Wednesday, January 9, 2013

समस्या एक ही है ....मेरी और मेरे देश की ...

मेरे गाँव में .....मेरे ही खानदान के ....कुछ रिश्तेदार रहते थे ...बगल के मोहल्ले में पता नहीं क्या गड़बड़ हो गयी थी ...जो उनके उधर, किसी का ध्यान ही नहीं गया .....की दुनिया कहाँ जा रही है ....उनके घर में एक अजीब गड़बड़ थी ...पहले पिता जी ने ...हमारे बगल की ही ...अपनी सारी खेती बेंच दी थी उनको ...जिनसे हम पहले से ही परेशान थे ...और पी गए थे दारू ...अब उनके लड़के ...जिनको जमीन बेचीं थी उन्ही से पैसे लेकर ....पी लेतें है दारू ...
वो भी तब ....जिस रात को ..बिजली आने वाली हो ....और हमारा ही नंबर हो ...अपने खेत की सिंचाई करने का ....
और ...बस ये जनाब ...पहुँच गए घर ...एक पाव पी कर ....बन कर शेर ...लगे बकवास करने ......
और बस उलझ गये इनसे ......सुबह पता चलता है ...की पडोशी के खेत ...सींच गए ......
कुछ दिन बाद  ही आ गये ...वही जनाब ....घर, बच्चे की दवा के वास्ते ....मदद मांगने ...खानदान के नाम पर ....परिवार के नाम पर ....कर दी मदद ...हमेशा की तरह ....
पर ये फिर पियेंगे ....फिर मिलेंगे इनको पैसे पीने के ....जब अगली बार होगा ....हमारा ही नंबर ..सरकारी पम्प से सिचाई का ......

समझ नहीं आता क्या करूँ ....इन जनाब का ....दादा जी कहते है ....की इनको ..जवाब देने के लिए ...हम थोड़ी ना पीने लगेंगे,... दारू ....बात तो सही है ...
पर कुछ तो करना पड़ेगा इनका ....कुछ तो जुगत लगानी पड़ेगी ....पर क्या करें ...कई बार सोंचा ...जम कर पिटाई कर दें ...पर कानून का डर है ...समझ नहीं आता ....की दारू पी कर बकवास करना ....नज़रंदाज़ कर सकता है कानून ......पर दारूबाज़ की पिटाई को नहीं .....
पर कानून मेरे हाँथ में तो नहीं .....पर कुछ तो इलाज़ करना ही पड़ेगा .....काफी परेशान हूँ ....
पर एक बात पक्की है ....की चाहे कुछ भी ...इस बार दादा जी को ....उन्हें दवा के लिए पैसे नहीं देने दूंगा ......
कुछ इलाज़ आप भी सुझाव .... नागेन्द्र शुक्ल
सुना है की कल ....कल फिर सरहद में ...हमारे दो जवान शहीद हो गए ....पकिस्तान की बदतमीज़ी ......जारी है ......समस्या एक ही है ....मेरी और मेरे देश की ....समाधान तो कुछ बहुत आसान ही होगा ...बस सूझ नहीं रहा ....मदद करो ....

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