Tuesday, January 1, 2013

..एक कड़ा और सुरक्षित कानून बनाया जा जाये ...और एक कोई यादगार स्तम्भ भी ..

अभी सुना शशि थरूर  जी ने एक नए विवाद को जन्म दिया ....कहा की दामिनी का असली नाम जाहिर किया जाना चाहिए - अगर बहन दामिनी के परिवार की सहमति हो ....
हलाकि इस बयान से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है ....और BJP जो इस तरह के मामले में ही विरोध करती है .....आशा के अनुरूप अपने विपक्ष धर्म को निभाया ...
और AAP की और अरविन्द जी राय क्या है इसमें,...अभी मुझे पता नहीं .....वैसे भी अरविन्द जी ....फीते काटने ..फोटो लगवाने ...नाम लिखवाने से ज्यादा काम की ही बात करतें है ....
और AAP की तो ख़ास बात ही यही है की अपनी राय  थोपती नहीं है ......इसीलिए बुलाया है आपको ....और पूंछा है आपसे ...की बताइए आपकी राय है ...
खुली चर्चा के लिए: छात्र-युवा सम्मेलन गोपाल राय के साथ 2 जनवरी, 2013 शाम 4 बजे नवशक्ति सनियर सेकेड्री स्कूल, मिन्टो रोड, दिल्ली. संपर्क करे 9971603010 / 9971603070

पर सुना है की किरण बेदी जी ने इसका समर्थन किया ....और एक सकारात्मक सोंच बताई ...तो मैं भी कोशिश करता हूँ पानी राय बताने की .....
मेरी राय  में ....एक कड़ा और सुरक्षित कानून बनाया जा जाये ....और अगर बहन दामिनी के माता - पिता की अनुमति हो तो वो कानून ....उन्ही के नाम से बनाया जाये .....और एक कोई यादगार स्तम्भ भी ......

पर मेरा सोंचना पक्ष में इसलिए है ...की जब भी इस कानून की बात होगी ...दामिनी की बात होगी .....फिर इस जाग्रत और समझदार .....युवा ...आन्दोलन की बात होगी .....और अगर जल्द और फांसी देते हैं ...इन घिनौने ...अपराधीयों की सजा की बात होगी .....
यह भी बात होगी ....की आज़ाद भारत के ....इतिहास में ....पहली बार जनता के दबाव में ....जनता ने कोई कानून बनवाया .......कैसे लोक ने ...मजबूर किया ..तंत्र को ...सुनने में ....
मुझे ठीक लगता है .....अब हम मैडम क्युरी को ....क्यों जानते है ....क्योंकि क्योंकि यह एक मात्रक है ........हम न्यूटन को ...भी इतना ज्यादा ...उनके contribution से जानते है ....
पता नहीं आपका विचार क्या है ....जो मैं जानना चाहता हूँ ?....नागेन्द्र शुक्ल
अब शशि थरूर जी यह भी बता देते की कानून ...कब तक बना देंगे ......कैसा स्वरुप होगा तो अच्छा रहता ....

सरकार दरअसल दामिनी की निजता नहीं, इसी क्रांति के प्रतीक को छिपाना चाहती है। वह नहीं चाहती कि नेहरुओं और गांधियों को टक्कर देता कोई ऐसा स्मारक भी खड़ा हो जाए, जो जनता का हो। यह बलात्कार की शिकार किसी आम लड़की की कहानी नहीं है, जिसे सामाजिक अपमान और क्लेश से बचाने के लिए निजता के नियम को बनाया गया है। उस लड़की के सभी संबंधी उसे जानते हैं, उसका गांव, उसका मोहल्ला उसको जानता है।

फिर यह सरकार किससे उसकी पहचान को छिपाना चाहती है? एक मिनट के लिए मान लीजिए कि उस लड़की का नाम राधा था। आप जान गए कि उस लड़की का नाम राधा था, तो उसकी निजता कैसे खंडित हो सकती है? आप तो उसे पहले भी नहीं जानते थे और अब भी नहीं जानते। यह जनता को बेवकूफ बनाने के लिए गढ़ा गया सिद्धांत है, जिसमें मीडिया को भी शामिल कर लिया गया है। उस बहादुर लड़की ने कोई पाप नहीं किया है कि उसकी पहचान छिपाया जाए।

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