Tuesday, January 1, 2013

दे सकते हो .....नव वर्ष नहीं ....... नव जीवन दे दो.....



उड़ते फिरते उन्मुक्त  गुब्बारे ....
सरल सहज .......लगते प्यारे ....
है रंग समेटे कितने सारे ....
चमक, तरलता साथ लिए .....
है छड़ भंगुर ....जीवन इनका ...
इनके रंग .....इनका जीवन .....
क्योँ कर तेरे हाँथ रहे .....
उड़ने दो उन्मुक्त हवा में .....
बिखरने दो .....ये रंग फिजा में ....
नव वर्ष नहीं .......नव जीवन दे दो ...
नव चेतन ...नव विस्वास जगा दो ....
इनके भय को दूर भगा दो ....
तुम दे सकते हो .....
जीवन दे दो ....
उड़ने की आज़ादी दे दो ......
स्वस्थ हवा का ...झोंका दे दो ....
बड़े जतन से  ....पाला इनको ...
जीने का अधिकार भी दे दो ....
नव चेतन ...नव विस्वास जगा दो ....
दे सकते हो .....नव वर्ष नहीं .......
नव जीवन दे दो.........................नागेन्द्र शुक्ल 
 

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