Thursday, January 17, 2013

असरदार लोग हैं जो जुड़ना चाहतें है ...अरविन्द जी से ...पर बैठे है इंतज़ार में ...की वो आकर बोलें ....

कई बार अलग - अलग माध्यम से पता चलता है ..की कई बड़े और असरदार लोग हैं जो जुड़ना चाहतें है ...अरविन्द जी से ...पर बैठे है इंतज़ार में ...की वो आकर बोलें ....तो इस मामले में मेरा मानना है की
किसी को मानाने, बुलाने ....और ये मिन्नतें करना की आप अरविन्द जी का साथ दो ....आप उनको वोट दो ....ठीक नहीं ...इससे उनका अहसान लद जाता है ...और फिर उसके बदले वो .....शायद ये भी सोंच सकतें है की उनका या उनके किसी ख़ास का ...कोई काम करवा दिया जाये ....और फिर बस हो जाएगी गड़बड़ ....जब आप किसी से कुछ चाहते तो ...तो कई बार वो भी आपसे बदले में कुछ चाह सकता है ....और फिर राजनीती हो गयी वही मेलझॊल वाली जो ये .....बीजेपी और कांग्रेस के लोग कर रहें है .....
अरविन्द जी का कहना है ...और मेरा भी मानना है की जिसको भी आना है ....वो अपना स्वार्थ और अपना ego दोनों को किनारे कर के आये ...इसलिए नहीं की अरविन्द जी को चुनाव जिताना है ...इसलिए की ..देश को बनाना है ...समाज को बनाना है .....
अगर सिर्फ सरकार बनाना होता ....तो कितना आसान था ...
एक उदहारण के तौर पर - देखो आज ही बीजेपी ने कुछ स्पष्ट संकेत दियें है ...की वो मोदी को आगे कर के 2014 के चुनाव में उतारेगी ......इसका मतलब यह हुआ की .......JDU (नितीश कुमार) जी तो संतुष्ट नहीं होंगे ...अभी तक छवि भी ठीक है ....और वो ढूंढ भी रहे है ....कोई दूसरा बेहतर विकल्प ...जिसमे मोदी भी न हों और कांग्रेस भी ......
ऐसे में कितना आसान है ...उनको और ममता जी जैसों को अपने साथ लाना .....पर हम उनको बुला नहीं सकते ....नहीं तो बाद में ...उनकी शर्तों को तो सुनना ही पड़ेगा ....हाँ ...अगर उनको विचारधारा समझ आती है ...तो उनको स्वयं ही ...आगे आना चाहिए ...अपने ego को पीछे छोड़ कर ...ऐसा मेरा मानना है ....क्यूंकि फायदे नुकसान के बारे में तो वो सोंचे ...जो व्यापार कर रहा हो ......अरविन्द जी ...तो समाज सेवा ...जन जागरण कर रहें है ......एक राजनीतिक आन्दोलन की अगुवाई कर रहे है ....कोई सरकार बनाने की कोशिश थोड़ी ही कर रहें है ...नागेन्द्र शुक्ल

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