Tuesday, January 1, 2013

गड़बड़ तो है ......कहीं ना कहीं ......पर है क्या समझ नहीं आ रही ...

सबसे बड़ी परेशानी ये है की आज हमारा समाज ....पूरी तरह से अर्थ (पैसे ) पर आधारित है,...हमारा सामाजिक स्तर सिर्फ पैसे पर आधारित हो गया है  ......
पैसे से ताकत ....पैसे से ज्ञान ...पैसे से मान सम्मान ..पैसे से यौग्यता ..पैसे से कुशलता .....
तो बस हर तरफ है पैसे की चाहत ......पैसा नहीं तो TV ...मोबाइल नहीं .....लैपटॉप फेसबुक नहीं ...दोस्त नहीं ....विचार नहीं ....
कुछ साल पहले मेरे दोस्त .....मेरे गाँव में, शहर में ...गली मोहल्ले में ..... होते थे .....जब चोरी छिपे पहली बार सिगरेट पी .....और गली के लड़के को पता चली ....अगले दो महीने तक ...धमकी दी ....इससे बता दूंगा ....उससे बता दूँगा ....हुआ डर ..समाज का .....की कहीं पता न चले ....पापा को घरवालों को .....गली मोहल्ले वालों को ......टल गई यह बुरी आदत ...जब तक रहे ...अपने गली मोहल्ले में .....
अब दोस्त गली से हट सिमट गए है gadget में ......किसी से कोई भी बात करी ....कैसा भी ब्यवहार किया ......नहीं जमी तो प्रोफाइल को delete किया .....
फिर नया ...प्रोफाइल .....नया चेहरा ...नया चरित्र ....
ना दोस्त का डर ....ना गली मोहल्ले वालों का .....कम होता गया ...सामाजिक दबाव ....
घर के पापा मम्मी .....बस लगें है ...पैसे कमाने ......बतातें है बच्चो को  ......की कमा रहें है ...इज्ज़त ......
बच्चे के संस्कार ......लोगों की तुलना ....अजीब आज ही किसी ने बताया .....मेरे बच्चे ने 2.5 साल की उम्र में ....लैपटॉप में KBC खेलना सीख लिया .....
पता नहीं ...अब इस बच्चे को ...कब समय मिलेगा ....दोस्त बनाने का ......समाज ....और सामाजिक जिम्मेवारी को समझने का .....
गड़बड़ तो है ......कहीं ना कहीं ......पर है क्या समझ नहीं आ रही ....?...आप कुछ मदद करो .....नागेन्द्र शुक्ल
अंत में एक बात ......हम जितने जतन से पैसे कमाने की कोशिश करते है .....थोडा जतन .....अपने बच्चो के संस्कार बनाने में भी करो .....बच्चे की पहली किसी भी गलती में ...सजा देने की जगह, उनसे प्रायश्चित कराएँ ...
आपके विचार आमंत्रित हैं .....

No comments:

Post a Comment