Monday, November 19, 2012

है ये व्यवसाय बड़ा मुश्किल .... ये मुझे,...... आता ही नहीं .....

खुदा बसता है,.... खुदा के बन्दों में
बस यही याद रखना है

हो एक स्नेह,.....और  स्निग्ध साथ
बढे हर ओर,.....एक मदद भरा हाथ
ना समझे,.....कोई हारा
खुद को, किस्मत का मारा
नोट नहीं, पद नहीं, प्रतिष्ठा नहीं
बस हो इंसान प्यारा ....
कुछ ऐसा बने ....संसार हमारा

है करना ज़रुरी....
गिरे हुए को उठाना
ज़ख्मो को सहलाना
ना हो मलहम कोई बात नहीं,....
पर नमक,.... न लगाना ....

ये जनता है ....कोई कूड़ा नहीं,  करकट नहीं ,
कोई कीड़ा नहीं ...कोई मरकट  नहीं
दोस्त ना सही, कोई बात नहीं ...पर दुसमन ना समझाना
क्यूंकि ये आम आदमी भी इन्शान है,......
कम से कम ...इन्शान समझाना,...

कहतें है ये,... किताबी बातें है .....
हकीकत से कोई नाता नहीं,...
मैं क्या करूँ ......नफा नुकसान
ऊपर नीचे ......मोल भाव .....
है ये व्यवसाय  बड़ा मुश्किल ....
ये मुझे,...... आता ही नहीं .....
Nagendra Shukla

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