Sunday, January 20, 2013

ख़त्म तेरा विश्राम हुआ ... शुरू तेरा ही ....काम हुआ ...

जो दे दिलासा,...तपते सूरज को
जो दे ताकत,....डरते मन को,
हिम्मत भरी तुलिका से ....कर दे रोशन
कण - कण ....हर जीवन ...
ना जाती धर्म का भेद करे ...
ना धन बल की ...चाहत हो ....
हर जीवन गुजरे ...सम्मान भरा ...
हो आग धधकती .....परिश्रम की ...
महक उठे ....तेरे श्रम की ....
जो भ्रष्ट हैं ...देखो भाग रहे ... ...
क्योँ की .... तुम अब जाग रहे ....
अधिकारों के संग - संग ...

अपने कर्तव्यों को पहचान रहे ...
ख़त्म तेरा
विश्राम हुआ ...
शुरू तेरा ही ....काम हुआ ...
डर मत ....बस उज्जवल हो जा,...
नीलगगन सा निश्छल हो जा,...
चमक दमक ...किरणों का नव जाल बना लें,
कण-कण को ...इस नव-सूरज का एहसास करा दें।
......नागेन्द्र शुक्ल
2 फरवरी को ...जनता के सामने होगी पोल खोल
कोई बस मीडिया नियंत्रित करके हमें रोक नहीं सकता 


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