Wednesday, January 16, 2013

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दोस्तों, पिछले कई दिनों से चल रहा है की पकिस्तान को करारा जवाब दिया जाये ....सही बात है ...देना चाहिए
और मुझे गर्व है ...की दुनिया की सबसे समर्पित सेना ....हमारे देश में है ...और शायद यहीं कारन है ...की आज हम सुरक्षित है ....और मुझे विस्वास है ..सेना अपने तरीके से मुँह तोड़ जवाब दे देगी ....हो सकता है ...की आप को और हमें, पता भी न चले की ..कब और कैसे दिया .....
इसमें मुझे कोई शक नहीं।
अजीब बात यह है ....की कुछ लोग सोंच रहें है ..की अगर बीजेपी होती तो करारा जवाब देती ...कोई कहता है की अगर ...ये होते ...वो होते ....
पर 2/3 दिन से लगातार बात करने के बात मुझे ...समझ आ चूका है .....कोई भी राजनीतिक ...पार्टी ...या यूँ कहें की ...जब तक इस देश में राजनीती का आधार .....वोट बैंक आधारित होगा ....
मुददे पर आधारित नहीं ....तब तक हम पाकिस्तान को मुँह तोड़ जवाब दे सकने में सक्षम नहीं हो सकते ....सत्ता किसी भी दल की हो ....
अगर हम वाकई ...पाकिस्तान को हराना चाहतें है ....तो पहले ....इस तरह की राजनीतिक सोंच को हराना पड़ेगा ...नहीं तो सब सिर्फ ....टाइम पास है ...बयानबाज़ी है ....नागेन्द्र शुक्ल

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कई बार अलग - अलग माध्यम से पता चलता है ..की कई बड़े और असरदार लोग हैं जो जुड़ना चाहतें है ...अरविन्द जी से ...पर बैठे है इंतज़ार में ...की वो आकर बोलें ....तो इस मामले में मेरा मानना है की
किसी को मानाने, बुलाने ....और ये मिन्नतें करना की आप अरविन्द जी का साथ दो ....आप उनको वोट दो ....ठीक नहीं ...इससे उनका अहसान लद जाता है ...और फिर उसके बदले वो .....शायद ये भी सोंच सकतें है की उनका या उनके किसी ख़ास का ...कोई काम करवा दिया जाये ....और फिर बस हो जाएगी गड़बड़ ....जब आप किसी से कुछ चाहते तो ...तो कई बार वो भी आपसे बदले में कुछ चाह सकता है ....और फिर राजनीती हो गयी वही मेलझॊल वाली जो ये .....बीजेपी और कांग्रेस के लोग कर रहें है .....
अरविन्द जी का कहना है ...और मेरा भी मानना है की जिसको भी आना है ....वो अपना स्वार्थ और अपना ego दोनों को किनारे कर के आये ...इसलिए नहीं की अरविन्द जी को चुनाव जिताना है ...इसलिए की ..देश को बनाना है ...समाज को बनाना है .....
अगर सिर्फ सरकार बनाना होता ....तो कितना आसान था ...
एक उदहारण के तौर पर - देखो आज ही बीजेपी ने कुछ स्पष्ट संकेत दियें है ...की वो मोदी को आगे कर के 2014 के चुनाव में उतारेगी ......इसका मतलब यह हुआ की .......JDU (नितीश कुमार) जी तो संतुष्ट नहीं होंगे ...अभी तक छवि भी ठीक है ....और वो ढूंढ भी रहे है ....कोई दूसरा बेहतर विकल्प ...जिसमे मोदी भी न हों और कांग्रेस भी ......
ऐसे में कितना आसान है ...उनको और ममता जी जैसों को अपने साथ लाना .....पर हम उनको बुला नहीं सकते ....नहीं तो बाद में ...उनकी शर्तों को तो सुनना ही पड़ेगा ....हाँ ...अगर उनको विचारधारा समझ आती है ...तो उनको स्वयं ही ...आगे आना चाहिए ...अपने ego को पीछे छोड़ कर ...ऐसा मेरा मानना है ....क्यूंकि फायदे नुकसान के बारे में तो वो सोंचे ...जो व्यापार कर रहा हो ......अरविन्द जी ...तो समाज सेवा ...जन जागरण कर रहें है ......एक राजनीतिक आन्दोलन की अगुवाई कर रहे है ....कोई सरकार बनाने की कोशिश थोड़ी ही कर रहें है ...नागेन्द्र शुक्ल

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दोस्तों, अब इसे क्या कहा जाये ...कैसे कहा जाये की, बीजेपी और कांग्रेस को जनता से कोई सरोकार है ...इनके लिए तो राजनीती का अर्थ सिर्फ सरकार बनाना ....कंपनियों को ठेके देना ....ऐसे नियम कानून बनाना जिनसे इनके वोट बैंक ..बचे रहे ....इनके साथ के वो छोटे मोटे गुंडे बचे रहे ....मोटी कमाई होती रहे ..जिनके दम पर ...यह बड़ी - बड़ी रैली करतें है ....संसद बंद ...भारत बंद करतें है .....
इनके लिए राजनीती का अर्थ सिर्फ और सिर्फ इतना ही है ....सिर्फ जनता के लिए दिखावा ....और कुछ ऐसा बना के रखना ..जिससे लगे ये नेता ...आम आदमी के लिए ... तुम्हारे लिए ..कितने चिंतित है ....

इनको कोई मतलब नहीं है ...ना ही जनता से ना ही जनता के आन्दोलन से ...और ना ही किसी की भूख हड़ताल से ...जब ऊब जाना ...अपने आप घर चले जाना ....खाना खा लेना .....इनके पास टाइम नहीं .....

और ये मीडिया ...जो नए वर्ष 2013 के आगमन पर बड़ी बड़ी ...बातें कर रहा था .....सामाजिक जिम्मेवारी की ....सब भूल गया ....और जनता को भी भुलवा दिया .....
मैं पूंछता हूँ ...आप से की क्या हुआ उन दो ....भाइयों का ..जो बहन दामिनी की शहादत के बाद ...बैठे थे अनसन पर ......पता है कुछ .....

अभी 2/3 पहले की ही बात है .....की कुछ कॉलेज के बच्चे ....metro station पर पर्चे बाँट कर ....जनता को बताने की कोशिश में लगे थे ...अभी भी जमे है ....हम जंतर मंतर पर .....बैठे है वो अनसन पर .....और अपनी आँख से देखा ...की उठा ले गई CISF/पुलिस उनको भी जबरदस्ती ..नहीं करने देंगे ...क्योँ? ...क्योंकि ...672 चमचे हैं ....इनके आकाओं के .....जिन पर आरोप है ...इस तरह के जघन्य कुकृत्य के ....
इनकी राजनीती ..जनता के बिना ....तो चल सकती है ....पर पैसे और गुंडे के बिना नहीं ...कैसे करने दे आन्दोलन ....कैसे बनायें ..कठोर कानून .....कैसे ?...

पर मीडिया ......complete blackout ...क्योँ ...क्या मीडिया और अखबार की नज़र में ....हंसिये पर दिखाई जाने वाली खबर भी नहीं थी ......कुछ तो शर्म करो बेशर्मों .....बड़ी बड़ी बात कर रहे थे ....TRP देख कर मीडिया वाले .....अब कहाँ गया वो जोश ....जया जी और सुषमा जी ...शीला जी ..मीरा जी ...इन सभी का वो दर्द ....वो आँशु .......

और इंतनी जबरदस्त ठंड गुजार थी ...भाई बाबु सिंह ने और भाई संतोष जी ने .....खली पेट ....खुले आसमान के नीचे ......कोई नहीं आया .....
ना ही ....शासन ना ही प्रसाशन ...ना ही सरकार ..ना पक्ष ..ना विपक्ष .....सब गायब .....पूरी तरह उदासीन .....

अंत मे संतोष जी के बिगड़ते स्वस्थ को ध्यान में रखते हुवे .....उनको RML भेजना पड़ा ....सिर्फ एक ही हैं .....जो सोंचते है ...आम आदमी के लिए ..जनता के लिए ....अरविन्द जी ....जिन्होंने कल जाकर ...भाई बाबु सिंह जी का अनसन तुडवाया .....
और ख़त्म हो गया ....या कर दिया गया ....इस जनता के आन्दोलन को ...मर गया ..एक और जनांदोलन ......

सिर्फ और सिर्फ इस वजह से ...की सरकार ....इस आन्दोलन को ....राजनीतिक रंग देने की कोशिश न करे ....रही आम आदमी पार्टी ....शामिल ...बिना टोपी के ......
नहीं तो ..इन सब की चाल बाज़ी से ...तो आप सभी ...वाकिफ हो .....


शनिवार को दोपहर दो बजे के करीब बगैर किसी तामझाम के आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया जंतर-मंतर पहुंचे और बाबू सिंह को अपने हाथों से जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया. केजरीवाल ने कहा कि यह सरकार भूख हड़ताल या किसी के जान देने से कुछ भी नहीं करने वाली है. ऐसे में बाबू सिंह को जिन्दा रहकर समाज में बदलाव लाने के लिए काम करना चाहिए।
अब आपको ही करना होगा ...इन्साफ ...बहन दामिनी बलिदान और इन दो भाइयों ...के त्याग ...और प्रयास का ....नागेन्द्र शुक्ल
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अभी मैं कुछ बीजेपी और कांग्रेस, के समर्थन वाले Pages को देख रहा था ....कुछ कमेंट्स भी पढ़े .....और पता चला की इनकी हालत यहाँ तक पहुँच गयी है .....की ये अब AAP की बुराई हमारे पेज पर नहीं .....अपने pages पर करतें है ...और AAP को एक दुसरे का एजेंट ...बताने के लिए अजीब - अजीब तथ्य और तर्क दिए है ......ये तो बहुत डरे हुए है ........समझ नहीं आता ..इनके बड़े नेता आपस में ...मिल बैठ कर एक मीटिंग करके .....अपने ..इन बेचारे समर्थकों को तो ..एक पर कोई एक बात दें ....जब बात देश की जनता को बेवकूफ बना कर मोटा माल कमाने की होती है ......तब तो सारी setting बंद कमरे या फिर फ़ोन पर ही हो जाती है ....तय हो जाते हैं चार काम ....

इनकी मजबूरी भी है ...इनके पास कोई अच्छाई तो है नहीं जो बता सकें ...एक ही तरीका है ....एक दूसरे को बुरा बोलना ...और कुछ नहीं,.... अब ये यह तो कह नहीं सकते की ये ईमानदार हैं ...बस यही कहते है ....एक दूसरे को की ये चोर है ....पर जाँच की कोई बात नहीं ....

और एक बात आज जो गैस की डिलीवरी करने घर आया था ....वो बोल साहब सिलेंडर के दाम से नेताओं को क्या मतलब ......मैंने कहा खाना तो बनता होगा ना .....वो बोला ...अरे साहब उनके उधर तो कोयले से (कोयले की कमाई) से बनता है ....

लो जी कर बात ये सिलेंडर ..वाला तो फेसबुक पर नहीं है ...अब इसको भी पता चलने लगा सच .....तभी तो भयभीत हो रहें ये ....नागेन्द्र शुक्ल
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देखो, सोंचा है की अब ओवैसी के बारे में कोई बात नहीं करेंगे .....पर ना मीडिया ....और ना ही सोशल मीडिया ...और ना ही पडोसी ....हर कोई ....खींच ही लाता है ....इस बात पर ...अभी गलती से पडोसी ने भी पूँछ लिया ...की अरविन्द जी ने क्या बोला ...अब थोडा तो मूड भी खराब है सुबह से .....मैंने बोल दिया पडोसी को ...भाई अरविन्द जी बयान को छोड़ो ....शिवानन्द तिवारी जी ...जो की JDU के बड़े ही कदावर नेता है ......उन्होंने मोहन भगवत जी की तुलना जनाब ओवैसी से कर दी "बोला दोनों एक ही सिक्के के पहलू है "
अब क्या ....भाई वो भाग लिए ....बिना ये सुने की AAP का क्या बयान है .....हम समझते है ......

एक आम आदमी ...एक समर्थक होने का दुःख .....जो बिना सोंचे समझे ....बिना सच जाने ...और जानने की कोशिश करे बिना ही ....बस लड़ने लागतें है ....अपने काम का नुक्सान करके ......अरे भाई ....समय का constructive use करो ....करो कुछ समाज के लिए .....देश के लिए ...बस लड़ रहें है .....फालतू की बात पर ...किसने क्या बोला .......यही तो अरविन्द जी कहतें है ....की नेता इतना बड़ा कैसे हो जाता है ....की हमारी सोंच ...पर भी हावी हो जाता है .......क्यूँ ....क्यूंकि हम किसी ...विचार धारा ...का समर्थन या विरोध ...करने के बजाय ......किसी आदमी ...का समर्थन करने लागतें है .....ऐसा जनता के लिए ठीक नहीं ...हमारे लिए ठीक नहीं ...आपके लिए ठीक नहीं ....नागेन्द्र शुक्ल

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ओवैसी, ओवैसी ओवैसी ...........हर तरफ बस यही .....क्योँ ?...कौन है जो इस पर बात करना चाहता है ...और क्यों ?
ये बताओ ...ये ओवैसी है कौन ....कितने लोग जानते थे इसको ...कुछ समय पहले ...बस एक बकवास की ...और हम चालू हो गए इसके पीछे ....
रोज़ करतें है ....कुछ नेता ...सड़क पर ...चाय की दूकान में ..कुछ ऐसी ही बकवास ...पड़े है ...ऐसे हजारों वीडियो internet पर .....
पूंछा जा रहा है ..की अरविन्द जी ...का क्या कहना है इस पर ....वैसे मुझे नहीं पता की उन्होंने क्या बोल ...कुछ बोल या नहीं ....अगर नहीं बोला तो उनको स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए ....पर में अरविन्द जी के समर्थक और एक आम आदमी के रूप में यह साफ़ करना चाहूँगा ..की
वो सरकार जो गिरफ्तार कर लेती है ....लोगों को ...उसके एक फेसबुक कमेंट और LIKE पर ...वो सरकार जो गिरफ्तार कर लेती है एक TWEET पर ...वो LAW 66A जो बना है ...उसके अंतर्गत ...यह vedio अभी तक क्योँ है ...सोशल मीडिया में ....क्योँ नहीं हटाया गया अभी तक ....
बयान की मांग करने वाले ....क्योँ ये सवाल नहीं कर सकते ...कैसे चला गया ...ये ओवैसी लन्दन इलाज़ के बहाने .....क्योँ नहीं की गए कार्यवाही .....
क्योँ नहीं ...मजबूर किया इन ..लोगों ने सरकार को ...जो आज मांग रहे है बयान ....? ऐसा क्या था ....क्या इतने मजबूर है ये लोग ....
रही बात बयान की ...तो ये बताओ ...ऐसा कौन है ...हमारे देश में ...जो ठहरा सकता है ...इस ओवैसी के बयान को सही ...यह किसी भी हाल में ...बर्दास्त के काबिल नहीं .....

परन्तु मेरा सवाल यह है की ....जो करना चाहिए था ...जो करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए था वो ...क्योँ दूर है ...किसका दबाव है ....किसकी चाल है ...किसकी मिलीभगत है .....
ये बीजेपी और बीजेपी के चमचे ....जो आज है झंडा वरदार,....क्यों नहीं जाते हैदराबाद ...करते प्रदर्शन ....बस लगें है इन्टरनेट पर ....अरे जाओ कुछ करके दिखाओ .....

बड़ा प्रश्न यह की ....ये सरकार वुर सारे नेता ..मिलकर ....भटका रहें है ...ध्यान ..दामिनी के मुद्दे से ...और दुःख इस बात का की ...हो रहें है कामियाब भी ....
सुप्रीम कोर्ट ..ने बोला की ...क्योँ नहीं ..ऐसे विधायक औए सांसद ..जो लिप्त है ..बलात्कार के मामले मे उनकी सदस्यता ....समाप्त की जाये ....पर उस पर कोई बात नहीं कर सकते ये .....क्यों ....
कोई नया कानून .....बनाने की पहल नहीं कर रहा .,......कल तक ये नेता सुषमा जी , जया जी , मीरा जी ....शीला जी सब रो रहे थे ...संसद में ...कर रहे थे मांग ..की बने कड़ा ...कानून ....हो सुरक्षा का ....प्राविधान .....
सब भूल गए ...बाँट रहे है ..तरह तरह के ज्ञान .....
और जो मुख्य अपराधी है ..वो नाबालिग है ....वाह क्या बात करतें है .....
पर उसपर बात नहीं कर सकते ...इनको ओवैसी पर बात करनी है .....

बैठे है दो भाई ...अनशन पर जंतर मंतर में ....इतनी ठंड ....दिन भर TV मीडिया बता रहा है ...तापमान ...पर कोई बात नहीं जंतर मंतर पर मर रहे लोगों की .....
पता नहीं ...ऐसा क्यों होता है .....जब भी जनता की बात होती है .....निकल आता है कोई ओवैसी,......बस सब छोड़ ...चालू हो जाती है ...अजीब सी देश भक्ति ......
बस यही कह सकतें है ....की ऐसी जनता को .....कैसे जगाये .....जिसकी आँखे .....खुली हो ...पर उसका चस्मा ....दूसरों के हाँथ में हो ....
सब कुछ सीखा हमने .......ना सीखी होशियारी .....
सच है ....मेरे दोस्तों ....है ये जनता ही बेचारी .....नागेन्द्र शुक्ल

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