Sunday, January 20, 2013

.इन बंद पड़ी कंपनियों की जमीन क्योँ नहीं?.....जो वैसे भी बेकार है ....

दोस्तों, आज छुट्टी के दिन सोंचा, की शहर से बाहर निकल कर थोड़ी दूर गाँव में जाकर पता करतें हैं जमीनी हकीकत अब ज्यादा दूर तो नहीं गया पर करीब 80 KM दूर (High Way पर) एक गाँव में ...जहाँ के किसानों की जमीन acquire की जा रही है ....Industrial development के नाम पर ....
वहां लोगों से बात की ...की और जानने की कोशिश की कितना जानते ही AAP को और अरविन्द जी को ....अच्छी बात यह की कुछ पढ़े लिखे लोग जानते भी थे और ज्यादा जानने के इचछुक भी ....पर उनका सवाल था की क्या हुआ क्या ....आज कल TV पर कुछ बताते ही नहीं ....अब TV वाले कुछ क्यों नहीं बताते ये आपको तो पता ही होगा ....अगर नहीं तो आज ही अरविन्द जी ने अपने live webcast पर इसका कारन भी बताया ....इसको छोड़ते है ..मुद्दे की बात यह की ...

वापस आते समय ...high के दोनों तरफ बनी बड़ी बड़ी companies को जरा ध्यान से देखा ....तो पाया की तकरीबन 60% फैक्ट्री तो बंद पड़ी है .....जिनके पास में हजारों एकड़ जमीन पर कब्ज़ा है .....
सोंचता रहा, की ...भाई जब हजारों एकड़ जमीन ...इन बंद पड़ी फैक्ट्री के कब्जे में हैं तो ......सरकार खेती योग्य ...नई जमीन को अधिग्रहित क्योँ कर रही है .....इन बंद पड़ी कंपनियों की जमीन क्योँ नहीं?.....जो वैसे भी बेकार है ....

घर लौट कर ...एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी से पूंछा ....की ऐसा क्यों नहीं करते ये ....
उनका जवाब साफ़ था ...की ...जब इन बंद पड़ी कंपनियों को जमीन दी गयी थी ...तब भी सबको पता था ...की वहाँ पर ना ही इनको कभी कोई फैक्ट्री खोलनी है ...और अगर मजबूरी में कुछ कमरे बनाये भी तो .....बस जल्द ही घटा दिखा कर बंद कर देंगे .....और फिर अगले अधिग्रहण में एक नई जमीन ...नई कंपनी ....जिसका हाल फिर वही होगा ....
वो बोले ...अगर पता करोगे ...की ये कंपनियां वास्तव में ....है किसकी ....और जब जमीन मिली थी तो किस के पास ...देने की ताकत थी ....
सब कुछ स्वयं साफ़ हो जायेगा .....
वो बोले ...वास्तव में तो इन कंपनियों को ....कुछ उत्पाद करना ही नहीं होता ...इनको तो बस रिआयती दरों पर सरकारी और किसानों की जमीन हथियानी होती है और कुछ नहीं .....वास्तव में ये सब सिर्फ ....real estate का business करतें है ...और कुछ नहीं .....
थोडा अजीब है ...की शहर में और आसपास हजारों एकड़ ..में ..फैलीं है ...बंद और मरी पड़ी कम्पनी ......उनकी जमीन को reclaim करके ...नयी यूनिट को देने की जगह किसान की खेती योग्य ...जमीन ही चाहिए .....industrial development के लिए ....क्यों ?

और एक बात ..जिन गावों की जमीन ....अधिग्रहित की जाती है ....industrial development के लिए ......कुछ ऐसा कुचक्र है ...की वो हँसता खेलता गाँव,...... अचानक से एक मलिन बस्ती में तब्दील हो जाते है ....ना आने जाने के लिए सही रास्ते .....गंदे और ठहरे पानी की बदबू ....कूड़े के ढेर ...और भी बहुत कुछ ....क्यों ?.....जवाब शायद ...सभी को पता है ...नागेन्द्र शुक्ल

No comments:

Post a Comment