Friday, January 18, 2013

डीजल और पेट्रोल के दाम जब भी बढ़तें है...मजबूरी है ....ये मजबूरी है क्या ?....

डीजल और पेट्रोल के दाम जब भी बढ़तें है ...तब कथित विपक्ष को ..बैठे - बिठाये एक मौका मिल जाता है ...और बताने लगतें  है की ...बड़ा गलत है ...जनता से धोखा है ...अन्याय है ...वगैरह - वगैरह
मीडिया में किसी ...ज्ञानी को सुना की भाई ...जब बीजेपी की सरकार थी तब भी बढे थे इनके दाम ..और कांग्रेस की सरकार में भी ....इसका मतलब ये ...मजबूरी है ...चाहे ..सरकार किसी की भी हो .....

बात में तो दम है ...पर सोंचता हूँ की ..ये मजबूरी है क्या ?....
अब ये तो सच है की डीजल और पेट्रोल के दाम ...पूरी तरह से हमारे हाँथ में नहीं ...ये तो विश्व बाजार से ही तय हो सकता है ...बात सही है पर,.....
पर इनकी मजबूरी का ...असली कारण ...जो मुझे लगती है ...वो यह की ....भाई ..जब किसी के पैसे पर ....आप चुनाव लड़ोगे ....सरकार बनाओगे ...तो भला बाद में ..उसका साथ कैसे नहीं दोगे ....देना तो पड़ेगा ...नहीं तो सरकार गिर जाएगी ....
हमारे देश में जनता के हाँथ में हो ...ना हो पर ...इन कंपनियों के हाँथ में सारी ताकत है ..इनको बनाने और गिराने की .....

अब देखो कल ही दाम बढे ..और आज देखा ..reliance के शेयर ...उछल रहा है   ...और हो गया ..."भारत निर्माण"....हो गया shining India.
अब मैं  कहूँगा की असली कारण है ...भ्रस्टाचार ....और मिली भगत ...पर आपको लगेगा की इनकी तो आदत है ..हर बात को इससे जोड़ने की ....
पर क्या करें आप ही सोंचो ....क्या नहीं है ये कारन ...अगर नहीं ...मेरी मदद करो समझने में .....

अब देखिये हर बार बस यही सुनने में मिलता है ..की तेल कंपनी का घाटा बढ़ रहा है ...और देखिये इस पोस्ट http://www.facebook.com/photo.php?fbid=521005167922619&set=a.454846544538482.96610.454826997873770&type=1&theater को ...कितना और किसको हो रहा है घाटा .....
घाटा तो हो रहा है ...पर सरकार को ...सरकार चलाने वालों को .....आखिर चुनाव लड़ने और जीतने के बाद ...50 - 50 गाड़ियों के काफिले में ...घूमने के लिए ....पैसा तो चाहिए ..और वो पेड़ पर तो उगता नहीं ....
दोगे तो आप ही ....और कौन ..भाई ..आप ही के तो सेवक हैं ये सब ......

अब इसका समाधान मुझे तो समझ जो आता है वो ये की जनता के हाँथ में ही है ..कुछ हद तक
1. पहला तो प्राकृतिक ईधन का .....संयौजित और समुचित प्रयोग करो ....हो सके तो भाई मोटर साइकिल पर चलो ...दूसरे के साथ pool करो ....सरकारी साधनों का प्रयोग करो ....और अगर ऐसा करने से कुछ पैसे बचे तो उससे चाहे जो करो ...
2. जब तक इस भ्रस्ताचार और मिली भगत को ख़तम नहीं करते,...जब तक पैसे से सत्ता ...और सत्ता से पैसा ...का कुचक्र टूटेगा नहीं  ...तब तक ....कुछ सार्थक होना ..मुश्किल दीखता है ....
अब देखो विपक्षियों को .....जनता के लिए आंसू ...तो बह रहें है ...पर कोई पूंछता ही नहीं ..
किस कंपनी को कितना और कैसे घटा हो रहा है ..जिसकी भरपाई करने की कोशिश की जा रही है .....जब इनको सिर्फ आंसू ही बहाने है ...तो वो तो हम घर बैठ कर कर लेतें है ...उसके लिए इनको संसद जाने की जरुरत क्या है ?.......नागेन्द्र शुक्ल

No comments:

Post a Comment