम छोड़ कर सोमवार को आयेंगे तो ....इनका मुंह सदा - सदा के लिए बंद हो जायेगा।
हलाकि की हम समझतें हैं ...की हमारे और आपके लिए ...जो आम आदमी है ....उसके लिए एक दिन भी काम छोड़ना बहुत मुश्किल होता है .......हममें से बहुत तो रोज कुआँ ...खोदते हैं और रोज पानी पीतें है .....
पर दोस्तों ....हमारे जीवन का यह पहला मौका है ........जब हमें ...अपने आप से ऊपर उठ कर देश के लिए कुछ करना है ......हमें आना है ...जरुर आना है .....
वैसे भी अगर कभी जरूरी होता है ...हमारे बच्चे की तबियत खराब हो या .....माँ की ....हमें छुट्टी लेनी ही पड़ती है .....
दोस्तों सच बात है ....की हम सब की माँ ....भारत माँ की भी हालत ठीक तो नहीं ......और हमें ....आना ही होगा .....
अगर छुट्टी लेनी की सुविधा है ...तो आज ही उसके लिए ...प्रयास करें .....
हमें बताना है ......की देश मैं ...सिर्फ मुर्दे नहीं ....जिन्दा लोग भी है .......जो देश के बारे मैं सोचते भी हैं और करते भी है .......और करेंगे ...कर के दिखायेंगे ......
हमें पता है ....की आप भी भारत माँ के सपूत है .....और आपके मन मैं भी हमेशा से इच्छा रही होगी .........की कब मौका मिले और कुछ अर्पण कर सकूं .....
तो मौका आ गया ....और दूर नहीं 26 को ही है .......
अगर किसी वजह से नहीं आ सकते तो .....अपने दोस्तों ...रिश्तेदारों को जो आ सकते हैं ....जरुर भेजे .....
मेरे पिता जी ने .....तो फ़ोन पर साफ़ साफ़ बोला की .......जाना ही है ...क्यूंकि वो दिल्ली से दूर हैं .....और आ नहीं सकते .....

दोस्तों आप से अनुरोध है ...की आप सभी आयें ...और अपने सभी दोस्तों से .....रिश्तेदारों से ....निवेदन करें ......आने का .....

और हम,.........हम तो .... आयेंगे..... अपने मन से आयेंगे. .......अपने धन से आयेंगे .....पूरी ताकत ..... पूरे जोश से .....
हम .....हम कौन .....हम और आप .....आम आदमी ......
...नागेन्द्र शुक्ल ..........


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