Thursday, November 1, 2012

क्या अरविन्द जी को सत्ता का स्वार्थ है ?...उनके प्रयास का ...पुरस्कार होगा...जनाब

आज मीडिया में यह बात काफी जोर शोर से छाई रही की अन्ना जी ने बोला की ....."अरविन्द जी को सत्ता का स्वार्थ हो सकता है" हलाकि अन्ना जी ने यह भी बोला की उनको धन का कोई लालच नहीं है और वो अपने परिवार से कहीं पहले समाज और देश के बारे में सोंचते ह
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मेरी समझ इतनी नहीं है की में अन्ना जी की बात पर कोई टिप्पड़ी कर सकूं परन्तु मैं अपनी समझ के अनुसार यह तो अवश्य जनता हूँ की ...अगर इस नज़रिए से देखेंगे तो फिर स्वार्थ से परे कोई भी नहीं बचेगा.....कोई भी नहीं...
आप ही बताओ कोई बच सकता है क्या ?..

मीडिया और अन्ना जी मैं आप दोनों से बोलना चाहता हूँ की ठीक इसी आधार पर यह भी बोला जा सकता है की...आप मैं भी कहीं ना कही महान बनाने का स्वर्थ निहित है.....और ठीक इसी के आधार पर....
कोई यह भी बोल सकता है की हमारे पूज्य राम भगवान् को भी मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने का स्वार्थ था ...और सत्यवादी हरीश चन्द्र को भी ....सत्यवादी होने का स्वार्थ था....कर्ण को भी दानवीर बनाने का स्वार्थ था.....और भी बहुत सारे उदाहरण हो सकतें है...है की नहीं ?

दोस्तों अगर अरविन्द जी को सत्ता का लालच होता तो बहुत ज्यादा .....आसान होता सत्ता को पाना....अरे इस देश मैं जहाँ लालू, राबड़ी, मुलायम जैसों को सत्ता मिल जाती है तो फिर अरविन्द के लिए तो यह बहुत ही आसान काम होता......
कितना आसान होता की वो किसी भी पार्टी में अपना थोडा समर्थ व्यक्त करते और बस हो गया था काम.....
या फिर अगर ये लालच होता तो ....उनके लिए बहुत आसान होता की आप को भी किसी तरह से अपने साथ ही बनाये रखते......और कितना आसान होता की अरविन्द जी, किरण जी बात का समर्थन करते....
अन्ना जी आप वाकई बहूत सीधे हो.....
मैंने वो पूरा इंटरव्यू सुना ...और साफ़ साफ़ दिख रहा है की.....यह आप ने बोला नहीं ....
आप से बुलवाया गया....क्योँ दोस्तों बुलवाया गया या नहीं ?

आज मुझे इस बात का गर्व है की अरविन्द जी किसी तरह का कोई compromise नहीं किया ....ना ही अपने विचारों के साथ ....ना ही अपने उद्देश्य के साथ.....
अन्ना जी आप वाकई बहुत सीधे हो.......और बहुत आच्छा है ...की आप राजनीती से दूर हो .....

अंत में हम....आप से उम्मीद करते हैं की आप अरविन्द जी का मार्ग दर्शन करते रहें.......
और इस देश की भलाई के लिए अरविन्द जी को .......उनके तरीके से प्रयास करने दीजिये.....
हमारे विरोधी.....बहुत चालाक हैं....बहुत धूर्त है......इनसे हम ही निपट सकते है......
और हम निपटेंगे भी.......हम कौन......आम आदमी .....
....नागेन्द्र शुक्ल....

क्या अरविन्द जी को सत्ता का स्वार्थ है ? हमें नहीं लगता....आपको ?
यह सत्ता का लालच नहीं .......उनके प्रयास का ...पुरस्कार होगा...जनाब
 

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